प्रिलिम्स फैक्ट्स (11 Jul, 2022)



कैंसर के इलाज हेतु ऑनकोलिटिक विरोथेरेपी

अमेरिका में शोधकर्त्ताओं ने कैंसर थेरेपी में सुधार हेतु ऑनकोलिटिक विरोथेरेपी (OV) के रूप में नई विधि विकसित की है जो आसपास के स्वस्थ ऊतकों को बरकरार रखते हुए ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट कर सकती है।

Oncolytic-Virotherapy

ऑनकोलिटिक विरोथेरेपी:

  • ऑनकोलिटिक वायरस पास की स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों को बरकरार रखते हुए कैंसर कोशिकाओं को मार सकते हैं।
  • ऑनकोलिटिक विरोथेरेपी में उपचार प्राकृतिक घातक (NK) कोशिकाओं जैसे प्रतिरक्षा कोशिकाओं से बने एंटीट्यूमर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करके भी अपना प्रभाव डालता है।
  • हालांँकि कभी-कभी वे प्राकृतिक घातक ऑनकोलिटिक वायरस को सीमित कर देते हैं, इसलिये हाल के वर्षों में OV क्षेत्र में उचित विकास के बावजूद कुछ चुनौतियों से निपटने के लिये सुधार की आवश्यकता है, जिसमें अपेक्षाकृत कमज़ोर चिकित्सीय गतिविधि और प्रभावी प्रणालीगत वितरण के साधनों की कमी शामिल है।

आदर्श दृष्टिकोण:

  • इसमें जीन का एक निश्चित हिस्सा, जो कि सक्रियता का संकेत देता है, नष्ट कर दिया जाता है, साथ ही यह वायरस को सामान्य कोशिकाओं की प्रतिकृति के निर्माण में सक्षम बनाता है।
  • इसमें नया ऑनकोलिटिक वायरस होता है जिसे फ्यूसन-एच 2 (FusOn-H2) कहा जाता है, जो हरपीज सिम्प्लेक्स 2 वायरस, (HSV-2) पर आधारित है, जिसे आमतौर पर जननांग दाद के रूप में जाना जाता है।
  • FusOn-H2 में काइमेरिक NK एंगेजर जो ट्यूमर कोशिकाओं में प्रवेश कर प्राकृतिक घातक कोशिकाओं को संलग्न कर सकता है, विरोथेरेपी की प्रभावकारिता में काफी बढ़ा सकता है।

कैंसर क्या है?

  • परिचय:
    • यह रोगों का एक बड़ा समूह है जो शरीर के लगभग किसी भी अंग या ऊतक में तब शुरू हो सकता है, जब असामान्य कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं तथा शरीर के आस-पास के हिस्सों पर आक्रमण करने और/या अन्य अंगों में फैलने के लिये अपनी सामान्य सीमा से परे अतिक्रमण करती हैं। बाद की प्रक्रिया को मेटास्टेसाइजिंग कहा जाता है तथा यह कैंसर से मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।
    • कैंसर के अन्य सामान्य नाम नियोप्लाज़्म और मैलिगनेंट ट्यूमर हैं।
    • पुरुषों में फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लीवर का कैंसर सबसे आम प्रकार के कैंसर हैं, जबकि स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, ग्रीवा तथा थायराइड कैंसर महिलाओं में सबसे आम हैं।
  • कैंसर का बोझ:
    • भारत सहित दुनिया भर में कैंसर, पुराना और गैर-संचारी रोग (NCD) है तथा वयस्क बीमारी और मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कैंसर विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है और वर्ष 2018 में वैश्विक स्तर पर लगभग 18 मिलियन मामले थे, जिनमें से 1.5 मिलियन मामले अकेले भारत में थे।
  • निवारण :
    • मुख्य जोखिम कारकों को छोड़कर कैंसर से होने वाली 30-50% मौतों को रोका जा सकता है।
    • प्रमुख जोखिम वाले कारकों में तंबाकू, शराब का उपयोग, असंतुलित आहार, पराबैंगनी विकिरण का संपर्क, प्रदूषण, पुराने संक्रमण आदि शामिल हैं।
  • उपचार:
    • कैंसर के उपचार के विकल्प के रूप में सर्जरी, कैंसर की दवाएँ या रेडियोथेरेपी शामिल हैं।
    • उपशामक देखभाल (Palliative Care) जो रोगियों एवं उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केंद्रित है, कैंसर देखभाल का एक अनिवार्य घटक है।

कैंसर से निपटने हेतु पहल: 

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम


ओपन एकरेज लाइसेंसिंग कार्यक्रम

हाल ही में भारत सरकार ने OALP बिड राउंड-VIII लॉन्च किया है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा बोली के लिये 10 ब्लॉकों की पेशकश की गई है।

ओपन एकरेज लाइसेंसिंग कार्यक्रम (OALP):

  • मार्च 2016 में पूर्ववर्ती न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (NELP) के स्थान पर हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) को मंज़ूरी दी गई थी तथा जून 2017 में ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के साथ-साथ नेशनल डेटा रिपोजिटरी (NDR) को भारत में अन्वेषण और उत्पादन (E&P) गतिविधियों में तेज़ी लाने के लिये प्रमुख संचालक के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • OALP के तहत कंपनियों को उन क्षेत्रों के अन्वेषण की अनुमति है, जिनमें वे तेल और गैस का पता लगाना चाहती हैं।
  • कंपनियाँ वर्ष भर किसी भी क्षेत्र के अन्वेषण हेतु अपनी रुचि को प्रकट कर सकती हैं लेकिन ऐसी सुविधा वर्ष में तीन बार दी जाती है। इसके बाद मांगे गए क्षेत्रों की बोली लगाने की पेशकश की जाती है।
  • यह पूर्व नीति से अलग है, इस नीति में जहाँ एक तरफ सरकार ने क्षेत्रों की पहचान की सुविधा दी, वहीं दूसरी तरफ उन्हें बोली लगाने की पेशकश की।

हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP):

  • परिचय:
    • हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (HELP) रेवेन्यू शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर आधारित है।
    • नई नीति सरल नियमों, कर विराम, मूल्य निर्धारण और विपणन स्वतंत्रता का वादा करती है तथा वर्ष 2022-23 तक तेल एवं गैस उत्पादन को दोगुना करने की सरकार की रणनीति का हिस्सा है।
  • HELP के कार्य:
    • यूनिफॉर्म लाइसेंसिंग:
      • HELP एक समान लाइसेंसिंग प्रणाली प्रदान करती है जो तेल, गैस और कोल बेड मीथेन जैसे सभी हाइड्रोकार्बन को कवर करेगी।
        • NLEP के तहत विभिन्न प्रकार के हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण के लिये अलग-अलग लाइसेंस जारी किये गए थे।
        • इससे अतिरिक्त लागत आती है, क्योंकि एक निश्चित प्रकार का अन्वेषण करते समय किसी अलग प्रकार के हाइड्रोकार्बन पाए जाने पर अलग लाइसेंस की आवश्यकता होती है।
    • राजस्व बंँटवारा मॉडल:
      • HELP एक राजस्व बँटवारा मॉडल प्रदान करता है, सरकार को तेल और गैस आदि की बिक्री से सकल राजस्व का एक हिस्सा प्राप्त होगा तथा खर्च की गई लागत से कोई सरोकार नहीं होगा।
        • NELP लाभ बँटवारा मॉडल था जहांँ लागत की वसूली के बाद सरकार और ठेकेदार के बीच मुनाफे को साझा किया जाता है।
        • NELP के तहत सरकार के लिये निजी प्रतिभागियों के लागत विवरण की जांँच करना आवश्यक हो गया और इसके कारण देरी और विवाद उत्पन्न हुए।
    • मूल्य निर्धारण:
      • HELP के पास मार्केटिंग और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता है।
        • HELP से पहले, अनुबंध सोना चढ़ाने (महंगी और अनावश्यक सुविधाओं का समावेश) की संभावना के साथ उत्पादन साझा करने पर आधारित थे और 'लाभ में हेरफेर' करके सरकार को नुकसान पहुंचाते थे।
        • अनुबंधों की जटिलता को कम करने के लिये इसे राजस्व बँटवारे में बदल दिया गया।
      • नई प्रणाली के तहत रॉयल्टी दरों की एक श्रेणीबद्ध प्रणाली शुरू की गई थी।
        • इस प्रणाली के तहत रॉयल्टी दरें उथले जल (जहांँ अन्वेषण की लागत और जोखिम कम है), गहरे जल (जहांँ लागत और जोखिम अधिक है) से अति-गहरे जल वाले क्षेत्रों में घट जाएगी।

HELP के लाभ:

  • यह इन ब्लॉकों से उत्पादित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के लिये विपणन स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह सरकार की "न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन" की नीति के अनुरूप है।
  • NELP के तहत सरकार के लिये निजी प्रतिभागियों के लागत विवरण की जांँच करना आवश्यक था और इससे देरी एवं कई विवाद हुए। HELP 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के अनुरूप है।
  • HELP भारत में अपस्ट्रीम E&P (अन्वेषण, विकास और उत्पादन) के लिये सरकारी नियंत्रण के युग से सरकारी समर्थन हेतु सबसे बड़े संक्रमण का प्रतीक है।
    • OALP कंपनियों को अपनी पसंद के क्षेत्रों का पता लगाने के लिये डेटा और विवेक दोनों देकर अन्वेषण पर प्रतिबंध हटाता है।

स्रोत: पी.आई.बी.


एयरलाइन टर्बुलेंस

हाल ही में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने स्पाइसजेट को सुरक्षित विमान सेवा में गिरावट को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

ऐसी घटनाओं का कारण:

  • वित्तीय कारण:
    • स्पाइसजेट ने 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त नौ महीने की अवधि के लिये 1,259.21 करोड़ रुपए का समेकित शुद्ध घाटा दर्ज किया और अभी तक पूरे वित्तीय वर्ष 2022 के लिये अपने परिणाम घोषित नहीं किये हैं।
      • यह उन स्थितियों की ओर इंगित करता है जब एक एयरलाइन कंपनी विक्रेताओं को भुगतान करने में सक्षम नहीं होती है और स्पेयर पार्ट्स की कमी हो जाती है, क्योंकि अधिकांश विक्रेता "कैश और कैरी" आधार पर व्यवसाय करते हैं।
  • दोषों को नज़रअंदाज़ करना:
    • कई पायलट संगठनात्मक संस्कृति को दोष देते हैं जहांँ पायलटों को दोषों के अनसुलझे होने के बावजूद उड़ान भरने के लिये मजबूर किया जाता है और नियमों कि अवहेलना की जाती है।
      • उदाहरण के लिये मार्च 2022 में एक प्रशिक्षण केंद्र में DGCA की जांँच में पता चला कि स्पाइसजेट दोषपूर्ण स्टिक शेकर (जो पायलट को आसन्न गिरावट की चेतावनी देता है) के बावजूद अपने पायलटों को अनुरूपक (Simulator) पर प्रशिक्षण दे रहा था।
      • प्रशिक्षण कुख्यात बोइंग 737 मैक्स विमानों की सेवा में वापसी का हिस्सा था, जिनकी उड़ान को दो हवाई दुर्घटनाओं के बाद दुनिया भर में रोक दिया गया था।
        • DGCA ने स्पाइसजेट के 90 पायलटों को मैक्स विमानों की उड़ान भरने से रोक दिया जब तक कि उन्हें फिर से प्रशिक्षित नहीं किया गया।

DGCA:

  • यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है
  • यह नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में नियामक निकाय है जो मुख्य रूप से सुरक्षा मुद्दों से निपटता है।
  • यह भारत में/से/के भीतर हवाई परिवहन सेवाओं के नियमन और नागरिक हवाई नियमों, हवाई सुरक्षा तथा उड़ान योग्यता मानकों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के साथ सभी नियामक कार्यों का समन्वय भी करता है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के साथ सभी नियामक कार्यों का समन्वय भी करता है।

DGCA के कार्य:

  • विमान नियम 1937, DGCA को 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने, किसी भी विमान को हिरासत में लेने का अधिकार देता है यदि इससे विमान में व्यक्तियों या किसी अन्य व्यक्ति या संपत्ति को खतरा हो उत्पन्न है।
  • नियामक एयरलाइन के एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) को भी निलंबित कर सकता है या एयरलाइन के शेड्यूल, यानी उड़ानों को कम कर सकता है, जो देश में वाणिज्यिक हवाई सेवाओं की पेशकश के लिये एक शर्त है ।

स्रोत: द हिंदू


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 जुलाई, 2022

प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय प्रशिक्षु मेला

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा ‘प्रधानमंत्री कौशल भारत मिशन’ के अंतर्गत 11 जुलाई, 2022 को प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय प्रशिक्षु मेले का आयोजन किया जा रहा है। अब तक 1 लाख 88 हज़ार आवेदक मेले में भागीदारी कर चुके हैं और इसके माध्यम से 67 हज़ार से अधिक अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। एक दिन के इस आयोजन में 36 क्षेत्रों की एक हज़ार से अधिक कंपनियाँ शामिल होंगी तथा 500 विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध होंगे। मंत्रालय द्वारा देश भर में 200 से अधिक स्‍थानों पर मेले का आयोजन तथा आवेदकों को प्रशिक्षण के माध्यम से अपना कॅरियर बनाने का अवसर प्रदान किया जाएगा। उम्‍मीदवारों के पास पांँचवीं से बारहवीं कक्षा पास होने का प्रमाण पत्र, कौशल प्रशिक्षण प्रमाण पत्र, आईटीआई डिप्‍लोमा या स्‍नातक डिग्री होनी चाहिये। युवा प्रशिक्षु 500 से अधिक व्‍यवसायों में से चुनाव कर सकेंगे। प्रशिक्षण के बाद उन्हें राष्‍ट्रीय व्‍यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद से प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्‍य उद्देश्‍य कंपनियों को अधिक से अधिक प्रशिक्षुओं को काम पर रखने का अवसर देना तथा प्रशिक्षण एवं व्‍यावहारिक कौशल के ज़रिये उनकी क्षमता का विकास करना है।

अमिताभ कांत 

हाल ही में सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत को G-20 हेतु भारत का नया शेरपा चुना गया है। कांत G-20 शेरपा के रूप में पीयूष गोयल का स्थान लेंगे। भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक G-20 की अध्यक्षता करेगा। भारत के G-20 अध्यक्ष पद के कार्यकाल हेतु पूर्णकालिक शेरपा की आवश्यकता थी। यही कारण है कि पीयूष गोयल की जगह अमिताभ कांत को लिया गया है। G-20 के अन्य शेरपाओं में शक्तिकांत दास, सुरेश प्रभु और मोंटेक सिंह अहलूवालिया शामिल हैं। अमिताभ कांत का विस्तारित कार्यकाल नीति आयोग के सीईओ के रूप में जून 2022 में पूरा हुआ। उन्होंने छह वर्षों तक इस पद पर कार्य किया। वह केरल कैडर के वर्ष 1980 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में नीति आयोग के सीईओ के रूप में पदभार ग्रहण किया था।

विश्व जनसंख्या दिवस 

प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की स्थापना वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की गवर्निंग काउंसिल द्वारा की गई थी । यह 11 जुलाई, 1987 के ‘फाइव बिलियन डे’ से प्रेरित था। इस तारीख को दुनिया की अनुमानित आबादी पांँच अरब पहुंँच गई थी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों जैसे- परिवार नियोजन, मातृ स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, गरीबी और मानवाधिकारों के महत्त्व पर लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। विश्व जनसंख्या दिवस 2022 की थीम है- “8 बिलियन की दुनिया: सभी के लिये एक लचीले भविष्य की ओर-अवसरों का दोहन और सभी के लिये अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना”।