नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कैंसर के लिये PD1 थेरेपी

  • 09 Jun 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

PD1 थेरेपी, टी-सेल्स, डोस्टारलिमैब 

मेन्स के लिये:

कैंसर के इलाज़ हेतु PD1 थेरेपी का महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

संयुक्त राज्य अमेरिका में एक चिकित्सा परीक्षण में बिना किसी सर्जरी या कीमोथेरेपी की आवश्यकता के 12 रोगियों को रेक्टल कैंसर से पूरी तरह से ठीक किया गया है। 

  • परीक्षण ने विशेष प्रकार के चरण दो या तीन रेक्टल कैंसर के इलाज़ के लिये छह महीने में हर तीन सप्ताह में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी डोस्टारलिमैब (Dostarlimab)का इस्तेमाल किया। 
  • यह अध्ययन न्यूयॉर्क में मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉक्टरों द्वारा किया गया। 

प्रमुख बिंदु 

  • परीक्षण से पता चला है कि अकेले इम्यूनोथेरेपी बिना किसी कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या सर्जरी के जो कि कैंसर के उपचार के मुख्य आधार रहे हैं, एक विशेष प्रकार के रेक्टल कैंसर के रोगियों को पूरी तरह से ठीक कर सकता है जिसे 'मिसमैच रिपेयर डेफिसिट' कैंसर कहा जाता है। 
    • कोलोरेक्टल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और एंडोमेट्रियल कैंसर में 'मिसमैच रिपेयर डेफिसिट' कैंसर सबसे आम है। इस स्थिति से पीड़ित मरीज़ों में DNA में टाइपो को ठीक करने के लिये ज़ीन की कमी होती है, जबकि कोशिकाएंँ प्रतियांँ बनाती हैं। 
    • इम्यूनोथेरेपी एक ऐसी उपचार प्रणाली है जो कैंसर से लड़ने के लिये किसी व्यक्ति की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करती है। इम्यूनोथेरेपी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत कर सकती है या बदल सकती है ताकि यह कैंसर कोशिकाओं को खोजकर उनको समाप्त कर सके। 
  • इम्यूनोथेरेपी पीडी 1 ब्लॉकेड नामक एक श्रेणी से संबंधित है, जिसे अब कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के बजाय ऐसे कैंसर के इलाज के लिये अनुशंसित किया जाता है। 

PD1 थेरेपी: 

  • PD1 एक प्रकार का प्रोटीन है जो प्रतिरक्षा प्रणाली के कुछ कार्यों को नियंत्रित करता है, जिसमें दबावयुक्त टी कोशिका गतिविधि भी शामिल है और पीडी 1 ब्लॉकेड थेरेपी इस दबाव से टी कोशिकाओं को मुक्त करने के लिये की जाती है। 
    • टी-कोशिकाएँ श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) हैं। वे सामान्य रोगजनकों या प्रतिजनों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
  • पहले इस थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद किया जाता था, लेकिन अध्ययन से पता चला है कि अब इसके लिये सर्जरी की आवश्यकता नहीं है। 
  • यद्यपि चिकित्सा का उपयोग आमतौर पर ऐसे कैंसर के लिये किया जाता है जिनका रूप-परिवर्तन (Metastasi) हो चुका है (जहाँ कैंसर उत्पन्न होता है, इसके बाद वह अन्य स्थानों पर फैलता है), परंतु अब यह सभी प्रकार के कैंसर के लिये अनुशंसित है क्योंकि यह पारंपरिक कीमो और रेडियोथेरेपी की तुलना में जल्दी सुधार व कम विषाक्तता परिणाम वाला है। 
  • अन्य उपचारों को समाप्त करने से प्रजनन क्षमता, यौन स्वास्थ्य और मूत्राशय तथा आंत्र को संरक्षित करके रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। 

भारत में ऐसे उपचार की उपलब्धता: 

  • इम्युनोथैरेपी के साथ समस्या यह है कि भारत में यह ज़्यादातर लोगों के लिये महँगी और पहुँच से बाहर है। एक इम्यूनोथेरेपी उपचार में प्रतिमाह लगभग 4 लाख रुपए खर्च हो सकते हैं एवं रोगियों को छह महीने से एक साल तक उपचार की आवश्यकता होती है। लोग उपचार के लिये अपनी जीवन भर की बचत का उपयोग करते हैं।  
  • सटीक दवाएँ, जैसे कि विशेष प्रकार के कैंसर के लिये विशेष इम्यूनोथेरेपी दवाओं का उपयोग करना, भारत में अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है। 
    • सटीक दवा, रोग उपचार और रोकथाम के लिये एक उभरता हुआ दृष्टिकोण है जो प्रत्येक व्यक्ति हेतु पर्यावरण और जीवन शैली में व्यक्तिगत परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखता है। यह दृष्टिकोण डॉक्टरों एवं शोधकर्त्ताओं को अधिक सटीक भविष्यवाणी करने की अनुमति देगा कि किसी विशेष बीमारी के लिये कौन सी उपचार और रोकथाम रणनीतियाँं होंगी और वे लोगों के किस समूह  पर काम करती हैं। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. 'ACE2' पद का उल्लेख किस संदर्भ में किया जाता है? 

(a) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों में पुरःस्थापित जीन 
(b) भारत के निजी उपग्रह संचालन प्रणाली का विकास 
(c) वन्य प्राणियों पर निगाह रखने के लिये रेडियो कॉलर 
(d) विषाणुजनित रोगों का प्रसार 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • ACE2' कई प्रकार की कोशिकाओं की सतह पर एक प्रोटीनयुक्त एंजाइम है जो एंजियोटेंसिन कन्वर्टेज एंजाइम-2 के लिये उत्तरदायी है। यह एक एंजाइम है जो छोटे प्रोटीन उत्पन्न करता है और बड़े प्रोटीन एंजियोटेंसिनोजेन को काटकर कोशिका में कार्यों को विनियमित करने के लिये आगे बढ़ता है। 
  • अपनी सतह पर स्पाइक जैसे प्रोटीन का उपयोग करते हुए SARSCoV-2 वायरस ACE2 से कोशिकाओं के प्रवेश और संक्रमण से पहले इस प्रकार बंध जाता है जिस प्रकार एक ताले में चाबी डाली जाती है। इसलिये ACE2 एक सेलुलर द्वार या वायरस के लिये एक रिसेप्टर के रूप में कार्य करता है जो COVID-19 का कारण बनता है।  
  • अतः विकल्प (d) सही है 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow