लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Oct, 2022
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

बुर्किना फासो में तख्तापलट

हाल ही में बुर्किना फासो के राष्ट्रपति पॉल-हेनरी दामिबा (Paul-Henri Damiba) ने लगभग आठ महीनों में दूसरे तख्तापलट में सैनिकों के एक समूह द्वारा सैन्य सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद अस्थिर पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र में हिंसा के पश्चात अपने इस्तीफे की घोषणा की।

  • देश में सुरक्षा की स्थिति में सुधार के लिये दामिबा के वादों के बावजूद उनकी सरकार के तहत संकट और गहरा गया।
  • अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (Economic Community of West African States-ECOWAS) ने बुर्किना फासो को संगठन से निलंबित कर, दामिबा के नेतृत्व वाली सरकार से जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। 

Burkina-faso

बुर्किना फासो का इतिहास:

  • एक पूर्व फ्राँसीसी उपनिवेश, बुर्किना फासो को वर्ष 1960 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से कई बार तख्तापलट सहित अस्थिरता का सामना करना पड़ा है।
  • बुर्किना फासो नाम का शाब्दिक अर्थ है "ईमानदार पुरुषों की भूमि", इसे क्रांतिकारी सैन्य अधिकारी थॉमस शंकरा द्वारा चुना गया था, जिन्होंने वर्ष 1983 में सत्ता संभाली थी। वर्ष 1987 में उनकी सरकार को गिरा दिया गया और उन्हें मार दिया गया।
  • वर्ष 2015 से यह देश पड़ोसी माली से फैले इस्लामी उग्रवाद से लड़ाई लड़ रहा है। इसने सेना के क्रोध को हवा दी है और बीते वक्त में कभी  महत्त्वपूर्ण रहे पर्यटन उद्योग को हानि भी पहुँचाई है।
  • चारो तरफ से घिरा बुर्किना फासो, जो सोने का उत्पादक होने के बावजूद पश्चिम अफ्रीका के सबसे गरीब देशों में से एक है, ने वर्ष 1960 में फ्राँस से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से कई तख्लतापलट की घटनाओं को देखा है।
  • इस्लामी चरमपंथियों ने बुर्किना फासो क्षेत्र के कई हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है और कुछ क्षेत्रों में निवासियों को इस्लामी कानून के अपने कठोर संस्करण का पालन करने के लिये मज़बूर किया है, जबकि विद्रोह को दबाने के लिये सेना द्वारा किया जा रहे संघर्ष ने दुर्लभ राष्ट्रीय संसाधनों को समाप्त कर दिया है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

फारस की खाड़ी

फारस की खाड़ी दक्षिण-पश्चिमी ईरान और अरब प्रायद्वीप के बीच अरब सागर की एक शाखा है।

Persian-Gulf

मुख्य बिंदु:

  • भौगोलिक अवस्थिति:
    • अरब सागर की एक भुजा; दक्षिण-पश्चिमी ईरान और अरब प्रायद्वीप के मध्य।
    • सीमावर्ती देश: इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान और ईरान।
    • यह पूर्व में ओमान की खाड़ी एवं होर्मुज जलडमरूमध्य से जुड़ा हुआ है।
      • होर्मुज जलडमरूमध्य उत्तर में केशम द्वीप और ईरान के तट और दक्षिण में अरब प्रायद्वीप के मुसंडम प्रायद्वीप के बीच स्थित है।
  • सामरिक महत्त्व:
  • हाल की संबंधित घटनाएँ:

प्रारंभिक परीक्षा

स्टार्टअप के लिये क्रेडिट गारंटी योजना (CGSS)

हाल ही में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने स्टार्टअप के लिये क्रेडिट गारंटी योजना को अधिसूचित किया है।

स्टार्टअप के लिये क्रेडिट गारंटी योजना (CGSS):

  • परिचय:
    • यह योजना पात्र स्टार्टअप कोे वित्तपोषित करने के क्रम में सदस्य संस्थानों (MIs) द्वारा दिये गए ऋण को क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
      • MIs में वित्तीय मध्यस्थ (बैंक, वित्तीय संस्थान, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ) शामिल हैं। ये संस्थान ऋण देने/निवेश करने के साथ योजना के तहत अनुमोदित पात्रता मानदंड के अनुरूप होते हैं।
    • यह योजना स्टार्ट-अप्स को बंधक -मुक्त आवश्यक ऋण निधि प्रदान करने में मदद करेगी।
    • इस योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवर, लेन-देन आधारित और अम्ब्रेला आधारित होगा।
    • अलग-अलग मामलों में एक्सपोज़र की सीमा 10 करोड़ रुपए प्रति मामला या वास्तविक बकाया क्रेडिट राशि (जो भी कम हो) मान्य होगी।
    • लेन-देन आधारित गारंटी कवर के संबंध में गारंटी कवर सदस्य संस्थानों (MI) द्वारा एकल पात्र उधाकर्त्ताा आधार पर प्राप्त किया जाता है।
      • लेन-देन आधारित गारंटी से बैंकों/NBFCs द्वारा पात्र स्टार्टअप को ऋण देने को बढ़ावा मिलेगा।
    • अम्ब्रेला धारित गारंटी कवर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) नियमों के तहत पंजीकृत वेंचर डेट फंड (VDF) को गारंटी प्रदान करेगा।
  • लक्ष्य:
    • इसका लक्ष्य उन स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान करना है जो महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं एवं अब बढ़ती ब्याज दर परिदृश्य के कारण उनके और अधिक प्रभावित होने की संभावना है तथा नए उद्यमियों को आसानी से तरलता उपलब्ध होने की संभावना नहीं है।

भारत में स्टार्टअप्स की स्थिति:

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

गिद्धों का संरक्षण

हाल के एक अध्ययन के अनुसार, गिद्ध ज़्यादातर संरक्षित क्षेत्रों (Protected Areas-PAs) के बाहर भोजन  (मांस भक्षण) करते हैं और यदि इन स्थानों से ज़हर युक्त शवों जैसे खतरों को हटा दिया जाए, तो गिद्धों की आबादी में आने वाली गिरावट को रोका जा सकता है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • परिचय:
    • भोजन करते समय गिद्धों ने उच्च पशुधन घनत्व वाले क्षेत्रों से परहेज किया, जो बताता है कि गिद्ध मुख्य खाद्य स्रोत के रूप में मवेशियों का उपयोग नहीं करते थे और उच्च मानव निवास वाले क्षेत्रों से बचते थे।
    • गिद्धों का मुख्य भोजन स्रोत मवेशी नहीं होने के संबंध में किये गए अध्ययन का निष्कर्ष भारत के संदर्भ में सही नहीं था।
      • भारत में गिद्धों की आबादी में भारी गिरावट मुख्य रूप से मवेशियों पर पशु चिकित्सा में डाइक्लोफेनाक के उपयोग के कारण होती है, अतः स्पष्ट रूप से गिद्ध पशुओं के मांस का अधिक सेवन करते हैं।
  • संरक्षण के लिये सुझाव:
    • इनके निवास स्थान को समझने के साथ कुछ आवासों (जैसे कि संरक्षित क्षेत्रों और उसके बाहर) में इनके व्यवहार को समझना भी इनके संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • घोसले और  इनके निवास स्थलों के पास खतरों की पहचान करना तथा उन्हें दूर करने के साथ  इन्हें भोजन एवं पानी उपलब्ध कराना आवश्यक है।

भारत में गिद्धों की प्रजातियाँ:

  • परिचय:
    • यह मरा हुआ जानवर खाने वाले पक्षियों की 22 प्रजातियों में से एक है जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं।
    • ये प्रकृति के कचरा संग्रहकर्त्ता के रूप में एक महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं और पर्यावरण से कचरा हटाकर उसे साफ रखने में मदद करते हैं।
      • गिद्ध वन्यजीवों की बीमारियों को नियंत्रण में रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • भारत गिद्धों की 9 प्रजातियों यथा- ओरिएंटल व्हाइट बैक्ड(Oriental White Backed), लॉन्ग बिल्ड (Long Billed), स्लेंडर-बिल्ड (Slender Billed), हिमालयन (Himalayan), रेड हेडेड (Red Headed), मिस्र देशीय (Egyptian), बियरडेड (Bearded), सिनेरियस (Cinereous) और यूरेशियन ग्रिफॉन (Eurasian Griffon) का घर है।
      • इन 9 प्रजातियों में से अधिकांश के विलुप्त होने का खतरा है।
      • बियरडेड, लॉन्ग बिल्ड और ओरिएंटल व्हाइट बैक्ड वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act), 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित हैं। बाकी 'अनुसूची IV' के अंतर्गत संरक्षित हैं।

IUCN स्थिति:

Wildlife-protection

  • खतरे:
    • डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) जैसे विषाक्त जो पशुओं के लिये दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
    • मानवजनित गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आवासों का नुकसान।
    • भोजन की कमी और दूषित भोजन।
    • बिजली लाइनों से करंट।
  • संरक्षण के प्रयास:
    • हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने देश में गिद्धों के संरक्षण के लिये एक 'गिद्ध कार्ययोजना 2020 -25' (Vulture Action Plan 2020-25) शुरू की।
      • यह डिक्लोफेनाक का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित करेगी और गिद्धों हेतु मवेशियों के शवों के प्रमुख भोजन की विषाक्तता को रोकेगी।
    • भारत में गिद्धों की मौत के कारणों पर अध्ययन करने के लिये वर्ष 2001 में हरियाणा के पिंजौर में एक गिद्ध देखभाल केंद्र (Vulture Care Centre-VCC) स्थापित किया गया।
    • कुछ समय बाद वर्ष 2004 में गिद्ध देखभाल केंद्र को उन्नत (Upgrade) करते हुए भारत के पहले ‘गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ (VCBC) की स्थापना की गई।
      • वर्तमान में भारत में नौ गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र हैं, जिनमें से तीन बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (Bombay Natural History Society-BNHS) द्वारा प्रत्यक्ष रूप से प्रशासित किये जा रहे हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: गिद्ध जो कुछ साल पहले भारतीय ग्रामीण इलाकों में बहुत आम हुआ करते थे, आजकल कम ही देखे जाते हैं। इसके लिये ज़िम्मेदार है (2012)

(a) नई आक्रामक प्रजातियों द्वारा उनके घोंसले का विनाश
(b) पशु मालिकों द्वारा अपने रोगग्रस्त मवेशियों के इलाज हेतु इस्तेमाल की जाने वाली दवा
(c) उपलब्ध भोजन की कमी
(d) व्यापक और घातक बीमारी।

उत्तर: (b)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 अक्तूबर, 2022

पूर्वोत्तर परिषद  

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने 9 सितंबर, 2022 को गुवाहाटी में पूर्वोत्तर परिषद की 70वीं पूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में पूर्वोत्तर के राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, पूर्वोत्तर मामलों के केंद्रीय मंत्री एवं राज्यमंत्री सहित केंद्र और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के विकास की राह में दशकों से तीन प्रमुख बाधाएँ थीं- उग्रवादी समूहों द्वारा हिंसा और अशांति, पूर्वोत्तर में रेल, सड़क तथा हवाई संपर्क की कमी एवं पूर्वोत्तर के विकास पर बल न देना। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के पूर्वोत्तर की भाषाओं, संस्कृतियों, खानपान और वेशभूषा को पूरा भारत अपनी धरोहर मानता है तथा इस क्षेत्र की नैसर्गिक पहचान को बचाए रखने व इसके संवर्द्धन के लिये भारत सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है। भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में विश्व में पाँचवें स्थान पर है और इसे विश्व में दूसरे स्थान पर पहुँचाने में योगदान देने के लिये पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।भारत सरकार के लिये प्राकृतिक कृषि एवं डिजिटल कृषि प्राथमिकता का विषय हैं तथा प्राकृतिक उत्पादों के प्रमाणन के लिये अमूल और 5 अन्य सहकारी समितियों को मिलाकर एक बहुराज्यीय सहकारी समिति बनाने पर विचार किया जा रहा है।

उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 9 अक्तूबर, 2022 को उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की 145वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्कलमणि गोपबंधु दास ओडिशा में नवजागरण के अग्रदूत, चिंतक, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा-शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक थे। 9 अक्तूबर, 1877 को ओडिशा के पुरी ज़िले में जन्मे गोपबंधु दास अपने जीवन काल में हमेशा उड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति को सशक्त बनाने के साथ-साथ असहायों की सेवा में तत्पर रहे। वे गांधीजी के प्रिय और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विश्वस्त थे। गोपबंधु दास भाषा प्रेमी, समाजसेवी, लेखक के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान वे अनेक बार जेल गए। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण गोपबंधु वर्ष 1922-24 के दौरान देश के ऐतिहासिक हजारीबाग जेल में कैद रहे। ओडिशा में उनका असर यह रहा कि उनके कालखंड को ‘सत्यवादी युग’ के नाम से जाना जाता है। उनकी आत्मकथा ‘बंदिर आत्मकथा’ उड़िया की क्लासिक कृतियों में शामिल है। साझा प्रशासन के तहत बंगाल, मध्य प्रांत, मद्रास और बिहार-ओडिशा के उड़िया भाषी इलाकों को एकीकृत करने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ओडिशा में बाढ़ एवं अकाल के उन्मूलन के लिये प्रभावी उपाय करने हेतु उन्होंने सशक्त आवाज़ उठाई। उत्पाद शुल्क से मुक्त नमक के निर्माण के लिये ओड़िशा के लोगों के अधिकार की बहाली की पैरोकारी की थी।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

यह दिवस मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के लिये प्रतिवर्ष 10 अक्तूबर को मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का विषय "कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य" है। मानसिक स्वास्थ्य विकार विश्व भर में होने वाली सामान्य बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों की अनुमानित संख्या 450 मिलियन है। भारत में यह संख्या लगभग 1.5 मिलियन है जिनमें बच्चे एवं किशोर भी शामिल हैं। मानसिक बीमारी व्यक्ति के महसूस करने, सोचने एवं कार्य करने के तरीके को प्रभावित करती है, इसलिये भारत सरकार ने देश में मानसिक बीमारी के बढ़ते दबाव पर विचार करने के उद्देश्य से वर्ष 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) की शुरुआत की। इस बीमारी की प्रमुख वजह परिवेश संबंधी तनाव जैसे कि चिंता, अकेलापन, आत्मसम्मान में कमी, परिवार में मृत्यु या तलाक, दुर्घटना, हिंसा एवं बलात्कार से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक आघात आदि हो सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति की भावनाओं एवं स्वभाव को समझने तथा उनके साथ प्रभावी ढ़ंग से संवाद करने, उन्हें भावनात्मक एवं सामाजिक सहयोग प्रदान करने के साथ-साथ उनके साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार करके तथा उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में सहयोग आदि जैसे प्रयासों से उनकी सहायता की जा सकती है। 


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2