36वाँ मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी विस्तृत विश्लेषण प्रशिक्षण कार्यक्रम
नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीज़न (NeGD) ने अपनी क्षमताओं में बढ़ोतरी के उद्देश्य से एक विशेष परियोजना के तहत 36वें मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (Chief Information Security Officers- CISO) विस्तृत विश्लेषण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। नई दिल्ली के भारतीय लोक प्रशासन संस्थान में आयोजित इस अभ्यास सत्र में केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 24 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
- यह प्रशिक्षण कार्यक्रम साइबर सुरक्षित भारत पहल के तहत आयोजित कार्यशालाओं की शृंखला का एक हिस्सा है।
साइबर सुरक्षित भारत पहल:
- साइबर सुरक्षित भारत पहल की संकल्पना साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने और सभी सरकारी विभागों में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISOs) एवं अग्रिम पंक्ति के सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारियों की क्षमता निर्माण के मिशन के साथ की गई थी।
- इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) द्वारा वर्ष 2018 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीज़न (NeGD) तथा भारत में विभिन्न उद्योग भागीदारों के सहयोग से लॉन्च किया गया था।
मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी विस्तृत विश्लेषण प्रशिक्षण कार्यक्रम:
- परिचय:
- यह प्रशिक्षण सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership- PPP) मॉडल के तहत सरकार और उद्योग संघों के बीच अपनी तरह की पहली साझेदारी है।
- उद्देश्य:
- साइबर खतरों के उभरते परिदृश्य को लेकर जागरूकता उत्पन्न करना।
- साइबर संबंधित समाधानों की गहन समझ प्रदान करना।
- साइबर सुरक्षा से संबंधित रूपरेखा, दिशा-निर्देश और नीतियों का निर्माण करना।
- सफलता और असफलताओं से सीखने के लिये सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा करना।
- साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर उनके संबंधित कार्यात्मक क्षेत्र में सूचित निर्णय लेने के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना।
- प्रतिभागी:
- यह कार्यक्रम मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISO) और विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के अग्रिम पंक्ति के IT अधिकारियों, केंद्र तथा राज्य सरकारों के सरकारी एवं अर्द्ध-सरकारी संगठनों, सार्वजनिक उपक्रमों और बैंकों सहित अन्य के लिये आयोजित किया जाता है।
- प्रशिक्षण:
- नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीज़न (NeGD) प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था हेतु रसद सहायता प्रदान करता है, जबकि उद्योग संघ प्रशिक्षण के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
- उद्योग के प्रशिक्षण भागीदार माइक्रोसॉफ्ट, IBM, इंटेल, पालो अल्टो नेटवर्क्स, E&Y और डेल-EMC, NIC, CERT-In तथा CDAC सरकार की ओर से भागीदार हैं।
साइबर सुरक्षा बढ़ाने से संबंधित अन्य पहलें:
- वैश्विक:
- भारत-विशिष्ट:
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020
- राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC)
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- साइबर अपराधों का सामना करने के लिये नई सुविधा
- कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल- भारत (CERT-In)
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022
- रक्षा साइबर एजेंसी (DCyA)
- डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023
- साइबर स्वच्छता केंद्र: यह प्लेटफॉर्म वर्ष 2017 में इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं को मैलवेयर और वायरस को हटाकर अपने कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को साफ करने में मदद करने के लिये पेश किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू' जो पद हाल ही में समाचारों में उल्लखित थे, निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं? (2018) (a) एक्सोप्लैनेट उत्तर: (c) व्याख्या:
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स्रोत: पी.आई.बी.
लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2023
हाल ही में लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2023 के विजेताओं की घोषणा की गई। यह पुरस्कार वर्ष 2020 के बाद पहली बार पेरिस में व्यक्तिगत रूप से आयोजित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- ये पुरस्कार प्रतिवर्ष, वर्ष की सबसे बड़ी और प्रेरणादायक खेल जीत का सम्मान करने हेतु प्रदान किये जाते हैं, साथ ही लॉरियस स्पोर्ट फॉर गुड के काम को प्रदर्शित करते हैं।
- पहला लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड समारोह 25 मई, 2000 को हुआ था।
- अमेरिकी गोल्फर टाइगर वुड्स इस पुरस्कार के पहले विजेता थे।
- इसे प्रायः खेलों का ऑस्कर कहा जाता है।
- पुरस्कार श्रेणियाँ:
- लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर
- वर्ष 2023 का विजेता: लियोनेल मेस्सी (अर्जेंटीना)
- लियोनेल मेसी स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर (2020 में) से सम्मानित होने वाले पहले फुटबॉलर बन गए हैं
- लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्सवुमन ऑफ द ईयर
- वर्ष 2023 का विजेता: शैली-एन फ्रेज़र-प्रिस (जमैका)
- लॉरियस वर्ल्ड टीम ऑफ द ईयर
- वर्ष 2023 का विजेता: अर्जेंटीना पुरुष फुटबॉल टीम
- लॉरियस वर्ल्ड ब्रेकथ्रू ऑफ द ईयर
- वर्ष 2023 का विजेता: कार्लोस अल्कराज (स्पेन)
- लॉरियस वर्ल्ड कमबैक ऑफ द ईयर
- वर्ष 2023 का विजेता: क्रिश्चियन एरिक्सन (डेनमार्क)
- लॉरियस वर्ल्ड एक्शन स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर
- वर्ष 2023 का विजेता: एलीन गु (चीन)
- लॉरियस स्पोर्ट फॉर गुड
- वर्ष 2023 का विजेता: टीमअप (वैश्विक)
- टीमअप (TeamUp) वॉर चाइल्ड, सेव द चिल्ड्रन और यूनिसेफ नीदरलैंड द्वारा विकसित एक मनोवैज्ञानिक-सामाजिक समर्थन हस्तक्षेप है, जो कठिन परिस्थितियों में बच्चों के तनाव और चिंता को दूर करने में मदद करता है।
- वर्ष 2023 का विजेता: टीमअप (वैश्विक)
- लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर विद अ डिसेबिलिटी
- वर्ष 2023 की विजेता: कैथरीन डेब्रूनर (स्विट्ज़रलैंड)
- दिव्यांगता वाले विश्व एथलीट ऑफ द ईयर की शॉर्टलिस्ट अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति द्वारा प्रदान की जाती है।
- लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर
- महत्त्वपूर्ण पुरस्कार विजेता:
- सबसे ज़्यादा अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड रोज़र फेडरर के नाम है। स्विस टेनिस खिलाड़ी ने छह पुरस्कार जीते हैं जिनमें पाँच स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर और एक कमबैक ऑफ द ईयर के लिये है।
- सबसे अधिक महिला पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड सेरेना विलियम्स के नाम है।
- लियोनेल मेसी, जिन्होंने वर्ष 2022 में अर्जेंटीना को विश्व कप तक पहुँचाया, लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर जीतने वाले पहले एथलीट बने और वर्ष 2023 में उन्होंने लॉरियस वर्ल्ड टीम ऑफ द ईयर अवार्ड भी जीता।
- पुरस्कारों की अन्य श्रेणियाँ:
- इन नियमित सात पुरस्कारों के अतिरिक्त कुछ और पुरस्कार हैं जिन्हें सम्मानित किया गया जो कि विवेकाधीन पुरस्कार हैं। इसमें शामिल है:
- लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- स्पोर्ट फॉर गुड अवार्ड
- स्पिरिट ऑफ स्पोर्ट अवार्ड
- असाधारण उपलब्धि पुरस्कार
- खेल प्रेरणा पुरस्कार
- इन नियमित सात पुरस्कारों के अतिरिक्त कुछ और पुरस्कार हैं जिन्हें सम्मानित किया गया जो कि विवेकाधीन पुरस्कार हैं। इसमें शामिल है:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. वर्ष 2000 में स्थापित लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c)
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स्रोत : द हिंदू
ऑरोरा
एक महत्त्वपूर्ण भू-चुंबकीय तूफान से यह अनुमान लगाया गया है कि मज़बूत सौर झंझावात की परिघटनाओं में औरोरा को "सुपरचार्ज" करने की क्षमता होती है, जो रात्रि के समय आकाश में एक शानदार दृश्य का प्रदर्शन करती है।
औरोरा:
- परिचय:
- औरोरा एक चमकदार परिघटना है जो उत्तरी ध्रुवों (ऑरोरा बोरियालिस) और दक्षिणी ध्रुवों (ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस) के नज़दीक देखी जाती है।
- ये पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल के साथ सूर्य से आवेशित कणों की परस्पर क्रिया के कारण होती हैं।
- बनावट और रंग:
- ऑरोरा ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के गैसों और कणों से मिलकर बनती है।
- इन कणों के वायुमंडल से टकराने से प्रकाश के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
- ऑरोरा में देखे गए रंग गैस के प्रकार और उसके टकराव की ऊँचाई पर निर्भर करते हैं।
- भू-चुंबकीय तूफान और औरोरा:
- भू-चुंबकीय तूफान, कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और सौर फ्लेयर्स जैसी सौर परिघटनाओं से उत्पन्न होते हैं, जो ऑरोरा की गतिविधियों में वृद्धि करते हैं।
- CME, सूर्य से उत्सर्जित प्लाज़्मा और चुंबकीय क्षेत्र का विस्फोट है, जबकि सौर ज्वालाएँ ऊर्जा का विस्फोट हैं।
- CME अक्सर सौर ज्वालाओं के साथ होते हैं, ये विस्फोट सूर्य की सतह पर होते हैं, हालाँकि वे स्वतंत्र रूप से घटित होने के लिये भी जाने जाते हैं।
- भू-चुंबकीय तूफान, कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और सौर फ्लेयर्स जैसी सौर परिघटनाओं से उत्पन्न होते हैं, जो ऑरोरा की गतिविधियों में वृद्धि करते हैं।
- सौर तूफान और ज्योति/ऑरोरा तीव्रता:
- मज़बूत सौर तूफानों के परिणामस्वरूप सौर गतिविधि में वृद्धि होती है, जिससे अधिक स्पष्ट ज्योति तीव्रता प्रदर्शित होती है।
- इन तूफानों के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में पहुँचने वाले आवेशित कणों की संख्या ऑरोरा को तीव्र कर देती है।
- सौर तूफान की शक्ति और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के संरेखण से ऑरोरा की दृश्यता एवं जीवंतता प्रभावित होती है।
- सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्त्व:
- ऑरोरा दुनिया भर के विभिन्न स्वदेशी समुदायों में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्त्व रखते हैं।
- ऑरोरा पर वैज्ञानिक शोध से हमें पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर, सौर-स्थलीय संपर्क और अंतरिक्ष मौसम को समझने में मदद मिलती है।
भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm):
- परिचय:
- भू-चुंबकीय तूफान सौर उत्सर्जन के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में व्यवधान को संदर्भित करता है।
- कारण:
- इन स्थितियों से उत्पन्न होने वाले सबसे बड़े तूफान सौर कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से जुड़े हैं। कोरोनल मास इजेक्शन (CME) या उच्च गति वाली सौर पवन पृथ्वी ग्रह पर आते ही मैग्नेटोस्फीयर से टकरा जाती है।
- पृथ्वी का मैग्नेटोस्फीयर इसके चुंबकीय क्षेत्र द्वारा निर्मित है और यह सामान्यतः सूर्य द्वारा उत्सर्जित कणों से हमारी रक्षा करता है।
- एक CME या उच्च गति वाला सौर तूफान जब पृथ्वी पर आता है तो पृथ्वी ग्रह के मैग्नेटोस्फीयर में प्रवेश करता है। नतीजतन अत्यधिक ऊर्जावान सौर पवन के कण नीचे प्रवाहित हो सकते हैं एवं ध्रुवों के ऊपर हमारे वातावरण से टकरा सकते हैं।
- इन स्थितियों से उत्पन्न होने वाले सबसे बड़े तूफान सौर कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से जुड़े हैं। कोरोनल मास इजेक्शन (CME) या उच्च गति वाली सौर पवन पृथ्वी ग्रह पर आते ही मैग्नेटोस्फीयर से टकरा जाती है।
- परिस्थितियाँ: भू-चुंबकीय तूफान पैदा करने के लिये प्रभावी सौर तूफान स्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
- लंबे समय तक चलने वाली उच्च गति के सौर तूफान (कई घंटों तक)।
- दक्षिण की ओर निर्देशित सौर पवन चुंबकीय क्षेत्र (पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के विपरीत)।
- प्रभाव:
- इस प्रकार के सौर मौसम की घटनाएँ ऑरोरा को सुपरचार्ज कर सकती हैं, और ये ऑरोरा कभी-कभी उन जगहों पर दिखाई देते हैं जहाँ वे अन्यथा नहीं होते।
- वे नेविगेशन सिस्टम को भी बाधित कर सकते हैं और पावर ग्रिड तथा पाइपलाइनों में हानिकारक भू-चुंबकीय प्रेरित धाराओं का निर्माण कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. यदि एक विशाल सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी तक पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से संभावित प्रभाव होंगे?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 मई, 2023
रवींद्रनाथ टैगोर, महाराणा प्रताप और गोपाल कृष्ण गोखले
प्रधानमंत्री ने 9 मई को रवींद्रनाथ टैगोर, महाराणा प्रताप और गोपाल कृष्ण गोखले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है, एक असाधारण साहित्यकार और बहुज्ञ थे, जिन्हें बंगाली साहित्य एवं संगीत में योगदान के लिये जाना जाता है। बंगाली कैलेंडर के अनुसार, 'रवींद्रनाथ टैगोर जयंती' बंगाली माह बैशाख के 25वें दिन मनाई जाती है और यह 9 मई, 2023 को मनाई गई। टैगोर द्वारा 2000 से अधिक गीतों की रचना की गई, जिसे "रवींद्र संगीत" कहा जाता है तथा गीतांजलि जैसी उनकी प्रसिद्ध रचनाओं ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है। वर्ष 1913 में साहित्य में पहले गैर-यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में वे कलात्मक उत्कृष्टता के प्रतीक बन गए। टैगोर के दर्शन और विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है।
9 मई,1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में जन्मे महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13वें राजा थे। उन्हें वर्ष 1576 में मुगल सेना के विरुद्ध लड़े गए हल्दीघाटी के युद्ध में उनकी बहादुरी के लिये जाना जाता है। हालाँकि वह लड़ाई में हार गए थे परंतु उनकी बहादुरी को आज भी याद किया जाता है। महाराणा प्रताप के वफादार घोड़े चेतक को युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने के लिये याद किया जाता है। हार के बावजूद महाराणा प्रताप ने बाद में मेवाड़ के कुछ हिस्सों को पुनः प्राप्त किया और इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 19 जनवरी, 1597 को उनका निधन हो गया, वे अपने पीछे साहस की विरासत छोड़ गए।
प्रमुख समाज सुधारक और शिक्षाविद् गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था। गोखले ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये सामाजिक सशक्तीकरण, शिक्षा और शांतिपूर्ण तरीकों की वकालत की। गोखले भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के उदारवादी समूह से जुड़े थे तथा उन्होंने वर्ष 1909 के मॉर्ले-मिंटो सुधारों को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की, विभिन्न प्रकाशनों पर काम किया और महात्मा गांधी को सलाह दी, जो उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
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सित्वे बंदरगाह
हाल ही में भारत और म्याँमार ने संयुक्त रूप से म्याँमार के रखाइन राज्य में सित्वे बंदरगाह का लोकार्पण किया, जो राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हुए द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। बंदरगाह के आरंभ होने से अधिक कनेक्टिविटी और रोज़गार के अवसरों के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास की संभावनाओं को बल मिलने की उम्मीद है। परियोजना का उद्देश्य म्याँमार में कलादान नदी के माध्यम से भारतीय बंदरगाहों के साथ मिज़ोरम के लिये एक वैकल्पिक संपर्क मार्ग प्रदान करना है। इसमें हल्दिया से सित्वे बंदरगाह तक जहाज़रानी, कलादान नदी के माध्यम से सित्वे से पलेटवा तक अंतर्देशीय जल परिवहन, पलेटवा से भारत-म्याँमार सीमा तक सड़क परिवहन और भारत में NH 54 के लिये सड़क परिवहन जैसे खंड शामिल हैं। सित्वे बंदरगाह भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो भारत के पूर्वी तट को जलमार्ग और सड़कों के माध्यम से उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
और पढ़ें: भारत-म्याँमार संबंध, कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट
उर्वरक उड़नदस्ते
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत उर्वरक विभाग (Department of Fertilizers- DoF) ने भ्रष्टाचार से निपटने और भारत में किसानों हेतु गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये कई उपायों को लागू किया है। इन पहलों ने देश भर में उर्वरकों के डायवर्ज़न एवं कालाबाज़ारी को सफलतापूर्वक रोका है। उर्वरक उड़नदस्ते (Fertilizer Flying Squads- FFS) नामक विशेष टीमों का गठन सख्त निगरानी रखने तथा डायवर्ज़न, कालाबाज़ारी, जमाखोरी एवं घटिया उर्वरकों की आपूर्ति जैसी गतिविधियों पर नकेल कसने हेतु किया गया है। साथ ही कड़ी कार्रवाई हेतु राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में औचक निरीक्षण किये गए तथा संदिग्ध यूरिया बैग जब्त किये गए। इसके अतिरिक्त गैर-कृषि उद्देश्यों के लिये यूरिया के दुरुपयोग को रोकने हेतु नमूना परीक्षण तेज़ कर दिया गया है। पिछले एक वर्ष में यूरिया के डायवर्ज़न एवं कालाबाज़ारी के मामले में पहली बार 11 लोगों को कालाबाज़ारी रोकथाम और आपूर्ति रख-रखाव अधिनियम 1980 के तहत जेल भेजा गया है। उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत कई अन्य कानूनी एवं प्रशासनिक कार्यवाहियाँ भी की जा चुकी है। इन उपायों से न केवल किसानों को लाभ हुआ है बल्कि भारतीय उर्वरकों हेतु देश भर में मांग भी पैदा हुई है। सीमा पार यूरिया की तस्करी रुकने से पड़ोसी देशों ने यूरिया आयात हेतु भारत से संपर्क किया है। उर्वरक गुणवत्ता के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने हेतु DoF ने एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (Integrated Fertilizer Management System- IFMS) जैसी नवीन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित किया है।
और पढ़ें…भारत में उर्वरक की खपत
IBM और NASA ने मिलकर बनाया भू-स्थानिक मॉडल
हाल ही में नासा और IBM ने उपग्रह डेटा को बाढ़, आग और अन्य परिदृश्य में होने वाले बदलावों को उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्रों में बदलने के लिये एक नया भू-स्थानिक मॉडल पेश किया है ताकि हमारे ग्रह के इतिहास और भविष्य के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान करने में मदद मिल सके। इस सहयोग का उद्देश्य इस वर्ष की दूसरी छमाही में भू-स्थानिक मंच का पूर्वावलोकन प्रदान करना है, जिसमें संभावित अनुप्रयोगों में जलवायु संबंधी जोखिमों का आकलन करना, कार्बन-ऑफसेट पहल के लिये वनों की निगरानी करना और जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु भविष्योन्मुखी जानकारी प्रदान करने वाला मॉडल विकसित करना है। यह इस बात पर ज़ोर देता है कि इस तरह के आधार मॉडल कृत्रिम बुद्धिमता को व्यवहार्य बनाने की मापनीयता, सामर्थ्य और दक्षता में वृद्धि करता है। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में भौगोलिक मानचित्रण एवं विश्लेषण हेतु भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System- GIS), ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) और रिमोट सेंसिंग जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण वस्तुओं, घटनाओं और परिघटनाओं (पृथ्वी पर उनकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार अनुक्रमित जियोटैग) के बारे में स्थानिक जानकारी प्रदान करते हैं। किसी स्थान का डेटा स्थिर (Static) या गतिशील (Dynamic) हो सकता है। किसी स्थान के स्थिर डेटा/स्टेटिक लोकेशन डेटा (Static Location Data) में सड़क की स्थिति, भूकंप की घटना या किसी विशेष क्षेत्र में बच्चों में कुपोषण की स्थिति के बारे में जानकारी शामिल होती है, जबकि किसी स्थान के गतिशील डेटा /डायनेमिक लोकेशन डेटा (Dynamic Location Data) में संचालित वाहन या पैदल यात्री, संक्रामक बीमारी के प्रसार आदि से संबंधित डेटा शामिल होता है। बड़ी मात्रा में डेटा में स्थानिक प्रतिरूप की पहचान के लिये इंटेलिजेंस मैप्स (Intelligent Maps) निर्मित करने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी दुर्लभ संसाधनों के महत्त्व और उनकी प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लेने में मददगार हो सकती है।
और पढ़ें… भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी