शासन व्यवस्था
डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023
- 10 Mar 2023
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प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT अधिनियम), 2000, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डीपफेक। मेन्स के लिये:डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023, साइबर सुरक्षा। |
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जल्द ही डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 अधिनियमित करेगा जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), 2000 को प्रतिस्थापित करेगा।
- भारतीय संसद नवंबर 2022 में प्रस्तावित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 के साथ डिजिटल इंडिया अधिनियम को लागू करने की योजना बना रही है, जहाँ दोनों कानून एक-दूसरे के साथ समन्वय में काम करेंगे।
नए अधिनियम की आवश्यकता:
- IT अधिनियम, 2000 को लागू किये जाने के बाद से डिजिटल क्षेत्र को परिभाषित करने के प्रयासों में कई परिशोधन और संशोधन (IT अधिनियम संशोधन, 2008 तथा IT नियम संशोधन, 2011) हुए हैं, जिसमें डेटा प्रबंधन नीतियों पर अधिक बल देते हुए इसे विनियमित किया गया है।
- चूँकि IT अधिनियम मूल रूप से केवल ई-कॉमर्स लेन-देन की रक्षा और साइबर अपराधों को परिभाषित करने के लिये डिज़ाइन किया गया था, यह वर्तमान साइबर सुरक्षा परिदृश्य की बारीकियों से निपटने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं था और न ही यह डेटा गोपनीयता अधिकारों को संबोधित करता था।
- नियामक डिजिटल कानूनों के पूर्ण प्रतिस्थापन के बिना, IT अधिनियम साइबर हमलों के बढ़ते परिष्कार और दर को बनाए रखने में विफल रहेगा।
- नए डिजिटल इंडिया अधिनियम में अधिक नवाचार, अधिक स्टार्टअप को सक्षम करके और साथ ही सुरक्षा, विश्वास एवं जवाबदेही के मामले में भारत के नागरिकों की रक्षा करके भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की परिकल्पना की गई है।
डिजिटल इंडिया अधिनियम 2023 के तहत संभावित प्रावधान क्या हैं?
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की अपनी संतुलित नीतियों को अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मूल अभिव्यक्ति के अधिकारों के लिये संवैधानिक सुरक्षा तक सीमित किया जा सकता है।
- सूचना और प्रद्यौगिकी नियम, 2021 में अक्तूबर 2022 के एक संशोधन में कहा गया है कि प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्त्ताओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकारों का सम्मान करना चाहिये।
- सोशल मीडिया उपयोगकर्त्ताओं द्वारा सामग्री संबंधी शिकायतों के निवारण के लिये अब तीन शिकायत अपीलीय समितियों की स्थापना की गई है।
- इन्हें अब डिजिटल इंडिया अधिनियम में शामिल किये जाने की संभावना है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की अपनी संतुलित नीतियों को अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मूल अभिव्यक्ति के अधिकारों के लिये संवैधानिक सुरक्षा तक सीमित किया जा सकता है।
- ऑनलाइन सुरक्षा:
- यह अधिनियम कृत्रिम बुद्धिमता (AI), डीपफेक, साइबर क्राइम, इंटरनेट प्लेटफॉर्म के बीच प्रतिस्पर्द्धा के मुद्दों और डेटा सुरक्षा को शामिल करेगा।
- सरकार ने 2022 में एक डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का मसौदा तैयार किया, जो डिजिटल इंडिया एक्ट के चार पहलुओं में से एक होगा, जिसमें राष्ट्रीय डेटा शासन नीति तथा भारतीय दंड संहिता में संशोधन के साथ-साथ डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत तैयार किये गए नियम भी शामिल हैं।
- नया न्यायिक तंत्र:
- ऑनलाइन किये गए आपराधिक और दीवानी अपराधों के लिये एक नया "न्यायिक तंत्र" लागू होगा।
- सेफ हार्बर:
- सरकार साइबर स्पेस के एक प्रमुख पहलू- 'सेफ हार्बर' पर पुनर्विचार कर रही है, यह एक सिद्धांत है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्त्ताओं द्वारा किये गए पोस्ट के लिये उत्तरदायित्त्व से बचने की अनुमति देता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिये दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) 2021 जैसे नियमों द्वारा हाल के वर्षों में इस शब्द पर लगाम लगाई गई है, जिसके लिये सरकार द्वारा ऐसा करने का आदेश दिये जाने पर या कानून द्वारा आवश्यक होने पर पोस्ट को हटाने के लिये प्लेटफॉर्मों की आवश्यकता होती है।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक:
- यह विधेयक भारत के भीतर डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण पर लागू होगा जहाँ ऐसा डेटा ऑनलाइन या ऑफलाइन डिजिटल रूप में एकत्र किया जाता है। यदि यह भारत में वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश या व्यक्तियों की प्रोफाइलिंग के लिये है तो यह भारत के बाहर इस तरह के प्रसंस्करण पर भी लागू होगा।
- व्यक्तिगत डेटा को केवल वैध उद्देश्य के लिये संसाधित किया जा सकता है जिसके लिये व्यक्ति ने सहमति दी है। यह सहमति कुछ मामलों में मानी जा सकती है।
- डेटा फिड्यूशरी (नियामक) डेटा की सटीकता बनाए रखने, डेटा को सुरक्षित रखने तथा इसका उद्देश्य पूरा होने के बाद डेटा को हटाने के लिये बाध्य होंगे।
- "डेटा फिड्यूशरी" को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के उद्देश्य और साधनों को निर्धारित करता है।
- यह बिल लोगों को कई अधिकार प्रदान करता है, जिसमें सूचना प्राप्त करने, सुधार करने, हटाने और शिकायत निवारण का अधिकार शामिल है।
- केंद्र सरकार विशिष्ट कारणों से जैसे- राज्य सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और अपराधों की रोकथाम करने में शासकीय एजेंसियों को बिल के प्रावधानों में छूट प्रदान कर सकती है।
- बिल की आवश्यकताओं के अनुपालन न करने के मामलों को तय करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की जाएगी।
अन्य देशों में डेटा संरक्षण कानून:
- यूरोपीय संघ मॉडल:
- सामान्य डेटा संरक्षण विनियम व्यक्तिगत डेटा प्रसंस्करण के लिये व्यापक डेटा संरक्षण कानून पर केंद्रित है।
- यूरोपीय संघ में निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार के रूप में निहित है जो किसी व्यक्ति की गरिमा और उसके द्वारा उत्पन्न डेटा पर उसके अधिकार की रक्षा करने हेतु लक्षित है।
- संयुक्त राष्ट्र मॉडल:
- अमेरिका में गोपनीयता अधिकारों या सिद्धांतों के लिये कोई समग्र विनियम नहीं है जैसा कि EU का GDPR, जो डेटा के उपयोग, संग्रह और प्रकटीकरण को विनियमित करता है।
- इसके बजाय यह सीमित क्षेत्र-विशिष्ट विनियमन है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लिये डेटा सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण अलग है।
- गोपनीयता अधिनियम, इलेक्ट्रॉनिक संचार गोपनीयता अधिनियम जैसे व्यापक कानून के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी तथा सरकार की गतिविधियों और शक्तियों को अच्छी तरह से परिभाषित एवं सूचित किया गया है।
- निजी क्षेत्र के लिये कुछ क्षेत्र आधारित विशिष्ट मानदंड हैं।
- चीन मॉडल:
- पिछले 12 महीनों में डेटा गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी जारी किये गए नए चीनी कानूनों में व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून (PIPL) शामिल है जो नवंबर 2021 में लागू हुआ था।
- यह चीनी डेटा विनियामकों को नए अधिकार प्रदान करता है ताकि व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग को रोका जा सके।
- डेटा सुरक्षा कानून (DSL), जो सितंबर 2021 में लागू हुआ, व्यावसायिक डेटा को उनके महत्त्व के स्तरों के आधार पर वर्गीकृत करने की आवश्यकता है। DSL सीमा पार हस्तांतरण पर नए प्रतिबंध आरोपित करता है।
- पिछले 12 महीनों में डेटा गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी जारी किये गए नए चीनी कानूनों में व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून (PIPL) शामिल है जो नवंबर 2021 में लागू हुआ था।