समुद्री कवक
स्रोत: डाउन टू अर्थ
समुद्री कवक, जो महासागरीय बायोमास का 5% भाग हैं, पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा समुद्री तटों पर पी जाने वाली चट्टानों से लेकर गहरे जल में उगते हैं।
- समुद्री कवक: समुद्री कवक सूक्ष्म जीव होते हैं, जो समुद्र में पाए जाते हैं, तथा अपघटन, सहजीवन और जैवसक्रिय यौगिकों के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- प्रकार: अनिवार्य समुद्री कवक (विशेष रूप से समुद्री), वैकल्पिक समुद्री कवक (स्थलीय वातावरण से विकसित, समुद्री आवासों में जीवित रह सकते हैं)
- उत्तरजीविता की रणनीतियाँ: समुद्री कवक बेहतर संसाधन प्रबंधन के लिये कोशिका रूप में परिवर्तित कर फीस्ट फिमाइन की स्थितियों के अनुकूल बन जाते हैं।
- उदाहरण के लिये समुद्री शैवालों पर पाया जाने वाला पैराडेंड्रिफिएला सलीना, अपने पोषक को पचाने के लिये बैक्टीरिया से एँजाइम उत्पन्न करता है।
- पारिस्थितिक महत्त्व: समुद्री कवक पोषक चक्रण, पारिस्थितिकी तंत्र स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- लाइकेन, जो एक सहजीवी संबंध (कवक और शैवाल का एक साथ रहना) दर्शाते हैं, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान देते हैं।
- कवक: ये यूकैरियोटिक जीव परपोषी (अन्य पौधों या जानवरों का उपभोग करने वाले) होते हैं, जो मृतजीवी (मृत और सड़ते जीवों को खाने वाले) या परजीवी के रूप में कार्य करते हैं।
- कवक बीज़ाणुओं के माध्यम से यौन या अलैंगिक रूप में प्रजनन करते हैं। RH व्हिटेकर ने कवक को एक अलग बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जगत के रूप में वर्गीकृत किया है।
- कवक औषधि (जैसे, एँटीबायोटिक), भोजन और उद्योग में लाभदायक होते हैं, लेकिन इनसे बीमारियाँ भी उत्पन्न होने की संभावना होती है साथ ही ये विषाक्त माइकोटॉक्सिन भी उत्पन्न कर सकते हैं।
और पढ़ें: कवक जगत का वर्गीकरण
ध्रुवीय भँवर
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
एक गंभीर शीतकालीन चक्रवात ने अमेरिका के वृहद् भाग को प्रभावित किया है, जिससे 30 राज्यों के 60 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
- इस चरम मौसम का कारण ध्रुवीय भँवर का दक्षिण की ओर विस्तार माना जाता है, जो शीतकाल और गंभीर चक्रवातों के लिये ज़िम्मेदार है।
नोट: शीतकालीन चक्रवात मौसम की ऐसी घटनाएँ हैं, जिसमें अत्यधिक शीतल, हिम, ओले या हिमवर्षा देखने को मिलती है, तथा प्रायः तीव्र पवनें भी चलती हैं।
- ये तब निर्मित होते हैं, जब आर्द्र पवनें ऊपर उठती है, शीतल होती है, और संघनित होकर वर्षा करती है, तथा शीतल तापमान के कारण यह बर्फ या हिम के रूप में गिरती है।
ध्रुवीय भँवर क्या है?
- ध्रुवीय भँवर का परिचय: ध्रुवीय भँवर न्यून दाब और शीतल पवनों का एक बड़ा क्षेत्र है, जो पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों के चारों ओर विचरण करता है।
- शब्द "भँवर" से तात्पर्य पवन के वामावर्त प्रवाह से है, जो ध्रुवों के पास शीतल पवन को सीमित रखता है।
- ध्रुवीय भँवर संपूर्ण वर्ष विद्यमान रहता है, लेकिन यह ग्रीष्मकाल में कमज़ोर हो जाता है, जबकि शीतकाल में मज़बूत हो जाता है।
- प्रकार:
- क्षोभमंडलीय ध्रुवीय भँवर: वायुमंडल की सबसे निचली परत पर स्थित, सतह से 10-15 किमी तक, जहाँ अधिकांश मौसमी घटनाएँ देखने को मिलती हैं।
- समतापमंडलीय ध्रुवीय भँवर: यह 15 कि.मी. से 50 कि.मी. की ऊँचाई पर देखने को मिलता है, तथा शीतकाल के दौरान अधिक प्रबल होता है और ग्रीष्मकाल में लुप्त हो जाता है।
- इसके परिवर्तन ध्रुवीय क्षेत्र में वायु की गति और ऊष्मा हस्तांतरण से प्रभावित होते हैं। शीतकाल के दौरान परिध्रुवीय पवनें तीव्र हो जाती हैं, भँवर को मज़बूत करती हैं और समताप मंडल में ध्रुवीय पवन का एक एकीकृत, विचरित द्रव्यमान का निर्माण करती हैं।
- अत्यधिक शीतल तंत्र: जब ध्रुवीय भँवर मज़बूत होता है, तो यह जेट स्ट्रीम को स्थिर रखता है, जिससे शीतल पवनें दक्षिण की ओर बढ़ने से रुक जाती है।
- हालाँकि जब भँवर कमज़ोर हो जाता है, तो बाधित जेट स्ट्रीम (तीव्र पवनों की एक संकीर्ण पेटी), जो आमतौर पर एक सीधी रेखा में चलती है, लहरदार रूप ले लेती है, जिससे आर्कटिक पवनें दक्षिण की ओर प्रवाहित होने लगती है।
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इस व्यवधान के कारण अत्यंत न्यून तापमान, गंभीर चक्रवात, तथा बर्फबारी और हिमवर्षा समेत चरम मौसम उत्पन्न होता है।
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ग्लोबल वार्मिंग और ध्रुवीय भँवर: शोधकर्त्ताओं के अनुसार आर्कटिक ग्रह बाकी हिस्सों की तुलना में तीव्रता से गर्म हो रहा है, इस परिघटना को आर्कटिक प्रवर्द्धन के रूप में जाना जाता है।
- इससे ध्रुवों और मध्य अक्षांशों के बीच ताप प्रवणता (तापमान परिवर्तन की दर) कम हो जाती है, जिससे ध्रुवीय भँवर कमज़ोर हो जाता है।
ध्रुवीय भँवर के समान अन्य भूभौतिकीय परिघटना
- आर्कटिक दोलन (AO): यह उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु को प्रभावित करने वाला एक जलवायु पैटर्न है। जब आर्कटिक दोलन (AO) सकारात्मक होता है, तो एक मज़बूत जेट स्ट्रीम चक्रवात को उत्तर की ओर निर्देशित करती है, जिससे मध्य अक्षांशों में शीतल पवन का प्रकोप सीमित हो जाता है, जबकि नकारात्मक अवस्था जेट स्ट्रीम को दक्षिण की ओर स्थानांतरित करता है, जिससे शीतल पवन का प्रकोप और चक्रवात देखने को मिलता है।
- उत्तरी अटलांटिक दोलन (NAO): NAO अज़ोरेस उच्च और उपध्रुवीय निम्न के बीच दाब अंतर को मापता है, जो उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय जलवायु पैटर्न को प्रभावित करता है।
- NAO की सकारात्मक अवस्था अमेरिका और उत्तरी यूरोप में उष्ण, आर्द्र परिस्थितियाँ हैं, जबकि नकारात्मक अवस्था में शीतल, शुष्क परिस्थितियाँ देखने को मिलती हैं।
अंजी खाद ब्रिज़
स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस
भारतीय रेलवे ने जम्मू और कश्मीर में रेलवे संपर्क बढ़ाने के लिये अंजी खाद ब्रिज़ पर ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
- अंजी खाद ब्रिज़:
- यह भारत का पहला केबल के सहारे स्थिर रेलवे ब्रिज़ है, जो जम्मू एवं कश्मीर के रियासी ज़िले में स्थित है। यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है।
- यह ब्रिज़ 725.5 मीटर लंबा है तथा इसके स्तंभ 331 मीटर ऊँचे हैं, जो 213 किमी/घंटा की गति से चलने वाली पवनों के प्रवाह को सहन करने तथा 100 किमी/घंटा की गति से चलने वाली रेलगाड़ियों को सहारा देने के लिये बनाया गया है।
- इसमें पर्वतीय ढालों को स्थिर रखने के लिये अलग-अलग लंबाई (82 से 295 मीटर) के 96 केबलों और एक नवीन हाइब्रिड आधार का उपयोग किया गया है।
- इसमें दक्षता में सुधार लाने के लिये डोका जंप फॉर्म शटरिंग, पंप कंक्रीटिंग और टॉवर क्रेन तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे विनिर्माण समय में 30% की कमी आई।
- डोका जंप फॉर्म शटरिंग तकनीक का उपयोग ऊँची इमारतों, पुलों और टॉवरों जैसी ऊर्ध्वाधर कंक्रीट संरचनाओं के निर्माण के लिये किया जाता है।
किलाऊआ ज्वालामुखी में प्रस्फुटन
स्रोत: USGS
विश्व के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक हवाई द्वीप स्थित किलाऊआ ज्वालामुखी एक बार पुनः प्रस्फुटित होने लगा है।
- किलाऊआ ज्वालामुखी:
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका के हवाई द्वीप स्थित हवाई ज्वालामुखी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
- यह युवा और सबसे सक्रिय हवाईयन शील्ड ज्वालामुखी है, जो निरंतर प्रस्फुटन के लिये प्रसिद्ध है, इसमें वर्ष 1952 से अब तक 30 से अधिक बार प्रस्फुटन हो चुके हैं।
- किलाऊआ के ढाल इसके पश्चिम और उत्तर में स्थित एक अन्य सक्रिय ज्वालामुखी मौना लोआ से मिलते हैं।
- ज्वालामुखी:
- ज्वालामुखी सतह पर एक छिद्र होता है, जो अपने आसपास के वातावरण से अधिक उष्ण पदार्थों को अपने अंदर से बाहर निकलने का मार्ग प्रदान करता है।
- भारत में ज्वालामुखी: बैरन द्वीप (अंडमान द्वीप समूह), भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी।
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राष्ट्रगान पर बहस
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
तमिलनाडु के राज्यपाल, अपने निर्धारित अभिभाषण से पहले राष्ट्रगान न बजाए जाने का हवाला देते हुए वर्ष 2025 सत्र के पहले दिन अपना अभिभाषण दिये बिना ही विधानसभा से चले गए।
- इससे राज्य विधानमंडल में अपनाई जाने वाली औपचारिक प्रथाओं को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है।
राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत
- जन-गण-मन (राष्ट्रगान) गीत मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बांग्ला भाषा में रचित (1911 में) था। इसे हिंदी में भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
- इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।
- भारत का राष्ट्रीय गीत " वंदे मातरम" है, जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।
- यह गीत पहली बार वर्ष 1870 में लिखा गया था और बाद में वर्ष 1882 में उनके उपन्यास "आनंद" में यह शामिल हुआ। इसे पहली बार वर्ष 1896 के INC अधिवेशन में गाया गया था।
- यह एक देशभक्ति गीत है जो भारत माता के प्रति श्रद्धा दर्शाने के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा स्रोत था।
- भारत के राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान दोनों को संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया था।
राष्ट्रगान बजाने के लिये प्रोटोकॉल और परंपराएँ क्या हैं?
- संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण: राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान, राष्ट्रपति के मंच पर पहुँचने पर राष्ट्रगान बजाया जाता है। उसके बाद राष्ट्रपति अपना अभिभाषण देते हैं और फिर जब राष्ट्रपति जुलूस के साथ सदन से बाहर निकलते हैं तो फिर से राष्ट्रगान बजाया जाता है।
- राज्य विधानमंडल में राज्यपाल का अभिभाषण: भारत में विभिन्न राज्य विधानमंडल, अपने सत्रों के दौरान राष्ट्रगान बजाने के संबंध में अपनी-अपनी परंपराओं का पालन करते हैं।
- नागालैंड: यहाँ कई दशकों से राष्ट्रगान नहीं बजाया गया था और इसे पहली बार फरवरी 2021 में बजाया गया था।
- त्रिपुरा: त्रिपुरा विधानसभा में राष्ट्रगान पहली बार मार्च 2018 में बजाया गया था, जो इसकी औपचारिक प्रथाओं में हाल ही में हुए बदलाव को दर्शाता है।
- तमिल: इसमें एक अनूठी परंपरा का पालन किया जाता है, जहाँ राज्यपाल के अभिभाषण से पहले राज्य गान, तमिल थाई वझु बजाया जाता है, और अंत में राष्ट्रगान बजाया जाता है।
- यह प्रथा वर्ष 1991 में शुरू की गई थी, इससे पहले राज्यपाल केवल प्रवेश करते थे, अभिभाषण देते थे और ऐसी औपचारिक प्रथाओं के बिना चले जाते थे।
सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना
- श्याम नारायण चौकसे बनाम भारत संघ (2018) के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2016 में एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें भारत के सभी सिनेमाघरों को फिल्मों की शुरुआत से पहले राष्ट्रगान बजाने का निर्देश दिया गया था, जिसमें उपस्थित लोगों को खड़ा होना आवश्यक था।
- हालाँकि, जनवरी 2018 में अपने अंतिम निर्णय में न्यायालय ने अपना रुख संशोधित करते हुए कहा कि सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक है।
राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा के लिये क्या उपाय हैं?
- संवैधानिक सिद्धांत:
- मौलिक कर्त्तव्यों से संबंधित भारतीय संविधान की धारा 51 (A) (a) में कहा गया है कि “भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।”
- राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण (PINH) अधिनियम, 1971:
- PINH अधिनियम में राष्ट्रगान का अनादर करने और इसके प्रतिबंधों को तोड़ने पर कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें 3 वर्ष तक का कारावास या ज़ुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- PINH अधिनियम, 1971 के तहत राष्ट्रगान के गायन को रोकने जैसे अपराधों के लिये दोषी ठहराए गए व्यक्ति को 6 साल की अवधि के लिये संसद और राज्य विधानसभाओं के लिये चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
- गृह मंत्रालय (MHA) के निर्देश:
- गृह मंत्रालय ने नागरिक और सैन्य अलंकरण, राष्ट्रीय सलामी, परेड, औपचारिक समारोहों, राष्ट्रपति और राज्यपाल के आगमन/प्रस्थान के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज की परेड और नौसेना ध्वज फहराने के दौरान पूरा राष्ट्रगान बजाने का आदेश दिया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन अंग्रेज़ी में प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतों के अनुवाद 'सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न' से संबंधित है? (2021) (a) बाल गंगाधर तिलक उत्तर: (c) प्रश्न: भारत के राष्ट्रीय ध्वज में धर्मचक्र में तीलियों की संख्या कितनी है? (2008) (a) 16 उत्तर: (d) |