भारत का विधि आयोग
उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी को वर्ष 2020 में गठित भारत के 22वें विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
भारत का विधि आयोग:
- परिचय:
- भारत का विधि आयोग समय-समय पर भारत सरकार द्वारा गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है।
- स्वतंत्र भारत का पहला विधि आयोग वर्ष 1955 में तीन साल के कार्यकाल के लिये स्थापित किया गया था।
- पहला विधि आयोग वर्ष 1834 में ब्रिटिश राज काल के दौरान वर्ष 1833 के चार्टर अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था और इसकी अध्यक्षता लॉर्ड मैकाले ने की थी।
- भारत का विधि आयोग समय-समय पर भारत सरकार द्वारा गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है।
- उद्देश्य:
- यह कानून और न्याय मंत्रालय के सलाहकार निकाय के रूप में काम करता है।
- विधि आयोग का कार्य कानून संबंधी अनुसंधान और भारत में मौजूदा कानूनों की समीक्षा करना है ताकि इसमें सुधार किया जा सके एवं केंद्र सरकार या स्व-प्रेरणा द्वारा इसके संदर्भ में नए कानून बनाए जा सकें।
- सदस्य संरचना:
- एक पूर्णकालिक अध्यक्ष के साथ-साथ आयोग में एक सदस्य-सचिव सहित और चार पूर्णकालिक सदस्य होते हैं।
- कानून मंत्रालय का कानून और विधायी सचिव इस आयोग का पदेन सदस्य होगा।
- इसमें अंशकालिक सदस्यों की संख्या पाँच से अधिक नहीं होगी।।
- सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश इस आयोग का अध्यक्ष होगा।
आयोग की मुख्य सिफारिशें:
- विधि आयोग ने अपनी 262वीं रिपोर्ट में आतंकवाद से संबंधित अपराधों और राज्य के खिलाफ युद्ध को छोड़कर सभी अपराधों के लिये मृत्युदंड की सज़ा को समाप्त करने की सिफारिश की।
- चुनावी सुधारों पर इसकी रिपोर्ट (वर्ष 1999) में शासन में सुधार एवं स्थिरता के लिये लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया गया था।
- विधि आयोग ने देश में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की भी सिफारिश की थी।
- कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 की जगह लाए गए आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 को भी भारत के विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
स्रोत: द हिंदू
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2022
खान मंत्रालय ने मौलिक/अनुप्रयुक्त भूविज्ञान, खनन और संबद्ध क्षेत्रों में योगदान के लिये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2022 हेतु नामांकन आमंत्रित किये हैं।
- भूविज्ञान एक सर्वव्यापी शब्द है जिसका उपयोग पृथ्वी विज्ञान को संदर्भित करने के लिये किया जाता है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के भूवैज्ञानिक होते हैं, जैसे- वायुमंडलीय विज्ञान, भूविज्ञान, जल विज्ञान, खनिज विज्ञान, पेट्रोलॉजी, पेडोलॉजी और समुद्र विज्ञान।
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार के मुख्य बिंदु:
- परिचय:
- प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह पुरस्कार वर्ष 1966 में खान मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया था।
- यह भू-वैज्ञानिकों को उत्कृष्टता हेतु प्रोत्साहित करने की दिशा में एक पहल है।
- भारत का कोई भी नागरिक जिसका NGA विनियमन 2022 के खंड-2 में निर्दिष्ट किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है, इन पुरस्कारों के लिये पात्र माना जाएगा।
- प्रमुख विषय: -
- खनिज खोज और अन्वेषण
- खनन, खनिज लाभ और सतत् खनिज विकास
- बुनियादी भूविज्ञान
- अनुप्रयुक्त भूविज्ञान
- श्रेणियाँ:
- लाइफटाइम अचीवमेंट के लिये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार:
- NGA विनियमन, 2022 की धारा-2 में उल्लिखित किसी भी विषय में सतत और महत्वपूर्ण योगदान के लिये असाधारण रूप से लाइफटाइम अचीवमेंट हासिल करने वाले व्यक्ति को यह पुरस्कार दिया जाता है।
- पुरस्कार के रूप में 5,00,000 रुपए नकद और प्रमाण पत्र दिया जाता है।
- राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार:
- राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार NGA विनियमन, 2022 की धारा-2 में उल्लिखित किसी भी विषय में उत्कृष्ट योगदान करने वाले व्यक्ति या टीम को प्रदान किया जाता है।
- पुरस्कार के रूप में 3,00,000 रुपए नकद और प्रमाण पत्र दिया जाता है। टीम को पुरस्कार दिये जाने की स्थिति में पुरस्कार राशि को टीम के सदस्यों में समान रूप से विभाजित किया जाएगा।
- राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार:
- 31 दिसंबर, 2021 को 35 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को भूविज्ञान के किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध कार्य हेतु राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार दिया जाएगा।
- इस पुरस्कार के रूप में 1,00,000 रुपए से अधिक नकद, पाँच वर्षों में संतोषजनक वार्षिक प्रगति के आधार पर 5,00,000 रुपए का शोध अनुदान और प्रमाण पत्र दिया जाता है।
- लाइफटाइम अचीवमेंट के लिये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार:
स्रोत: पी.आई.बी.
एस्चुअरीन केकड़े की नई प्रजाति
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने तमिलनाडु के कुड्डालोर ज़िले में वेल्लार नदी के मुहाने (एक ऐसा क्षेत्र जहाँ नदी समुद्र से मिलती है) के पास परंगीपेट्टई के मैंग्रोव में एस्चुअरीन केकड़े की एक नई प्रजाति की खोज की है।
- शिक्षा और अनुसंधान में अन्नामलाई विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरा करने के सम्मान में इस प्रजाति का नाम 'स्यूडोहेलिस अन्नामलाई' रखा गया है।
स्यूडोहेलिस अन्नामलाई:
- परिचय:
- सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी (CAS) द्वारा उच्च अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों से प्राप्त किये गए स्यूडोहेलिस प्रजाति का यह पहला रिकॉर्ड है।
- अब तक इस प्रजाति में केवल दो प्रजातियों अर्थात् "स्यूडोहेलिस सबक्वाड्राटा" और "स्यूडोहेलिस लैट्रेली" की पुष्टि की गई है।
- सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी (CAS) द्वारा उच्च अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों से प्राप्त किये गए स्यूडोहेलिस प्रजाति का यह पहला रिकॉर्ड है।
- भौगोलिक वितरण:
- यह प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप और पूर्वी हिंद महासागर के आसपास पाई जाती है।
- विशेषता:
- स्यूडोहेलिस अन्नामलाई को उसके गहरे बैंगनी और गहरे भूरे रंग से पहचाना जा सकता है, जिसमें अनियमित हल्के भूरे या सफेद धब्बे होते हैं, जो हल्के भूरे रंग के चेलिपेड के साथ पीछे के कैरापेस पर होते हैं।
- यह प्रजाति आकार में छोटी है और इसकी अधिकतम चौड़ाई 20 मिमी. होती है।
- अन्य अंतर्ज्वारीय केकड़ों की तरह यह प्रजाति तेज़ी से आगे बढ़ सकती है लेकिन आक्रामक नहीं होती है।
- आवास:
- यह प्रजाति मैंग्रोव के कीचड़ भरे किनारों पर रहती है। एविसेनिया मैंग्रोव के न्यूमेटोफोरस के निकट इनके द्वारा आवास के लिये बनाए बिल पाए गए थे।
- प्रवेश के पास बड़े-बड़े छड़ के आकार वाले इन बिलों की गहराई 25-30 से.मी. होती है और उनमे कई शाखाएँ होती है।
- महत्त्व:
- भारत में स्यूडोहेलिस की उपस्थिति पश्चिमी हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर के बीच इसके वितरण के अंतराल से संबंधित है।
- नई प्रजातियों की खोज इस बात को साबित करती हैं कि पूर्वी हिंद महासागर में कुछ समुद्री जीव भौगोलिक रूप से अलग-थलग हैं।
स्रोत: द हिंदू
भारत का पहला निजी प्रक्षेपण यान
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप, स्काईरूट एयरोस्पेस भारत के पहले निजी तौर पर विकसित रॉकेट विक्रम-S को 12 से 16 नवंबर, 2022 के बीच 'प्रारंभ (‘Prarambh)' मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रचने के लिये तैयार है।
- स्काईरूट एयरोस्पेस, एयरोस्पेस व्यवसाय से संबंधित भारतीय स्टार्टअप है।
विक्रम -S:
- विक्रम- S रॉकेट, एक-चरणीय सब-ऑर्बिटल प्रक्षेपण यान है जो तीन पेलोड ले जाएगा।
- सब-ऑर्बिटल प्रक्षेपण यान कक्षीय वेग से धीमी गति से चलते हैं - अर्थात बाहरी अंतरिक्ष तक पहुंचने के लिये इसकी गति पर्याप्त होती है लेकिन पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में रहने के लिये पर्याप्त गति नहीं होती है।
- यह अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों की विक्रम शृंखला में अधिकांश प्रौद्योगिकियों के परीक्षण और सत्यापन में मदद करेगा।
- स्काईरूट तीन अलग-अलग विक्रम रॉकेट संस्करणों पर काम कर रहा है।
- विक्रम-I को 480 किलोग्राम पेलोड के साथ लॉन्च किया जा सकता है, जबकि विक्रम- II को 595 किलोग्राम के साथ लॉन्च किया जा सकता है, एवं विक्रम-III में 815 किलोग्राम के साथ 500 किमी. कम झुकाव वाली कक्षा में लॉन्च कर सकता है।
प्रारंभ मिशन (Prarambh Mission):
- प्रारंभ मिशन का उद्देश्य तीन पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाना है, जिसमें 2.5 किलोग्राम का पेलोड भी शामिल है जिसे कई देशों के छात्रों द्वारा विकसित किया गया है।
- प्रारंभ मिशन और विक्रम-S रॉकेट को हैदराबाद स्थित स्टार्टअप द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के व्यापक समर्थन से विकसित किया गया था।
स्त्रोत:इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 नवंबर, 2022
उत्तराखंड स्थापना दिवस
प्राकृतिक संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर, 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में किया गया था। देशवासियों की आस्था की प्रतीक पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल तथा धार्मिक पर्यटन स्थलों, मंदिरों और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण प्रकृति की गोद मे बसा वर्तमान उत्तराखंड राज्य पहले आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत का हिस्सा था। यह प्रांत वर्ष 1902 में अस्तित्त्व में आया और वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से को अलग करके उत्तराखंड बनाया गया। हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तराखंड राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ उत्तर में चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश है। यह प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य है। देहरादून यहाँ की राजधानी है। यहाँ मुख्य तौर पर हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग किया जाता है, जबकि गढ़वाली और कुमाऊँनी यहाँ की स्थानीय बोलियाँ हैं।
53वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव
53वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 20 से 28 नवंबर के बीच गोवा में आयोजित किया जाएगा। इसमें कुल 15 फिल्में गोल्डन पीकॉक अवार्ड के लिये स्पर्द्धा में होंगी जिनमें 12 अंतर्राष्ट्रीय और 3 भारतीय फिल्में शामिल हैं। ज्यूरी में इज़रायल के लेखक और फिल्म निर्देशक नदव लापिड, अमेरिका के फिल्म निर्माता जिन्को गोटोह, फ्राँसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस, फ्राँसीसी वृत्तचित्र फिल्म निर्माता, फिल्म समीक्षक एवं पत्रकार जेवियर अंगुलो बार्टुरेन तथा भारत के निर्देशक सुदीप्तो सेन शामिल हैं। इस साल प्रतियोगिता वर्ग में जो फिल्में शामिल हैं, उनमें पोलैंड के फिल्म निर्माता क्रिज्सटॉफ ज़ानुसी की परफेक्ट नंबर, मैक्सिको के फिल्म निर्माता कार्लोस आइचेलमैन कैसर की फिल्म रेड शूज़, ईरानी ड्रामा नो एंड तथा हिंदी फिल्म कश्मीर फाइल्स हैं। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) की शुरुआत वर्ष 1952 में की गई थी, पहली बार इस महोत्सव का आयोजन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के संरक्षण में भारत सरकार के फिल्म डिवीज़न द्वारा किया गया था। गौरतलब है कि वर्ष 1975 से इस महोत्सव का आयोजन वार्षिक तौर पर किया जाता है और अब तक इसके कुल 52 संस्करण आयोजित किये जा चुके हैं।
राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस
प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (National Legal Services Day-NLSD) मनाया जाता है। राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत वर्ष 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को सहायता व समर्थन प्रदान करने के लिये की गई थी। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सभी के लिये न्याय सुनिश्चित करने हेतु लोगों को कानून के बारे में जागरूक करना, साथ ही समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता व सलाह प्रदान करना है। भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 को भारतीय संसद द्वारा 9 नवंबर, 1995 को लागू किया गया था। इसलिये 9 नवंबर को ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस’ के रूप में चिह्नित किया गया है। ‘NALSA’ का गठन समाज के कमज़ोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के उद्देश्य से किया गया है। भारत का मुख्य न्यायाधीश ‘NALSA’ का मुख्य संरक्षक होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।