सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट बूस्टर
हाल ही में भारत ने ओडिशा तट से दूर चांदीपुर में ‘एकीकृत परीक्षण रेंज’ (ITR) में एक मिसाइल प्रणाली- ‘सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट’ (SFDR) बूस्टर का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने वर्ष 2017 में सबसे पहले SFDR विकास करना शुरू किया था और वर्ष 2018 तथा वर्ष 2019 में भी सफल परीक्षण किये थे।
‘सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट’ (SFDR):
- परिचय:
- यह भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक मिसाइल प्रणोदन तकनीक है।
- SFDR तकनीक एक मिसाइल प्रणोदन प्रणाली है, जो ‘रैमजेट इंजन’ सिद्धांत की अवधारणा पर आधारित है।
- रैमजेट इंजन, एयर ब्रीदिंग जेट इंजन का ही एक रूप है जो वाहन की अग्र गति (Forward Motion) का उपयोग कर आने वाली हवा को बिना घूर्णन संपीडक (Rotating Compressor) के दहन (combustion) के लिये संपीड़ित करता है।
- रैमजेट में वाहन की अग्र गति का उपयोग करके उच्च दबाव उत्पन्न किया जाता है। प्रणोदन प्रणाली में लाई जाने वाली बाहरी हवा कार्यशील द्रव बन जाती है।
- रैमजेट तभी कार्य करता है, जब वाहन पहले से ही चल रहा हो; जब इंजन स्थिर हो तो रैमजेट कार्य नहीं कर सकता है।
- यह सिस्टम एक ठोस ईंधन वाले रैमजेट इंजन का उपयोग करता है।
- ठोस प्रणोदक रॉकेट के विपरीत रैमजेट उड़ान के दौरान वातावरण से ऑक्सीजन लेता है। इस प्रकार यह वज़न में हल्का और अधिक ईंधन ले जा सकता है।
- SFDA को रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं जैसे- अनुसंधान केंद्र इमारत, हैदराबाद और उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, पुणे के सहयोग से विकसित किया गया है।
- महत्त्व:
- यह मिसाइल को सुपरसोनिक गति से बहुत लंबी दूरी पर हवाई खतरों से सुरक्षित करता है।
- वर्तमान में ऐसी तकनीक विश्व के कुछ गिने-चुने देशों के पास ही उपलब्ध है।
- हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलें जो SFDR तकनीक का उपयोग करती हैं, लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होती हैं क्योंकि उन्हें ऑक्सीडाइज़र (Oxidisers) अर्थात् वायुमंडल से ऑक्सीजन लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
- SFDR पर आधारित मिसाइल सुपरसोनिक गति से उड़ान भरती है और उच्च गतिशीलता को सुनिश्चित करती है ताकि लक्षित विमान मिसाइल से दूर न जा सके।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO):
- DRDO के बारे में:
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है।
- यह अत्याधुनिक और महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों एवं प्रणालियों में आत्मनिर्भरता की स्थिति हासिल करने के लिये भारत को सशक्त बनाने की दृष्टि से कार्य करता है
- DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) तथा तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production- DTDP) के संयोजन के बाद की गई थी।
- एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Programme- IGMDP) को विकसित करने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- DRDO द्वारा हाल ही में किये गए कुछ परीक्षण:
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. अग्नि-4 प्रक्षेपास्त्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a)
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 अप्रैल, 2022
कुमार गंधर्व
08 अप्रैल, 2022 को शास्त्रीय संगीत के जाने-माने गायक पंडित कुमार गंधर्व की 98वीं जयंती मनाई गई। वे अपनी विशेष गायन शैली के लिये मशहूर थे। उन्होंने किसी घराने की परंपरा से जुड़ने से इनकार कर दिया था। उनका असली नाम शिवपुत्र सिद्धारमैया कोमकालीमठ था। उन्हें ‘कुमार गंधर्व’ के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म कर्नाटक में बेलगाम ज़िले के पास सुलेभवी में कन्नड भाषी लिंगायत परिवार में 8 अप्रैल, 1924 को हुआ था। पाँच वर्ष की उम्र में ही संगीत के प्रति उनकी रुचि स्पष्ट हो गई। उन्होंने दस वर्ष की आयु में पहली बार मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। वर्ष 1952 में तपेदिक (TB) से रिकवरी के बाद उन्होंने वर्ष 1953 में अपना पहला संगीत कार्यक्रम किया। हालाँकि तपेदिक का उनके शरीर पर काफी प्रभाव पड़ा था जिसकी वजह से उन्हें अपनी गायन की पारंपरिक पद्धति को बदलना पड़ा और रागों के साथ नए प्रयोग करने पड़े। इन प्रयोगों के कारण उन्हें प्रसिद्धि एवं आलोचना दोनों का सामना करना पड़ा। पारंपरिक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के साथ प्रयोग करते हुए उन्होंने कई नए रागों की रचना की, जिन्हें सामूहिक रूप से उन्होंने 'धुन उगाम राग' नाम दिया। उन्हें वर्ष 1977 में पद्मभूषण और वर्ष 1990 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 12 जनवरी, 1992 को देवास (मध्य प्रदेश) में पंडित कुमार गंधर्व की मृत्यु हो गई।
विकास और शांति हेतु अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस
विश्व भर में प्रतिवर्ष 06 अप्रैल को ‘विकास एवं शांति हेतु अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस दुनिया भर के लोगों और समुदायों के जीवन में खेल एवं शारीरिक गतिविधियों के सकारात्मक प्रभाव को पहचानने के अवसर के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 6 अप्रैल को इस दिवस के रूप में चिह्नित करने का फैसला किया है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1896 में पहली बार आधुनिक ओलंपिक आयोजित किये गए थे। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2013 में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया था। गौरतलब है कि खेल एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जो समाज एवं समूह के भीतर संबंधों को मज़बूत करती है। यह लोगों के बीच एकजुटता एवं आपसी सम्मान स्थापित करते हुए सतत् विकास एवं शांति को भी बढ़ावा देता है। खेल किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक अभिन्न अंग होता है। व्यक्तियों में शक्ति एवं शारीरिक फिटनेस के विकास पर इसके सकारात्मक प्रभावों के अलावा इसे एक ऐसे उपकरण के रूप में भी देखा जाता है, जो मानवाधिकारों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
शौर्य दिवस
प्रत्येक वर्ष 9 अप्रैल को देश में केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (Central Reserve Police Force-CRPF) का शौर्य दिवस मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि 9 अप्रैल, 1965 को CRPF की एक छोटी टुकड़ी ने पाकिस्तानी ब्रिगेड के आक्रमण को विफल कर दिया था, इस दौरान कच्छ (गुजरात) के रण में CRPF ने पाकिस्तान के हमले को नाकाम करते हुए 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था, वहीं इस लड़ाई में CRPF के 6 जवान शहीद हुए थे। CRPF के जवानों की बहादुरी को याद करने के लिये ही 9 अप्रैल के दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (CRPF) भारत का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। CRPF की स्थापना क्राउन रिप्रेज़ेंटेटिव्स पुलिस (Crown Representatives Police) के रूप में 27 जुलाई, 1939 को की गई थी। 28 दिसंबर, 1949 को CRPF अधिनियम के माध्यम से केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल का निर्माण किया गया था। केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल के प्रमुख कार्य क्षेत्र हैं- भीड़ पर नियंत्रण, दंगा नियंत्रण, उग्रवाद का विरोध, विद्रोह को रोकने के उपाय, वामपंथी उग्रवाद से निपटना, युद्ध की स्थिति में दुश्मन से लड़ना, सरकार की नीति के अनुसार संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भाग लेना आदि।
केतनजी ब्राउन जैक्सन
अमेरिकी सीनेट ने हाल ही में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर ‘केतनजी ब्राउन जैक्सन’ की नियुक्ति की पुष्टि की है, इसके साथ ही वे अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त होने वाली पहली अश्वेत महिला बन गई हैं। ज्ञात हो कि ‘केतनजी ब्राउन जैक्सन’ ने ‘हार्वर्ड विश्वविद्यालय’ से लॉ की शिक्षा प्राप्त की है और साथ ही उन्होंने एक सार्वजनिक डिफेंडेंट के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने एक निजी कानूनी फर्म में काम किया तथा उन्हें ‘अमेरिकी सज़ा आयोग’ के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। थर्गूड मार्शल और क्लेरेंस थॉमस के बाद सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त होने वाली वह तीसरी अश्वेत हैं एवं इस पद पर नियुक्त होने वाली छठी महिला हैं।