विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
हेलिना और ध्रुवास्त्र: एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
- 22 Feb 2021
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने पोखरण रेंज, थार रेगिस्तान (राजस्थान) में स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम ‘हेलिना’ (Helina) और ‘ध्रुवास्त्र’ (Dhruvastra) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
प्रमुख बिंदु:
- हेलिना’ और ‘ध्रुवास्त्र’ के बारे में:
- हेलिना (सेना संस्करण) और ध्रुवास्त्र (भारतीय वायुसेना संस्करण) तीसरी पीढ़ी के एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (नाग मिसाइल सिस्टम) के हेलीकॉप्टर-लॉन्च संस्करण हैं।
- इस मिसाइल प्रणाली का प्रक्षेपण दिन और रात किसी भी समय किया जा सकता है तथा यह पारंपरिक कवच और विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच के साथ युद्धक टैंक को भेदने में सक्षम है।
- स्वदेशी:
- इन मिसाइल प्रणालियों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
- संचालन:
- हेलिना ’और ‘ध्रुवास्त्र’ डायरेक्ट हिट मोड (Hit Mode) के साथ-साथ टॉप अटैक मोड (Top Attack Mode) दोनों को लक्ष्य बना सकते हैं।
- टॉप अटैक मोड: इसमें मिसाइल लॉन्च होने के बाद तीव्र गति के साथ एक निश्चित ऊँचाई तक जाती है तथा फिर नीचे की तरफ मुड़कर निर्धारित लक्ष्य को भेदती है।
- डायरेक्ट हिट मोड: इसमें मिसाइल कम ऊँचाई पर जाकर सीधे लक्ष्य को भेदती है।
नाग मिसाइल
- नाग तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire-and-Forget) के सिद्धांत पर आधारित एक एंटी टेंक मिसाइल है, इसे DRDO द्वारा भारतीय सेना के मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री (Mechanized Infantry) और एयरबोर्न (Airborne) दोनों बलों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है।
- यह सभी मौसम तथा दिन-रात किसी भी समय कार्य करने में सक्षम है तथा कम-से-कम 500 मीटर और अधिकतम 4 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है।
- नाग को स्थल और वायु-आधारित प्लेटफाॅर्मों से लॉन्च किया जा सकता है। वर्तमान में इसका स्थल संस्करण एकीकरण ‘नाग मिसाइल कैरियर ’ (Nag missile carrier- NAMICA) उपलब्ध है।
- नाग मिसाइलों को DRDO ने एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program-IGMDP) के तहत विकसित किया है।
एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP):
- IGMDP की परिकल्पना डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से की गई थी। IGMDP का अनुमोदन भारत सरकार द्वारा वर्ष 1983 में किया गया तथा इसे मार्च 2012 में पूरा किया गया।
- इस कार्यक्रम के तहत विकसित पाँच मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं:
- पृथ्वी: यह कम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है।
- अग्नि: यह विभिन्न श्रेणियों (I, II, III, IV, V)। में विकसित बैलिस्टिक मिसाइल है।
- त्रिशूल: यह सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल है।
- नाग: तीसरी पीढ़ी की एंटी टैंक मिसाइल है।
- आकाश: मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
स्रोत: पी.आई.बी.