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आंतरिक सुरक्षा

ब्रह्मोस मिसाइल का लैंड-अटैक संस्करण

  • 25 Nov 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये 

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, वास्तविक नियंत्रण रेखा

मेन्स के लिये 

ब्रह्मोस मिसाइल का सामरिक महत्त्व

क्यों समाचार में

हाल ही में, भारत ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के लैंड-अटैक संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

  • अक्तूबर 2020 में भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोत INS चेन्नई से ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसने 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्य पर प्रहार करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था।\

प्रमुख बिंदु

नई लैंड-अटैक संस्करण की विशेषताएँ:

  • मिसाइल की रेंज को 290 किमी. से 400 किमी. तक बढ़ाया गया है और इसकी गति को 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक रखा गया है।
  • परीक्षण "ऊपर से हमला" (Top-Attack) के रूप में किया गया था।
    • ब्रह्मोस सहित अधिकांश आधुनिक मिसाइलों को टॉप-अटैक और डायरेक्ट अटैक मोड दोनों में फायर किया जा सकता है।
    • टॉप-अटैक मोड में मिसाइल को लॉन्च के बाद तेज़ी से ऊपर जाने, एक निश्चित ऊँचाई पर पहुँचने और फिर लक्ष्य के ऊपर गिरने की आवश्यकता होती है।
    • डायरेक्ट अटैक मोड में मिसाइल सीधे ऊँचाई पर पहुँचती है औउर फिर सीधे लक्ष्य पर प्रहार करती है।

परीक्षण का महत्त्व:

  • यह परीक्षण भारत की भूमि, समुद्र और वायु तीनों मार्गों से हमला करने की क्षमता का सामरिक प्रदर्शन है।
    • भारत ने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ लगे वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) के कई रणनीतिक स्थानों पर बड़ी संख्या में ब्रह्मोस मिसाइलों तथा अन्य प्रमुख सैन्य उपकरणों की तैनाती की है।
  • यह परीक्षण दुश्मन के महत्त्वपूर्ण ठिकानों को लक्षित करने की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
  • पिछले कुछ महीनों में, भारत ने रुद्रम-1 नामक एक विकिरण-रोधी मिसाइल सहित कई अन्य मिसाइलों का भी परीक्षण किया है, जिन्हें वर्ष 2022 तक सेवा में शामिल करने की योजना है।

ब्रह्मोस मिसाइल:

  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ब्रह्मोस मिसाइलों को ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा डिज़ाइन, विकसित और निर्मित किया गया है।
    • ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक संयुक्त उद्यम कंपनी है जिसकी स्थापना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (The Defence Research and Development Organisation) और रूस की मशिनोस्ट्रोयेनिया (Mashinostroyenia) ने की है।
  • यह मध्यम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाज़ों, विमानों या ज़मीन से लॉन्च किया जा सकता है।
    • क्रूज़ मिसाइल पृथ्वी की सतह के समानांतर चलते हैं और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है।
    • गति के आधार पर ऐसी मिसाइलों को उपध्वनिक/सबसोनिक (लगभग 0.8 मैक), पराध्वनिक/सुपरसोनिक (2-3 मैक) और अतिध्वनिक/हाइपरसोनिक (5 मैक से अधिक) क्रूज मिसाइलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • यह विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, साथ ही सबसे तेज़ क्रियाशील एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइल भी है।
  • यह मिसाइल ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) के सिद्धांत पर कार्य करती है, अर्थात् इसे लॉन्च करने के बाद आगे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है परंतु लड़ाकू विमान से दागे जाने पर यह लगभग 400 किलोमीटर की दूरी तक पहुँच जाती है। भविष्य में इसे 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।
  • ब्रह्मोस के विभिन्न संस्करण, जिनमें भूमि, युद्धपोत, पनडुब्बी और सुखोई -30 लड़ाकू जेट शामिल हैं, जिनको को पहले ही विकसित किया जा चुका है तथा अतीत में इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है।
  • 5 मैक की गति तक पहुँचने में सक्षम मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण विकासशील है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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