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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 09 Mar, 2024
  • 19 min read
रैपिड फायर

कैवम क्लाउड्स

स्रोत: नासा 

कैवम क्लाउड्स, जिन्हें होल-पंच क्लाउड या फॉलस्ट्रीक होल के रूप में भी जाना जाता है, लंबे समय से अपने असामान्य रूप के साथ पर्यवेक्षकों को आकर्षित करते हैं, जो प्रायः अलौकिक उत्पत्ति के बारे में अटकलों को जन्म देते हैं।

  • हाल ही में यह पाया गया कि कैवम क्लाउड्स का निर्माण तब होता है, जब विमान सुपरकूल लिक्विड वॉटर ड्रॉप्स वाले मध्य-स्तरीय अल्टोक्यूम्यलस क्लाउड्स से गुज़रते हैं।
    • आल्टोक्यूम्यलस क्लाउड्स मध्य स्तरीय मेघ (2-7 किलोमीटर तक) होते हैं जो सफेद या भूरे रंग के धब्बे या परतों का निर्माण करते हैं। वे प्रायः लहरदार आकृति में दिखाई देते हैं।
  • जैसे ही विमान अपने आस-पास की वायु को बाधित करते हैं, ड्रॉप्स आइस क्रिस्टल में जम जाती हैं, जो अंततः भारी हो जाती हैं और आकाश से पृथक होकर गिर जाती हैं, जिससे मेघों की परत में रिक्त स्थान रह जाते हैं। 
    • गिरने वाले बर्फ के क्रिस्टल वर्गा (virga) नामक वर्षा के मार्ग के रूप में दिखाई देते हैं।  
    • इस घटना को हाल ही में नासा के टेरा उपग्रह द्वारा फ्लोरिडा के पश्चिमी तट के पास मैक्सिको की खाड़ी के ऊपर कैवम क्लाउड्स दिखाते हुए कैद किया गया था।


रैपिड फायर

विचाराधीन पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना

स्रोत:द हिंदू

भारत एवं नेपाल के बीच दीर्घकालिक विद्युत साझेदारी पर हाल ही में एक समझौते पर हस्ताक्षर होने के बावजूद पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना (PMP) पर प्रगति अवरोधित हुई है।

  • PMP हेतु गतिरोध विशेष रूप से लाभों के समान वितरण को लेकर भारत तथा नेपाल के बीच संबंधों की प्रगति के लिये एक चुनौती है।
  • जनवरी 2023 में भारत तथा नेपाल द्वारा अगले 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट विद्युत के निर्यात के लिये द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना (PMP), भारत तथा नेपाल की सीमा पर स्थित महाकाली नदी पर विकसित की जाने वाली एक द्वि-राष्ट्रीय जलविद्युत परियोजना है।
    • भारत तथा नेपाल द्वारा फरवरी, 1996 में एक संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसे महाकाली संधि के नाम से जाना जाता है। पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना का कार्यान्वयन महाकाली संधि का केंद्र बिंदु है।

और पढ़ें…भारत-नेपाल संबंध


प्रारंभिक परीक्षा

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का 22वाँ स्थापना दिवस हाल ही में "भारत में विद्युतीकरण और डीकार्बोनाइजेशन के माध्यम से ऊर्जा संक्रमण" थीम के साथ मनाया गया और साथ ही राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2023 भी जारी किया गया।

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (SEEI) 2023 क्या है?

  • परिचय:
    • यह सूचकांक का 5वाँ संस्करण है, जिसे विद्युत मंत्रालय के अंर्तगत एक वैधानिक निकाय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा एलायंस फॉर एन एनर्जी-एफिशिएंट इकोनॉमी (ऊर्जा दक्ष अर्थव्यवस्था हेतु गठबंधन: AEEE) के सहयोग से विकसित किया गया है।
    • यह गुणात्मक, मात्रात्मक तथा परिणाम-आधारित उपायों सहित 65 संकेतकों का उपयोग करके सात मांग क्षेत्रों में 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
    • SEEI 2023 में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को उनके कुल योग के स्कोर अनुसार 'फ्रंट रनर' (>=60), 'अचीवर' (50-59.75), 'कंटेंडर' (30-49.75) तथा 'एस्पिरेंट' (<30) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    •   राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी सहकर्मी-से-सहकर्मी प्रदर्शन तुलना के लिये उनकी कुल अंतिम ऊर्जा व्यय (TFEC) के आधार पर चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है: समूह 1 [>15 मिलियन टन तेल समकक्ष (MTOE)], समूह 2 [5-15 MTOE)], समूह 3 [1-5 (MTOE)] और समूह 4 [<1 (MTOE)]।
      • प्रत्येक समूह में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य कर्नाटक (समूह 1), आंध्र प्रदेश (समूह 2), असम (समूह 3) और चंडीगढ़ (समूह 4) हैं।

  • SEEI 2023 के मुख्य निष्कर्ष:
    • फ्रंट रनर (>=60): 
      • SEEI 2023 में 'फ्रंट रनर' श्रेणी में सात राज्य: कर्नाटक (स्कोर 86.5), आंध्र प्रदेश (83.25), हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब और तेलंगाना।
    • अचीवर (50-59.75): 
      • दो राज्य, असम और उत्तर प्रदेश 'अचीवर' श्रेणी में हैं,
    • कंटेंडर (30-49.75): 
      • तीन राज्य, गोवा, झारखंड और तमिलनाडु, 'कंटेंडर/दावेदार' श्रेणी में हैं।
    • अस्पिरैंट (<30): 
      • महाराष्ट्र और हरियाणा क्रमशः 18.5 और 17 अंकों की वृद्धि के साथ सबसे बेहतर राज्य हैं।
    • SEEI 2021-22 की तुलना में 15 राज्यों ने अपने स्कोर में सुधार किया है।
    • राजस्थान में स्कोर में काफी गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण रिपोर्ट किये गए डेटा में कमी है।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE):

  • BEE की स्थापना 1 मार्च 2002 को ऊर्जा मंत्रालय के तहत ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत की गई थी।
  • BEE का मिशन भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा की बढ़ती मांग को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ ऊर्जा दक्षता के लिये नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता प्रदान करना है।
  • कार्य: यह ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में उल्लिखित नियामक और संवर्द्धन कार्यों के लिये उत्तरदायी है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसमें आप ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency) का स्टार

  1. लेबल पाते हैं? (2016)
  2. छत के (सीलिंग) पंखे
  3. विद्युत् गीज़र
  4. नलिकारूप प्रतिदीप्ति (ट्यूबुलर फ्लूओरेसेंट) लैंप

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

वर्ष 2022 और 2023 के संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप एवं पुरस्कार

स्रोत: पी.आई.बी. 

हाल ही में भारत की राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में वर्ष 2022 और 2023 के लिये संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप एवं पुरस्कार प्रदान किये।

संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप एवं पुरस्कार क्या हैं?

  • संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप:
    • संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (अकादमी रत्न सदस्यता) SNA द्वारा प्रदान किया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है। 
      • इस फैलोशिप के लिये संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में शीर्षस्थ व्यक्तियों पर विचार किया जाता है। हालाँकि मानदंड निर्धारण के अनुसार 50 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों पर आमतौर पर इस सम्मान के लिये विचार नहीं किया जाता है।
    • अकादमी फैलोशिप में 3.00 लाख रुपए की पर्स मनी, एक ताम्रपत्र (ताम्र पट्टिका) और एक अंगवस्त्रम (शॉल) शामिल है। 
      • फैलोशिप के लिये सिफारिशें अकादमी के वर्तमान अध्येताओं और अकादमी की सामान्य परिषद् के सदस्यों से प्राप्त की जाती हैं। 
    • प्रारंभ में वर्ष 2008 तक फैलोशिप में 30 रिक्तियाँ थीं। वर्ष 2010 में जनरल काउंसिल ने 10 और रिक्तियाँ जोड़ने के लिये नियमों में संशोधन किया, जिन्हें पाँच वर्षों में भरा जाना था तथा सालाना दो रिक्तियाँ जोड़ी गईं।
  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार:
    • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों का 70 वर्षों से अधिक प्राचीन व समृद्ध इतिहास है। इन पुरस्कारों का उद्देश्य संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में कला रूपों में देश की सर्वोच्च उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करने वाले अभ्यासकर्त्ताओं, गुरुओं तथा विद्वानों को सम्मानित करना है।
    • हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत में यह पुरस्कार अकादमी की स्थापना से पहले ही वर्ष 1951 में शुरू किये गए थे।
      • प्रारंभ में इसे राष्ट्रपति पुरस्कारों के रूप में जाना जाता था, बाद में अकादमी के गठन के बाद उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार कहा जाने लगा।
    • प्रत्येक पुरस्कार में 1 लाख रुपए की नकद राशि, एक ताम्रपत्र (ताम्र पट्टिका) और एक अंगवस्त्रम (शॉल) शामिल है।
    • वर्तमान में, प्रतिवर्ष प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों की संख्या 41 है और अब तक 1298 से अधिक कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

संगीत नाटक अकादमी

  • वर्ष 1953 में स्थापित संगीत नाटक अकादमी, संगीत, नृत्य और नाटक के माध्यम से व्यक्त समृद्ध अमूर्त विरासत के संरक्षण तथा प्रचार के लिये समर्पित भारत में शीर्ष निकाय है।
    • इसे वर्ष 1952 में डॉ. पी.वी. की अध्यक्षता में (तत्कालीन) शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा बनाया गया था। राजमन्नार इसके पहले अध्यक्ष थे।
  • अकादमी का प्रबंधन इसकी सामान्य परिषद द्वारा किया जाता है, जिसके अध्यक्ष को पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिये भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • अकादमी का पंजीकृत कार्यालय रविंद्र भवन, नई दिल्ली में स्थित है। संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करते हुए, संगीत नाटक अकादमी भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • SNA नृत्य, संगीत और थियेटर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 40 वर्ष से कम आयु के कलाकारों को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार प्रदान करता है। यह पुरस्कार वर्ष 2006 में शुरू किया गया था। SNA के अध्यक्ष द्वारा विजेता को 25,000 रुपए की धनराशि सहित एक ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम प्रदान किया जाता है।
  • वर्तमान में 100 से अधिक दुर्लभ कला रूप जो विलुप्त होने के कगार पर थे, उन्हें अकादमी द्वारा 'कला दीक्षा' के नाम से प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से पुनर्जीवित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)

  1. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना वर्ष 1959 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा की गई थी। 
  2. साहित्य अकादमी द्वारा किसी लेखक को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान उसे अपना फेलो चुनकर दिया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c) 


रैपिड फायर

जेम्स वेब टेलीस्कोप ने सबसे पुराने मृत आकाशगंगा का पता लगाया

स्रोत: डाउन टू अर्थ

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने हाल ही में सबसे पुरानी ज्ञात मृत आकाशगंगा (डेड गैलेक्सी) को कैप्चर करके ब्रह्मांड के इतिहास संबंधी रोचक अंतर्दृष्टि को उजागर किया है, जिससे लगभग 13 अरब वर्ष पूर्व अथवा ब्रह्मांड का निर्माण करने वाली बिग बैंग घटना के 700 मिलियन वर्ष बाद, तारे का बनना बंद हो गया था।

  • इस मृत आकाशगंगा में 30 से 90 मिलियन वर्षों के बीच तारे के निर्माण की एक लघु किंतु तीव्र अवधि थी, JWST के अवलोकन से पूर्व 10 से 20 मिलियन वर्षों के बीच तारे का निर्माण अचानक बंद हो गया।
    • इसका द्रव्यमान छोटे मैगेलैनिक बादल के बराबर है, जो मिल्की वे आकाशगंगा के निकट स्थित एक ड्वार्फ गैलेक्सी है।
  • अवलोकनों से पता चलता है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड में प्रचुर मात्रा में गैस क्लाउड की टकराहट से तारा निर्माण में मदद मिली, लेकिन सुपरमैसिव ब्लैक होल या गैस की कमी जैसे आंतरिक कारकों ने इस प्रक्रिया को धीमा किया होगा।
    • पुनः पूर्ति की कमी के परिणामस्वरूप गैसों में कमी हो सकती है, जिससे आकाशगंगाएँ तारा-निर्माण से सुप्त अवस्था में परिवर्तित हो सकती हैं।
    • प्रारंभिक ब्रह्मांड की गतिशील प्रकृति मृत आकाशगंगाओं के संभावित कायाकल्प का संकेत देती है, जिस पर और भी खोज किया जाना शेष है।
  • JWST NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है जिसे दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था।
    • वर्तमान में यह अंतरिक्ष में एक बिंदु पर अवस्थित है जिसे सूर्य-पृथ्वी L2 लैग्रेंज बिंदु के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग 1.5 मिलियन किमी. दूर है।
    • हबल टेलीस्कोप के बाद यह अब तक निर्मित सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली इन्फ्रारेड अंतरिक्ष दूरबीन है।

और पढ़ें…जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा 6 विशाल आकाशगंगाओं की खोज


रैपिड फायर

IRIS: भारत का पहला AI शिक्षक रोबोट

स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया 

केरल के तिरुवनंतपुरम में एक स्कूल ने भारत के पहले जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिक्षक रोबोट ‘Iris’ की शुरुआत के साथ शिक्षा में एक अभूतपूर्व नवाचार का अनावरण किया है। मेकरलैब्स एडुटेक के सहयोग से विकसित, आइरिस का लक्ष्य छात्रों के लिये व्यक्तिगत सीखने के अनुभवों के माध्यम से पारंपरिक शिक्षण विधियों को परिवर्तित करना है।

  • वॉयस असिस्टेंट और IRIS से लैस, यह छात्रों को इंटरैक्टिव शिक्षण गतिविधियों में संलग्न करता है।
  • IRIS, उपयोगकर्त्ता के प्रश्नों का जवाब देता है, स्पष्टीकरण प्रदान करता है, साथ ही व्यक्तिगत संवाद के माध्यम से शैक्षिक सामग्री भी प्रदान करता है।
    • 4-पहिया और 5 डिग्री ऑफ फ्रीडम (DoF) गतिविधियों के साथ, IRIS स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकता है तथा व्यावहारिक शिक्षण गतिविधियों में संलग्न हो सकता है।
  • IRIS शिक्षण परिणामों को बढ़ाने और छात्रों को नए तरीकों से प्रेरित करने का वादा करता है, एक ऐसे भविष्य की शुरुआत करता है, जहाँ AI पारंपरिक शिक्षण विधियों का पूरक है।
    • जेनरेटिव AI गहन-शिक्षण मॉडल को संदर्भित करता है, जो उस डेटा के आधार पर उच्च गुणवत्ता वाले पाठ, चित्र एवं अन्य सामग्री उत्पन्न कर सकते हैं, जिस पर उन्हें प्रशिक्षित किया गया था।
  • अगस्त, 2023 में भारत ने केरल में अपने पहले AI स्कूल का उद्घाटन किया।

और पढ़ें:  जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस


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