प्रारंभिक परीक्षा
Axiom-4 मिशन हेतु गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों का चयन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) के सहयोग से Axiom-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजने के लिये अपने चार प्रशिक्षित गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों में से दो का चयन किया है।
Axiom-4 मिशन क्या है?
- NASA और अमेरिका की निजी रूप से वित्तपोषित अंतरिक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर Axiom स्पेस ने ISS के लिये चौथे निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन हेतु एक आदेश पर हस्ताक्षर किये जो अगस्त 2024 में फ्लोरिडा में स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।
- इस मिशन का लक्ष्य चौदह दिनों की अवधि के लिये ISS पर रुकना है।
- भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग लक्ष्यों के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष यान प्रणालियों और आपातकालीन तत्परता पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को NASA, अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों तथा स्पेसएक्स द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
नोट: वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि NASA, आर्टेमिस समझौते के अनुरूप, भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अपने केंद्र में ‘उन्नत प्रशिक्षण’ प्रदान करेगा।
भारत के गगनयान कार्यक्रम की स्थिति
- भारत की गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान वर्ष 2025 के बाद संपन्न होने की उम्मीद है जिसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान से पहले अनमैंड (मानव रहित) उड़ान की योजना बनाई गई है।
- मानवयुक्त उड़ानों का प्रक्षेपण दो सफल मानव रहित मिशनों के बाद किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) क्या है?
- ISS एक बड़ी, स्थायी रूप से चालक दल वाली प्रयोगशाला है जो पृथ्वी की सतह से 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करती है। यह अंतरिक्ष यात्रियों का घर है और एक अद्वितीय विज्ञान प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है।
- इसके अनुसंधान से चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, विज्ञान और पृथ्वी एवं ब्रह्मांड को समझने सहित कई क्षेत्रों में प्रगति होने की उम्मीद है।
- यह 15 देशों और पाँच अंतरिक्ष एजेंसियों अर्थात् NASA (संयुक्त राज्य अमेरिका), रोस्कोस्मोस (रूस), ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी), JAXA (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) तथा CSA (कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी) के बीच सहयोग है।
- सात लोगों का एक अंतर्राष्ट्रीय दल 7.66 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करते हुए रहता है और काम करता है तथा लगभग हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। 24 घंटों में, अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की 16 परिक्रमाएँ करता है और 16 सूर्योदय तथा सूर्यास्त से होकर गुज़रता है।
- पैगी व्हिटसन ने अंतरिक्ष में सबसे अधिक 665 दिन रहने और काम करने का अमेरिकी रिकार्ड बनाया।
- ISS के प्रथम भागों को वर्ष 1998 में कक्षा में भेजा गया और स्थापित किया गया। वर्ष 2000 से ISS पर चालक दल लगातार रह रहे हैं।
नोट:
- भारत अपनी अंतरिक्ष उपस्थिति को मज़बूत करने के लिये कमर कस रहा है, इसरो का लक्ष्य 2035 तक देश का पहला अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है।
- इसरो का लक्ष्य माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों का समर्थन करने के लिये एक दशक के भीतर 20 टन का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है।
और पढ़ें: भारत आर्टेमिस समझौते में शामिल हुआ
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन, जो हाल ही में खबरों में था, का उद्देश्य क्या है? (2008) (a) मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना। उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) ISRO द्वारा प्रमोचित मंगलयान
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
रैपिड फायर
अमेरिका बैरर्ड उल्लुओं को मारेगा
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में अमेरिकी वन्यजीव अधिकारियों ने अमेरिका में घट रही चित्तीदार उल्लू (स्ट्रिक्स ऑक्सीडेंटलिस) की आबादी को बचाने के लिये बैरर्ड उल्लू या Barred Owls (स्ट्रिक्स वेरिया) को मारने का फैसला किया है।
- इस कार्ययोजना के तहत प्रशिक्षित पेशेवरों और ज़मीन मालिकों को बैरर्ड उल्लुओं को मारने की अनुमति दी जाएगी।
- हालाँकि बैरर्ड उल्लुओं के सार्वजनिक शिकार की अनुमति नहीं होगी।
- बैरर्ड उल्लू उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी हैं।
- वे चित्तीदार उल्लुओं के समान दिखते हैं। बैरर्ड उल्लू बड़े, अधिक आक्रामक होते हैं और अपने व्यापक आहार के साथ आसानी से तालमेल बैठा सकते हैं।
- अमेरिका के पश्चिमी भाग में उनके आक्रमण ने चित्तीदार उल्लू पर भारी दबाव डाला है, जिससे वर्ष 1995 से 2017 के बीच कुछ क्षेत्रों में उनकी आबादी 65 से 85% तक कम हो गई है।
- उन्हें मारने से सैलामैंडर और क्रेफिश जैसी अन्य प्रजातियों को भी मदद मिलेगी, जिनका वे शिकार करते रहे हैं।
बैरर्ड उल्लू |
चित्तीदार उल्लू |
|
IUCN स्थिति |
कम संकटग्रस्त |
निकट संकटग्रस्त |
पर्यावास |
उत्तरी अमेरिका में वुडलैंड्स, वनाच्छादित नदी तल, वनाच्छादित दलदल |
ब्रिटिश कोलंबिया और वाशिंगटन के परिपक्व वन। |
और पढ़ें: स्पॉट बेलीड ईगल आउल
रैपिड फायर
भारत का स्वदेशी लाइट टैंक ज़ोरावर
स्रोत: द हिंदू
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने भारत के देशज रूप से विकसित लाइट टैंक ज़ोरावर के आदिप्रारूप (Prototype) का अनावरण किया जिसका अभी व्यापक परीक्षण किया जाएगा।
- इसे DRDO और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था, जिसमें विभिन्न सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों का भी योगदान था।
- पूर्वी लद्दाख में वर्ष 2020 में चीन के साथ हुए गतिरोध के दौरान एक लाइट टैंक (अधिकतम 25 टन वज़न) की आवश्यकता पड़ी, जिसने हल्के, सरलता से तैनात किये जा सकने वाले टैंकों की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- अप्रैल 2021 में भारतीय सेना ने 25 टन से कम वज़न वाले 350 हल्के टैंकों के लिये सूचना के लिये अनुरोध (Request for Information- RFI) जारी किया।
- इस हल्के टैंक का डिज़ाइन सुनियोजन और परिचालन गतिशीलता में सुधार करता है क्योंकि यह उच्च कोणों पर फायर करने, वायु द्वारा परिवहित करने तथा सीमित संख्या में तोपों का वहन करने में सक्षम है।
रैपिड फायर
समयपुरम मंदिर
स्रोत: द हिंदू
हिंदू प्रकाशन समूह ने वृंदा रामानन द्वारा लिखित 'समयपुरम- द सेक्रेड सीट ऑफ शक्ति' नामक कॉफी-टेबल बुक जारी की है, जिसमें देवी मरियम्मन को समर्पित समयपुरम मंदिर के इतिहास और सांस्कृतिक महत्त्व का वर्णन किया गया है।
- तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित यह मंदिर 1,200 वर्ष से अधिक पुराना है, यह देवी मरियम्मन की किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें देवी दुर्गा, महाकाली, आदि शक्ति या निशुंभ सुधिनी का अवतार माना जाता है।
- मरियम्मन मंदिर के निर्माण की तिथि का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह चोल काल के दौरान अस्तित्त्व में था।
- वर्तमान मंदिर परिसर का निर्माण विजयनगर के राजा विजयराय चक्रवर्ती ने 18वीं शताब्दी में करवाया था। यह तमिलनाडु के सबसे धनी मंदिरों में से एक है।
- चिथिरई थेर थिरुविझा (चिथिरई माह में रथ महोत्सव- अप्रैल) इस मंदिर में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जो तमिल माह चिथिरई के प्रथम मंगलवार से प्रारंभ होकर 13 दिनों तक चलता है।