प्रिलिम्स फैक्ट्स (07 Oct, 2023)



भारत में डोपिंग गतिविधियाँ

स्रोत :इंडियन एक्सप्रेस 

दिल्ली एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हाल की घटनाओं ने डोपिंग के मुद्दे की सीमा को उजागर कर दिया है, क्योंकि कई प्रतियोगी डोपिंग परीक्षण से भाग गए थे और कुछ प्रतियोगिताओं में केवल एक ही प्रतिभागी शामिल हुआ था।

डोपिंग का खतरा: 

  • परिचय:
    • प्रदर्शन बढ़ाने के लिये एथलीटों द्वारा कुछ प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन।
  • क्षेत्र:
    • स्कूल मीट से लेकर राष्ट्रीय चैंपियनशिप तक सभी स्तरों के एथलीट आदतन डोपिंग प्रकियाओं में संलग्न हैं।
    • करियर में सफलता और राष्ट्रीय टीम में स्थान पाने की उम्मीदें इन जोखिम भरे व्यवहारों को प्रेरित करती हैं।
    • सबसे आम उपयोग में एनाबॉलिक स्टेरॉयड जैसी दवाएँ शामिल हैं।

भारतीय खेलों में निरंतर बनी रहने वाली डोपिंग समस्या:

  • व्यापक सीरिंज संस्कृति:
    • स्टेडियम के बाथरूमों में सीरिंज के उपयोग साक्ष्य दशकों से देख जा सकते हैं।
    • डोपिंग गतिविधि को रोकने के लिये सक्रिय उपायों का अभाव।
  • राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी की अप्रभावीता:
    • दिल्ली चैंपियनशिप जैसे आयोजनों के नेतृत्व में NADA की स्पष्ट अनुपस्थिति।
    • औपचारिक परीक्षण के दौरान शीघ्रता से प्राप्त निष्कर्ष व्यापक डोपिंग का संकेत देते हैं।
  • सुदूर क्षेत्रों में उपेक्षित परीक्षण:
    • दूरदराज़ के क्षेत्रों में प्रतियोगिताएँ डोपिंग रोधी अधिकारियों के बिना आगे बढ़ती हैं, जिससे संभावित रूप से उच्च डोपिंग दर छिप जाती है।

डोपिंग संकट के मूल कारण:

  • प्रशिक्षकों तथा अभिभावकों की त्वरित मानसिकता सुधार:
    • कोच और माता-पिता एथलीटों को सफलता के लिये शॉर्टकट ढूंढने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
    • उभरते एथलीटों के बीच दबाव अनैतिक विकल्पों की ओर ले जाता है।
  • भारत की सुस्त एंटी-डोपिंग मशीनरी:
    • डोपिंग को रोकने तथा परीक्षण के प्रति भय उत्पन्न करने के अपर्याप्त उपाय।
    • लगातार और कड़े डोपिंग रोधी प्रयासों का अभाव।
  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारण: 
    • एथलीटों तथा आम जनता के बीच प्रभावी डोपिंग रोधी शिक्षा और जागरूकता का अभाव।
    • प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं  की उपलब्धता और पहुँच
    • खेल तथा समाज की संस्कृति एवं वातावरण। एथलीटों को ऐसी संस्कृति से अवगत कराया जा सकता है जो स्पष्ट रूप से अथवा परोक्ष रूप से डोपिंग को सहन करती है या प्रोत्साहित करती है।

संभावित समाधान:

  • एक स्वच्छ खेल संस्कृति को बढ़ावा देना:
    • छोटी उम्र से ही खेलों में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को प्रोत्साहित करना।
    • एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना जहाँ डोपिंग अस्वीकार्य है।
  • डोपिंग रोधी उपायों को सुदृढ़ करना:
    • सुदूर क्षेत्रों में भी प्रतियोगिताओं में डोपिंग रोधी अधिकारियों की उपस्थिति बढ़ाना।
    • अधिक कठोर और औचक परीक्षण लागू करना।
  • जागरूकता अभियान:
    • डोपिंग के खतरों के विषय में एथलीटों, प्रशिक्षकों और अभिभावकों को शिक्षित करना।
    • एथलीटों के स्वास्थ्य और करियर पर डोपिंग के परिणामों के विषय में जागरूकता बढ़ाना।
    • भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के माध्यम से डोपिंग मिश्रित इनपुट और आहार की उपलब्धता को कम करना जो खिलाड़ी अनजाने में उपभोग करते हैं।

खेलों में डोपिंग को समाप्त करने हेतु सरकार द्वारा किये गये उपाय:

  • NADA:
    • राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (National Anti-Doping Agency- NADA) की स्थापना भारत में डोप मुक्त खेलों के लिये सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी।
    • लोकसभा ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक 2021 पारित कर दिया, जो राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) के लिये एक वैधानिक ढाँचा बनाने का प्रयास करता है।
    • स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS) अधिनियम, 1985: यह किसी व्यक्ति को किसी भी नशीली दवा या मन:प्रभावी पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण या उपभोग करने से रोकता है।
  • WADA:
    • विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (World Anti-Doping Agency- WADA) की स्थापना सभी खेलों और देशों में डोपिंग रोधी नियमों के विकास, सामंजस्य तथा समन्वय के लिये अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के तहत की गई थी।


नोबेल शांति पुरस्कार 2023

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में ईरानी कार्यकर्त्ता नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई तथा सभी के लिये मानवाधिकारों एवं स्वतंत्रता हेतु उनके संघर्ष के लिये रॉयल स्वीडिश अकादमी द्वारा प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार, 2023  प्रदान किया गया है।

  • यह पुरस्कार शासन की अविवेकपूर्ण नीतियों की आलोचना करने के अधिकार को बढ़ावा देने तथा नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करने में उनके योगदान को मान्यता देता है।
  • वर्ष 2022 में नोबेल शांति पुरस्कार बेलारूस के मानवाधिकार अधिवक्ता एलेस बायलियात्स्की, रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेनी मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज़ को प्रदान किया गया था।
  • साहित्य, रसायन विज्ञान, भौतिकी और चिकित्सा के लिये वर्ष 2023 के अन्य नोबेल पुरस्कारों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। 

नरगिस मोहम्मदी 

  • परिचय:
    • वर्ष 2023 की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के लिये संघर्षरत कार्यकर्त्ता रही हैं। 
      • अकादमी के अनुसार, इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार उन सैकड़ों-हज़ारों लोगों को भी सम्मानित करता है, जिन्होंने महिलाओं को निशाना बनाने वाली शासन की ऐसी धार्मिक नीतियों जो कि भेदभावपूर्ण एवं उत्पीड़नकारी थी, के खिलाफ संघर्ष किया है।
      • ईरानी प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनाया गया आदर्श वाक्य- "वूमेन - लाइफ -फ्रीडम" - नरगिस मोहम्मदी के संघर्ष और कार्य को उपयुक्त रूप से व्यक्त करता है।
  • योगदान: 
    • सुश्री मोहम्मदी उस देश में मृत्युदंड के खिलाफ वकालत करती हैं, जहाँ अधिकांशतः फाँसी की सज़ा की जाती हैं। कॉलेज के दिनों से ही वह महिलाओं के अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं।
    •  जेल में बंद कार्यकर्त्ताओं और उनके परिवारों की सहायता करने के उनके प्रयासों के लिये उन्हें वर्ष 2011 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था।
  • मानवाधिकारों की लड़ाई:
    • जेल में रहते हुए उन्होंने राजनीतिक कैदियों, विशेषकर महिलाओं के खिलाफ शासन द्वारा यातना एवं यौन हिंसा के व्यवस्थित उपयोग का विरोध करना शुरू कर दिया, जो कि ईरानी जेलों में किया जाता है।
    • महसा अमिनी विरोध प्रदर्शन (ईरानी हिजाब आंदोलन-Iranian Hijab Movement) के दौरान, उन्होंने प्रदर्शनकारियों के लिये जेल से समर्थन व्यक्त किया तथा अपने साथी कैदियों के बीच एकजुटता कार्यों का आयोजन किया।
    • मोहम्मदी द्वारा प्राप्त अन्य पुरस्कार हैं:
      • अलेक्जेंडर लैंगर पुरस्कार 2009
      • वर्ष 2023 की शुरुआत में यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार और ओलोफ पाल्मे पुरस्कार।
      • उनकी पुस्तक 'व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स' (White Torture: Interviews with Iranian Women Prisoners) ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव तथा मानवाधिकार फोरम में रिपोर्टेज़ के लिये एक पुरस्कार भी जीता।

ईरानी हिजाब आंदोलन 

  • ईरानी विधि महिलाओं को उनके नियमित परिधानों के साथ हिजाब या हेडस्कार्फ पहनने हेतु सख्त निर्देश देती है इसका अनुपालन नहीं करने वालों को हाल ही में या तो गिरफ्तार किया गया या चेतावनी दी गई है, हालाँकि कई मामलों में कड़ी सज़ा के प्रकरण भी देखने को मिले हैं
    • 22 वर्षीय महसा अमिनी को ईरानी महिलाओं के नियमित परिधानों संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
  • ईरान की मोरैलिटी पुलिस द्वारा महसा अमिनी की गिरफ्तारी और उसके बाद उनकी मृत्यु ने बड़े पैमाने पर ईरानी महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता की मांग हेतु विरोध प्रदर्शन करने के लिये उत्प्रेरित किया ।
    • हालाँकि यह मांग अब ईरान तक ही सीमित नहीं रह गई है बल्कि विश्वव्यापी विरोध का रूप ले चुकी है।
      • ऑकलैंड, लंदन, मेलबर्न, न्यूयॉर्क, पेरिस, रोम, सियोल, स्टॉकहोम, सिडनी और ज्यूरिख सहित अन्य महत्त्वपूर्ण पश्चिमी शहरों में भी "वूमेन, लाइफ, लिबर्टी" वाले बैनरों के साथ प्रदर्शन देखने को मिले हैं।


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 अक्तूबर, 2023

तेलंगाना के लिये सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय को स्वीकृति

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना में सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय को स्वीकृति दे दी, जिसका नाम तेलंगाना राज्य में सम्मानित आदिवासी शख्सियत सम्मक्का-सरक्का के नाम पर रखा गया है।

  • सम्मक्का-सरक्का (जिसे मेदाराम जात्रा भी कहा जाता है) कुंभ मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, जो तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय- कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाया जाता है।
  • यह एक आदिवासी त्योहार है जो एक अन्यायी कानून व शासक के खिलाफ एक मां और बेटी, सम्मक्का एवं सरलम्मा की लड़ाई का सम्मान करता है।
    • मेदाराम एतुरनगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है, जो दंडकारण्य का एक हिस्सा है तथा इस क्षेत्र का सबसे बड़ा समृद्ध वन क्षेत्र है।
    • यह दो वर्ष में एक बार "माघ" (फरवरी) महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
    • कोया जनजाति तेलंगाना की सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति है, जो तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध है।
    • यह समुदाय तेलुगु भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में फैला हुआ है।
    • कोया लोग खुद को लोकप्रिय रूप से दोराला सत्तम (लॉर्ड्स समूह) और पुट्टा डोरा (मूल लॉर्ड्स) कहते हैं। गोंडों की तरह कोया अपनी बोली में खुद को "कोइतूर" कहते हैं।

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अपशिष्ट जल में प्रदूषकों को कम करने के लिये अनुकारी एंजाइम

हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) सामग्री अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अपशिष्ट जल उपचार के लिये सूर्य के प्रकाश से संचालित अनुकारी एंजाइम विकसित किया।

  • अध्ययन में नैनोपीटीए नामक एक प्लैटिनम युक्त नैनोजाइम प्रस्तुत किया गया।
  • अपशिष्ट जल के संपर्क में आने पर नैनो पी.टी.ए. टेप जैसी संरचना बनाता है तथा प्रदूषकों को नष्ट करने के लिये प्रकाश उत्सर्जित करता है।
  • यह सूर्य की रोशनी में दस मिनट में सामान्य अपशिष्टों को नष्ट कर सकता है और 75 दिनों तक स्थिर रहता है।
  • नैनोजाइम का स्वास्थ्य देखभाल में विशेषकर तंत्रिका संबंधी रोगों के लिये एक नया अनुप्रयोग हो सकता है।
    • प्राकृतिक एंजाइमों को संवेदनशीलता, जटिल उत्पादन और भंडारण संबंधी समस्याओं जैसी सीमाओं का सामना करना पड़ता है।
    • नैनोजाइम इन चुनौतियों पर नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं साथ ही प्राकृतिक एंजाइमों की नकल कर सकते हैं।

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बिज़ली की समस्या को हल करने के लिये गुरुत्वाकर्षण का प्रयोग 

एनर्जी वॉल्ट की मदद से गुरुत्वाकर्षण/ ग्रेविटी-आधारित ऊर्जा भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा की राह में हो रहे व्यवधान के समाधान के रूप में उभर रहा है, जिसके लिये NTPC, टाटा पावर और ReNew पावर जैसी भारतीय कंपनियाँ प्रयासरत हैं।

  • एनर्जी वॉल्ट 25-टन ब्लॉक के साथ ऊर्जा को संगृहीत करने और इसे वितरित करने के लिये गुरुत्वाकर्षण एवं यांत्रिक लिफ्ट का उपयोग करके EVx प्लेटफॉर्म पेश करेगा।
  • यह अल्पकालिक भंडारण, पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों और हरित हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा पर भारत का ज़ोर ऊर्जा भंडारण को और भी महत्त्वपूर्ण बनाता है क्योंकि इसकी नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि ग्रिड प्रबंधकों के लिये चुनौतियाँ पेश करती है।
  • विश्व भर में अधिकांश ऊर्जा भंडारण पंपयुक्त पनबिज़ली से होता है, लेकिन इसके वैकल्पिक समाधान तलाशे जा रहे हैं।
    • भारत सरकार ऊर्जा भंडारण के लिये हाइड्रोजन और हाइब्रिड उत्पादन मॉडल पर विचार कर रही है।
    • खुली खदानों के संभावित उपयोग सहित पंपयुक्त जलविद्युत स्थलों की पहचान करने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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15-मिनट्स सिटीज़ और काँस्पीरेसी थ्योरीज़

हाल ही में कुछ काँस्पीरेसी थ्योरीज़ ऑनलाइन प्रस्तुत हुए हैं, जिसमें 15-मिनट सिटीज़ की परिकल्पना को मानवीय गतिशीलता पर प्रतिबंध लगाने की एक डिस्टोपियन(काल्पनिक और भविष्योन्मुखी) योजना के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। काँस्पीरेसी थ्योरिस्ट 15-मिनट सिटीज़ की परिकल्पना को विश्व आर्थिक मंच जैसे बहुराष्ट्रीय संगठनों और सत्तावादी उद्देश्यों से संबंधित मानते हैं।

  • आवश्यक सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिये शहरी नियोजन पर पुनर्विचार करने के लिये ‘15-मिनट सिटीज़’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले कार्लोस मोरेनो ने वर्ष 2016 में की थी।
  • 15-मिनट्स सिटीज़ की की अवधारणा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोगों की आवश्यक सेवाओं तक पहुँच उनके घर से काफी कम दूरी पर हो जहाँ पैदल अथवा बाइक से जाया जा सके
    • "लो -ट्रैफिक नेबर्स(LTN) को अक्सर 15-मिनट्स सिटीज़ से संबंधित माना जाता है और षड्यंत्र सिद्धांतकार इसे व्यापक "वॉर ऑन ड्राइवर्स" के हिस्से के रूप में देखते हैं।

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