ग्रेडिंग रिपोर्ट में ITI का प्रदर्शन
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) के लिये जारी नवीनतम ग्रेडिंग रिपोर्ट में उनके प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार पर प्रकाश डाला गया है, जो व्यावसायिक शिक्षा में सकारात्मक प्रवृत्ति को दर्शाता है।
- यह निर्णय केंद्रीय बजट 2024-2025 को देखते हुए लिया गया है, जिसमें अगले पाँच वर्षों में दो मिलियन युवाओं को कौशल प्रदान करने और हब-एंड-स्पोक व्यवस्था में 1,000 ITI को उन्नत करने की योजना है।
नवीनतम ITI ग्रेडिंग की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- ग्रेडिंग पद्धति:
- ग्रेडिंग में प्रवेश दर, उत्तीर्ण परिणाम, कंप्यूटर आधारित परीक्षा और प्राप्त औसत अंकों सहित आठ मापदंडों के आधार पर 0-10 के पैमाने का उपयोग किया जाता है।
- मुख्य तथ्य:
- बेहतर ग्रेडिंग स्कोर: वर्ष 2024 में ग्रेड किये गए 15,000 ITI में से 18.9% ने 0-10 के पैमाने पर 8 से ऊपर स्कोर किया, जो वर्ष 2023 में 12.4% से अधिक है। यह वृद्धि ITI के बीच बेहतर समग्र प्रदर्शन को इंगित करती है।
- शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिये 142 ITI को 9 और उससे अधिक ग्रेड प्राप्त हुआ।
- ITI ग्रेडिंग में शीर्ष राज्य: शीर्ष 25 ITI संस्थानों में उत्तर प्रदेश का स्थान सबसे ऊपर है, उसके बाद ओडिशा, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का स्थान है।
- शैक्षणिक सत्र 2024-25 में लड़कियों के लिये सरकारी ITI (आंध्र प्रदेश) और सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ओडिशा) ने 9.6 ग्रेड के साथ सर्वोच्च स्कोर हासिल किया।
- बेहतर ग्रेडिंग स्कोर: वर्ष 2024 में ग्रेड किये गए 15,000 ITI में से 18.9% ने 0-10 के पैमाने पर 8 से ऊपर स्कोर किया, जो वर्ष 2023 में 12.4% से अधिक है। यह वृद्धि ITI के बीच बेहतर समग्र प्रदर्शन को इंगित करती है।
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान क्या हैं?
- परिचय: ITI भारत में प्रशिक्षण संगठन हैं, जो छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
- ITI राज्य सरकारों या केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनिक एवं वित्तीय नियंत्रण में हैं तथा MSDE के अंतर्गत प्रशिक्षण महानिदेशालय (DGT) राष्ट्रीय स्तर पर विकास और समन्वय पर ध्यान केंद्रित करता है।
- DGT व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिये समग्र नीतियाँ, मानदंड एवं मानक तैयार करता है, जिससे ITI में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
- उद्देश्य: उद्योगों के लिये कुशल जनशक्ति विकसित करना और व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से युवाओं की रोज़गार क्षमता को बढ़ाना। इसके अतिरिक्त छात्रों को अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिये कौशल प्रदान करके स्वरोज़गार को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- ITI को बढ़ावा देने की पहल:
- शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (CTS): सरकारी और निजी ITI दोनों के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिये पाठ्यक्रमों सहित 150 ट्रेडों में प्रशिक्षण प्रदान करती है।
- प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (ATS): व्यावहारिक कौशल बढ़ाने और उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये कार्यस्थल पर प्रशिक्षण प्रदान करती है।
- शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना (CITS): प्रशिक्षकों को प्रभावी शिक्षण विधियों और व्यावहारिक कौशल का प्रशिक्षण देती है।
- उन्नत व्यावसायिक प्रशिक्षण योजना (AVTS): मौजूदा श्रमिकों के कौशल को उन्नत करने के लिये विशेष पाठ्यक्रम प्रदान करती है।
- मॉडल ITI योजना: 35 चयनित सरकारी ITI को मॉडल ITI में अपग्रेड करने की परिकल्पना की गई है, जिसमें उपकरण अपग्रेडेशन और सिविल कार्यों के लिये प्रति ITI 10 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह योजना 31 मार्च 2024 को समाप्त हो गई।
- कौशल विकास अवसंरचना योजना को बढ़ावा देना: 22 ITI के लिये निधि उन्नयन, 28 ITI के लिये अवसंरचना सहायता तथा पूर्वोत्तर राज्यों में 34 नए ITI की स्थापना।
- औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिये कौशल सुदृढ़ीकरण (STRIVE)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) |
DAC ने रक्षा अधिग्रहण प्रस्तावों के लिये AoN प्रदान किया
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 1,44,716 करोड़ रुपए के 10 रक्षा अधिग्रहण प्रस्तावों के लिये स्वीकृति की आवश्यकता (AoN) प्रदान की।
- Buy (खरीद) (भारतीय) और buy (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणियों के तहत DAC द्वारा स्वीकृत की गई परियोजनाओं के कुल मूल्य का 99% हिस्सा स्वदेशी स्रोतों का होगा।
नोट:
- AoN का अर्थ है कि सरकार ने उपकरण की ज़रूरत को स्वीकार कर लिया है और यह खरीद (buy ) प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में पहला कदम है। हालाँकि AoN दिये जाने से ज़रूरी नहीं है कि अंतिम आदेश ही मिले।
- रक्षा खरीद नीति के तहत स्वदेशीकरण के लिये buy (भारतीय-स्वदेशी रूप से डिज़ाइन, विकसित और निर्मित (IDDM)) श्रेणी अधिग्रहण की सबसे महत्त्वपूर्ण श्रेणी है।
प्रमुख अधिग्रहण प्रस्ताव क्या हैं?
- भविष्य के लिये तैयार लड़ाकू वाहन (FRCV): सरकार द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं का केंद्रबिंदु बनाते हुए, यह एक उन्नत मुख्य युद्धक टैंक है जिसमें सभी क्षेत्रों में बेहतर गतिशीलता, बहुस्तरीय सुरक्षा, सटीकता, घातक मारक क्षमता और वास्तविक समय की स्थिति के बारे में जानकारी है।
- इसका उद्देश्य पुराने सोवियत मूल के T-92 टैंकों को बदलना है।
- भारतीय सेना लगभग 60,000 करोड़ रुपए की लागत से 1,770 FRCV को शामिल करने की योजना बना रही है।
- रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) की मेक I प्रक्रिया के तहत, FRCV को तीन चरणों में अधिग्रहित किया जाएगा।
- वायु रक्षा अग्नि नियंत्रण रडार: यह हवाई लक्ष्यों का पता लगा सकता है और उन्हें ट्रैक कर सकता है तथा फायरिंग के लिये बंदूकें आवंटित कर सकता है।
- वर्तमान खरीद इज़रायल से 2,500 करोड़ रुपए में 66 रडार के पहले आयात के बाद की गई है, जिसका उद्देश्य पुराने फ्लाई-कैचर रडार को बदलना है।
- इस प्रस्ताव को फॉरवर्ड रिपेयर टीम (ट्रैक्ड) के लिये भी मंजूरी दी गई है, जिसमें मशीनीकृत संचालन के दौरान इन-सीटू मरम्मत करने हेतु उपयुक्त क्रॉस कंट्री मोबिलिटी है।
- भारतीय तटरक्षक बल के लिये प्रस्ताव:
- डोर्नियर-228 विमान - ICG की निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाने हेतु।
- अगली पीढ़ी के तेज़ गश्ती पोत - खराब मौसम की स्थिति के लिये उच्च परिचालन सुविधाओं युक्त
- अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती पोत - समुद्री क्षेत्रों की गश्त, खोज और बचाव तथा आपदा राहत कार्यों को करने के लिये उन्नत लंबी दूरी के संचालन युक्त पोत हैं।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) क्या है?
- रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) सेना, नौसेना, वायु सेना और भारतीय तटरक्षक बल के लिये नई नीतियों और पूंजी अधिग्रहण की स्थापना हेतु रक्षा मंत्रालय में शीर्ष निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है।
- इस परिषद की अध्यक्षता रक्षा मंत्री करते हैं।
- वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के मद्देनजर 'राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार' पर मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के बाद वर्ष 2001 में इसकी स्थापना की गई थी।
रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिये भारत के प्रयास क्या हैं?
- रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। भारत ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सैकड़ों हथियारों और प्रणालियों के आयात पर चरणबद्ध प्रतिबंध
- स्थानीय स्तर पर निर्मित सैन्य हार्डवेयर खरीदने के लिये अलग बजट
- FDI को 49% से बढ़ाकर 74% करना एवं व्यापार करने में आसानी में सुधार करना।
- 'बनाना(Make)' श्रेणियाँ निजी क्षेत्र सहित भारतीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र की अधिक भागीदारी को शामिल करके आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने की एक और पहल है। इसमें निम्नलिखित प्रक्रियाएँ शामिल हैं:
- Make-I (सरकार द्वारा वित्तपोषित): इसमें उपकरण, सिस्टम, प्रमुख प्लेटफॉर्म या उद्योग द्वारा उनके उन्नयन का डिजाइन और विकास शामिल है।
- Make-I उप-श्रेणी के तहत परियोजनाओं के लिये, MoD व्यवहार्यता अंतर निधि पद्धति के आधार पर प्रोटोटाइप विकास लागत का अधिकतम 70% तक निधि सहायता प्रदान करता है।
- Make-II (उद्योग द्वारा वित्तपोषित): इसमें सैन्य हार्डवेयर शामिल है जिसे स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित नहीं किया जा सकता है, लेकिन आयात प्रतिस्थापन के लिये देश में निर्मित किया जा सकता है।
- कोई सरकारी निधि प्रदान नहीं की जाती है।
- Make-III (स्वदेशी रूप से निर्मित): ये भारत में उत्पादित उप-प्रणालियाँ, घटक और गोला-बारूद हैं जो मौजूदा हथियार प्रणालियों के आयात को प्रतिस्थापित करने हेतु अक्सर विदेशी भागीदारी या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से उत्पादित किये जाते हैं।
- Make-I (सरकार द्वारा वित्तपोषित): इसमें उपकरण, सिस्टम, प्रमुख प्लेटफॉर्म या उद्योग द्वारा उनके उन्नयन का डिजाइन और विकास शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला "टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD)" क्या है? (2018) (a) एक इज़रायली रडार प्रणाली उत्तर:(c) अतः विकल्प C सही है। प्रश्न .सीमा प्रबंधन विभाग निम्नलिखित में से किस केंद्रीय मंत्रालय का विभाग है? (2008) (a) रक्षा मंत्रालय उत्तर: (b) |
समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX) में INS तबर
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारतीय नौसेना के जहाज़ तबर (INS Tabar) ने भूमध्य सागर में स्पेनिश नौसेना के जहाज़ अटालया के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (Maritime Partnership Exercise- MPX) में भाग लिया।
- स्पेनिश नौसेना के साथ MPX द्विपक्षीय नौसैनिक संबंधों को मज़बूती प्रदान करता है तथा समुद्री सहयोग में वृद्धि की प्रतिबद्धता को सशक्त करता है।
- MPX के बारे में: MPX में स्टेशन कीपिंग, रिप्लेलिशमेंट एट सी एप्रोच (RASAPs), फ्लाइंग एक्सरसाइज़ (FYEX), स्टीम पास्ट और फोटोएक्स (PHOTOEX) सीरियल जैसे उन्नत अभ्यासों की एक शृंखला शामिल थी।
- INS तबर: यह स्टील्थ फ्रिगेट भारतीय नौसेना के लिये रूस में निर्मित तीसरा तलवार श्रेणी का जहाज़ है, जिसे अप्रैल 2004 में कैलिनिनग्राद में कमीशन किया गया था।
- यह वायु, सतह और उप-सतह मिशनों को संचालित करने में सक्षम है।
- यह स्वतंत्र रूप से या किसी बड़े नौसैनिक कार्यबल के हिस्से के रूप में कार्य कर सकता है।
- यह मुंबई स्थित भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े में कार्यरत है।
- यह सुपरसोनिक ब्रह्मोस एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइलों और बराक-1 मिसाइलों सहित कई प्रकार के हथियारों तथा सेंसरों से सुसज्जित है।
- यह ब्रह्मोस मिसाइल का वहन करने में सक्षम तलवार श्रेणी का पहला युद्धपोत है।
और पढ़ें: भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास
प्रोजेक्ट स्ट्रॉबेरी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
ओपनएआई (OpenAI) द्वारा अपना सबसे उन्नत Ai मॉडल, जिसका कोडनेम प्रोजेक्ट स्ट्रॉबेरी (Project Strawberry) है, सितंबर से नवंबर 2024 के बीच जारी किये जाने की संभावना है।
- इस मॉडल को OpenAI चैटबॉट के आगामी नए संस्करण चैटजीपीटी-5(ChatGPT-5), में एकीकृत किया जा सकता है।
- प्रोजेक्ट स्ट्रॉबेरी [पूर्व में प्रोजेक्ट Q* (Q-स्टार)] का उद्देश्य कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता (Artificial General Intelligence-AGI) अर्थात् मानव मस्तिष्क के समान संज्ञानात्मक क्षमताओं वाले AI का सृजन करना है।
- विशेषताएँ और क्षमताएँ :
- इसने जटिल पहेलिकाओं (puzzles) को सुलझाने तथा उन्नत संज्ञानात्मक कार्य करने की क्षमता प्रदर्शित की है।
- ऐसा माना जा रहा है कि यह गणितीय समस्याओं को अपने पूर्ववर्ती मॉडल्स की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से हल करता है।
- इसमें स्वायत्त तरीके से ऑनलाइन रिसर्च करने की क्षमता होने की भी आशा व्यक्त की जा रही है।
- यह भविष्य के मॉडल्स, विशेष रूप से प्रोजेक्ट ओरियन के लिये उच्च गुणवत्ता वाले सिंथेटिक डेटा उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- प्रोजेक्ट ओरियन (Project Orion) को GPT-4 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये डिज़ाइन किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट स्ट्रॉबेरी और उच्च गुणवत्ता वाले सिंथेटिक डेटा के संयोजन का उपयोग कर सकता है जो संभवतः अपने पूर्ववर्ती मॉडल्स तथा अन्य AI मॉडल की तुलना में त्रुटियों एवं भ्रामकता को कम करेगा।
और पढ़ें: कृत्रिम बुद्धिमत्ता
अपशिष्ट टायर प्रबंधन हेतु दिशा-निर्देश
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारत में अपशिष्ट टायर प्रबंधन को मज़बूत करने के उद्देश्य से नए पर्यावरण मुआवज़ा (Environmental Compensation-EC) दिशा-निर्देशों को मंज़ूरी दी है।
- नये दिशा-निर्देशों के प्रमुख पहलू: जो निर्माता अपने विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility- EPR) लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएँगे, उन्हें प्रति किलोग्राम अपशिष्ट टायर पर 8.40 रुपए तक का ज़ुर्माना देना होगा।
- हानिकारक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और पारगमन गतिविधि) संशोधन नियम, 2022 का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर 25,000 रुपए का ज़ुर्माना लगाया जाएगा तथा बार-बार उल्लंघन करने वालों पर 1 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जाएगा।
- EPR अनुपालन: टायर निर्माताओं और आयातकों को उत्तरोत्तर अपनी पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) ज़िम्मेदारियों में वृद्धि करनी चाहिये। उन्हें वर्ष 2022-23 में वर्ष 2020-21 में किये गए उत्पादन/आयात के 35% से शुरू करते हुए, वर्ष 2023-24 में 70% तथा वर्ष 2024-25 तक 100% तक पुनर्चक्रण का उत्तरदायित्व पूरा करना होगा।
- नई इकाइयों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के तीसरे वर्ष में 100% उत्तरदायित्व का अनुपालन करना होगा।
- अपशिष्ट टायर आयातकों को पिछले वर्ष आयात किये गए टायरों का 100% प्रबंधन करना होगा। पायरोलिसिस तेल या चार (char) उत्पादन हेतु आयात स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है।
- अपशिष्ट टायरों के पुनर्चक्रण का उद्देश्य लैंडफिल के उपयोग को कम करना तथा टायरों को बहुमूल्य संसाधनों जैसे- पुनः प्राप्त रबर (reclaimed rubber), क्रम्ब रबर (crumb rubber) और पुनः प्राप्त कार्बन ब्लैक (recovered carbon black) में परिवर्तित करना है।
- EPR, उत्पादक की अपने उत्पाद के प्रभावों के प्रति पर्यावरणीय उत्तरदायित्व पर ध्यान केंद्रित करता है।
और पढ़ें: अपशिष्ट प्रबंधन पहल
स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत और डेनमार्क के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी के परिणामस्वरूप वाराणसी में स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (Smart Laboratory on Clean Rivers- SLCR) की स्थापना हुई है।
- SLCR एक सहयोगात्मक पहल है, जिसमें भारत (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग), डेनमार्क तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान - बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (IIT-BHU) शामिल हैं।
- SLCR का उद्देश्य: इसका उद्देश्य सतत् दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए वरुणा नदी का पुनरुद्धार करना है।
- वित्तपोषण: SLCR सचिवालय को जल शक्ति मंत्रालय से 16.8 करोड़ रुपए का प्रारंभिक वित्तपोषण और दीर्घकालिक स्थिरता एवं परियोजना विकास हेतु डेनमार्क सरकार से 5 करोड़ रुपए का अतिरिक्त अनुदान प्राप्त होगा।
- SLCR के अंतर्गत परियोजनाएँ:
- निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS): वास्तविक समय (real time) निगरानी, डेटा विज़ुअलाइज़ेशन और परिदृश्य सिमुलेशन प्रदान करने हेतु।
- उभरते प्रदूषकों का लक्षण-वर्णन: उन्नत विश्लेषण के साथ प्रदूषकों का पता लगाने और उनकी मात्रा निर्धारित करने हेतु।
- हाइड्रोजियोलॉजिकल मॉडल: इष्टतम रिचार्ज (पुनर्भरण) साइटों और दरों की पहचान करने के लिये उन्नत भूभौतिकीय तकनीकों तथा गणितीय मॉडलिंग का उपयोग।
- SLCR का मॉडल: इस पहल में IIT-BHU में एक हाइब्रिड लैब मॉडल और वरुणा नदी पर ऑन-फील्ड लिविंग लैब की स्थापना शामिल है ताकि वास्तविक रूप से परीक्षण तथा बेहतर समाधान किया जा सके।
और पढ़ें: भारत-डेनमार्क सहयोग
सड़कों की व्हाइट टॉपिंग
स्रोत: TOI
केंद्र सरकार पुराने राष्ट्रीय राजमार्गों को सुदृढ़ बनाने के लिये व्हाइट-टॉपिंग (व्हाइट टॉपिंग) नामक तकनीक का उपयोग करने की नीति विकसित कर रही है, जिसका उद्देश्य उनके जीवनकाल में वृद्धि करना है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India- NHAI) को रख-रखाव संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये राष्ट्रीय राजमार्गों के उन्नयन को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है।
- NHAI की स्थापना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत NHAI अधिनियम 1988 के तहत की गई थी।
- यह राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (National Highways Development Project- NHDP) और अन्य परियोजनाओं की निगरानी करता करता है।
- भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क लगभग 146,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है।
- व्हाइट टॉपिंग, पुनर्वास या संरचनात्मक मज़बूती के लिये मौजूदा बिटुमिनस सड़कों (डामर और एग्रीगेट्स के मिश्रण से निर्मित) पर सीमेंट कंक्रीट (योजित या गैर-योजित) की 100-200 मिमी. परत लगाने की प्रक्रिया है।
- सीमेंट कंक्रीट एक निर्माण सामग्री है जो सीमेंट, जल, एग्रीगेट्स (जैसे रेत और बजरी) को मिलाकर बनाई जाती है तथा प्रायः अक्सर इसकी मज़बूती, स्थायित्व व बहुमुखी क्षमता के कारण सड़कों, पुलों एवं अन्य संरचनाओं के निर्माण के लिये इसमें योजकों का उपयोग किया जाता है।
- यह तकनीक ईंधन की बचत करती है क्योंकि कंक्रीट सड़कों पर वाहन कम ईंधन की खपत करते हैं, कार्बन उत्सर्जन कम करते हैं, शहरी उष्मन द्वीप प्रभाव को कम करते हैं तथा वाहन के प्रकाश परावर्तन को बढ़ाकर सुरक्षा में सुधार करते हैं।
- इसके परावर्तक गुणों के कारण इसे बाहरी प्रकाश व्यवस्था के लिये भी कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
और पढ़ें: NHAI की 'एक वाहन, एक फास्टैग' पहल
UPI आधारित ब्लॉक मैकेनिज़्म
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने प्रस्ताव दिया है कि अर्हताप्राप्त स्टॉक ब्रोकर्स (Qualified Stock Brokers-QSBs) को द्वितीयक बाज़ार ट्रेडिंग के लिये एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) सुविधा के समान UPI आधारित ब्लॉक मैकेनिज़्म प्रस्तुत करना चाहिये।
- ग्राहक, ट्रेडिंग मेंबर (TM) को अग्रिम रूप से धन हस्तांतरित करने के बजाय अपने बैंक खातों में अवरुद्ध धन का उपयोग करके व्यापार कर सकते हैं। यह निवेशकों के लिये वैकल्पिक है और TM हेतु सेवा के रूप में प्रदान करना अनिवार्य नहीं है।
- 3-इन-1 ट्रेडिंग अकाउंट: SEBI ने इसे ASBA जैसी सुविधा के विकल्प के रूप में प्रस्तावित किया है। 3-इन-1 अकाउंट में राशि ग्राहक के बैंक खाते में होती है, जिस पर वे ब्याज अर्जित करते हैं और इसका उपयोग नकद एवं डेरिवेटिव दोनों खंडों के लिये किया जा सकता है।
- UPI ब्लॉक, जिसमें प्रतिबंध हैं, के विपरीत 3-इन-1 फैसिलिटी में राशि की कोई सीमा नहीं है।
- SEBI ने वर्ष 2019 में IPO के लिये UPI ब्लॉक मैकेनिज़्म की शुरुआत की थी। सेकेंडरी मार्केट ट्रेडिंग के लिये एक बीटा संस्करण जनवरी, 2024 में लॉन्च किया गया, जो कैश सेगमेंट तक सीमित था।
- ASBA सेबी द्वारा शुरू की गई एक प्रणाली है, जो प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO), अधिकार निर्गम और अन्य प्रतिभूति प्रस्तावों के लिये आवेदन व आवंटन प्रक्रिया को सुगम बनाती है।
- इसे निवेशकों को संपूर्ण आवेदन राशि अग्रिम रूप से हस्तांतरित किये बिना शेयरों के लिये आवेदन करने की अनुमति देकर आवेदन प्रक्रिया को अधिक कुशल और निवेशक-अनुकूल बनाने हेतु परिकल्पित किया गया है।
अधिक पढ़ें: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड