भारतीय अर्थव्यवस्था
ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं हेतु नियामक ढाँचा
- 16 Nov 2022
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:सेबी, ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता, बॉण्ड ऋण। मेन्स के लिये:ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं के लिये एक नियामक ढाँचे की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं के लिये एक नियामक ढाँचा पेश किया है ताकि उनके संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके।
- ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता (OBPPs) भारत में निगमित कंपनियाँ होंगी और उन्हें स्टॉक एक्सचेंज के डेब्ट सेगमेंट में स्टॉक ब्रोकर के रूप में खुद को पंजीकृत करना होगा।
विनियामक ढाँचे की आवश्यकता:
- नए नियम:
- स्टॉक एक्सचेंज के डेब्ट सेगमेंट में स्टॉक ब्रोकर के रूप में पंजीकरण करने के बाद एक इकाई को OBPP के रूप में कार्य करने के लिये एक्सचेंज में आवेदन करना होगा।
- नए नियमों में ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य करने के लिये सेबी से स्टॉक ब्रोकर के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
- जो 9 नवंबर 2022 से पहले पंजीकरण प्रमाणपत्र के बिना ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं, वे तीन महीने की अवधि के लिये ऐसा करना जारी रखेंगे।
- लोगों को समय-समय पर सेबी द्वारा निर्दिष्ट पंजीकरण की शर्तों का पालन करना होगा।
- सभी संस्थाओं को न्यूनतम प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। उन्हें अपने हितों संबंधी टकराव के सभी मामलों का भी खुलासा करना होगा, जो संबंधित पक्षों के साथ उनके लेनदेन या लेनदेन से उत्पन्न होते हैं।
बॉण्ड बाज़ार
- बॉण्ड:
- बॉण्ड कंपनियों द्वारा जारी कॉर्पोरेट ऋण की इकाइयाँ हैं और व्यापार योग्य संपत्ति के रूप में प्रतिभूतिकृत हैं।
- एक बॉण्ड को एक निश्चित आय साधन के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि बॉण्ड पारंपरिक रूप से देनदारों को एक निश्चित ब्याज दर (कूपन) का भुगतान करते हैं।
- परिवर्तनीय या अस्थायी ब्याज दरें भी अब काफी आम हैं।
- बॉण्ड की कीमतें ब्याज दरों के साथ विपरीत रूप से सहसंबद्ध होती हैं: जब दरें बढ़ती हैं, तो बॉण्ड की कीमतें गिरती हैं और जब दरें गिरती हैं, तो बॉण्ड की कीमतें बढ़ती है।
- बॉण्ड के प्रकार:
- परिवर्तनीय बॉण्ड:
- नियमित बॉण्ड के विपरीत जो बॉण्ड परिपक्वता पर विमोचित होते हैं उनमें एक परिवर्तनीय खरीदार को जारीकर्त्ता कंपनी के बॉण्ड को शेयरों में बदलने का अधिकार या दायित्व देता है।
- इसकी एक निश्चित अवधि होती है और पूर्व निर्धारित अंतराल पर समय-समय पर ब्याज का भुगतान किया जाता है।
- निश्चित कूपन दर बॉण्ड:
- इस प्रकार के बॉण्ड में ब्याज जारी करने की तारीख से तय किया जाता है। अधिकांश कॉर्पोरेट और सरकारी बॉण्ड निश्चित कूपन दर के होते हैं जो ब्याज या कूपन विमोचन की तिथि तक वार्षिक, अर्द्ध-वार्षिक, त्रैमासिक या मासिक रूप से प्रदान किये जाते हैं।
- फ्लोटिंग कूपन रेट बॉण्ड (FRB):
- इन बॉण्डों में परिपक्वता की तारीख तक कूपन दर में पूर्वनिर्धारित समय पर उतार-चढ़ाव होता रहता है। यहाँ ब्याज दर बेंचमार्क पर निर्भर करती है जिसका पालन वह प्रत्येक कूपन भुगतान में कूपन दर निर्धारित करने के लिये करता है। FRB बॉण्ड के मामले में कूपन दर टी-बिल यील्ड पर निर्भर करती है।
- शून्य कूपन बॉण्ड:
- ये वे बॉण्ड होते हैं जहाँ जारीकर्त्ता परिपक्वता तिथि तक धारक को कोई कूपन भुगतान प्रदान नहीं करता है। यहाँ बॉण्ड अंकित मूल्य राशि से कम और परिपक्वता की तारीख पर जारी किये जाते हैं। बॉण्ड को अंकित मूल्य की राशि पर भुनाया जाता है। यहाँ रिडेम्पशन प्राइस (रिडेम्पशन प्राइस वह मूल्य है जिस पर जारी करने वाली कंपनी अपनी परिपक्वता तिथि से पहले निवेशकों से बॉण्ड की पुनर्खरीद करेगी) और इश्यू प्राइस के बीच का अंतर एक निवेशक के लिये रिटर्न है। भारत में ट्रेज़री-बिल शून्य-कूपन बॉण्ड हैं।
- संचयी कूपन दर बॉण्ड:
- ये बॉण्ड कूपन दर के साथ जारी किये जाते हैं लेकिन कूपन का भुगतान रिडेम्पशन/मोचन के समय किया जाता है। आमतौर पर कॉरपोरेट्स इस तरह के बॉण्ड जारी करते हैं।
- मुद्रास्फीति अनुक्रमित बॉण्ड:
- ये बॉण्ड मुद्रास्फीति से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह मुख्य रूप से सरकार द्वारा जारी किया जाता है। यहाँ कूपन रेट मुद्रास्फीति दर पर निर्भर है। आमतौर पर कूपन दर मुद्रास्फीति दर पर प्रदान की गई अतिरिक्त दर के बराबर होती है।
- सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB):
- भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, SGBs सरकारी प्रतिभूतियाँ हैं जिन्हें ग्राम सोने में दर्शाया गया है।
- ये भौतिक सोना धारण करने के विकल्प हैं। निवेशकों को निर्गम मूल्य का भुगतान नकद में करना होता है और परिपक्वता पर बॉण्ड को नकद में भुनाया जाएगा।
- परिवर्तनीय बॉण्ड:
- बॉण्ड बाज़ार:
- बॉण्ड बाज़ार मोटे तौर पर ऐसे बाज़ार का वर्णन करता है जहाँ निवेशक ऋण प्रतिभूतियाँ खरीदते हैं जो सरकारी संस्थाओं या निगमों द्वारा बाज़ार में लाई जाती हैं।
- राष्ट्रीय सरकारें आमतौर पर बॉण्ड से प्राप्त आय का उपयोग बुनियादी ढाँचे में सुधार और ऋण चुकाने के लिये करती हैं।
- कंपनियाँ संचालन को बनाए रखने, अपने उत्पाद को बढ़ाने या अपनी शाखाओं का विस्तार करने हेतु आवश्यक पूंजी जुटाने के लिये बॉण्ड जारी करती हैं।
- बॉण्ड या तो प्राथमिक बाज़ार में जारी किये जाते हैं, जो नए ऋण को रोल आउट करते हैं या द्वितीयक बाज़ार में कारोबार करते हैं, जिसमें निवेशक दलालों या अन्य तृतीय पक्ष के माध्यम से मौजूदा ऋण खरीद सकते हैं।
- ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म:
- SEBI के अनुसार, यह एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज या एक इलेक्ट्रॉनिक बुक प्रदान करने वाले प्लेटफॉर्म के अलावा इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, जिस पर ऋण प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध किया जाता है या सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव दिया जाता है और लेन-देन किया जाता है।
- ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता का अर्थ है ऐसा कोई भी व्यक्ति जो इस तरह के प्लेटफॉर्म का संचालन करता है या प्रदान करता है।
- SEBI के अनुसार, यह एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज या एक इलेक्ट्रॉनिक बुक प्रदान करने वाले प्लेटफॉर्म के अलावा इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, जिस पर ऋण प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध किया जाता है या सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव दिया जाता है और लेन-देन किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न. परिवर्तनीय बॉण्ड के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |