भारतीय अर्थव्यवस्था
सॉवरेन गोल्ड बाॅण्ड योजना
- 20 Jun 2022
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प्रिलिम्स के लिये:सरकारी प्रतिभूति (जीएस) अधिनियम, 2006, आरबीआई, आयकर अधिनियम, 1961। मेन्स के लिये:सॉवरेन गोल्ड बाॅण्ड योजना, इसके फायदे और नुकसान। |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से 2022-23 के लिये सॉवरेन गोल्ड बाॅण्ड (SGB) किश्तों में जारी करेगी।
- SGB में निवेश कोविड-प्रभावित वर्षों के दौरान तेजी से बढ़ा क्योंकि निवेशकों ने 2020-21 और 2021-22 के साथ इक्विटी बाज़ारों में अस्थिरता के बीच सुरक्षित विकल्पों की तलाश की, जो नवंबर 2015 में योजना की स्थापना के बाद से बाॅण्ड की कुल बिक्री का लगभग 75% हिस्सा था।
सॉवरेन गोल्ड बाॅण्ड योजना:
- शुरुआत:
- सरकार ने सोने की मांग को कम करने और घरेलू बचत के एक हिस्से (जिसका उपयोग स्वर्ण की खरीद के लिये किया जाता है) को वित्तीय बचत में बदलने के उद्देश्य से नवंबर, 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (Sovereign Gold Bond) योजना की शुरुआत की थी।
- निर्गमन:
- गोल्ड/स्वर्ण बॉण्ड सरकारी प्रतिभूति (GS) अधिनियम, 2006 के तहत भारत सरकार के स्टॉक के रूप में जारी किये जाते हैं।
- ये भारत सरकार की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।
- बॉण्ड की बिक्री वाणिज्यिक बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), नामित डाकघरों (जिन्हें अधिसूचित किया जा सकता है) और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड तथा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड के ज़रिये या तो सीधे अथवा एजेंटों के माध्यम से की जाती है।
- पात्रता: इन बॉण्डों की बिक्री निवासी व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs), न्यासों/ट्रस्ट, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थानों तक ही सीमित है।
- विशेषताएँ:
- विमोचन मूल्य: गोल्ड/स्वर्ण बॉण्ड की कीमत इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (India Bullion and Jewellers Association- IBJA) द्वारा 999 शुद्धता वाले सोने (24 कैरट) के लिये प्रकाशित मूल्य पर आधारित होती है।
- निवेश सीमा: गोल्ड बॉण्ड एक ग्राम यूनिट के गुणकों में खरीदे जा सकते हैं जिसमें विभिन्न निवेशकों के लिये एक निश्चित सीमा निर्धारित होती है।
- खुदरा (व्यक्तिगत) तथा हिंदू अविभाजित परिवारों (Hindu Undivided Families- HUFs) के लिये खरीद की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम है। ट्रस्ट एवं इसी तरह के निकायों के लिये प्रति वित्त वर्ष 20 किलोग्राम की अधिकतम सीमा लागू होती है।
- संयुक्त धारिता के मामले में 4 किलोग्राम की निवेश सीमा केवल प्रथम आवेदक पर लागू होती है।
- न्यूनतम स्वीकार्य निवेश सीमा 1 ग्राम सोना है।
- अवधि: इन बॉण्डों की परिपक्वता अवधि 8 वर्ष होती है तथा 5 वर्ष के बाद इस निवेश से बाहर निकलने का विकल्प उपलब्ध होता है।
- ब्याज दर: निवेशकों को प्रतिवर्ष 2.5 प्रतिशत की निश्चित ब्याज दर लागू होती है, जो छह माह पर देय होती है।
- गोल्ड बॉण्ड पर प्राप्त होने वाले ब्याज पर कर/टैक्स आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधान के अनुसार अदा करना होगा।
- लाभ:
- ऋण के लिये बॉण्ड का उपयोग संपार्श्विक (जमानत या गारंटी) के रूप में किया जा सकता है।
- किसी भी व्यक्ति को सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) के विमोचन पर होने वाले पूंजीगत लाभ को कर मुक्त कर दिया गया है।
- विमोचन (Redemption) का तात्पर्य एक जारीकर्त्ता द्वारा परिपक्वता पर या उससे पहले बॉण्ड की पुनर्खरीद के कार्य से है।
- पूंजीगत लाभ (Capital Gain) स्टॉक, बॉण्ड या अचल संपत्ति जैसी संपत्ति की बिक्री पर अर्जित लाभ है। यह तब प्राप्त होता है जब किसी संपत्ति का विक्रय मूल्य उसके क्रय मूल्य से अधिक हो जाता है।
- SGB में निवेश के नुकसान:
- यह भौतिक स्वर्ण (जिसे तुरंत बेचा जा सकता है) के विपरीत एक दीर्घकालिक निवेश है।
- सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं लेकिन इनका ट्रेडिंग वॉल्यूम ज़्यादा नहीं होता, इसलिये परिपक्वता से पहले बाहर निकलना मुश्किल होगा।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्र. सरकार की 'सॉवरेन गोल्ड बाॅण्ड योजना' और 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना' का लक्ष्य/उद्देश्य क्या है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1 उत्तर: (C) व्याख्या:
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