प्रिलिम्स फैक्ट्स (07 Feb, 2022)



ढोल

एक नए अध्ययन में मध्य एशिया के ऊँचे पहाड़ों में ढोल या एशियाई जंगली कुत्तों की अंतिम बार दर्ज उपस्थिति के लगभग 30 साल बाद पुनः इनकी मौजूदगी की सूचना मिली है।

  • ताजिकिस्तान सीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर दक्षिणी किर्गिज़स्तान के ओश क्षेत्र में स्थित ‘बेक-टोसोट कंज़र्वेंसी’ में ढोल की उपस्थिति देखी गई है। यह चीन के झिंजियांग स्वायत्त क्षेत्र की पामीर पर्वत शृंखला में स्थित है।

Kazakhstan

ढोल:

Dholes

  • ढोल के बारे में: ढोल (Cuon alpinus) एक जंगली मांसाहारी जानवर है जो कैनिडे परिवार और स्तनधारी वर्ग का सदस्य है।
    • इसे ‘एशियाई जंगली कुत्ता’ (Asiatic Wild Dog) भी कहा जाता है।
  • प्राकृतिक आवास:
    • ऐतिहासिक रूप से ढोल पूरे दक्षिणी रूस, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं।
    • हाल के शोध और वर्तमान में प्राप्त मानचित्रों के अनुसार, ढोल अब केवल चीन में सबसे उत्तरी क्षेत्र के साथ दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया तक ही सीमित हैं।
    • भारत में ये तीन क्षेत्रों अर्थात् पश्चिमी और पूर्वी घाट, मध्य भारतीय परिदृश्य तथा उत्तर-पूर्व भारत में पाए जाते हैं।
      • एक नए हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में लुप्तप्राय ढोल के संरक्षण में कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश उच्च स्थान पर हैं।
  • पारिस्थितिक भूमिका: वन पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष स्तर के शिकारी (Top Predators) के रूप में ढोल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

ढोल की संरक्षण स्थिति:

जनसंख्या में कमी:

  • आवास का नुकसान: वनों की कटाई और वन गलियारों के विखंडन के कारण इनके आवास क्षेत्र घट रहे हैं।
  • शिकार का अभाव: अनगुलेट (Ungulates) जो कि ढोल का मुख्य शिकार है, की आबादी उनके शिकार तथा निवास स्थान के नुकसान के कारण तेज़ी से घट रही है।
  • पशुओं के शिकार तथा पालतू कुत्तों से इनमें स्थानांतरित होने वाले रोगों के कारण

स्रोत: डाउन टू अर्थ


वंदे भारत ट्रेन

वर्ष 2022-2023 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने अगले तीन वर्षों में 400 नई वंदे भारत ट्रेनों (Vande Bharat trains) के निर्माण का प्रस्ताव पेश किया है।

  • 400 ट्रेनों के निर्माण में 50,000 करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है, जबकि वर्ष 2018 की कीमत पर मौजूदा वंदे भारत पर प्रति ट्रेन 16 बोगी सेट के हिसाब से 106 करोड़ रुपए निवेश किये गए हैं।
  • नई ट्रेन चलाने का प्रस्ताव वर्तमान में चल रही योजना के अतिरिक्त है ताकि वर्ष 2023 में स्वतंत्रता दिवस तक पूरे भारत में 75 वंदे भारत ट्रेनों का परिचालन संभव हो सके।

प्रमुख बिंदु 

वंदे भारत ट्रेन: 

  • यह स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित सेमी हाई स्पीड, स्व-चालित ट्रेन है जिसे गति और यात्री सुविधा के मामले में राजधानी ट्रेनों की शुरुआत के बाद भारतीय रेलवे के अगले कदम के रूप में देखा जाता है।
  • प्रथम वंदे भारत ट्रेन का निर्माण इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई द्वारा 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपए  की लागत से किया गया था। 
  • वंदे भारत अलग लोकोमोटिव द्वारा संचालित यात्री कोचों की पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में ट्रेन सेट तकनीक (Train Set Technology) के अनुकूलन का भारत का पहला प्रयास था। 
    • हालाँकि ट्रेन सेट कॉन्फिगरेशन एक जटिल प्रक्रिया है लेकिन इसे बनाए रखना आसान है, यह कम ऊर्जा खपत के साथ ट्रेन संचालन में अधिक लचीली है।
  • वर्तमान में दो वंदे भारत एक्सप्रेस संचालन में हैं- पहली, नई दिल्ली और वाराणसी के बीच और दूसरी, नई दिल्ली से कटरा के बीच।
  • 400 नई ट्रेनों में ‘बेहतर दक्षता’ के लिये रेलवे इनमें से कई ट्रेनों को स्टील के बजाय एल्युमीनियम से बनाने पर विचार कर रहा है। 
    • वर्तमान वंदे भारत ट्रेन की तुलना में एल्युमीनियम बॉडी प्रत्येक ट्रेन सेट को लगभग 40-80 टन हल्का बना देगी यानी ऊर्जा की कम खपत के साथ-साथ बेहतर गति क्षमता प्राप्त होगी।

वंदे भारत ट्रेनों की विशेषताएँ:

  • विकास के चरण के दौरान वंदे भारत ट्रेन बिना लोकोमोटिव के संचालित होती हैं जो एक प्रणोदन प्रणाली पर आधारित होती हैं, इसे डिस्ट्रिब्यूटेड ट्रैक्शन पावर टेक्नोलॉजी (Distributed Traction Power Technology) कहा जाता है, जिसके द्वारा ट्रेन सेट  संचालित होता है।
  • इसके डिब्बों में ऑन-बोर्ड वाईफाई , जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, सीसीटीवी, सभी डिब्बों में स्वचालित दरवाज़े, घूमने वाली कुर्सियाँ और विमान में बायो-वैक्यूम प्रकार के शौचालय सहित यात्री सुविधाएँ शामिल हैं।
  • यह तेज़ त्वरण के कारण अधिकतम 160 किमी. प्रति घंटे की गति प्राप्त कर सकती है, जिससे यात्रा का समय 25% से 45% तक कम हो जाता है।
  • इसमें बेहतर ऊर्जा दक्षता हेतु बिजली के साथ एक ब्रेकिंग सिस्टम भी है जिससे यह लागत, ऊर्जा और पर्यावरण के अनुकूल हो जाती है।

महत्त्व:

  • तीन वर्षों में इन 400 ट्रेन सेट एवं उनके उपकरणों के निर्माण से 10,000-15,000 रोज़गारों का सृजन होगा।
  • देश के ‘रोलिंग स्टॉक’ उद्योग में लगभग 50,000 करोड़ रुपए का निवेश घटक निर्माण, आपूर्ति आदि से संबंधित क्षेत्रों को प्रोत्साहन देगा।
  • यह रेलवे की वित्त और परिचालन दक्षता में भी सुधार करेगा।

आगे की राह

  • भारतीय रेलवे उन्नत अगली पीढ़ी की ट्रेनों के साथ यात्रा के नए अनुभव से युक्त युग की ओर बढ़ रहा है। ऐसे समय में जब कम लागत वाली एयरलाइंस और सुगम सड़क नेटवर्क कड़ी प्रतिस्पर्द्धा की पेशकश कर रहे हैं, नई ट्रेनें रेलवे यातायात बनाए रखने और यहाँ तक ​​कि इसे बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
  • इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना का समय पर क्रियान्वयन और विभिन्न वर्गों की यात्रा की मांग को ध्यान में रखते हुए वंदे भारत परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी।

स्रोत- द हिंदू


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 फरवरी, 2022

लता मंगेशकर

भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित 92 वर्षीय लता मंगेशकर का कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद 6 फरवरी को निधन हो गया। लता दीनानाथ मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर प्रदत्त सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रही हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द पहचान मिल गई थी। लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फिल्मी गीतों के अतिरिक्त उन्होंने गैर-फिल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को वर्ष 1947 में तब पहचान मिली जब “आपकी सेवा में” फिल्म में उन्हें एक गीत गाने का मौका मिला। इस गीत के बाद तो उन्हें फिल्म जगत में एक पहचान मिल गई और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौका मिला। वर्ष 1949 में उनके द्वारा गाए गए “आएगा आने वाला”, गाने के बाद उनके प्रशंसकों की संख्या दिनों-दिन बढ़ने लगी। इस बीच उन्होंने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। वर्ष 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्होंने 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1972, 1974, 1990) और 12 बंगाल फिल्म पत्रकार संघ पुरस्कार (1964, 1967-1973, 1975, 1981, 1983, 1985) जीते। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिये चार फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते हैं। उन्हें वर्ष 1993 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

रथ सप्तमी

इस वर्ष रथ सप्तमी (Ratha Saptami) त्योहार 7 फरवरी, 2022 को मनाया जा रहा है। रथ सप्तमी एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो सूर्य देवता को समर्पित है। इसे रथ सप्तमी (Rath Saptami), अचला सप्तमी (Achla Saptami), माघ सप्तमी (Magh Saptami) और सूर्य जयंती (Surya Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में एक दिवसीय ब्रह्मोत्सव का आयोजन किया जाता है। रथ सप्तमी को सूर्य जयंती भी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य के जन्म का प्रतीक है और इसे माघ सप्तमी कहा जाता है क्योंकि यह हिंदू महीना माघ के सातवें दिन (सप्तमी) मनाई जाती है। रथ सप्तमी मौसम परिवर्तन (वसंत) और कटाई के मौसम की शुरुआत की भी प्रतीक है। रथ सप्तमी एक ऐसा त्योहार है जो सूचित करता है कि सूर्य उत्तरायण में मार्गक्रमण कर रहा है। उत्तरायण अर्थात् उत्तर दिशा से मार्गक्रमण करना। उत्तरायण यानी सूर्य उत्तर दिशा की ओर झुका होता है। 

अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-शुष्‍क उष्‍ण कटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान की 50वीं वर्षगाँठ

प्रधानमंत्री ने 05 फरवरी, 2022 को हैदराबाद के पतन्‍चेरू में अंतर्राष्‍ट्रीय अर्द्ध-शुष्‍क उष्‍ण कटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्‍थान के स्‍वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर देश में कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में सहायता के लिये वैज्ञानिकों और लोगों की संयुक्‍त भागीदारी पर बल दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान’ (International Crops Research Institute for the Semi-Arid Tropics-ICRISAT) एक गैर-लाभकारी, गैर-राजनीतिक संगठन है जो एशिया एवं उप-सहारा अफ्रीका के शुष्क इलाकों में कृषि के विकास हेतु अनुसंधान करता है। इसकी स्थापना 1972 में की गई तथा इसका मुख्यालय हैदराबाद, तेलंगाना राज्य में स्थित हैं। इसकी दो अन्य क्षेत्रीय शाखाएँ भी हैं जो नैरोबी (केन्या) और बमाको (माली) में स्थित हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-शुष्क उष्ण कटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान’ शुष्क जलवायु के लिये उपयुक्त छह अत्यधिक पौष्टिक फसलों पर शोध करता है, जिन्हें ‘स्मार्ट फूड’ भी कहा जाता है। जैसे- काबुली चना, अरहर, बाजरा, रागी, चारा और मूँगफली। वर्तमान वर्ष के बजट में उल्लिखित अमृत काल में देश उच्‍च कृषि विकास के साथ-साथ समग्र विकास पर भी ध्‍यान केंद्रित करेगा। कृषि क्षेत्र की महिलाओं को स्‍व-सहायता समूहों के माध्‍यम से सहायता उपलब्‍ध कराई जा रही है। कृषि क्षेत्र में बड़ी जनसंख्‍या को गरीबी से बाहर निकालने और उन्‍हें बेहतर जीवन प्रदान की क्षमता है। देश के किसानों को जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से बचाने के लिये सरकार ने अगले वर्ष के बजट में प्राकृतिक खेती व डिजिटल खेती पर ज़ोर दिया है क्योंकि डिजिटल खेती देश का भविष्‍य है। 

आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट विश्‍व कप

आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट विश्‍व कप के फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को 4 विकेट से हराकर अंडर-19 विश्व कप का खिताब अपने नाम कर लिया। यह भारत का पाँचवाँ अंडर-19 क्रिकेट विश्‍व कप खिताब है।  पूरे टूर्नामेंट में हर मैच जीतने वाली भारतीय टीम (India U-19 Team) ने फाइनल में भी जीत के इस क्रम को जारी रखा और इंग्लैंड को छोटे स्कोर वाले मुकाबले में 4 विकेट से हरा दिया। टूर्नामेंट के बीच में ही कोरोना वायरस संक्रमण की समस्या से उबरते हुए यश ढुल की टीम ने हर टीम को हराते हुए विश्व की सर्वश्रेष्ठ अंडर-19 टीम बनने का गौरव हासिल किया। आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट है जो विभिन्न देशों की अंडर-19 क्रिकेट टीमों के बीच खेला जाता है। पहली बार वर्ष 1988 में इसे यूथ वर्ल्ड कप के रूप में आयोजित किया गया था, उसके पश्चात् वर्ष 1998 तक इसका पुनः आयोजन नहीं किया गया। तब से आईसीसी द्वारा विश्व कप को द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया गया। टूर्नामेंट के पहले संस्करण में केवल आठ प्रतिभागी थे, लेकिन बाद के प्रत्येक संस्करण में 16 टीमें शामिल थीं। भारत ने रिकॉर्ड पाँच मौकों पर विश्व कप जीता है, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने तीन बार, पाकिस्तान ने दो बार और बांग्लादेश, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका एवं वेस्टइंडीज़ ने एक-एक बार विश्व कप जीता है। दो अन्य टीमें न्यूज़ीलैंड और श्रीलंका ने टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई है।