प्रारंभिक परीक्षा
मैग्नेटाइट प्रदूषण
हाल ही में कुछ भूवैज्ञानिकों ने कोलकाता में सड़क के किनारे की धूल में मैग्नेटाइट प्रदूषण की उपस्थिति पाई है।
- भारी वाहनों के आवागमन और अन्य प्रदूषणकारी स्रोतों वाले क्षेत्रों में प्रदूषकों की आवृत्ति अधिक होती है। मैग्नेटाइट की मात्रा सड़क पर यातायात के समानुपाती होती है।
मैग्नेटाइट प्रदूषण:
- परिचय:
- मैग्नेटाइट प्रदूषण पर्यावरण में मैग्नेटाइट (Fe3O4) नामक एक चुंबकीय खनिज की उपस्थिति को संदर्भित करता है, जो खनन, इस्पात उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसी मानवीय गतिविधियों का परिणाम है।
- मैग्नेटाइट आयरन का ऑक्साइड है। यह पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सभी खनिजों में सबसे अधिक चुंबकीय है। यह एक प्राकृतिक चुंबक है।
- मैग्नेटाइट में लगभग 72% धत्त्विक लोहा होता है। यह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, गोवा और केरल में पाया जाता है।
- मैग्नेटाइट प्रदूषण पर्यावरण में मैग्नेटाइट (Fe3O4) नामक एक चुंबकीय खनिज की उपस्थिति को संदर्भित करता है, जो खनन, इस्पात उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसी मानवीय गतिविधियों का परिणाम है।
- प्रभाव:
- पारिस्थितिक प्रभाव:
- चुंबकीय कण पक्षियों और अन्य जानवरों के प्रवासी पैटर्न में हस्तक्षेप कर सकते हैं, जिससे उनके अस्तित्त्व और प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- मृदा और जल संदूषण:
- मैग्नेटाइट कण मिट्टी और पानी में बस जमा हो सकते हैं, ये वातावरण को दूषित कर सकते हैं तथा पौधों के विकास एवं जलीय जीवों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
- मानव स्वास्थ्य:
- चुंबकीय कण श्वास द्वारा शरीर में प्रवेश करने से श्वसन संबंधी समस्याएँ और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की क्षति।
- भवन और बुनियादी ढाँचे की क्षति:
- स्टील की इमारतें और अन्य धातु की वस्तुएँ चुंबकीय कणों द्वारा जंग के प्रति अतिसंवेदनशील होती हैं, जो समय के साथ उन्हें नुकसान पहुँचा सकती हैं।
- विद्युत को उपकरणों को नुकसान:
- चुंबकीय प्रदूषण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे कम्पास और नेविगेशन सिस्टम के संचालन को भी प्रभावित कर सकता है।
- पारिस्थितिक प्रभाव:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) प्रश्न. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (Global Air Quality Guidelines- AQG) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से ये किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों कीआवश्यकता है? (मुख्य परीक्षा, 2021) |
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय गंगा बेसिन में भूजल कमी
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, "कई साक्ष्यों के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि भारतीय गंगा बेसिन में भूजल भंडारण में गिरावट का अनुमान लगाया गया है," यह बात प्रकाश में आई है कि गंगा बेसिन में भूजल भंडारण स्तर प्रतिवर्ष 2.6 सेंटीमीटर की दर से घट रहा है।
- गंगा बेसिन के जलभृत (Aquifers) दुनिया में भूजल के सबसे बड़े जलाशयों में से एक हैं।
निष्कर्ष:
- वर्ष 1996-2017 के मध्य औसत भूजल स्तर 2.6 सेमी. वर्ष−1 की दर से घट रहा है।
- ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (GRACE) से प्राप्त उपग्रह डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि प्रतिवर्ष 1.7 सेमी.−1 की औसत हानि हुई।
- वर्ष 2002 में लॉन्च किये गए ग्रेस उपग्रह, भूमि, बर्फ और समुद्र के ऊपर पृथ्वी के जलाशयों का आकलन करते हैं।
- उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में औसत भंडारण में गिरावट क्रमशः 2 सेमी. वर्ष−1, 1 सेमी. वर्ष−1 और 0.6 सेमी. वर्ष−1 होने का अनुमान लगाया गया था।
- ये प्रभाव राजस्थान, हरियाणा एवं दिल्ली में अधिक स्पष्ट थे, औसत भंडारण में क्रमशः लगभग 14 सेमी. वर्ष−1, 7.5 सेमी. वर्ष−1 और 7.2 सेमी. वर्ष−1 की गिरावट आई।
- कृषि प्रधान क्षेत्रों और दिल्ली तथा आगरा जैसे शहरी क्षेत्रों सहित पश्चिम एवं दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों को सर्वाधिक नुकसान हुआ।
- दिल्ली और हरियाणा में भूजल निकासी दर अधिक है, जो भारी गिरावट को संदर्भित करती है।
- ब्रह्मपुत्र बेसिन में गंगा और सिंधु बेसिन की तुलना में भूजल स्तर में अधिक कमी देखी गई है।
गंगा नदी प्रणाली:
- हिंदू इस नदी को विश्व की सबसे पवित्र नदी मानते हैं। पहाड़ों, घाटियों और मैदानों से बहती हुई यह भारत की सबसे लंबी नदी है, इसकी लंबाई 2,510 किलोमीटर है।
- गंगा बेसिन भारत, तिब्बत (चीन), नेपाल और बांग्लादेश में 10,86,000 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- भारत में यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को कवर करता है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 26% है।
- इसका उद्गम हिमालय में गंगोत्री हिमनद के हिम क्षेत्रों से होता है।
- इसके उद्गम स्थल पर इस नदी को भागीरथी कहा जाता है। यह देवप्रयाग घाटी से नीचे उतरती है जहाँ एक और पहाड़ी जलधारा अलकनंदा में शामिल होने के बाद गंगा कहलाती है।
- दाहिनी क्षेत्र से नदी में शामिल होने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना और सोन हैं।
- रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा बाईं ओर से इस नदी में मिलती हैं। चंबल तथा बेतवा दो अन्य महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं।
- गंगा नदी डॉल्फिन एक लुप्तप्राय जीव है जो विशेष रूप से इस नदी में पाई जाती है।
- गंगा बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र (जमुना) में मिलती है और आगे सभी जगह पद्मा के नाम से जानी जाती है।
- बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले यह बांग्लादेश के सुंदरबन दलदल में गंगा डेल्टा में चौड़ी हो जाती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। प्रश्न. भारत अलवणजल (फ्रैश वाटर) संसाधनों से सुसंपन्न है। समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये कि क्या कारण है कि भारत इसके बावजूद जलाभाव से ग्रसित है। (मुख्य परीक्षा- 2015) प्रश्न. "भारत में घटते भूजल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संचयन प्रणाली है"। इसे शहरी क्षेत्रों में कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है? (मुख्य परीक्षा- 2018) प्रश्न: नमामि गंगे और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) कार्यक्रमों और इससे पूर्व की योजनाओं से मिश्रित परिणामों के कारणों पर चर्चा कीजिये। गंगा नदी के परिरक्षण में कौन-सी प्रमात्रा छलांगें, क्रमिक योगदानों की अपेक्षा ज़्यादा सहायक हो सकती हैं? (मुख्य परीक्षा- 2015) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 फरवरी, 2023
इरुला जनजाति (Irula Tribe)
हाल ही में इरुला समुदाय के दो लोगों श्री वडिवेल गोपाल तथा श्री मासी सदाइयां को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसने इरुला स्नेक कैचर्स औद्योगिक सहकारी समिति (Industrial Cooperative Society) पर ध्यान केंद्रित किया है। यह औद्योगिक सहकारी समिति देश में प्रमुख साँप विष (एएसवी) उत्पादकों में से एक है। विशेषज्ञ साँप पकड़ने वाले श्री गोपाल और श्री सदाइयां इस सहकारी समिति का हिस्सा रहे हैं। इरुला विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) हैं, जो भारत के सबसे पुराने स्वदेशी समुदायों में से एक है। इरुला जनजाति तमिलनाडु के उत्तरी ज़िलों तिरुवलुर (बड़ी संख्या में), चेंगलपट्टू, कांचीपुरम, तिरुवान्नामलाई तथा केरल के वायनाड, इद्दुक्की, पलक्कड़ आदि ज़िलों में बड़ी संख्या में निवास करती है। इस जनजातीय समूह की उत्पत्ति दक्षिण-पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया के जातीय समूहों से हुई है। ये इरुला भाषा बोलते हैं जो कन्नड़ और तमिल की तरह द्रविड़ भाषा से संबंधित है। इरुला जनजाति के लोग पारंपरिक रूप से साँप और चूहे पकड़ते हैं लेकिन ये मज़दूरी भी करते हैं। अनुभव एवं सहज ज्ञान से आदिवासी लोग यह जानते हैं कि साँप कहाँ छिपते हैं। वे साँपों के निशान, गंध और मल के आधार पर भी उनका पता लगा सकते हैं।
बाल मित्र चैटबॉट
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR ) ने लोगों और आयोग के बीच संचार को सुगम बनाने हेतु 'बाल मित्र' नामक एक व्हाट्सएप चैटबॉट लॉन्च किया है। यह नागरिकों और आयोग को अधिक प्रभावी तरीके से बातचीत करने में मदद करेगा, साथ ही लोगों विशेषकर माता-पिता को उनके बच्चों के स्कूल में प्रवेश एवं शिक्षा से संबंधित मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य बच्चों तथा उनके अधिकारों से संबंधित विभिन्न मामलों पर प्रामाणिक जानकारी प्रदान करना और इसके माध्यम से रिपोर्ट किये गए मामलों की गोपनीयता सुनिश्चित करना है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में शिकायत पंजीकरण, जानकारी प्राप्त करना, शिकायत की स्थिति पर नज़र रखना शामिल हैं। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) का गठन बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत किया गया है। यह बाल अधिकारों के मामलों पर दिल्ली सरकार का वैधानिक प्रहरी है। DCPCR ने हाल ही में अर्ली वार्निंग सिस्टम लॉन्च किया है। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में ड्रॉपआउट दरों को कम करना है।
संत गुरु रविदास जयंती
संत गुरु रविदास की जयंती 05 फरवरी, 2023 को मनाई गई। गुरु रविदास जयंती माघ पूर्णिमा (हिंदू चंद्र कैलेंडर के माघ महीने में पूर्णिमा के दिन) पर मनाई जाती है। गुरु रविदास 15वीं शताब्दी के संत और भक्ति आंदोलन के प्रमुख सुधारकों में से थे, जिन्होंने एक ईश्वर में विश्वास एवं अपनी निष्पक्ष धार्मिक कविताओं के कारण ख्याति प्राप्त की। उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिये समर्पित कर दिया तथा ब्राह्मणवादी समाज की धारणा का खुले तौर पर तिरस्कार किया। उनकी लगभग 41 कविताओं को सिखों के धार्मिक ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में शामिल किया गया था।
और पढ़ें…गुरु रविदास जयंती
बृहस्पति सबसे अधिक चंद्रमाओं वाला ग्रह बना
खगोलविदों ने हाल ही में बृहस्पति के चारों ओर 12 नए चंद्रमाओं की खोज की, जिससे चंद्रमाओं की कुल संख्या बढ़कर 92 हो गई, जो हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह की सबसे बड़ी संख्या है (शनि के 83 चंद्रमा हैं)। चंद्रमाओं की खोज वर्ष 2021 और 2022 में हवाई तथा चिली में दूरबीनों का उपयोग करके की गई थी, इन्हें अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के माइनर प्लैनेट सेंटर की सूची में जोड़ा गया है (इन चंद्रमाओं का आकार 1-3 किलोमीटर तक है)। बृहस्पति के आगामी मिशनों में शामिल हैं- (a) बृहस्पति ग्रह और इसके कुछ सबसे बड़े, बर्फीले चंद्रमाओं का अध्ययन करने के लिये ESA का अंतरिक्षयान (2023 में), (b) बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा का पता लगाने के लिये नासा का यूरोपा क्लिपर जो इसके ज़मे हुए क्रस्ट के नीचे एक महासागर को आश्रय दे सकता है (2024 में)। नासा ने इससे पहले बृहस्पति ट्रोजन क्षुद्रग्रहों का पता लगाने के लिये मिशन लूसी लॉन्च किया था। बृहस्पति और शनि के अलावा यूरेनस के 27 चंद्रमा, नेपच्यून के 14, मंगल के 2 और पृथ्वी के 1 चंद्रमा की पुष्टि की गई है, जबकि शुक्र एवं बुध का कोई चंद्रमा नहीं है।
और पढ़ें… बृहस्पति और यूरोपा
मध्यम घनत्व वाली अक्रिस्टलीय बर्फ
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक नई तरह की बर्फ विकसित की है जो पानी के घनत्व और संरचना से मेल खाती है। बर्फ को मध्यम-घनत्व वाली अक्रिस्टलीय बर्फ कहा जाता है। नए संस्करण का उत्पादन करने के लिये -200 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर सेंटीमीटर-चौड़ी स्टेनलेस स्टील की गेंदों के साथ एक छोटे कंटेनर में बर्फ को नियमित हिलाकर इसका निर्माण किया गया। बर्फ एक सफेद दानेदार पाउडर के रूप में दिखाई देती है जो कि धातु के गोले से चिपक गई। जब पानी जमता है तो इसके अणु क्रिस्टलीकृत होते हैं और हेक्सागोनल, ठोस संरचना का निर्माण करते हैं जिसे बर्फ के रूप में जाना जाता है। बर्फ अपने तरल रूप से कम घनी होती है, जो कि क्रिस्टल के लिये असामान्य व्यवहार है। दबाव और जमने जैसी स्थितियों के आधार पर पानी कई अन्य नियमित व्यवस्थाओं में भी जम सकता है। हालाँकि अक्रिस्टलीय बर्फ अलग है क्योंकि इसमें ऐसा कोई क्रम नहीं है। इसलिये यह अध्ययन पानी के रहस्यमय गुणों का अध्ययन करने में मदद कर सकता है।