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लूसी मिशन : नासा

  • 11 Oct 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बृहस्पति ट्रोजन क्षुद्रग्रह, होमिनिन, बृहस्पति ग्रह

मेन्स के लिये:

लूसी मिशन का संक्षिप्त परिचय एवं इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) बृहस्पति ट्रोजन क्षुद्रग्रहों का पता लगाने के लिये पहला 'लूसी' (Lucy) मिशन लॉन्च करने के लिये तत्पर है।

Lucy-Mission

प्रमुख बिंदु

  • 'लूसी' मिशन:
    • अवधि:
      • सौर ऊर्जा द्वारा संचालित इस मिशन में 12 वर्ष से अधिक समय लगने का अनुमान है, जिसके दौरान अंतरिक्षयान 'युवा सौर मंडल' (Young Solar System) के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये लगभग 6.3 बिलियन किमी. की दूरी तय कर आठ क्षुद्रग्रहों का परिभ्रमण करेगा।
    • नाम और लॉन्च:
      • मिशन का नाम 3.2 मिलियन वर्षीय पूर्वज 'लूसी' के नाम पर रखा गया है, जो होमिनिन की एक प्रजाति (जिसमें मनुष्य और उनके पूर्वज शामिल हैं) से संबंधित थे। अंतरिक्षयान को एटलस वी 401( Atlas V 401) रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
    • क्षुद्रग्रह डोनाल्ड जॉनसन:
      • इस अंतरिक्षयान का पहला सामना एक क्षुद्रग्रह के साथ होगा जो मुख्य बेल्ट में स्थित है, यह मंगल और बृहस्पति के बीच पाया जा सकता है। इस क्षुद्रग्रह का नाम 'डोनाल्ड जॉनसन' रखा गया है, जिसने 'लूसी' के जीवाश्म अवशेषों की खोज की थी।
  • महत्त्व:
    • ऐसा माना जाता है कि ट्रोजन क्षुद्रग्रहों का निर्माण उसी सामग्री से हुआ था जिसके कारण लगभग 4 अरब साल पहले ग्रहों और सौरमंडल का निर्माण हुआ था।
    • इसलिये मिशन को विभिन्न क्षुद्रग्रहों की संरचना को समझने हेतु डिज़ाइन किया गया है जो ट्रोजन क्षुद्रग्रहों का एक हिस्सा है, इसका उपयोग सामग्री के द्रव्यमान और घनत्व को निर्धारित करने के लिये एवं ट्रोजन क्षुद्रग्रहों की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों एवं रिंग्स को देखने तथा उनका अध्ययन करने के लिये किया जाएगा।
    • उनके अध्ययन से वैज्ञानिकों को इसकी उत्पत्ति और विकास को समझने में मदद मिलेगी, साथ ही यह ऐसा क्यों दिखाई देता है, इस बात का पता लगाएगा।

क्षुद्रग्रह 

  • परिचय:
    • क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करने वाले चट्टानी पिंड हैं जो ग्रहों की तुलना में काफी छोटे होते हैं। इन्हें लघु ग्रह (Minor Planets) भी कहा जाता है।
  • श्रेणियाँ:
    • क्षुद्रग्रहों की मुख्य बेल्ट:
      • पहली श्रेणी में वे क्षुद्रग्रह आते हैं जो मंगल तथा बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट/पट्टी में पाए जाते हैं। अनुमानतः इस बेल्ट में 1.1-1.9 मिलियन तक क्षुद्रग्रह मौजूद हैं। 
    • ट्रोजन्स
      • दूसरी श्रेणी के तहत ट्रोजन्स को शामिल किया गया है। ट्रोजन्स ऐसे क्षुद्रग्रह हैं जो एक बड़े ग्रह के साथ कक्षा (Orbit) साझा करते हैं। 
      • नासा ने बृहस्पति, नेपच्यून और मार्स ग्रहों के ट्रोजन क्षुद्रग्रहों की जानकारी दी है। वर्ष 2011 में नासा ने पृथ्वी के ट्रोजन क्षुद्रग्रह की भी सूचना दी थी।
      • बृहस्पति के क्षुद्रग्रहों को “झुंड” के रूप में संदर्भित किया जा सकता है जो सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के साथ बृहस्पति ग्रह का नेतृत्व और अनुसरण करते हैं। 
        • ‘लूसी’ अगस्त 2027 तक बृहस्पति की कक्षा में पहुँचने से पूर्व इन क्षुद्रग्रहों के समूह में पहुँच जाएगा।
      • इन क्षुद्रग्रहों को प्रारंभिक सौरमंडल के अवशेष माना जाता है।
    • नियर-अर्थ क्षुद्रग्रह:
      • इसमें नियर-अर्थ क्षुद्रग्रह (NEA) शामिल होते हैं, जिनकी कक्षा पृथ्वी के पास से गुज़रती हैं। वे क्षुद्रग्रह जो पृथ्वी की कक्षा को पार करते हैं उन्हें अर्थ -क्रॉसर्स कहा जाता है।
      • अब तक कुल 10,000 से अधिक नियर-अर्थ क्षुद्रग्रहों के बारे में सूचना प्राप्त हुई है, जिनमें से 1,400 से अधिक को ‘संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह’ (PHA) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

बृहस्पति

  • सूर्य से पाँचवीं पंक्ति में बृहस्पति, सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है जो अन्य सभी ग्रहों के मुकाबले दोगुने से अधिक बड़ा है।
  • बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून को जोवियन ग्रह या गैसीय विशालकाय ग्रह कहा जाता है। इनमें वायुमंडल की मोटी परत पाई जाती है जिसमें ज़्यादातर हीलियम और हाइड्रोजन गैस होती है।
  • बृहस्पति लगभग हर 10 घंटे में एक बार घूर्णन (एक जोवियन दिवस) करता है, परंतु सूर्य की परिक्रमा (एक जोवियन वर्ष) करने में इसे लगभग 12 वर्ष लगते हैं। बृहस्पति के 75 से अधिक चंद्रमा हैं।
  • बृहस्पति के प्रमुख चंद्रमाओं को आयो, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो नाम दिया गया है।
  • वर्ष 1979 में वॉयजर मिशन ने बृहस्पति की धुँधली वलय प्रणाली की खोज की। नौ अंतरिक्षयानों को बृहस्पति पर भेजा जा चुका है। सबसे बाद में जूनो वर्ष 2016 में बृहस्पति पर पहुँचा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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