स्वर धरोहर महोत्सव
हाल ही में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने "स्वर धरोहर फाउंडेशन" के सहयोग से कलांजलि के तहत तीन दिवसीय "स्वर धरोहर महोत्सव" का उद्घाटन किया।
- कलांजलि के तहत सेंट्रल विस्टा में प्रति सप्ताह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
स्वर धरोहर महोत्सव:
- यह भारत की प्रतिष्ठित कला एवं संस्कृति और भारतीय राज्यों की समृद्ध साहित्यिक कला तथा विरासत को प्रदर्शित करने हेतु संगीत, कला और साहित्य महोत्सव है।
- इस कार्यक्रम में आने वाले स्थानीय कलाकार बड़े एवं प्रसिद्ध कलाकारों के साथ एक ही मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
- इसमें कवि सम्मेलन के माध्यम से राष्ट्रीय और स्थानीय कवि अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
स्रोत: पी.आई.बी
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
चर्चा में क्यों?
भारत के राष्ट्रपति द्वारा 3 दिसंबर, 2022 को राष्ट्रपति भवन में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद:
- जन्म:
- इनका जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सिवान ज़िले के जीरादेई में हुआ था। इनके पिता महादेव सहाय थे।
- शिक्षा:
- उन्होंने वर्ष 1902 में प्रसिद्ध कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।
- वर्ष 1915 में प्रसाद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के विधि विभाग से मास्टर इन लॉ की परीक्षा उत्तीर्ण की और स्वर्ण पदक जीता।
- वर्ष 1916 में उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में अपना कानूनी कॅरियर शुरू किया। उन्होंने वर्ष 1937 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- गांधीजी के साथ संबंध:
- जब गांधीजी स्थानीय किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये बिहार के चंपारण ज़िले में एक तथ्यान्वेषी मिशन पर थे, तब उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्वयंसेवकों के साथ चंपारण आने का आह्वान किया।
- गांधीजी के प्रभाव ने उनके कई विचारों को परिवर्तित किया, सबसे महत्त्वपूर्ण जाति और अस्पृश्यता संबंधी विचार था।
- चंपारण सत्याग्रह के दौरान वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए इसके उपरांत उनका संपूर्ण जीवनदर्शन ही बदल गया।
- वर्ष 1918 के रॉलेट एक्ट और वर्ष 1919 के जलियांँवाला बाग हत्याकांड ने राजेंद्र प्रसाद को गांधीजी के और करीब ला दिया।
- जब गांधीजी स्थानीय किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये बिहार के चंपारण ज़िले में एक तथ्यान्वेषी मिशन पर थे, तब उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्वयंसेवकों के साथ चंपारण आने का आह्वान किया।
- असहयोग का आह्वान:
- डॉ. प्रसाद ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन के तहत बिहार में असहयोग का आह्वान किया।
- नेशनल कॉलेज:
- उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़ दी और वर्ष 1921 में पटना में एक नेशनल कॉलेज शुरु किया।
- नमक सत्याग्रह:
- मार्च 1930 में, गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया। डॉ. प्रसाद के नेतृत्त्व में बिहार के नखास तालाब में नमक सत्याग्रह चलाया गया।
- नमक बनाते समय स्वयंसेवकों के अनेक दलों की गिरफ्तारी हुई। तब उन्होंने और स्वयंसेवकों को बुलाया।
- जनमत ने सरकार को पुलिस को वापस लेने और स्वयंसेवकों को नमक बनाने की अनुमति देने के लिये मज़बूर किया।
- इसके बाद उन्होंने फंड जुटाने के लिये तैयार किये गए नमक बेच दिया था। उन्हें छह महीने के कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
- मार्च 1930 में, गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया। डॉ. प्रसाद के नेतृत्त्व में बिहार के नखास तालाब में नमक सत्याग्रह चलाया गया।
- गांधीजी के साथ संबंध:
- डॉ. प्रसाद और भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस:
- वह आधिकारिक तौर पर वर्ष 1911 में कलकत्ता में आयोजित अपने वार्षिक सत्र के दौरान भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस में शामिल हो गए।
- उन्होंने अक्टूबर 1934 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन की अध्यक्षता की।
- अप्रैल 1939 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा काॅन्ग्रेस के अध्यक्ष पद से के इस्तीफे के बाद वे दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए।
- वर्ष 1946 में, वे पंडित जवाहरलाल नेहरु की अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में शामिल हुए और “अधिक अन्न उगाओ” का नारा दिया।
- डॉ. प्रसाद और संविधान सभा:
- जुलाई 1946 में, जब भारत के संविधान को बनाने के लिये संविधान सभा की स्थापना की गई, तो उन्हें इसका अध्यक्ष चुना गया।
- डॉ. प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा की समितियों में शामिल हैं:
- राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समिति
- प्रक्रियाे नियम समिति
- वित्त और कर्मचारी समिति
- संचालन समिति
- आजादी के ढाई साल बाद 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के संविधान की पुष्टि हुई और उन्हें भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया।
- पुरस्कार और कृतित्त्व:
- 1962 में, राष्ट्रपति के रूप में 12 वर्ष के बाद, डॉ. प्रसाद सेवानिवृत्त हुए, और बाद में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- डॉ प्रसाद ने अपने जीवन और स्वतंत्रता से पहले के दशकों को कई पुस्तकों में दर्ज किया, जिनमें शामिल हैं:
- चंपारण में सत्याग्रह
- इंडिया डिवाइडेड
- उनकी आत्मकथा "आत्मकथा"
- महात्मा गांधी और बिहार, कुछ यादें
- बापू के कदमों में
- मृत्यु:
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सेवानिवृत्ति में अपने जीवन के अंतिम कुछ महीने पटना के सदाकत आश्रम में बिताए।
- 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया
स्रोत:टाइम्स ऑफ इंडिया
काज़ीरंगा परियोजना पर भारत- फ्राँस साझेदारी
भारत और फ्राॅन्स काज़ीरंगा परियोजना पर सहयोग कर रहे हैं।
- फ्राॅन्स के एजेन्स फ्रैंकाइस डी डेवेलोपेमेंट (AFD) ने वर्ष 2014-2024 के बीच 10 वर्ष साल की अवधि के लिये 80.2 मिलियन यूरो का वित्त पोषण किया है।
काज़ीरंगा परियोजना:
- काज़ीरंगा परियोजना वन और जैव विविधता संरक्षण (APFBC) इस परियोजना का एक हिस्सा है।
- असम सरकार ने AFD के समर्थन से वर्ष 2012 में वन पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने, वन्यजीवों की रक्षा करने और वन-निर्भर समुदायों की आजीविका बढ़ाने के लिये APFBC की शुरू किया।
- इस परियोजना ने वर्ष 2024 तक 33,500 हेक्टेयर भूमि के पुनर्वनीकरण और वैकल्पिक आजीविका में 10,000 समुदाय के सदस्यों के प्रशिक्षण की अवधारणा की।
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- अवस्थिति: यह असम राज्य में स्थित है और 42,996 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।
- यह ब्रह्मपुत्र घाटी बाढ़ के मैदान में एकमात्र सबसे बड़ा अविभाजित और प्रतिनिधि क्षेत्र है।
- वैधानिक स्थिति:
- इस उद्यान को वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- इसे वर्ष 2007 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय स्थिति:
- इसे वर्ष 1985 में यूनेस्को की विश्व धरोहर घोषित किया गया था।
- इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है।
- जैव विविधता:
- विश्व में सर्वाधिक एक सींग वाले गैंडे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं।
- गैंडो की संख्या के मामले में असम के काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बाद पोबितोरा (Pobitora) वन्यजीव अभयारण्य का दूसरा स्थान है, जबकि पोबितोरा अभयारण्य विश्व में गैंडों की उच्चतम जनसंख्या घनत्व वाला अभयारण्य है।
- काज़ीरंगा में संरक्षण प्रयासों का अधिकांश ध्यान 'चार बड़ी ' प्रजातियों- राइनो, हाथी, रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई जल भैंस पर केंद्रित है।
- वर्ष 2018 की जनगणना में 2,413 गैंडे और लगभग 1,100 हाथी थे।
- वर्ष 2014 में आयोजित बाघ जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, काज़ीरंगा में अनुमानित 103 बाघ थे, उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (215) और कर्नाटक में बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान (120) के बाद भारत में यह तीसरी सबसे बड़ी आबादी है।
- काज़ीरंगा में भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले प्राइमेट्स की 14 प्रजातियों में से 9 का निवास भी है।
- विश्व में सर्वाधिक एक सींग वाले गैंडे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं।
- नदियाँ और राजमार्ग:
- इस उद्यान क्षेत्र से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-37 गुज़रता है।
- उद्यान में लगभग 250 से अधिक मौसमी जल निकाय (Water Bodies) हैं, इसके अलावा डिपहोलू नदी (Dipholu River ) इससे होकर गुज़रती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013) राष्ट्रीय उद्यान पार्क से बहने वाली नदी
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) व्याख्या:
अत: विकल्प (d) सही उत्तर है। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जे. सी. बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक
हाल ही में संस्कृति मंत्रालय ने जे. सी. बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक के योगदान पर उनकी 164 वीं जयंती पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।
जगदीश चंद्र बोस:
- परिचय:
- इनका जन्म 30 नवंबर, 1858 को बंगाल में हुआ था। इनकी माता बामा सुंदरी बोस और पिता भगवान चंद्र थे।
- वह एक प्लांट फिजियोलॉजिस्ट और भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने पौधों की वृद्धि को मापने के लिये एक उपकरण क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया था। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि पौधों में भावनाएँ होती हैं।
- शिक्षा:
- उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से बीएससी, जो वर्ष 1883 में लंदन विश्वविद्यालय से संबद्ध था और वर्ष 1884 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से बीए (प्राकृतिक विज्ञान ट्राइपोस) किया था।
- वैज्ञानिक योगदान:
- आचार्य जगदीश चंद्र बोस एक जीव-विज्ञानी, भौतिक विज्ञानी, वनस्पतिशास्त्री और साइंस फिक्शन के लेखक थे।
- बोस ने वायरलेस संचार की खोज की और उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग द्वारा रेडियो साइंस का पिता के रूप में नामित किया गया।
- वह भारत में प्रयोगात्मक विज्ञान के विस्तार के लिये उत्तरदायी थे।
- बोस को बंगाली साइंस फिक्शन का जनक माना जाता है। उनके सम्मान में चंद्रमा पर एक क्रेटर का नाम रखा गया है।
- उन्होंने बोस इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जो भारत का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है और इसके सबसे पुराने में से एक है। वर्ष 1917 में स्थापित, संस्थान एशिया में पहला अंतःविषय अनुसंधान केंद्र था। उन्होंने बोस संस्थान की स्थापना से लेकर अपनी मृत्यु तक निदेशक के रूप में कार्य किया।
- अपने शोध को सुविधाजनक बनाने के लिये, उन्होंने स्वचालित रिकॉर्डर का निर्माण किया जो अत्यंत मामूली गति को दर्ज करने में सक्षम थे, इन उपकरणों ने कुछ आश्चर्यजनक परिणाम उत्पन्न किये, जैसे कि घायल पौधों का कांँपना, जिसे बोस ने पौधों में महसूस करने की शक्ति के रूप में व्याख्यायित किया।
- पुस्तक:
- उनकी पुस्तकों में रिस्पांस इन द लिविंग एंड नॉन-लिविंग (1902) और द नर्वस मैकेनिज़्म ऑफ प्लांट्स (1926) शामिल हैं।
- मृत्यु:
- उनका निधन 23 नवंबर 1937 को गिरिडीह, बिहार में हुआ।
स्रोत: पी.आई.बी
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 दिसंबर, 2022
कर्मचारी राज्य बीमा निगम की 189वीं बैठक
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा 3 से 4 दिसंबर, 2022 को कर्मचारी राज्य बीमा निगम के उद्देश्य 'निर्माण से शक्ति' पहल के तहत इसके बुनियादी ढाँचे का उन्नयन और आधुनिकीकरण करना- को स्पष्ट करते हुए कर्मचारी राज्य बीमा निगम की 189वीं बैठक का सफल आयोजन नई दिल्ली में स्थित इसके मुख्यालय में किया गया। कर्मचारी राज्य बीमा योजना के दायरे में आने वाले बीमाकृत श्रमिकों और उनके आश्रितों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि को देखते हुए संबद्ध मंत्रालय ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम को बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने पर ज़ोर देने का निर्देश दिया। कर्मचारी राज्य बीमा निगम की बैठक के दौरान निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कार्यसूची मदों पर विचार किया गया, जो चिकित्सा एवं हितलाभ सेवा वितरण तत्रों को बेहतर बनाने में मदद करेगा और कर्मचारी राज्य बीमा योजना के दायरे में आने वाले बीमाकृत श्रमिकों की बढ़ती संख्या के प्रबंधन के लिये कर्मचारी राज्य बीमा निगम के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करेगा:- कर्मचारी राज्य बीमा निगम, श्यामलीबाजार, अगरतला, त्रिपुरा में 100 बिस्तरों वाला नया अस्पताल और इडुक्की, केरल में 100 बिस्तरों वाले अस्पताल की स्थापना का निर्णय, वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये कर्मचारी राज्य बीमा निगम के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे और वार्षिक रिपोर्ट को मंज़ूरी।
भारतीय नौसेना दिवस
वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ऑपरेशन ट्राइडेंट में भारतीय नौसेना के जवाबी हमले को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 4 दिसंबर को ‘भारतीय नौसेना दिवस’ मनाया जाता है। ऑपरेशन ट्राइडेंट वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कराची बंदरगाह पर भारतीय नौसेना द्वारा किया गया जवाबी हमला था जिसमे भारत ने पहली बार एंटी-शिप मिसाइलों का इस्तेमाल किया और पाकिस्तानी विध्वंसक जहाज़ ‘पीएनएस खैबर’ को नष्ट कर दिया था।भारतीय नौसेना की स्थापना वर्ष 1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के उद्देश्य से की गई थी, जिसे स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1950 में पुनर्गठित किया गया। भारतीय नौसेना की अध्यक्षता सर्वोच्च कमांडर के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं। इसका आदर्श वाक्य है- ‘शं नो वरुणः’ अर्थात् ‘जल के देवता वरुण हमारे लिये शुभ हों।’ वर्ष 2022 के लिये नौसेना दिवस की थीम "स्वर्णिम विजय वर्ष" है।
‘इंडिया: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ पुस्तक
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘इंडियाः दी मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ का विमोचन किया। इस पुस्तक का उद्देश्य प्राचीन काल से भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार को प्रदर्शित करना है, जिसमे 30 विभिन्न लेखकों द्वारा लिखे गए 30 लेख हैं। लेखकों में प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद् वसंत शिंदे, पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव लोचन, जम्मू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जिगर मोहम्मद और सिक्किम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वीनू पंत शामिल हैं। इस पुस्तक की शुरुआत दुनिया की सबसे पहली लोकतांत्रिक प्रणाली हड़प्पा सभ्यता के लेख से होती है। इस पुस्तक में 6 भाग है: 1. पुरातत्व, साहित्य, मुद्राशास्त्र और पुरालेख। 2. गण, महाजनपद, राज्य। 3. भक्ति और संप्रदाय: लोकतांत्रिक परंपराओं की कल्पना। 4. प्रजातांत्रिक वादों का प्रस्फुटनः जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म। 5. लोक: जनजाति और खाप। 6. लोकतंत्र के लोकाचार का पता लगाना: मानवता और उपनिवेशवाद।