प्रारंभिक परीक्षा
टोमैटो चिली और कन्नडिप्पया को GI टैग
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
तेलंगाना के वारंगल चपाता मिर्च (टोमैटो चिली) और केरल के आदिवासी हस्तशिल्प कन्नडिप्पया को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किया गया है, जिससे भारत की GI रजिस्ट्री और समृद्ध हुई है, जिसमें अब 600 से अधिक उत्पाद सूचीबद्ध हैं।
भौगोलिक संकेत (GI) टैग
- परिचय: GI टैग एक नाम या चिह्न होता है जिसका उपयोग कुछ उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या उत्पत्ति से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ता या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल किये जाने से भी बचाता है।
- पंजीकृत GI 10 वर्षों के लिये वैध होता है और इसे नवीनीकृत किया जा सकता है।
- GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग द्वारा की जाती है।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ता या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- कानूनी ढाँचा:
वारंगल चपाता मिर्च के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह तेलंगाना का 18वाँ GI-टैग वाला उत्पाद है और बंगनापल्ली आम और तंदूर लाल ग्राम के बाद तीसरा कृषि GI टैग वाला उत्पाद है।
- विशेषताएँ: यह अपने चमकीले लाल रंग और गोल टमाटर जैसी आकृति के लिये जाना जाता है।
- यह मिर्च कम तीखी होती है, लेकिन अपने कैप्सिकम ओलियोरेसिन (oleoresin) गुणों (एंटी-ओबेसोजेनिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण) के कारण इसका रंग चमकीला लाल होता है और इसका स्वाद भी भरपूर होता है।
- प्रकार: यह तीन प्रकार के फलों में पाया जाता है: सिंगल पैटी, डबल पैटी और ओडालू।
- खेती: वारंगल चपाता की खेती जम्मीकुंटा मंडल के नगरम गाँवों में 80 वर्षों से अधिक समय से की जा रही है, जबकि नादिकुडा गाँव और मंडल इसका सबसे पुराना स्रोत हो सकता है।
- इसकी विशिष्ट विशेषताओं का श्रेय इस क्षेत्र की लाल और काली मृदा को दिया जा सकता है।
- इस क्षेत्र की विशिष्ट मृदा, जल और मौसम के कारण इस फसल को अन्यत्र उगाना कठिन है।
कन्नडिप्पया से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: इस मान्यता के साथ कन्नडिप्पया GI टैग प्रदत्त केरल का पहला जनजातीय हस्तशिल्प उत्पाद बन गया है।
- उत्पत्ति: यह शिल्प मुख्य रूप से ओराली, मन्नान, मुथुवा, मलायन और कादर जनजातीय समुदायों और इडुक्की, त्रिशूर, एर्नाकुलम और पलक्कड़ ज़िलों में उल्लादान, मलयारायन और हिल पुलाया शिल्पकारों द्वारा संरक्षित है।
- अतीत में, जनजातीय समुदायों द्वारा कन्नडिप्पया को सम्मान के प्रतीक के रूप में राजाओं को भेंट किया जाता था।
- मुख्य विशेषताएँ: इस उत्पाद का नाम, जिसका शाब्दिक अर्थ मिरर मैट है, इसके अद्वितीय परावर्तक पैटर्न से लिया गया है।
- यह मैट रीड बाँस (Teinostachyum wightii) की नरम परतों से बनाई गई है, यह मैट अपने अनूठे गुणों के लिये जानी जाती है, जैसे सर्दियों के दौरान गर्मी प्रदान करना और गर्मियों में शीतलता प्रदान करना।
हाल ही में GI टैग प्राप्त अन्य उत्पाद कौन-से हैं?
उत्पाद |
राज्य |
वर्ष |
तथ्य |
बनारस ठंडाई |
उत्तर प्रदेश। |
वर्ष 2024 |
वाराणसी से संबंधित पारंपरिक मसालेदार पेय। |
असम बिहू ढोल |
असम |
वर्ष 2024 |
पारंपरिक ढोल जो बिहू उत्सव का अभिन्न अंग है। |
कस्ती धनिया |
महाराष्ट्र |
वर्ष 2023 |
विशिष्ट सुगंध और स्वाद के लिये लोकप्रिय |
कोरापुट काला जीरा चावल |
ओडिशा |
वर्ष 2023 |
सुगंधित काले धान चावल, जिसे प्रायः 'प्रिंस ऑफ राइस' कहा जाता है। |
उत्तराखंड लाल चावल |
उत्तराखंड |
वर्ष 2023 |
हाई एल्टीट्यूड वाला चावल अपने पोषण संबंधी लाभों और विशिष्ट सुगंध के लिये जाना जाता है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेतक' का दर्जा प्रदान किया गया है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018) (a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
चंद्रयान-3 चैस्ट
स्रोत: द हिंदू
भारत के चंद्रयान-3 मिशन का चैस्ट (चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरीमेंट) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट उपसतह तापमान को सफलतापूर्वक मापने वाला पहला उपकरण बन गया।
- अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की सफल चंद्र लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर द्वारा चैस्ट को तैनात किया गया था।
- चैस्ट जाँच में 10 तापमान सेंसर लगे हैं जो इसकी सुई के साथ 1 सेमी की दूरी पर स्थित हैं तथा इसमें हथौड़ा चलाने की बजाय घूर्णन आधारित तैनाती तंत्र है।
- यान सफलतापूर्वक चंद्र सतह में 10 सेमी तक उतरा और सितंबर 2023 तक तापीय डाटा एकत्र किया।
- आंकड़ों से पता चला कि दक्षिणी ध्रुव के पास पहले से अनुमानित मात्रा से अधिक जल बर्फ की उपस्थिति है, जो भविष्य के चंद्र मिशनों के लिये एक महत्त्वपूर्ण खोज है।
- चेस्ट की सफलता का श्रेय इसके घूर्णनशील जाँच तंत्र को दिया गया, जो पहले के मिशनों में प्रयुक्त हैमरिंग तकनीक की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हुआ।
- पिछले मिशन: ESA का फिले लैंडर (2014) धूमकेतु 67P पर असुविधाजनक लैंडिंग के कारण MUPUS (सतह और उपसतह विज्ञान के लिये बहुउद्देशीय सेंसर) थर्मल जाँच को तैनात नहीं कर सका।
- मंगल ग्रह पर नासा का इनसाइट (2018) भी हीट फ्लो और फिज़िकल प्रॉपर्टीज पैकेज (HP3) उपकरण के साथ यांत्रिक समस्याओं के कारण उपसतह डाटा एकत्र करने में विफल रहा।
और पढ़ें: चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा
रैपिड फायर
यूफेआ वायनाडेन्सी
स्रोत: द हिंदू
केरल के पश्चिमी घाट के वायनाड क्षेत्र में एक नई डैमसेल्फ्लाई (कीट) प्रजाति (Euphaea wayanadensis) की खोज की गई है, जो भारत के जैवविविधता रिकॉर्ड में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति है।
- वैज्ञानिक महत्त्व: यह प्रजाति केरल की 191वीं ओडोनेट प्रजाति और पश्चिमी घाट में 223वीं दर्ज प्रजाति है।
- विशिष्ट विशेषताएँ: पश्च-पंखों पर लंबा काला धब्बा (विशेष रूप से नर में), इसे दृष्टिगत रूप से विशिष्ट बनाता है।
- नर डैमसेल्फ्लाई के थोरेक्स भाग में चौड़ी और एकसमान ह्यूमरल एवं एंटीह्यूमरल धारियाँ इसकी पहचान है।
- आवास संबंधी प्राथमिकताएँ: यह प्रजाति सदाबहार और अर्द्ध-सदाबहार वनों से घिरे क्षेत्रों में जलीय वनस्पति के साथ तेज बहने वाली शैल धाराओं को पसंद करती है।
- शुष्क मौसम (मार्च-अप्रैल) को छोड़कर वर्ष भर पाया जाने वाला यह पक्षी अत्यधिक सीमित वितरण वाला है, जिसके कारण संरक्षण उपायों की आवश्यकता है।
और पढ़ें: प्लैटिगोम्फस बेनरिटेरम
रैपिड फायर
डेनमार्क द्वारा ग्रीनलैंड की संप्रभुता की पुष्टि
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने ग्रीनलैंड पर कब्ज़े के संबंध में अमेरिका द्वारा प्रस्तावित सुझावों को अस्वीकार कर दिया और यह स्पष्ट किया कि ऐसी कार्रवाई, भले ही इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से उचित माना जाए, फिर भी अस्वीकार्य है।
- ग्रीनलैंड अमेरिका के लिये सामरिक महत्त्व रखता है, क्योंकि यहाँ पिटफिक अंतरिक्ष बेस है, जो मिसाइल रक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है तथा उत्तरी अमेरिका और यूरोप के बीच सबसे छोटे मार्ग पर स्थित है।
- ग्रीनलैंड के समृद्ध खनिज संसाधन, जिनमें दुर्लभ मृदा खनिज भी शामिल हैं, अमेरिका की रुचि को आकर्षित करते हैं।
- ग्रीनलैंड: यह विश्व का सबसे बड़ा द्वीप है, जो उत्तरी अमेरिका और यूरोप के बीच उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है।
- इसमें वॉटकिंस रेंज और स्टॉनिंग आल्प्स जैसी प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ और बोर्ग्लम और मेजरक जैसी नदियाँ हैं।
- इसकी जलवायु आर्कटिक है, जिसमें 80% से अधिक बर्फ (4 किमी. मोटी) है, कठोर शीत ऋतु (-50 डिग्री सेल्सियस), लघु ग्रीष्म ऋतु (10-15 डिग्री सेल्सियस) और 2 महीने तक लगातार दिन का प्रकाश रहता है।
- यह डेनमार्क साम्राज्य के तहत एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में कार्य करता है, जिसमें स्वशासन और अपनी संसद (इनत्सिसर्टुत ) है।
रैपिड फायर
श्री हरिचंद ठाकुर की जयंती
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री ने श्री हरिचंद ठाकुर (1812-1878) को उनकी 214वीं जयंती (27 मार्च 2025) पर श्रद्धांजलि अर्पित की और मतुआ धर्म महा मेला 2025 के लिये शुभकामनाएँ दीं।
- हरिचंद ठाकुर: हरिचंद बंगाल के समाज सुधारक थे, जिन्होंने नामशूद्र (मतुआ) संप्रदाय की स्थापना की, जो जाति उत्पीड़न का विरोध करने वाला एक सुधारवादी वैष्णव आंदोलन था, जिसने नामशूद्र, माली और तेली जैसे उपांतिकृत समुदायों को आकर्षित किया।
- इनका जन्म बांग्लादेश के ओरकांडी में एक अनुसूचित जाति (SC) किसान परिवार में हुआ था। वह विष्णु/कृष्ण के अवतार के रूप में लोगों के लिये श्रद्धेय थे।
- उनके पुत्र गुरुचंद ठाकुर ने बाद में मिशनरी सेसिल सिलास मीड के साथ मिलकर चांडालों (निम्न जाति) को नामशूद्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने का कार्य किया।
- मतुआ: यह एक सामाजिक-धार्मिक समूह है जो मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से है, जिनमें से अनेक व्यक्तियों ने वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण ली।
- पश्चिम बंगाल की कुल अनुसूचित जाति आबादी में 17.4% मतुआ समुदाय से है, जो राजबंशियों के बाद दूसरा सबसे बड़ा समूह है।
- मतुआ धर्म महा मेला उनकी विरासत का प्रतीक है। इस समुदाय ने CAA अधिनियम के कार्यान्वयन को स्वीकार कर लिया है।
और पढ़ें: मतुआ समुदाय
रैपिड फायर
ऑडिबल एन्क्लेव और PAL प्रौद्योगिकी
स्रोत: द हिंदू
ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य होती हैं, जो संपीडन और विरलन के माध्यम से प्रसारित होती हैं, लेकिन वे विवर्तन के कारण भी संचरित होती हैं, जिससे प्रसार होता है (जो आवृत्ति के साथ बढ़ता है), जिससे शोर भरे वातावरण में किसी विशिष्ट व्यक्ति तक सटीक ध्वनि वितरण कठिन हो जाता है।
- हालाँकि, ऑडिबल एन्क्लेव और पैरामीट्रिक ऐरे लाउडस्पीकर (PAL) ध्वनि को संकीर्ण किरणों में केंद्रित करके इस समस्या का समाधान करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल लक्षित श्रोता ही इसे सुन सके।
- ऑडिबल एन्क्लेव (AE): ये दो उच्च आवृत्ति तरंगों का उपयोग करके निर्मित ध्वनि के केंद्रित क्षेत्र हैं, जो अलग-अलग रूप से अश्रव्य होते हैं, लेकिन अरैखिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विशिष्ट स्थानों पर श्रव्य ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
- इससे बाहरी व्यवधान के बिना सटीक ध्वनि वितरण सुनिश्चित होता है, गोपनीयता और अनुकूलन में वृद्धि होती है।
- PAL: PAL एक उच्च दिशात्मक ध्वनि किरण बनाने के लिये ऑडियो सिग्नल के साथ संयोजित उच्च आवृत्ति वाली अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल लक्षित श्रोता ही ऑडियो सुन सकें।
- वायु में सेल्फ विमॉड्यूलेट होकर वे अवांछित प्रसार को रोकते हुए केंद्रित ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
- PAL और AE के अनुप्रयोग: PAL और AE का उपयोग संग्रहालयों, खुदरा व्यापार, सार्वजनिक घोषणाओं, मनोरंजन, सहायक प्रौद्योगिकी और सुरक्षा में किया जाता है, तथा ये आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित किए बिना सटीक ऑडियो प्रदान करते हैं।
रैपिड फायर
NITI NCAER राज्य आर्थिक मंच पोर्टल
स्रोत: इकोनाॅमिक टाइम्स
केंद्रीय वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (NCAER) के सहयोग से नीति आयोग द्वारा विकसित "नीति NCAER राज्य आर्थिक मंच" पोर्टल लॉन्च किया है।
- NITI NCAER राज्य आर्थिक मंच पोर्टल: यह पोर्टल भारतीय राज्यों के संदर्भ में 30 वर्षों (वर्ष 1990-91 से 2022-23) के आँकड़ों का एक व्यापक भंडार है जिसमें जनसांख्यिकी, अर्थव्यवस्था, राजकोषीय संकेतक, स्वास्थ्य, शिक्षा और राज्य वित्त पर विशेषज्ञ अनुसंधान शामिल हैं।
पोर्टल के 4 मुख्य घटक:
- राज्य रिपोर्ट: इससे 28 राज्यों के वृहद और राजकोषीय परिदृश्य का सारांश मिलता है तथा जनसांख्यिकी, आर्थिक संरचना, सामाजिक-आर्थिक और राजकोषीय क्षेत्रों के संकेतकों पर प्रकाश पड़ता है।
- डाटा रिपोजिटरी: इसके तहत पाँच प्रमुख क्षेत्रों - जनसांख्यिकी, आर्थिक संरचना, राजकोषीय संकेतक, स्वास्थ्य और शिक्षा - के अंतर्गत वर्गीकृत व्यापक डाटाबेस तक पहुँच मिलती है।
- राजकोष और आर्थिक डैशबोर्ड: इसके तहत प्रमुख आर्थिक चरों के ग्राफिकल निरूपण और आँकड़ों के साथ सारांश तालिकाओं तक त्वरित पहुँच मिलती है।
- अनुसंधान और टिप्पणी : इसके तहत राज्य वित्त तथा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजकोषीय नीति और वित्तीय प्रबंधन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर व्यापक अनुसंधान प्रदान करना शामिल है।
पोर्टल का महत्त्व:
- उपयोगकर्त्ता अनुकूल एवं तुलनात्मक उपकरण: यह राज्यों की एक दूसरे के साथ एवं राष्ट्रीय औसत के साथ तुलना करने में सक्षम बनाता है।
- नीति निर्माण हेतु सहायता: ऐतिहासिक रुझानों और वास्तविक समय विश्लेषण के माध्यम से साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का समर्थन करता है।
- वन-स्टॉप रिसर्च हब: यह विद्वानों, नीति निर्माताओं और हितधारकों के लिये समेकित तरीके से दीर्घकालिक डाटा तक पहुँच के क्रम में एक केंद्रीकृत मंच के रूप में कार्य करता है।
और पढ़ें: भारत में संघवाद का भविष्य