प्रारंभिक परीक्षा
हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये लेज़र कार्बन
जल इलेक्ट्रोलिसिस की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये शोधकर्त्ताओं ने हाल ही में एक नए कार्बन-आधारित उत्प्रेरक का निर्माण किया है जिसे लेज़र कार्बन के रूप में जाना जाता है।
लेज़र कार्बन और इसका महत्त्व:
- हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये जल के इलेक्ट्रोलिसिस में उपयोग में लाए जाने वाले महँगे धातु-आधारित उत्प्रेरकों के स्थान पर लेज़र कार्बन का उपयोग किया सकता है।
- जल के इलेक्ट्रोलिसिस में बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है। पारंपरिक समाधान के अनुसार जल के अणुओं को कम ऊर्जा पर विभाजित करने के लिये प्रेरित करने हेतु उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है।
- लेज़र कार्बन एक नाइट्रोजन युक्त पोरस कार्बन (Porous Carbon) पदार्थ है जो इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया में उत्प्रेरक और एनोड दोनों के रूप में कार्य करता है।
- ऑक्सीजन इवोल्यूशन रिएक्शन (OER) की अत्यधिक क्षमता को कम करके यह जल के अणुओं को विभाजित करने के लिये आवश्यक ऊर्जा की मात्रा को कम करता है।
- अन्य कार्बन-आधारित उत्प्रेरकों के विपरीत लेज़र कार्बन का उत्पादन करना आसान होता है और इसे पारिस्थितिक रूप से अनुकूल तरीके से उत्पादित किया जा सकता है।
- सामान्य उत्प्रेरक इरिडियम एवं रूथेनियम पर आधारित होते हैं, जो काफी महँगे होते हैं और अन्य क्षेत्रों में इनकी अत्यधिक मांग है।
- यद्यपि इसकी उत्प्रेरक गतिविधि धातु-आधारित उत्प्रेरक के रूप में अच्छी नहीं है, लेकिन निर्माण प्रक्रिया में विभिन्न पॉलिमर का उपयोग करके इसे बेहतर बनाया जा सकता है।
विद्युत-अपघटन (Electrolysis):
- विद्युत-अपघटन एक रासायनिक प्रतिक्रिया हेतु विद्युत प्रवाह का उपयोग करने की एक प्रक्रिया है।
- विद्युत-अपघटन में रासायनिक परिवर्तन करने के लिये एक विद्युत-अपघट्य (एक पदार्थ जो जल में घुलने या पिघलने पर विद्युत का संचालन करता है) के माध्यम से विद्युत प्रवाहित की जाती है।
- विद्युत प्रवाह विद्युत-अपघट्य में धनात्मक और ऋणात्मक आयनों को विपरीत इलेक्ट्रोड की ओर ले जाता है, जिससे विद्युत-अपघट्य अपने घटक तत्त्वों में अलग हो जाता है या एक नए यौगिक का निर्माण होता है।
- विद्युत-अपघटन का उपयोग विभिन्न प्रकार की औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है, जिसमें धातुओं का उत्पादन, धातु की सतहों की सफाई तथा जल से हाइड्रोजन गैस का उत्पादन शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सूक्ष्मजैविक ईंधन कोशिकाएँ (माइक्रोबियल फ्यूल सैल) ऊर्जा का धारणीय स्रोत समझी जाती हैं। क्यों? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। |
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
NATO में शामिल हुआ फिनलैंड
सदस्यता संबंधी आवेदन की पुष्टि के कुछ ही समय बाद फिनलैंड ने आधिकारिक तौर पर नाटो (NATO) की सदस्यता प्राप्त कर ली है। नाटो के अधिकांश सदस्यों ने इसका समर्थन किया, उनका मानना था कि फिनलैंड की सदस्यता बाल्टिक क्षेत्र में गठबंधन की ताकत को बढ़ाएगी।
- तुर्किये और हंगरी के कारण स्वीडन के लिये नाटो की सदस्यता प्राप्त करना काफी कठिन है।
फिनलैंड के नाटो में शामिल होने की पृष्ठभूमि और प्रभाव:
- पृष्ठभूमि:
- फिनलैंड का नाटो में शामिल होने का कारण रूस-यूक्रेन संघर्ष है, जिस कारण रूस के पड़ोसी छोटे देशों को नाटो द्वारा प्रदान किये जाने वाले शक्तिशाली सैन्य समर्थन की आवश्यकता महसूस हुई। इस आक्रमण के बाद फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो की सदस्यता के लिये आवेदन किया था।
- फिनलैंड जो रूस के साथ 1,340 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, ने 70 से अधिक वर्ष पुरानी अपनी सैन्य गुटनिरपेक्षता की नीति को समाप्त कर दिया है, वास्तव में शीत युद्ध के वर्षों में सोवियत संघ और पश्चिम के बीच तटस्थता की नीति को ‘फिनलैंडाईज़ेशन’ के रूप में जाना जाता था तथा रूस द्वारा आक्रमण करने से पहले यूक्रेन का फिनलैंडाईज़ेशन (Finlandisation) चर्चा में शामिल विकल्पों में से एक था।
- प्रभाव:
- फिनलैंड ने बेहतर सुरक्षा प्राप्त की है, लेकिन यह रूस के साथ महत्त्वपूर्ण व्यापार और पर्यटन राजस्व से वंचित हो सकता है तथा बाल्टिक सागर एवं यूरोप में बड़े पैमाने पर विश्वास-निर्माण तथा उपस्थिति के रूप में इसकी स्थिति खतरे में पड़ रही है।
- फिनलैंड के नाटो में शामिल होने से रूस को कमज़ोर करने हेतु नाटो की प्रशिक्षित सेना एवं हथियारों को रूस के निकट तैनात कर नाटो की स्थिति और मज़बूत होगी।
- हालाँकि रूस इसे खतरनाक ऐतिहासिक गलती के रूप में देखता है जो यूक्रेन संघर्ष को बढ़ा सकता है, साथ ही रूस अपने पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम में सैन्य क्षमता को और मज़बूत करेगा।
NATO/नाटो:
- परिचय:
- नाटो अथवा उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है जिसमें 31 सदस्य देश शामिल हैं।
- इसका गठन वर्ष 1949 में सदस्यों के बीच पारस्परिक रक्षा और सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ किया गया था।
- सदस्य:
- वर्ष 1949 में गठबंधन के 12 संस्थापक सदस्य थे: बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्राँस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
- तब से 19 और देश गठबंधन में शामिल हुए हैं: ग्रीस एवं तुर्की (1952); जर्मनी (1955); स्पेन (1982); चेक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड (1999); बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया एवं स्लोवेनिया (2004); अल्बानिया और क्रोएशिया (2009); मोंटेनेग्रो (2017); उत्तर मैसेडोनिया (2020) तथा फिनलैंड (2023)।
- मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
- एलाइड कमांड ऑपरेशंस का मुख्यालय: मॉन्स, बेल्जियम
- एलाइड कमांड ऑपरेशंस का मुख्यालय: मॉन्स, बेल्जियम
- विशेष प्रावधान:
- अनुच्छेद 5: नाटो संधि का अनुच्छेद 5 एक प्रमुख प्रावधान है जो बताता है कि किसी एक सदस्य पर हमला सभी सदस्यों पर हमला मन जाएगा।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद इस प्रावधान को केवल एक बार लागू किया गया है।
- हालाँकि नाटो की सुरक्षा सदस्य देशों के गृह युद्ध या आंतरिक तख्तापलट के संदर्भ में नहीं लागू होती है
- अनुच्छेद 5: नाटो संधि का अनुच्छेद 5 एक प्रमुख प्रावधान है जो बताता है कि किसी एक सदस्य पर हमला सभी सदस्यों पर हमला मन जाएगा।
- नाटो के गठबंधन:
- यूरो-अटलांटिक साझेदारी परिषद (Euro-Atlantic Partnership Council-EAPC)
- भूमध्य संवाद
- इस्तांबुल सहयोग पहल (Istanbul Cooperation Initiative-ICI)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
सुबनसिरी बाँध परियोजना
असम-अरुणाचल सीमा पर लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (SLHEP) हाल ही में मानसून पूर्व बारिश के दौरान भूस्खलन की चपेट में आ गई।
- हालाँकि परियोजना को कोई क्षति नहीं हुई है और जून 2023 से इसका संचालन आरंभ हो जाएगा।
भूस्खलन:
- परिचय:
- भूस्खलन को पृथ्वी के ढलान के नीचे की ओर व्यापक रूप से मृदा, चट्टान और मलबे के संचलन के रूप में परिभाषित किया गया है। इस शब्द में ढलान की गति के 5 प्रकार शामिल हैं: गिरना (Falls), लुढ़कना (Topples), फिसलना (Slides), प्रसरण (Spreads) और प्रवाहित होना (Flows)।
- प्रमुख कारण:
- भू-विज्ञान: पदार्थ के लक्षण; पृथ्वी या चट्टान कमज़ोर या खंडित हो सकती है या अलग-अलग परतों में भिन्न प्रकार की प्रबलता एवं कठोरता आ सकती है।
- आकृति विज्ञान: भूमि की संरचना; अग्नि या सूखे की स्थिति में वनस्पति विहीन ढलान भूस्खलन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- प्राकृतिक कारण: भारी वर्षा, भूकंप, हिमपात और बाढ़ के कारण ढाल का कटाव।
- मानव गतिविधि: कृषि और निर्माण कार्यों से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
- भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र:
- संपूर्ण हिमालयी पथ:
- ~ 66.5% भूस्खलन उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र से और ~ 18.8% पूर्वोत्तर हिमालय से रिपोर्ट किये गए हैं।
- पश्चिमी घाट (~14%) और कोंकण क्षेत्र
- तमिलनाडु में नीलगिरि
- संपूर्ण हिमालयी पथ:
लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (SLHEP):
- परिचय:
- SLHEP 2000 मेगावाट (8x250 मेगावाट) क्षमता वाला एक निर्माणाधीन ग्रेविटी (गुरुत्त्व) बाँध (लगभग 90% काम पूरा) है।
- यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है तथा सुबनसिरी नदी पर एक रन ऑफ रिवर योजना है।
- रन-ऑफ-रिवर बाँध वह होता है जिसमें बाँध के नीचे की ओर नदी का जल प्रवाह बाँध के ऊपरी भाग में नदी के जल प्रवाह के समान होता है।
- दूसरे शब्दों में जल को बाँध में रोका/संग्रहीत नहीं किया जाता है; यह नदी के साथ प्रवाहित होता है।
- SLHEP का निर्माण राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (National Hydroelectric Power Corporation- NHPC) लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
- सुबनसिरी नदी:
- सुबनसिरी या "गोल्ड रिवर" ऊपरी ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- यह तिब्बती हिमालय से निकलती है और अरुणाचल प्रदेश (मिरी हिल्स) से होकर भारत में प्रवेश करती है।
- SLHEP के संबंध में विवाद: परियोजना के कार्यान्वयन में शामिल बाँध सुरक्षा और प्रशासनिक जैसे कई मुद्दों पर स्थानीय आंदोलन के कारण परियोजना को लंबित थी:
- SLHEP ने ब्रह्मपुत्र बोर्ड अधिनियम, 1980 का उल्लंघन करते हुए सुबनसिरी बेसिन के जल संसाधन विभाग के कार्य को ब्रह्मपुत्र बोर्ड से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया।
- जैसा कि IIT रुड़की द्वारा आकलन किया गया है कि बाँध के भूकंपीय खतरे के स्तर में वृद्धि होने की संभावना है।
नोट:
- अरुणाचल प्रदेश को प्रायः देश के विद्युतघर के रूप में जाना जाता है, यह देश की 148,701 मेगावाट जलविद्युत क्षमता में 34% (50,328 मेगावाट) का भागीदार है।
ग्रैविटी डैम:
- ग्रैविटी डैम का निर्माण कंक्रीट अथवा सीमेंट से किया जाता है (तटबंधों के निर्माण में उपयोग किये जाने वाली मृदा और चिनाई वाले पत्थरों के विपरीत)।
- जल प्रतिधारण की इसकी प्राथमिक विधि जल के क्षैतिज दबाव का सामना करने के लिये उपयोग की गई सामग्री के वज़न पर निर्भर करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित नदियों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त में से कौन अरुणाचल प्रदेश से होकर बहती है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 अप्रैल, 2023
स्लिनेक्स-23 भारत-श्रीलंका नौसेना समुद्री अभ्यास
भारतीय और श्रीलंकाई नौसेनाएँ द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास स्लिनेक्स/SLINEX-23 के 10वें संस्करण में भाग ले रही हैं, जो 3 अप्रैल से 8 अप्रैल, 2023 तक कोलंबो में होगा। अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जाएगा- हार्बर चरण और सागर चरण। SLINEX का पिछला संस्करण मार्च 2022 में विशाखापत्तनम में आयोजित किया गया था। भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्त्व दो जहाज़ों INS किल्टन एवं INS सावित्री द्वारा किया जाएगा, जबकि श्रीलंकाई नौसेना का प्रतिनिधित्त्व दो जहाज़ों SLNS गजबाहू तथा SLNS सागर द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा दोनों पक्ष अभ्यास हेतु समुद्री गश्ती विमान, हेलीकॉप्टर व विशेष बल तैनात करेंगे। SLINEX-23 का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संक्रियता को बढ़ाना, आपसी समझ में सुधार करना व सर्वोत्तम तरीकों का आदान-प्रदान करना है। भारत और श्रीलंका के बीच अन्य सैन्य अभ्यास 'मित्र शक्ति' है।
और पढ़ें… भारत श्रीलंका संबंध
भारत ने सोडियम साइनाइड के आयात की एंटी-डंपिंग जाँच की
घरेलू अभिकर्त्ताओं की शिकायत के बाद भारत ने चीन, यूरोपीय संघ, जापान और कोरिया से सोडियम साइनाइड के आयात की एंटी-डंपिंग जाँच शुरू कर दी है। सोडियम साइनाइड एक सफेद क्रिस्टलीय अथवा दानेदार पाउडर होता है। इससे हाइड्रोजन साइनाइड गैस निकलती है जो एक अत्यधिक ज़हरीला रासायनिक श्वासावरोधक है, यह शरीर द्वारा ऑक्सीजन का उपयोग करने की क्षमता में हस्तक्षेप करता है। सोडियम साइनाइड के संपर्क में आना घातक हो सकता है। इसका उपयोग सोने और चांदी को उनके संबंधित अयस्कों से निकालने, कीटनाशकों, रंजक, पिगमेंट तथा थोक दवाओं के निर्माण के लिये किया जाता है। व्यापार उपचार महानिदेशालय (Directorate General of Trade Remedies- DGTR) ने इन देशों से आयात पर जाँच और उचित एंटी-डंपिंग शुल्क के कार्यान्वयन के लिये अनुरोध/आवेदन प्राप्त करने के बाद कार्रवाई की है। DGTR के अनुसार, आवेदकों का आरोप है कि कथित डंप किये गए आयात का घरेलू उद्योग पर प्रभाव पड़ रहा है। संबद्ध देश इस बात की जाँच करता है कि क्या डंपिंग रोधी शुल्क लगाने से पहले सस्ते आयात में वृद्धि के परिणामस्वरूप घरेलू क्षेत्रों को नुकसान हुआ है। इससे निपटने के एक उपाय के रूप में वे जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बहुपक्षीय शासन के तहत इन शुल्कों को लागू करते हैं। इस लगाए जाने वाले शुल्क का उद्देश्य उचित व्यापार प्रथा सुनिश्चित करना और घरेलू उत्पादकों के साथ-साथ विदेशी उत्पादकों तथा निर्यातकों को एक स्तरीय मंच प्रदान करना है। चीन सहित विभिन्न देशों से सस्ते आयात से निपटने के लिये भारत पहले ही कई उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा चुका है।
और पढ़ें… डंपिंग रोधी शुल्क
संयुक्त कमांडर सम्मेलन
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने भोपाल, मध्य प्रदेश में तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन का विषय 'तैयार, पुनरुत्थान, प्रासंगिक' (‘Ready, Resurgent, Relevant’) था। सैन्य कमांडरों ने सशस्त्र बलों में संयुक्तता और थिएटराइज़ेशन (रंगमंचीकरण ) सहित राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला पर चर्चा की। थिएटराइज़ेशन (Theaterisation) सैन्य बलों को परिचालन कमानों या थिएटरों में विभाजित करने की प्रथा है, जिनमें से प्रत्येक की ज़िम्मेदारी का एक अलग भौगोलिक क्षेत्र होता है, सशस्त्र बलों की तैयारी एवं 'आत्मनिर्भरता' (Self-Reliance) प्राप्त करने की दिशा में रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में हुई प्रगति की भी समीक्षा की गई।
और पढ़ें… संयुक्त कमांडर सम्मेलन
पीएम स्वनिधि
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में पीएम स्वनिधि योजना से संबंधित आँकड़े जारी किये, जिसका उद्देश्य महामारी से प्रेरित आर्थिक तनाव को कम करने के लिये स्ट्रीट वेंडर्स को माइक्रो-क्रेडिट सहायता प्रदान करना है। आँकड़ों से पता चलता है कि योजना के तहत वितरित किये गए कुल 42.7 लाख ऋणों में से अल्पसंख्यक समुदायों के स्ट्रीट वेंडर्स (केवल 9.3%) को केवल 5,152.37 करोड़ रुपए की धनराशि प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त अल्पसंख्यक स्ट्रीट वेंडर्स को दिये गए ऋण की हिस्सेदारी वर्ष 2020-21 में 10.23% से घटकर वर्ष 2022-23 में 7.76% के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई है। यह सर्वविदित है कि अल्पसंख्यक स्ट्रीट वेंडर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारणों से स्ट्रीट वेंडर आबादी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। राज्यों में ऋण का वितरण प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के अनुरूप प्रतीत होता है, उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक ऋण वितरित किये हैं और सिक्किम ने केवल एक ऋण वितरित किया है। उत्तर प्रदेश ने अल्पसंख्यक स्ट्रीट वेंडर्स को सबसे अधिक 95,032 ऋण दिये हैं।
और पढ़ें… पीएम स्वनिधि: स्ट्रीट वेंडर्स के लिये माइक्रो क्रेडिट स्कीम