12वाँ रीजनल 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
भारत (जयपुर, राजस्थान) ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें रीजनल 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की मेजबानी की, जिसमें धारणीय अपशिष्ट प्रबंधन तथा सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डाला गया।
- सर्कुलर इकोनॉमी में धारणीय, पुन: प्रयोज्य तथा पुनर्चक्रणीय उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है तथा इससे यह सुनिश्चित होता है कि सामग्रियों के निरंतर उपयोग के साथ इनके पुन:प्रयोजन तथा पुन:निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
12वीं रीजनल फोरम बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?
- परिचय: यह एक क्षेत्रीय मंच है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 3R (रिड्यूस, रीयूज़, रीसाइकिल) सिद्धांतों एवं सर्कुलर अर्थव्यवस्था प्रथाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- यह संसाधन दक्षता रणनीतियों को लोकप्रिय करने के क्रम में नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, शोधकर्त्ताओं एवं साझेदारों को एक साथ लाने में भूमिका निभाता है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: इसे 3R सिद्धांतों और संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने के क्रम में वर्ष 2009 में शुरू किया गया था।
- हनोई 3R घोषणा (2013-2023) के तहत संसाधन-कुशल तथा सर्कुलर अर्थव्यवस्था हेतु 33 स्वैच्छिक लक्ष्य निर्धारित किये गए।
- विषय: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्य और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में सर्कुलर सोसायटी का निर्माण।
- उद्देश्य: संसाधन-कुशल, कम कार्बन एवं अनुकूल एशिया-प्रशांत हेतु एक स्वैच्छिक, गैर-बाध्यकारी "3R और सर्कुलर इकोनॉमी घोषणा (2025-2034)" पर चर्चा और सहमति व्यक्त करना।
- शून्य अपशिष्ट शहरों तथा समाजों के निर्माण की दिशा में एक सर्कुलर इकोनॉमी अलायंस नेटवर्क (CEAN) के विकास हेतु चर्चा करना।
- शुद्ध-शून्य लक्ष्यों एवं सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के क्रम में सर्कुलर अर्थव्यवस्था रणनीतियों पर चर्चा करना।
- प्रमुख घोषणाएँ:
- P-3 (प्रो प्लैनेट पीपुल) दृष्टिकोण: भारत के प्रधानमंत्री ने धारणीय जीवन शैली एवं पर्यावरण अनुकूल व्यवहार के क्रम में P-3 दृष्टिकोण का समर्थन किया।
- सिटीज़ कोएलिशन फॉर सर्कुलरिटी (C-3): C-3 शहरी सहयोग, ज्ञान-साझाकरण एवं निजी क्षेत्र की साझेदारी हेतु एक वैश्विक गठबंधन है।
- सिटीज़ 2.0: सिटीज़ 2.0 (नवाचार, एकीकरण एवं स्थिरता हेतु शहरी क्षेत्र में निवेश) के लिये एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए, जो एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन और जलवायु कार्रवाई पर केंद्रित है।
और पढ़ें: सर्कुलर अर्थव्यवस्था क्या है?
सर्कुलर इकोनॉमी और 3R नीतियों में भारत का नेतृत्व
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U): घरेलू शौचालय निर्माण लक्ष्य का 108.62% हासिल किया गया तथा 80.29% ठोस अपशिष्ट का सफलतापूर्वक प्रसंस्करण किया गया।
- गोबर-धन योजना: 1,008 बायोगैस संयंत्र संचालन में हैं, जिनके तहत भारत के 67.8% ज़िले कवर हैं।
- ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022: वित्त वर्ष 2024-25 में एकत्रित 5,82,769 मीट्रिक टन ई-कचरा में से 5,18,240 मीट्रिक टन का सफलतापूर्वक पुनर्चक्रण किया गया।
- प्लास्टिक के लिये विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) : भारत में 1 जुलाई 2022 को एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. पुराने और प्रयुक्त कंप्यूटरों या उनके पुर्जों के असंगत/अव्यवस्थित निपटान के कारण निम्नलिखित में से कौन-से ई-अपशिष्ट के रूप में पर्यावरण में निर्मुक्त होते हैं? (2013) 1- बेरिलियम नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 3, 4, 6 और 7 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसमें एक महत्त्वपूर्ण विशेषता के रूप में 'विस्तारित उत्पादक दायित्त्व' आरंभ किया गया था? (2019) (a) जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 1998 उत्तर: (c) |
वालेस लाइन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
19वीं शताब्दी में अल्फ्रेड वालेस ने एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रजातियों की संरचना में परिवर्तन पर प्रकाश डाला, जिसे अब वालेस रेखा के रूप में जाना जाता है।
वालेस रेखा क्या है?
- परिचय: वालेस रेखा, एशिया एवं ऑस्ट्रेलिया के विशिष्ट जीव-जंतुओं वाले क्षेत्रों को अलग करने वाली एक काल्पनिक सीमा है।
- यह जैव भौगोलिक विभाजन की एक प्रमुख रेखा है, जिसमें दोनों ओर प्रजातियों में काफी अंतर देखने को मिलता है।
- भौगोलिक स्थिति: यह मकास्सर जलडमरूमध्य से होकर गुजरती है, जो बोर्नियो के पूर्वी तट और सुलावेसी के पश्चिमी तट के बीच स्थित है।
- यह बाली और लोम्बोक के बीच फैला हुआ है तथा सुंडा एवं साहुल महाद्वीपीय तटों को अलग करता है।
- प्रजाति वितरण: वालेस लाइन के पश्चिम ( बाली, बोर्नियो, जावा और मुख्य भूमि एशिया), जीवों में बंदर, वानर, गैंडे, गिलहरी, बाघ और हॉर्नबिल शामिल हैं, जो एशियाई पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषता है।
- ट्री कंगारू, कॉकटू और मधुमक्खी खाने वाले पक्षी वालेस लाइन (लोम्बोक, सुलावेसी, तिमोर और ऑस्ट्रेलिया) के पूर्व में पाए जाने वाले वन्य जीवों में से हैं, जो ऑस्ट्रेलियाई पर्यावरण से जुड़े हुए हैं।
- वालेसिया क्षेत्र: वालेस लाइन और वेबर लाइन (पूर्व में एक अन्य जीव-जंतु सीमा) के बीच का क्षेत्र वालेसिया के नाम से जाना जाता है तथा इसमें सुलावेसी, फ्लोरेस, लोम्बोक और तिमोर जैसे द्वीप शामिल हैं।
- पृथक वैलेसियन द्वीपों में पास के महाद्वीपों की तुलना में निम्न जैव विविधता है, लेकिन यहाँ कोमोडो ड्रैगन, बेबीरुसा और विशाल मधुमक्खियों जैसी अनोखी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- टार्सियर्स और एनोआस जैसी एशियाई प्रजातियों और बौने कस्कस जैसे ऑस्ट्रेलियाई मर्सुपियाल्स जानवर सुलावेसी में पाए जाते है।
- गठन का कारण:
- महाद्वीपीय विस्थापन: लगभग 85 मिलियन वर्ष पूर्व, ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका से अलग होकर उत्तर की विस्थापित हो गया, जिससे प्रजातियाँ अलग-थलग पड़ गईं और स्वतंत्र विकास को बढ़ावा मिला।
- गहरे महासागरीय अवरोध: यह मकास्सर जलडमरूमध्य जैसे गहरे जलक्षेत्र से जुड़ा है, जो हिमयुग के दौरान भी जलमग्न रहा, जिससे एशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रजातियों की आवाजाही सीमित हो गई।
- भूवैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन: अपनी-अपनी जलवायु के अनुकूल एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई प्रजातियों को रेखा के दोनों ओर प्रवास करने में कठिनाई हुई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित द्वीपों के युग्मों में से कौन-सा एक 'दश अंश जलमार्ग' द्वारा आपस में पृथक किया जाता है? (2014) (a) अंडमान एवं निकोबार उत्तर: (a) |
SPHEREx मिशन
स्रोत: द हिंदू
NASA प्रारंभिक ब्रह्मांड का अध्ययन करने, ब्रह्मांड की उत्पत्ति की खोज करने और जीवन के निर्माण का पता लगाने के लिये SPHEREx (Spectro-Photometer for the History of the Universe, Epoch of Reionization and Ices Explorer) स्पेस टेलीस्कोप को लॉन्च करने के लिये तैयार है।
SPHEREx मिशन
- SPHEREx 2 वर्षों में 450 मिलियन आकाशगंगाओं का मानचित्रण करेगा, तथा स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करके 102 रंग बैंडों (प्रकाश की तरंगदैर्घ्य) में 3D स्काई मैप तैयार करेगा।
- स्पेक्ट्रोस्कोपी पदार्थ द्वारा प्रकाश और अन्य विकिरण के अवशोषण और उत्सर्जन का अध्ययन है।
- यह कॉस्मिक इन्फ्लेशन, बिग बैंग (13.8 अरब वर्ष पूर्व) के बाद ब्रह्मांड के तीव्र विस्तार का अध्ययन करेगा, तथा जल, कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड का पता लगाने के लिये आणविक बादलों (Molecular Clouds) का विश्लेषण करेगा।
- यह अज्ञात ब्रह्मांडीय घटनाओं की पहचान करने के लिये इंटरगैलेक्टिक स्पेस से आनी वाली प्रकाश की सामूहिक चमक को मापेगा।
- बिग बैंग सिद्धांत ब्रह्मांड की उत्पत्ति को एक एकल, गर्म और सघन बिंदु के रूप में बताता है, जो लगभग 13.8 अरब वर्ष पूर्व विस्तारित हुआ, जिसके कारण इसका निरंतर विस्तार हुआ।
और पढ़ें: वर्ष 2024 में अंतरिक्ष मिशन
नरव्हेल
स्रोत: डाउन टू अर्थ
वैज्ञानिकों ने पहली बार शिकार के लिये अपने दाँतों का उपयोग करते हुए नरव्हेल (जिन्हें प्रायः समुद्री यूनिकॉर्न कहा जाता है) को रिकॉर्ड किया, इससे गर्म होते आर्कटिक में उनके व्यवहार और अनुकूलन के बारे में जानकारी मिली है।
- नरव्हेल (मोनोडोन मोनोसेरोस ): वे मध्यम आकार के दांतेदार व्हेल हैं, जो गहरे आर्कटिक जल में पाए जाते हैं।
- शारीरिक विशेषताएँ: नर में 3 मीटर की लंबाई तक का एक लंबा, सर्पिल दाँत होता है, जो ऊपर बाएँ ओर लंबा होता है।
- जो इसे अन्य सभी दाँतेदार व्हेलों से अलग करता है।
- कुछ नरव्हेलों के पास दो दाँत तक होते हैं, जबकि अन्य के पास एक भी दाँत नहीं होता। .
- वे अपने दाँतों का उपयोग शिकार, विशेष रूप से आर्कटिक चार, को अचेत करने और उन पर नियंत्रण पाने तथा साथी के लिये प्रतिस्पर्द्धा करने एवं उसे आकर्षित करने के लिये करते हैं.
- IUCN स्थिति: कम चिंताजनक।
- सामाजिक व्यवहार: अत्यधिक सामाजिक प्रजाति, 2-25 प्रजातियों के समूह में पाई जाती है।
- प्रवास: कुछ व्हेलों के विपरीत, नरव्हेल लंबी दूरी तक प्रवास नहीं करते हैं।
- शारीरिक विशेषताएँ: नर में 3 मीटर की लंबाई तक का एक लंबा, सर्पिल दाँत होता है, जो ऊपर बाएँ ओर लंबा होता है।
- आहार: ग्रीनलैंड हलिबट, आर्कटिक और ध्रुवीय कॉड, स्क्विड और झींगा खाते हैं।
और पढ़ें: आर्कटिक वार्मिंग
ब्लू घोस्ट मिशन 1
स्रोत: TH
एक अमेरिकी कंपनी, फायरफ्लाई एयरोस्पेस, ने अपने ब्लू घोस्ट मिशन 1 को चांद पर सफलतापूर्वक लैंड किया। यह चाँद पर सीधा उतरने वाला पहला और निजी क्षेत्र का दूसरा मिशन है।
- इस मिशन का उपनाम "घोस्ट राइडर्स इन द स्काई (Ghost Riders in the Sky)" रखा गया है, तथा इसे जनवरी, 2025 में स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के जरिये लॉन्च किया जाएगा।
- यह चंद्रमा के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित ज्वालामुखी संरचना मॉन्स लैट्रेइल के पास उतरा (लैंडर का नाम: गोल्डन)।
- यह नासा द्वारा उद्योग के साथ सहयोग का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लागत को कम करना तथा आर्टेमिस कार्यक्रम (अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस भेजने का मिशन) को समर्थन प्रदान करना है।
आगामी चंद्र मिशन:
- IM-2 मिशन: इंट्यूटिव मशीन्स का IM-2 मिशन, जिसमें लैंडर एथेना भी शामिल है, मार्च 2025 में लॉन्च किया जाएगा।
- फरवरी 2024 में, इंट्यूएटिव मशीन्स चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाली पहली निजी कंपनी बन जाएगी तथा वर्ष 1972 में अपोलो 17 के बाद पहली अमेरिकी लैंडिंग होगी।
- नासा का CLPS कार्यक्रम: अमेरिका का लक्ष्य नासा के USD कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज (CLPS) कार्यक्रम के माध्यम से नियमित निजी चंद्र मिशन स्थापित करना है।
और पढ़ें: लूनर लैंडिंग मिशन में चुनौतियाँ
कश्मीर की आकस्मिक फसल योजना
स्रोत: द हिंदू
शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST) ने वर्ष 2024 की सर्दियों में वर्षा में 80% की कमी के कारण कश्मीर में अपेक्षित सूखे जैसी स्थिति से निपटने के क्रम में एक आकस्मिक फसल योजना तैयार की है।
आकस्मिक फसल योजना के प्रमुख घटक:
- वैकल्पिक फसल संवर्द्धन: इसके तहत अधिक जल की आवश्यकता वाले चावल के स्थान पर SKUAST द्वारा सूखा प्रतिरोधी मक्का (SMC-8, SMH-5) एवं दालों को बढ़ावा देना शामिल है, जिन्हें कम जल की आवश्यकता होती है।
- इसमें फावा बीन एवं लोबिया जैसी अधिक गर्मी सहन करने वाली फसलों (जो शुष्क परिस्थितियों में वृद्धि कर सकती हैं) की सिफारिश करना शामिल है।
जल संरक्षण रणनीतियाँ:
- मल्चिंग: इसके अंतर्गत नमी बनाए रखने के साथ मृदा स्वास्थ्य में सुधार हेतु ऊपरी मृदा को जैविक पदार्थों से ढकना शामिल है।
- सूक्ष्म सिंचाई: इष्टतम जल उपयोग के क्रम में ड्रिप सिंचाई और मिस्ट स्प्रेयर को प्रोत्साहित करना शामिल है।
- सब्जी की खेती को बनाए रखने के लिये सूक्ष्म छिड़काव प्रणाली एवं जैविक मृदा को महत्त्व देना शामिल है।
- एंटी-ट्रांसपिरेंट एजेंट: इसमें पौधों से जल की हानि (वाष्पोत्सर्जन) को कम करने के क्रम में रसायनों का प्रयोग किया जाना शामिल है।
- सूक्ष्म सिंचाई: इष्टतम जल उपयोग के क्रम में ड्रिप सिंचाई और मिस्ट स्प्रेयर को प्रोत्साहित करना शामिल है।
- अनुकूल कृषि पद्धतियाँ: इसके अंतर्गत फलदार फसलों में समय पूर्व फूल आने को रोकने के लिये वृद्धि नियंत्रक स्प्रे के उपयोग की सिफारिश के साथ नमी को संरक्षित करने के क्रम में एंटी-ट्रांसपिरेंट्स का उपयोग करने की सलाह देना शामिल है।
- कीट नियंत्रण: बढ़ते तापमान ने एफिड्स और लीफ माइनर ब्लॉच जैसे कीटों को और अधिक आक्रामक बना दिया है। SKUAST द्वारा रासायनिक कीट प्रबंधन विधियों के बारे में सलाह दी जा रही है।
और पढ़ें: जलवायु अनुकूल कृषि
ताइवान का भू-राजनीतिक महत्त्व
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अमेरिका ने अपनी ताइवान फैक्टशीट को संशोधित किया, जिसमें "हम ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते हैं" को हटाने के साथ ताइवान की वैश्विक भागीदारी का समर्थन किया। चीन द्वारा इसका विरोध किया गया।
- ताइवान संबंध अधिनियम (वर्ष 1979): यह अधिनियम अमेरिका-ताइवान संबंधों को बढ़ावा देता है, बीजिंग की आपत्तियों के बावजूद व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रक्षात्मक हथियारों की बिक्री सुनिश्चित करता है।
- ताइवान का महत्त्व: पूर्वी चीन सागर में स्थित ताइवान क्षेत्रीय व्यापार के लिये महत्त्वपूर्ण है, ताइवान जलडमरूमध्य एक प्रमुख वैश्विक शिपिंग मार्ग है।
- इसके अतिरिक्त, ताइवान विश्व के 60% से अधिक सेमीकंडक्टर और लगभग 90% सबसे उन्नत चिप्स का निर्माण करता है, जिससे यह वैश्विक तकनीकी आपूर्ति शृंखला में एक महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है।
- चीन और ताइवान: चीन का मानना है कि ताइवान चीन का अभिन्न अंग है तथा दोनों देशों को अंततः वन चाइना पालिसी के तहत पुनः एकीकृत होना चाहिये।
- दूसरी ओर, अपने स्वयं के संविधान और निर्वाचित पदाधिकारियों के साथ, ताइवान स्वयं को एक स्वशासित लोकतंत्र मानता है।
- भारत की एक चीन नीति: भारत वन चाइना पालिसी का पालन करता है, वर्ष 2003 में भारत ने चीन के साथ एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किये, जिसमें तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र को चीन के क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई।
और पढ़ें: चीन-ताइवान संघर्ष