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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 05 Mar, 2024
  • 12 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ओबिलिस्क

स्रोत: द हिंदू

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं द्वारा जीवन की एक आश्चर्यजनक खोज की गई है जिसे उन्होंने "ओबिलिस्क" नाम दिया गया है।

  • ये ओबिलिस्क जटिलता के संदर्भ में वायरस (विषाणु) एवं वाइरोइड के बीच की खाई को पाटते हैं, जिससे जीवन रूपों के मौजूदा स्पेक्ट्रम में एक नई श्रेणी जुड़ जाती है।
  • अगली पीढ़ी की अनुक्रमण (NGS) तकनीक का उपयोग करके, मानव आँत में बैक्टीरिया से RNA अनुक्रमों के व्यापक विश्लेषण के माध्यम से ओबिलिस्क की पहचान की गई।

नोट:

  • NGS, एक डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड अनुक्रमण तकनीक है जो DNA के कई छोटे टुकड़ों के अनुक्रम को निर्धारित करने के लिये समानांतर अनुक्रमण का उपयोग करती है। इसका उपयोग संपूर्ण जीनोम या DNA अथवा RNA के लक्षित क्षेत्रों में न्यूक्लियोटाइड के क्रम को निर्धारित करने के लिये किया जाता है।
    • न्यूक्लियोटाइड्स कार्बनिक अणु हैं जो न्यूक्लिक एसिड DNA और राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) के बुनियादी निर्माण खंड हैं।

ओबिलिस्क क्या हैं?

  • ओबिलिस्क वायरस जैसी इकाइयों का एक नया वर्ग है। वे विविध RNA अणुओं से बने होते हैं जो मानव शरीर एवं वैश्विक माइक्रोबायोम में रहते हैं।
  • ओबिलिस्क अत्यधिक सममित, रॉड जैसी संरचनाएँ प्रदर्शित करते हैं जो प्रतिष्ठित स्मारकों (ओबिलिस्क) से मिलती-जुलती हैं।
  • उनके आनुवंशिक अनुक्रम लगभग 1,000 न्यूक्लियोटाइड लंबे हैं, जिनमें ज्ञात जैविक एजेंटों के साथ कोई पहचान योग्य समानता नहीं है।
  • नए अध्ययन में आँत और मुख के बैक्टीरिया में RNA डेटा का विश्लेषण किया गया लेकिन यह निर्धारित नहीं किया जा सका कि कौन-सा बैक्टीरिया किसी दिये गए ओबिलिस्क का पोषण करता है।
    • जबकि प्रारंभिक निष्कर्ष बैक्टीरिया प्रजाति स्ट्रेप्टोकोकस सेंगुइनिस (Streptococcus sanguinis) से एक संभावित लिंक का संकेत देते हैं, जो आमतौर पर मानव मुख में पाए जाते हैं।
  • ओबिलिस्क की खोज उनके जीनोम प्रतिलिपीकरण, संचरण, रोगजन्यता, विकास और मानव स्वास्थ्य एवं रोग में संभावित भूमिकाओं के बारे में सवाल उठाती है।
    • ओबिलिस्क के आसपास के रहस्यों को जानने, उनके पारिस्थितिक महत्त्व एवं मानव स्वास्थ्य के प्रभाव पर प्रकाश डालने के लिये और अधिक शोध की आवश्यकता है।

विशेषता

              वायरस

                  वाइरॉइड्स

खोज

दमित्री इवानोव्स्की 19वीं सदी के अंत में वायरस की खोज करने वाले प्रथम व्यक्ति थे।

थियोडोर डायनर ने वर्ष 1971 में आलू में स्पिंडल कंद रोग उत्पन्न करने वाले रोगजजनक का अध्ययन करने के दौरान इसकी खोज की थी।

संघटन

प्रत्येक विषाणु में एक न्यूक्लिक एसिड (DNA या RNA) कोर होता है जो एक प्रोटीन कोट से आबद्ध होता है, कभी-कभी बाहर एक लिपिड परत के साथ।

इसमें लिपिड परत या प्रोटीन परत के बिना नग्न/अनावृत्त RNA होता है, जो मुख्य रूप से एकल-लड़ी वाले गोलाकार RNA अणु से बना होता है।

आकार

आकार में भिन्न, आम तौर पर छोटा (30-50 nm)।

वायरस की तुलना में छोटा

मेज़बान श्रेणी

पादप और जंतुओं सहित जीवों की एक विस्तृत शृंखला को संक्रमित कर सकता है।

मुख्य रूप से पादप कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जिससे विकास में अवरोध, पत्तियों में विकृति और अन्य लक्षणों के साथ विभिन्न रोग होते हैं।

प्रतिकृति विधि

स्वयं की प्रतिकृति बनाने और संचरित करने के लिये आतिथेय कोशिकाओं पर निर्भर करता है।

वाइरॉइड्स कोशिका में RNA के रूप में प्रवेश कर कोशिका को स्वयं की अधिक प्रतिरूप बनाने के लिये उत्प्रेरित करते हैं और फिर मुख्य रूप से संचरण, बीज संचरण, पराग तथा कीट संवाहक के माध्यम से अन्य कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।

आनुवंशिक पदार्थ

इसमें या तो DNA या RNA होता है जो प्रोटीन के लिये कूटलेखन कर सकता है।

इसमें RNA होता है किंतु यह किसी प्रोटीन के लिये कूटलेखन नहीं करता है।

उदाहरण

इन्फ्लुएंज़ा वायरस, रेबीज़ वायरस, हर्पीस वायरस, SARS-CoV-2

पोटैटो स्पिंडल ट्यूबर वाइरोइड (PSTVd), साइट्रस एक्सोकॉर्टिस वाइरोइड (CEVd), कोकोनट कैडैंग-कैडांग वाइरोइड (CCCVd)।

  UPSC सिविल सेवा पारीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में ज़ीका वायरस रोग उसी मच्छर द्वारा संचरित होता है जिससे डेंगू संचरित होता है। 
  2. ज़ीका वायरस रोग का लैंगिक संचरण होना संभव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 तथा न ही 2

उत्तर: (c)


रैपिड फायर

भारत टेक्स 2024

स्रोत: पी.आई.बी.

प्रधानमंत्री के 5F विज़न से प्रेरित भारत में सबसे बड़ा वैश्विक वस्‍त्र कार्यक्रम भारत टेक्स- 2024 भारत मंडपम, नई दिल्ली में संपन्न हुआ।

  • '5F' फॉर्मूला में फार्म टू फाइबर; फाइबर टू फैक्ट्री; फैक्ट्री टू फैशन; फैशन टू फॉरेन शामिल हैं। 
  • यह कार्यक्रम 11 वस्त्र निर्यात संवर्द्धन परिषदों के एक संघ द्वारा आयोजित किया गया था और वस्त्र मंत्रालय द्वारा समर्थित था।
  • कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक सहित अग्रणी वस्‍त्र प्रदेशों ने समर्पित मंडपों के साथ सक्रिय रूप से भाग लिया।
  • भारत टेक्स ने 'इनोवेटिव बिज़नेस प्रैक्टिस एंड इकोनॉमिक मॉडल इन द टेक्सटाइल वैल्यू चेन इन इंडिया' (IndiaTex) और टेक्सटाइल ग्रैंड इनोवेशन चैलेंज जैसी पहल के लिये लॉन्चपैड के रूप में काम किया, जिसका लक्ष्य वस्त्र उद्योग में नवाचार तथा स्थिरता को बढ़ावा देना है।
  • शैक्षणिक सहयोग, अनुसंधान, उत्पाद विकास और बाज़ार लिंकेज सहित विभिन्न डोमेन में कई समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।

और पढ़ें: पीएम मित्र योजना और वस्त्र क्षेत्र


रैपिड फायर

विश्व वन्यजीव दिवस

स्रोत: वन्यजीव दिवस

हमारे ग्रह पर वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की विशाल शृंखला का जश्न मनाने और उनके सामने आने वाले खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 3 मार्च को संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।

  • वर्ष 2024 की थीम: लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज। 
    • यह वन्यजीवों की सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालता है। लुप्तप्राय प्रजातियों पर निगरानी रखने से लेकर अवैध वन्यजीव व्यापार की निगरानी तक, डिजिटल उपकरण जैवविविधता की सुरक्षा के लिये नई आशा प्रदान कर रहे हैं।
  • 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सत्र के दौरान, 3 मार्च को WWD के रूप में स्थापित किया गया था।

और पढ़ें…विश्व वन्यजीव दिवस


रैपिड फायर

समुद्र लक्ष्मण

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में भारत और मलेशिया के बीच समुद्र लक्ष्मण (द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास) का आयोजन विशाखापट्टनम के तट पर संपन्न हुआ।

    • इस अभ्यास में भारतीय नौसेना जहाज़ किल्टन और रॉयल मलेशियाई जहाज़ KD लकीर ने भाग लिया जिसका उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच संबंधों को मज़बूत करना तथा अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना था।
    • भारत और मलेशिया के बीच अन्य अभ्यास निम्नलिखित हैं:

    और पढ़ें…समुद्र लक्ष्मण


    रैपिड फायर

    भारत का पहला डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र

    स्रोत: डाउन टू अर्थ 

    भारत द्वारा लॉन्च किया गया राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र (NDRC) लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है।

    • पटना, बिहार में गंगा नदी के पास स्थित, NDRC का उद्देश्य गंगा डॉल्फ़िन के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक शोध का केंद्र बनना है, जिसमें व्यवहार, उत्तरजीविता कौशल और मृत्यु दर के कारण शामिल हैं। 
      • भारत में अनुमानित 3,000 गंगा डॉल्फ़िन में से लगभग आधी बिहार में पाई जाती हैं।
    • वर्ष 1801 में खोजी गई गंगा नदी डॉल्फ़िन ऐतिहासिक रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना तथा कर्णफुली-संगु नदी तंत्र में निवास करती है।
      • गंगा नदी बेसिन में हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि वे मुख्य धारा और सहायक नदियों जैसे घाघरा, कोसी, गंडक, चंबल, रूपनारायण तथा यमुना में मौजूद हैं।  

    और पढ़ें: गंगा नदी डॉल्फिन


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