प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 04 सितंबर, 2020
हरिकेन नाना
Hurricane Nana
3 सितंबर, 2020 को हरिकेन नाना (Hurricane Nana) मध्य अमेरिकी देश बेलीज़ (Belize) के तट से टकराया।
प्रमुख बिंदु:
- ‘यूएस नेशनल हरिकेन सेंटर’ (US National Hurricane Center) के अनुसार, हरिकेन नाना की गति 75 मील प्रति घंटा अर्थात् 120 मील प्रति घंटा थी।
- हरिकेन या उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone) को सैफिर-सिंपसन विंड स्केल (Saffir-Simpson Hurricane Wind Scale) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जिसमें हवा की गति के आधार पर 1 से 5 तक की रेटिंग दी जाती है।
- यह वर्ष 2020 के अटलांटिक हरिकेन मौसम (Atlantic Hurricane Season) का पाँचवा हरिकेन है।
- अटलांटिक हरिकेन मौसम की अवधि 1 जून से 30 नवंबर के मध्य होती है और ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमास्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (National Oceanic and Atmospheric Administration- NOAA) के अनुसार, एक औसत हरिकेन मौसम में लगभग 12 हरिकेन आते हैं जिनमें से तीन प्रमुख हरिकेन के साथ छह सामान्य हरिकेन होते हैं।
- जबकि पूर्वी प्रशांत तट पर हरिकेन मौसम की अवधि 15 मई से 30 नवंबर के मध्य होती है।
बेलीज़ (Belize):
- बेलीज़ एक कैरिबियन देश है जो मध्य अमेरिका के उत्तर-पूर्वी तट पर अवस्थित है।
- बेलीज़ की सीमा उत्तर-पश्चिम में मैक्सिको से, पूर्व में कैरिबियन सागर (Caribbean Sea) से और दक्षिण एवं पश्चिम में ग्वाटेमाला (Guatemala) से लगती है।
- 1500 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी के मध्य माया सभ्यता (Maya Civilization) बेलीज़ के क्षेत्र में फैल हुई थी और यह सभ्यता लगभग 1200 वर्षों तक अस्तित्त्व में रही।
माया सभ्यता (Maya Civilization):
- माया सभ्यता एक मेसोअमेरिकन सभ्यता (Mesoamerican Civilization) थी जिसे माया लोगों द्वारा विकसित किया गया था।
- कोलंबियाई अमेरिका में इस सभ्यता की लेखन प्रणाली सबसे परिष्कृत एवं उच्च विकसित अवस्था में थी।
- इसके साथ ही इन लोगों को कला, वास्तुकला, गणित, कैलेंडर एवं खगोलीय प्रणाली का भी ज्ञान था।
- बेलीज़ बैरियर रीफ (Belize Barrier Reef), कोरल रीफ की एक श्रृंखला है जो बेलीज़ के तट पर फैली हुई है। बेलीज़ बैरियर रीफ, 900 किलोमीटर लंबे ‘मेसोअमेरिकन बैरियर रीफ सिस्टम’ (Mesoamerican Barrier Reef System) का एक भाग है।
- बेलीज़ बैरियर रीफ को वर्ष 1996 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित किया गया था।
मेसोअमेरिकन बैरियर रीफ सिस्टम (Mesoamerican Barrier Reef System):
- मेसोअमेरिकन बैरियर रीफ सिस्टम (MBRS) जिसे ग्रेट मायन रीफ या ग्रेट माया रीफ के नाम से भी जाना जाता है, एक समुद्री क्षेत्र है जो युकाटन प्रायद्वीप में इस्ला कोंटाॅय (Isla Contoy) से बेलीज़, ग्वाटेमाला एवं होंडुरस के खाड़ी द्वीप समूह तक 1000 किलोमीटर में फैला हुआ है।
- दक्षिण-पूर्वी मैक्सिको में युकटान प्रायद्वीप, कैरिबियन सागर को मैक्सिको की खाड़ी से अलग करता है।
‘एंटरप्रन्योर्स इन रेज़िडेंस’ कार्यक्रम
‘Entrepreneurs in Residence’ Program
हाल ही में ‘नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हारनेसिंग इनोवेशंस’ (National Initiative for Developing and Harnessing Innovations- NIDHI) कार्यक्रम के तहत ‘एंटरप्रन्योर्स इन रेजिडेंस’ कार्यक्रम (Entrepreneurs in Residence (EIR) Program) को लॉन्च किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निधि (NIDHI) कार्यक्रम के तहत एक राष्ट्रीय पहल है।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रौद्योगिकी व्यापार विचार को आगे बढ़ाने के इच्छुक उद्यमियों को एक वर्ष तक प्रति माह 30000 रुपये का अनुदान प्रदान किया जाता है, जिसे कुछ मामलों में 18 महीने तक भी बढाया जा सकता है।
- अधिकतम 18 महीनों में प्रत्येक EIR को 3.6 लाख रुपए के अधिकतम समर्थन के साथ प्रति माह 30000 रुपए तक दिया जाता है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुभवी एवं सफल उद्यमियों द्वारा छोटे उद्यमियों को व्यावसायिक अवधारणा रणनीति से संबंधित मार्गदर्शन प्रदान करना है जो उद्यमी होने के लिये सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को प्रेरित करते हैं।
- सीएसआईआर-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (CSIR-National Chemical Laboratory) के तहत संचालित इन्क्यूबेशन केंद्र (Incubation Hub) इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन भागीदार हैं।
निधि कार्यक्रम:
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Science & Technology department- DST) द्वारा ज्ञान-आधारित और प्रौद्योगिकी संचालित नवाचारों एवं विचारों को लाभदायक स्टार्ट-अप में बदलने के उद्देश्य से निधि कार्यक्रम (NIDHI Program) शुरू किया गया है।
- इस कार्यक्रम के तहत अन्वेषकों एवं उद्यमियों के लिये इन्क्यूबेटर्स (Incubators), सीड फंड (Seed Fund), एक्सेलेरेटर्स (Accelerators) और ’प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट’ (Proof of concept) अनुदान की स्थापना के कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।
नोविचोक
Novichok
जर्मनी ने कहा कि रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक अलेक्सई नवलनई (Alexei Navalny) को जहर देने के लिये नोविचोक (Novichok) का इस्तेमाल किया गया था जो कि एक नर्व एजेंट (Nerve Agent) है।
प्रमुख बिंदु:
- गौरतलब है कि अलेक्सई नवलनई (Alexei Navalny) बर्लिन के एक अस्पताल में कोमा में है।
- नोविचोक (Novichok) नामक नर्व एजेंट को 1970 एवं 1980 के दशक में सोवियत संघ में विकसित किया गया था।
- ‘नोविचोक’ का अर्थ ‘नवागंतुक’ (Newcomer) है। इसका उपयोग अत्यधिक विषैले नर्व एजेंटों के रूप में किया जाता है जो कि जहरीली गैसों वीएक्स (VX) और सरीन (Sarin) से थोड़ा अलग है।
- नोविचोक एजेंट को अन्य विषैले पदार्थों की तुलना में 5 से 10 गुना अधिक घातक माना जाता है।
- माना जाता है कि रूस को कभी भी नोविचोक या उसकी सामग्री रखने के लिये हेग (नीदरलैंड) स्थित ‘रासायनिक हथियार निषेध संगठन’ (Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons- OPCW) द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया गया, जो रासायनिक हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाली एक संधि की देखरेख करता है।
- वर्ष 1997 के ‘रासायनिक हथियार अभिसमय’ (Chemical Weapons Convention) के तहत किसी भी तरह के रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गौरतलब है कि इस संधि में रूस भी एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- नवंबर 2019 में OPCW के सदस्यों ने नोविचोक एजेंटों को शामिल करने के लिये प्रतिबंधित रसायन सूची ‘अनुसूची-1’ में विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की और यह प्रतिबंध 7 जून, 2020 से लागू हुआ।
क्रसटेशिया
Crustacea
हाल ही में पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध मरुस्थल दश्त-ए लुट (Dasht-e Lut) से मीठे पानी के क्रस्टेशिया (Crustacea) की एक नई प्रजाति की खोज की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- क्रस्टेशिया की यह नई ज्ञात प्रजाति जीनस फालोक्रिप्टस (Phallocryptus) से संबंधित है।
- गौरतलब है कि अलग-अलग शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में क्रस्टेशिया (Crustacea) की पहले से ही चार प्रजातियाँ ज्ञात हैं।
- ईरानी संरक्षण जीवविज्ञानी ‘हादी फहीमी’ (Hadi Fahimi) के सम्मान में क्रस्टेशिया (Crustacea) की इस नई प्रजाति को फालोक्रिप्टिस फहीमी (Phallocryptus Fahimii) नाम दिया गया है। जिनकी वर्ष 2018 में एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
- गौरतलब है कि जीवविज्ञानी ‘हादी फहीमी’ (Hadi Fahimi) वर्ष 2017 में उस अभियान दल का हिस्सा थे जो ईरान के दश्त-ए लुट मरुस्थल की पारिस्थितिकी, जैव विविधता, भू-आकृति विज्ञान एवं जीवाश्म विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने के लिये इसका अन्वेषण कर रहा था।
- क्रस्टेशिया (Crustacea) की इस नई प्रजाति से संबंधित निष्कर्षों को ‘ज़ूलॉजी इन मिडिल ईस्ट’ (Zoology in the Middle East) में प्रकाशित किया गया है।
दश्त-ए लुट (Dasht-e-Lut):
- यह एक विशाल लवणीय रेगिस्तान है जो ईरान के केरमान (Kerman) एवं सिस्तान (Sistan) तथा बलूचिस्तान (Baluchestan) प्रांतों में फैला हुआ है।
- यह दुनिया का 25वाँ सबसे बड़ा रेगिस्तान है और ईरान का दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है।
- दश्त-ए-काविर (Dasht-e-Kavir) जिसे काविर-ए-नमक एवं ग्रेट साल्ट डेज़र्ट (Great Salt Desert) के रूप में भी जाना जाता है, ईरान का सबसे बड़ा मरुस्थल है।
- इसे 17 जुलाई, 2016 को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
- वर्ष 2006 में नासा (NASA) ने इस रेगिस्तान का तापमान 70.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया था जो हाल के दिनों में बढ़कर 80.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है। गहरे कंकड़ (Dark Pebbles) जो गर्मी उत्पन्न करते हैं, इस अधिकतम तापमान के कारणों में से एक हैं।
- यहाँ औसत तापमान -2.6°C (सर्दियों में) से लेकर 50.4°C (गर्मियों में) तक होता है जबकि वार्षिक वर्षा 30 मिमी. प्रति वर्ष से अधिक नहीं होती है।
रेगिस्तान की एफ्रो-एशियाई बेल्ट (Afro-Asian Belt of Deserts):
- ईरान, रेगिस्तान की एफ्रो-एशियाई बेल्ट का एक हिस्सा है जो पश्चिम अफ्रीका के केप वर्डे द्वीपों (Cape Verde Islands) से लेकर मंगोलिया तक फैली हुई है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 सितंबर, 2020
असम धरोहर विधेयक
हाल ही में असम विधानसभा ने मानसून सत्र के समापन दिवस पर राज्य की ऐसी मूर्त विरासत की रक्षा, संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिये एक विधेयक पारित किया है, जो कि वर्तमान में किसी भी राष्ट्रीय या राज्य कानून के तहत शामिल नहीं है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि असम (मूर्त) धरोहर सुरक्षा, संरक्षण, परिरक्षण और रखरखाव विधेयक, 2020 का पारित होना वर्ष 1985 के असम समझौते के खंड 6 को लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस विधेयक में संग्रहालय वस्तुओं (Museum Objects) जैसे सिक्के, मूर्तियों, पांडुलिपियों, पुरालेखों या कला और शिल्प कौशल के अन्य कार्य और स्वदेशी लोगों की सभी सांस्कृतिक कलाकृतियों को शामिल किया गया है। यह विधेयक असम की मूर्त विरासत की रक्षा, संरक्षण, रखरखाव और जीर्णोद्धार का प्रयास करता है। अधिनियम में उन सभी धरोहरों को शामिल किया जाएगा जो कम-से-कम 75 वर्ष से अस्तित्त्व में हैं। इस विधेयक के तहत उन धरोहर स्थलों को शामिल नहीं किया जाएगा, जिन्हें संसद द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित किया गया है अथवा जिन्हें असम प्राचीन स्मारक और अभिलेख अधिनियम, 1959 के तहत कवर किया गया है। असम समझौते की धारा-6 में असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान और धरोहर के संरक्षण तथा उसे बढ़ावा देने के लिये उचित संवैधानिक, विधायी तथा प्रशासनिक उपाय करने का प्रावधान है।
जम्मू-कश्मीर जैव विविधता परिषद
हाल ही में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश में जैविक घटकों के संरक्षण और उसके घटकों के सतत् उपयोग के लिये 10 सदस्यीय परिषद का गठन किया। इस संबंध में जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, राज्य के प्रधान महा वनसंरक्षक (Principal Chief Conservator of Forests) इस 10 सदस्यीय पैनल के अध्यक्ष होंगे, साथ ही इस पैनल में पाँच गैर-सरकारी सदस्य भी शामिल होंगे। वहीं जम्मू-कश्मीर के वन अनुसंधान संस्थान के निदेशक इस परिषद के सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे। अधिसूचना के अनुसार परिषद के गैर-सरकारी सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष की अवधि का होगा। प्रदेश के वित्त विभाग की सहमति से यह एक कोष का गठन करेगी, जिसे ‘जम्मू और कश्मीर जैव विविधता परिषद कोष’ (Jammu and Kashmir Biodiversity Council Fund) के रूप में जाना जाएगा और इसमें सभी शुल्क, प्रभार और परिषद द्वारा प्राप्त लाभ राशि डाली जाएगी। यह परिषद राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के परामर्श से, जैव विविधता से संबंधित मुद्दों में अनुमोदन प्राप्त करने के लिये प्रारूप और प्रक्रियाओं को सूचित करेगा।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व
असम सरकार ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park) में 3,000 हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त भूमि शामिल करने को मंज़ूरी दी है। ध्यातव्य है कि यह बेहतर वन्यजीव संरक्षण और भविष्य में मानव तथा वन्यजीवों के बीच संघर्ष की स्थिति को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। अतिरिक्त भूमि शामिल होने के साथ ही राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल बढ़कर 914 वर्ग किमी हो जाएगा। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व राष्ट्रीय उद्यान में वर्ष 2016 में 195 वर्ग किमी. भूमि शामिल की गई थी, जिससे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को ओरंग राष्ट्रीय उद्यान से जोड़ा गया था। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम राज्य में स्थित है। उद्यान में लगभग 250 से अधिक मौसमी जल निकाय (Water Bodies) हैं, इसके अलावा डिपहोलू नदी (Dipholu River) इसके मध्य से बहती है। काजीरंगा में संरक्षण प्रयासों का अधिकांश ध्यान 'बड़ी चार' प्रजातियों- राइनो (Rhino), हाथी (Elephant), रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal Tiger) और एशियाई जल भैंस (Asiatic Water Buffalo) पर केंद्रित है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान विश्व में लुप्तप्राय एक सींग वाले गैंडों का सबसे बड़ा निवास स्थान है। उद्यान में लगभग 2,400 गैंडे और 121 बाघ हैं।
बांग्लादेश को त्रिपुरा से जोड़ता नया जलमार्ग
त्रिपुरा और बांग्लादेश को अंतर-देशीय जलमार्ग से जोड़ने के लिये बांग्लादेश के दाउदकंडी से त्रिपुरा के सोनमुरा तक ट्रायल रन की शुरुआत हो गई है। इस ट्रायल के हिस्से के रूप में बांग्लादेश के दाउदकंडी से एक जहाज़ त्रिपुरा के सोनमुरा के लिये रवाना हुआ है, जो कि 93 किलोमीटर का रास्ता तय करते हुए अनुमानतः 5 सितंबर तक भारत पहुँचेगा। इस जलमार्ग के शुरू होने से पूर्वोत्तर के राज्यों को खासा फायदा मिलेगा और भारत तथा बांग्लादेश के बीच कारोबार में भी बढ़ोतरी होगी। मौजूदा कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के दौर में अंतर-देशीय जलमार्ग के माध्यम से उन्नत कनेक्टिविटी दोनों देशों (भारत-बांग्लादेश) के व्यापारियों और व्यापारिक समुदायों के लिये परिवहन का एक किफायती, तेज़, सुरक्षित और स्वच्छ माध्यम प्रदान करेगी।