लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रौद्योगिकी

युद्ध का एक और नया रूप है : रासायनिक हथियार

  • 16 Apr 2018
  • 19 min read

संदर्भ

कुछ दिनों से सीरिया से आ रही तस्वीरों में ऑक्सीजन मास्क पहने बच्चों को देखकर जहाँ एक ओर मानवता शर्मसार हो रही है वहीं, दूसरी ओर एक सवाल गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। आखिर हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या और कैसा भविष्य देने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से जो कुछ भी सीरिया में हो रहा है, उसके बाद यह कहना गलत होगा कि मानवता विकास की ओर अग्रसर है या फिर यह कि दुनिया के सामने शक्ति प्रदर्शन के भौंडे प्रारूप में अपने ही भविष्य की नीवं को खोदना कितना सही है, एक विचारणीय प्रश्न है। हाल ही में सीरिया के डूमा अथवा दोउमा में हुए रासायनिक हमले के बाद होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस हमले ने एक बार फिर से रासायनिक हथियारों अथवा रासायनिक गैसों के इस्तेमाल के मुद्दे को चर्चा का विषय बना दिया है। इस लेख के अंतर्गत हमने रासायनिक हथियारों और इससे संबद्ध मुद्दों के संबंध में प्रकाश डालने का प्रयास किया है।

रासायनिक हथियार क्या है?

  • यह डिलीवरी सिस्टम जैसे बम अथवा तोपखाने में प्रयुक्त एक ज़हरीला रसायन होता है। सामान्य शब्दों में उन शस्त्रों को रासायनिक शस्त्र (chemical weapon - CW) कहा जाता है जिसमें ज़हरीले रसायन का उपयोग किया जाता है। रासायनिक शस्त्र, जनसंहार करने वाले शस्त्रों का एक प्रकार है।
  • जैविक हथियारों के आक्रमण के लिये अत्याधुनिक एवं महँगे साधन की आवश्यकता नहीं होती है, इनके लिये छोटे-मोटे जानवरों, पक्षियों, हवा, पानी, मनुष्य आदि किसी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • रासायनिक हथियारों के प्रयोग से न केवल हज़ारों-लाखों की तादाद में लोगों को पल भर में मौत की नींद सुलाया जा सकता है बल्कि उन्हें भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रभाव में तिल-तिल करके मरने के लिये भी छोड़ा जा सकता है 
  • सीडब्ल्यूसी (Chemical Weapons Convention – CWC) द्वारा इसकी परिभाषा को और अधिक विस्तारित किया गया है। इसके अंतर्गत वैसे रसायनों की उपलब्धता को सीमित करने का प्रयास किया जाता है जिनका सामूहिक विनाश के उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • हालाँकि, सीडब्ल्यूसी के तहत सदस्य देशों को शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिये इन रसायनों में से कुछ का उपयोग करने के अधिकारों को सुरक्षित भी रखा गया है।

नर्व गैस क्या है?

  • नर्व गैस एक तरह का रासायनिक हथियार होता है। इसके संपर्क में आने से लोगों का नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है।
  • नर्व गैस में इस्तेमाल होने वाले रसायन टबून (tabun), सरीन (sarin) और सोमन (soman) को जर्मनी द्वारा दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान तैयार किया गया था। हालाँकि, उस समय जर्मनी द्वारा इनका इस्तेमाल नहीं किया गया।
  • आमतौर पर एसिटाइलकोलिनेस्टेरेज़ (acetylcholinesterase) की कार्रवाई को अवरुद्ध करके मनुष्य के नर्व सिस्टम को प्रभावित किया जाता है, एसिटाइलकोलिनेस्टेरेज़ एक संयुग्म होता है, जो तंत्रिका कोशिकाओं में स्थित एन्जाइम एसिटाइल कोलीन की क्रिया को विघटित कर देता है।
  • जब एसिटाइलकोलिनेस्टेरेज़ को एसिटाइलकोलाइन को तोड़ने के अपने सामान्य कार्य से बाधित किया जाता है, तो माँसपेशियाँ अनियंत्रित संकुचन की स्थिति में जा जाती हैं जो कि पक्षाघात अर्थात् पैरालिसिस की स्थिति बनाती है।
  • ऐसी स्थिति में मनुष्य की मौत होने का मुख्य कारण पैरालिसिस के कारण हृदय और श्वसन माँसपेशियों का प्रभावित होना पाया जाता है।
  • इतना ही नहीं, नर्व एजेंट को त्वचा के माध्यम से भी अवशोषित किया जा सकता है।

नर्व गैस की अन्य रासायनिक हथियारों के साथ कैसे तुलना की जाती है?

  • नर्व गैस दुनिया के सबसे घातक एवं ज़हरीले हथियारों में से है। सीडब्ल्यूसी की विभिन्न स्तरों के रसायनों की सूची में नर्व गैस सबसे प्रतिबंधित गैसों में से एक है। नर्व गैस को प्रतिबंधित करने का सबसे अहम कारण इसका रासायनिक युद्ध के अलावा कोई अन्य उपयोग न होना है।
  • जब कोई भी देश इन प्रतिबंधों की उपेक्षा करते हुए नए हथियारों को विकसित करता है, तो वह नर्व एजेंट को विकसित करने के विकल्प को चुनता है। इसी तकनीक पर Novichok को तैयार किया गया है, क्योंकि यह प्रतिबंध रासायनिक सूत्रों पर आधारित है, जबकि नए अणुओं के निर्माण में प्रतिबंधों की उपेक्षा की गई है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, Novichok, VX नर्व एजेंट की तुलना में 5 से 8 गुना अधिक घातक है और इसका प्रभाव भी बहुत तेज़ी से (30 सेकंड से 2 मिनट में) परिलक्षित होता है।
  • VX नर्व एजेंट को अमेरिका और रूस (उस समय सोवियत यूनियन) द्वारा शीत युद्ध के समय भारी मात्रा में तैयार किया गया था। हालाँकि, 1993 में हुए कैमिकल वेपंस कंवेंशन में रासायनिक हथियारों को विकसित और उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी गई थी।
  • आपकी जानकारी के लिये बता दें कि यदि इन रसायनों का एक ड्राप भी किसी व्यक्ति के खून में मिला दिया जाए तो उसके नर्वस सिस्टम को लकवा मार जाता है। तत्पश्चात् साँस न ले पाने की वज़ह से उसकी मृत्यु हो जाती है।

कौन-कौन से रासायनिक हथियार गंभीर श्रेणी में आते हैं?
नर्व एजेंट वीएक्स

  • नर्व एजेंट वीएक्स को संयुक्त राष्ट्र ने सामूहिक हत्या करने वाला रासायनिक हथियार बताया है। यह सबसे अधिक ज़हरीला रासायनिक हथियार है जो एक तरल पदार्थ है।
  • यह रंगहीन होने के साथ–साथ गंधहीन भी होता है। यह त्वचा के अंदर जाकर तंत्रिकाओं के ज़रिये संदेश भेजे जाने को रोक देता है।

सारिन

  • जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा 1938 में सारिन नामक रासायनिक हथियार को तैयार किया गया। इसे हानिकारक कीटों को मारने के लिये एक कीटनाशक के रूप में तैयार किया गया था। परंतु वर्तमान समय में यह एक सबसे खतरनाक नर्व गैस मानी जाती है।
  • रासायनिक संरचना में यह दूसरे नर्व एजेंट जैसा ही है। तरल रूप में यह गंधहीन और रंगहीन होती है। वाष्पशील होने के कारण यह आसानी से गैस में परिवर्तित हो जाती है। 

ताबुन

  • 1936 में श्रेडर द्वारा ताबुन की खोज की गई थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सामान्य बमों में रासायनिक तत्त्वों को भरकर इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई। सौभाग्य की बात यह है कि इन बमों का इस्तेमाल नहीं किया गया।
  • तरल रूप में ताबुन में फल जैसी खुशबू होती है। प्रभाव और लक्ष्ण में यह लगभग सारिन के जैसा ही होता है।

मस्टर्ड गैस

  • सर्वप्रथम विश्वयुद्ध-I में मस्टर्ड गैस का आधिकारिक इस्तेमाल किया गया था। रासायनिक हथियार के रूप में प्रयुक्त दूसरी गैसों की तरह इसे बहुत अधिक घातक हथियार की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इसके संपर्क में आने के 24 घंटे बाद इसका प्रभाव दिखता है।
  • इसके प्रभाव में आने के बाद सबसे पहले त्वचा लाल हो जाती है, फिर शरीर पर फफोले निकलते हैं और त्वचा छिलके की तरह उतरने लगती है। यदि यह फेफड़ों तक पहुँच जाती है तो इसके कारण मृत्यु भी हो सकती है।

फॉसजेन

  • उपरोक्त सभी में फॉसजेन को सबसे घातक रासायनिक हथियारों में शामिल किया जाता है। प्लास्टिक और कीटनाशक के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली फॉसजेन एक रंगहीन गैस है। फॉसजेन के संपर्क में आते ही साँस फूलने लगती है, कफ बनता है और नाक बहने लगती है।

क्लोरीन

  • आमतौर पर क्लोरीन का इस्तेमाल सफाई, कीटनाशक और रबर निर्माण अथवा पानी को साफ करने के लिये किया जाता है। परंतु यदि क्लोरीन को अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।

किसे प्रतिबंधित नहीं किया गया है?

  • आँसू गैस गोले (Teargas shells) ऐसा ही एक रासायनिक संघटक हैं जिसका इस्तेमाल अक्सर दंगा नियंत्रण के लिये किया जाता हैं। इसी प्रकार एक अन्य उदहारण है पेपर स्प्रे (pepper spray), यह एक हल्का रासायनिक हथियार होता है।

कितने देशों के पास रासायनिक हथियार हैं अथवा कितने देशों द्वारा इनका इस्तेमाल किया जाता है?

  • सीडब्ल्यूसी के हस्ताक्षरकर्त्ता 192 देशों में से अल्बानिया, भारत, इराक, लीबिया, रूस, सीरिया और अमेरिका रासायनिक हथियार धारक देश है।
  • इनमें से अल्बानिया,  भारत, लीबिया, रूस और सीरिया द्वारा रासायनिक हथियारों को नष्ट करने की घोषणा की गई है।
  • ओपीसीडब्ल्यू के मुताबिक, संपूर्ण विश्व के कुल 72,304 रासायनिक हथियारों में से लगभग 96.27% अथवा 69,610 को सच में नष्ट किया गया है।

अभी तक किसने रासायनिक हथियारों का उपयोग किया है?

  • प्रथम विश्वयुद्ध में क्लोरीन और फॉसजेन गैसों का इस्तेमाल किया गया था।
  • 1980 के दशक के युद्ध के दौरान इराक द्वारा ईरान में रासायनिक हथियारों तथा 1988 में कुर्द निवासियों के खिलाफ मस्टर्ड गैस (mustard gas) और नर्व एजेंट का इस्तेमाल किया गया था।
  • 1994 में जापान में सरीन गैस के इस्तेमाल से 8 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि करीब 500 लोग प्रभावित हुए थे।
  • 1995 में टोक्यो मेट्रो में हुए एक सरीन हमले में 12 लोग मारे गए थे, जबकि 50 लोग घायल हुए थे।

सीरिया के संदर्भ में बात करें तो

  • अगस्त 2013 में घौतू में एक कथित नर्व एजेंट के हमले में 1100 लोगों की मौत हो गई थी। अक्तूबर 2013 से अप्रैल 2014 तक सीरिया में कथित रासायनिक हमलों में (कफर ज़ेइता शहर, ज़हरीली गैस के इस्तेमाल से 2 लोगों की मौत हुई, जबकि 100 लोग बीमार पड़े); मई 2015 में (सर्मिन शहर, क्लोरीन का इस्तेमाल, 6 लोगों की मौत हुई); अगस्त 2015 में (मारीया शहर, मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल, 50 लोग बीमार पड़े); सितंबर 2016 में (अलेप्पो शहर, क्लोरीन का इस्तेमाल, 2 लोगों की मौत हुई); अप्रैल 2017 में (खान शेइखौन शहर, सरीन गैस का इस्तेमाल, 70 लोगों की मौत हुई) और अब ड्यूमा में हुए नुकसान से यह स्पष्ट है कि स्थिती कितनी गंभीर है।

वैश्विक स्तर पर रासायनिक हथियारों के प्रबंधन के संबंध में क्या उपाय किये जा रहे हैं?

  • जैसा कि हमने ऊपर चर्चा की है कि पहले विश्वयुद्ध के दौरान रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया, जिसके बेहद खतरनाक परिणाम सामने आए थे। इसके बाद से इन हथियारों पर रोक लगाने के लिये कई अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ हुईं परंतु इन्हें पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सका। 
  • 1980 के दशक में इराक द्वारा खाड़ी युद्ध में ईरानी सेना और कुर्दों के विरुद्ध रासायनिक हथियारों का प्रयोग किये जाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस संबंध में गंभीरता से प्रयास आरंभ किये। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 1997 में CPW अस्तित्व में आई।
  • अमेरिका समेत विश्व के 192 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किये।
  • संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था OPCW विश्व में रसायनिक हथियारों को खत्म करने के लिये काम कर रही है। हेग स्थित इस संस्था के शांति के प्रयासों को देखते हुए वर्ष 2013 में इस संस्था को शांति के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

रासायनिक हथियार निषेध संगठन
(Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons—OPCW)

  • रासायनिक हथियार निषेध संगठन अर्थात् ऑर्गनाइज़ेशन फ़ॉर प्रोहिबिशन ऑफ़ केमिकल वेपंस संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा समर्थित एक स्वतंत्र संस्था (संयुक्त राष्ट्र संघ से स्वतंत्र) है, यह सीडब्लूसी के प्रावधानों को क्रियान्वित करती है।
  • रासायनिक हथियार निषेध संगठन (Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons—OPCW) 29 अप्रैल, 1997 को अस्तित्व में आया तथा इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में स्थित है।
  • यह संस्था दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और उनकी रोकथाम के लिये काम करती है। यह रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल, उत्पादन एवं भंडारण क निषेध करती है।
  • OPCW में 192 हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं, जो वैश्विक आबादी के 98% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • रासायनिक हथियार अभिसमय के सभी 190 सदस्य देश स्वाभाविक रूप से OPCW के सदस्य हैं। इज़रायल और म्याँमार गैर-सदस्य हैं जिन्होंने संधि पर हस्ताक्षर तो किये हैं लेकिन रासायनिक हथियार अभिसमय की पुष्टि नहीं की है, दूसरी ओर अंगोला, मिस्र, उत्तर कोरिया और दक्षिण सूडान ने न तो रासायनिक हथियार अभिसमय पर हस्ताक्षर किये हैं और न ही इसको माना है।
  • 14 जनवरी, 1993 को भारत सीडब्ल्यूसी के लिये एक मूल हस्ताक्षरकर्त्ता बना।

वर्तमान स्थिति क्या है?

  • पिछले दिनों सीरिया की राजधानी दमिश्क के समीप हुए रासायनिक हमले के बाद दर्जनों लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में सबसे अधिक छोटे बच्चे हैं। यह हमला कोई नया नहीं है वरन् यह सीरिया में आए दिन होने वाली हिंसा की ही अगली कड़ी है।
  • आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले एक महीने में वहाँ 1600 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 2000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र की हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक माह में एक लाख तीस हज़ार से अधिक सीरियाई लोगों ने पलायन किया है।

निष्कर्ष

दुःख की बात यह है कि इतना कुछ होने के बाद भी सीरियाई लोगों की तकलीफ कम होती नहीं दिख रही है। जहाँ एक ओर इरान, रूस और हिजबुल्ला असद सरकार की मदद कर रहे हैं वहीं, दूसरी ओर अमेरिका के नेतृत्व वाला गुट असद और उनके समर्थकों के खिलाफ मार्चा खोले हुए है। जहाँ ईराक में अमेरिका ISIS के विरुद्ध लड़ रहा है वहीं, सीरिया में वह इसका साथ दे रहा है। ऐसे में कहना गलत न होगा कि मिडिल ईस्ट के समाधान के संबंध में अभी तक अमेरिका अपना कोई स्पष्ट मत नहीं बना सका है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का ऐसा विरोधाभासी पक्ष इस समस्या को दिन-प्रतिदिन और उलझाता जा रहा है। स्पष्ट रूप से यह संपूर्ण विश्व के लिये एक बहुत चिंताजनक स्थिति है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2