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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 02 Apr, 2025
  • 14 min read
रैपिड फायर

ऑस्ट्रेलियाई प्रवाल भित्तियों में प्रवाल विरंजन

स्रोत: द हिंदू

जलवायु परिवर्तन के कारण लंबे समय से जारी मरीन हीटवेव के कारण ऑस्ट्रेलिया के निंगलू रीफ और ग्रेट बैरियर रीफ सामूहिक प्रवाल विरंजन का सामना कर रहे हैं।  

प्रवाल विरंजन

  • यह पर्यावरणीय तनाव, मुख्य रूप से सागरीय तापमान में वृद्धि के कारण प्रवाल के रंग का नष्ट होना (श्वेत हो जाना) है, जिसके कारण प्रवाल पोषक तत्त्व और रंग प्रदान करने वाले सहजीवी शैवाल (जूक्सैन्थेला) को बाहर निकाल देते हैं।
  • वर्ष 2023 के बाद से प्रवाल विरंजन में 83.6% की वृद्धि हुई है, तथा 81 देशों में प्रवाल विरंजन की घटना रिपोर्ट की गई है।

ग्रेट बैरियर रीफ:

  • यह विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति है, जो ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड से 2,300 किमी तक फैली हुई है।

निंगलू रीफ:

  • निंगलू रीफ (वर्ष 2011 से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर 300 किलोमीटर लंबी एक तटीय रीफ है।
    • फ्रिंजिंग रीफ वे प्रवाल भित्तियाँ हैं जो समुद्रतटों या द्वीपों के किनारे बनती हैं, तथा तट से इनकी दूरी बहुत कम या न के बराबर होती है।
  • निंगलू तट में समृद्ध जैवविविधता, गहन सागरीय पर्यावास, कार्स्ट गुफाएँ और केप रेंज परिदृश्य मौजूद हैं। 
    • यहाँ प्रतिवर्ष 300-500 व्हेल शार्क और एक्समाउथ स्पाइनी-टेल्ड गेको, वेस्टर्न नेटेड ड्रैगन और वेस्ट कोस्ट बैंडेड स्नेक जैसी अद्वितीय स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

और पढ़ें: ग्रेट बैरियर रीफ में कोरल ब्लीचिंग 


प्रारंभिक परीक्षा

म्याँमार भूकंप

स्रोत: द हिंदू

म्याँमार के मध्य भाग में 7.7 तीव्रता के साथ एक भीषण भूकंप की घटना हुई, जिससे मुख्य रूप से मंडाले शहर में व्यापक विनाश। यह भूकंपीय घटना हाल के वर्षों में जनित सर्वाधिक भीषण भूकंपों में से एक है।

म्याँमार भूकंप का कारण क्या था?

  • स्ट्राइक-स्लिप फॉल्टिंग: म्याँमार में भूकंप की घटना सागाइंग फॉल्ट के साथ एक प्रकार के फॉल्टिंग के कारण हुई थी, जिसे "स्ट्राइक-स्लिप फॉल्टिंग" कहते हैं।
    • म्याँमार में 1,500 किलोमीटर में विस्तृत सागाइंग फॉल्ट पश्चिम में भारतीय प्लेट और पूर्व में यूरेशियन प्लेट के बीच टेक्टोनिक प्लेट सीमा को चिह्नित करता है। यह विश्व के सर्वाधिक दीर्घ सर्वाधिक सक्रिय नतिलंब सर्पण भ्रंश (Strike-Slip Faults) में से एक है।
  • प्लेटों में पारस्परिक क्रिया: यह भूकंप भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच हुए संचलन के कारण हुआ, जिसमें भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के सापेक्ष उत्तर की ओर बढ़ रही थी। 
    • इस पारस्परिक क्रिया के कारण भ्रंश रेखा (Fault Line), विशेष रूप से सागाइंग फॉल्ट के अनुदिश प्रतिबल एकत्रित होता है। जब एकत्रित प्रतिबल अचानक से विमुक्त होता है, तो भूकंप की घटना होती है। 

नोट: संबद्ध क्षेत्र में 'प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता' के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि  करते हुए म्याँमार में हुई भूकंप की घटना में सहायता करने हेतु भारत ने मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) प्रदान करने के लिये ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया। 

  • भारतीय नौसेना के जहाज़ों सतपुड़ा, सावित्री, करमुक (स्वदेश निर्मित मिसाइल कार्वेट) और लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी (LCU) 52 (यह दूसरा LCU Mk-IV वर्ग है) को आवश्यक राहत सामग्री के साथ यांगून, म्याँमार के लिये भेजा गया।

भ्रंश क्या है?

  • परिभाषा: भ्रंश भू पर्पटी में शैलों के दो खंडों के बीच एक विभंजन अथवा विभंग क्षेत्र होता है, जिसके कारण खंडों में एक दूसरे की सापेक्ष गति में संचलन होता है।
    • भूवैज्ञानिक फॉल्ट को उसके ढाल (सतह के संबंध में फॉल्ट का कोण) और फॉल्ट के साथ गति (स्लिप) की दिशा के आधार पर वर्गीकृत करते हैं।
    • यह संचलन विवर्तनिक तनाव (Tectonic Stress) के कारण होती है, जो अकस्मात् हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप आ सकता है। 
    • विवर्तनिक तनाव (Tectonic Stress) भ्रंश रेखाओं के साथ बनता है और जब मुक्त होता है, तो ब्लॉकों को स्थानांतरित करता है, जिससे भूकंपीय गतिविधि उत्पन्न होती है।

फॉल्ट के प्रकार:

  • नॉर्मल फॉल्ट: नॉर्मल फॉल्ट एक डिप-स्लिप फॉल्ट है, जहाँ फॉल्ट के ऊपर का ब्लॉक नीचे के ब्लॉक के सापेक्ष नीचे की ओर गति करता है।

Normal_Fault

  • रिवर्स फॉल्ट: रिवर्स (थ्रस्ट) फॉल्ट एक डिप-स्लिप फॉल्ट है, जहाँ ऊपरी ब्लॉक ऊपर की ओर गति करता है और निचले ब्लॉक के ऊपर अभिसरित होता है। इस प्रकार की भ्रंशन संपीड़न क्षेत्रों में होती है, जैसे कि जहाँ एक विवर्तनिक प्लेट दूसरी के नीचे क्षेपित हो जाती है, जैसा कि जापान में होता है।

Reverse_Fault

  • स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट: यह तब होता है जब ब्लॉक एक दूसरे के ऊपर क्षैतिज रूप से अधिक्षिप्त होते हैं।
    • राइट लेटरल स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट का अर्थ है दोनों तरफ से देखने पर दूर स्थित ब्लॉक का विस्थापन दाईं ओर होता है (उदाहरण के लिये, सैन एंड्रियास फॉल्ट)।
    • लेफ्ट-लेटरल स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट का अर्थ है दोनों तरफ से देखने पर दूर के ब्लॉक का विस्थापन बाईं ओर है।

Strike-slip_Faults

Earthquake

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)

  1. विद्युत चुंबकीय विकिरण
  2.  भू-तापीय ऊर्जा
  3.  गुरुत्वाकर्षण बल
  4.  प्लेट संचलन
  5.  पृथ्वी का घूर्णन
  6.  पृथ्वी की परिक्रमण

उपर्युक्त में से कौन पृथ्वी की सतह पर गतिशील परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं?

(a) केवल 1, 2, 3 और 4
(b) केवल 1, 3, 5 और 6
(c) केवल 2, 4, 5 और 6
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. भारतीय उप-महाद्वीप में भूकंपों की आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। फिर भी, इनके प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु भारत की तैयारी (तत्परता) में महत्त्वपूर्ण कमियाँ हैं। विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न. भूकंप संबंधी संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में, भारत के विभिन्न भागों में भूकंप द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिये। (2021)


रैपिड फायर

राणा सांगा

स्रोत: द हिंदू

लोकसभा में 16वीं सदी के राजपूत राजा राणा सांगा के बारे में चर्चा हुई।

  • महाराणा संग्राम सिंह (1484-1527), जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, मेवाड़ के राजपूत शासक और सिसोदिया वंश के उत्तराधिकारी थे।
  • वर्ष 1508 से वर्ष 1528 की अवधि में शासन करते हुए उन्होंने राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
  • राणा सांगा ने खातोली के युद्ध (1517) और धौलपुर के युद्ध (1518) में इब्राहिम लोदी को तथा गागरोन के युद्ध (1519) में सुल्तान महमूद खिलजी द्वितीय को पराजित कर उत्तर भारत में राजपूत प्रभुत्व स्थापित किया।
  • हालाँकि, बाबर के विरुद्ध खानवा के युद्ध (1527) में उनकी महत्त्वाकांक्षाओं को बड़ा झटका लगा , जहाँ मुगलों द्वारा तोप का प्रयोग करने और स्वजनों से विश्वासघात के कारण उनकी हार हुई। उनकी विरासत राजपूत वीरता के प्रतीक के रूप में अभी भी अक्षुण्ण बनी हुई है।

Rana_Sanga

और पढ़ें: महाराणा प्रताप की जयंती


रैपिड फायर

KV और JNV में ऐस्बेस्टॉस पर प्रतिबंध

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

शिक्षा मंत्रालय ने स्वास्थ्य पर ऐस्बेस्टॉस के गंभीर खतरों के कारण केंद्रीय विद्यालयों (KV) और जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNV) के निर्माण और नवीनीकरण में इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

  • ऐस्बेस्टॉस के परिसंकटमय प्रभावों के कारण 65 से अधिक देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस उपाय का उद्देश्य बच्चों के लिये कैंसर मुक्त और हानि रहित अधिगम परिवेश का निर्माण करना है।
  • ऐस्बेस्टॉस: यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज फाइबर है जो ऊष्णता और संक्षारण प्रतिरोध के लिये जाना जाता है। इसके छह मुख्य रूपों में से, क्राइसोटाइल (सफेद ऐस्बेस्टॉस) निर्माण और ऑटोमोबाइल उद्योग में सर्वाधिक उपयोग में लाया जाता है।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: ऐस्बेस्टॉस समूह 1 कार्सिनोजेन है, जो फेफड़ों के कैंसर, मेसोथेलियोमा (फुफ्फुस और पेरिटोनियल अस्तर को प्रभावित करने वाला कैंसर) और दीर्घकालिक श्वसन रोगों का कारण बनता है। 
    • ऐस्बेस्टॉस के संपर्क में आने से प्रतिवर्ष 200,000 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु होती है।
  • भारत में ऐस्बेस्टॉस: कारखाना अधिनियम, 1948 के तहत, ऐस्बेस्टॉस का विनिर्माण, संचालन और प्रसंस्करण परिसंकटमय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • भारत ने ऐस्बेस्टॉस खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन ऐस्बेस्टॉस-सीमेंट रूफिंग के लिये क्राइसोटाइल का आयात और प्रसंस्करण जारी रखा है।

Asbestos

और पढ़ें: संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐस्बेस्टॉस पर प्रतिबंध


रैपिड फायर

माता कर्मा बाई पर डाक टिकट

स्रोत: पी.आई.बी.

डाक विभाग ने माता कर्मा की 1009 वीं जयंती पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।

माता कर्मा

  • कर्मा बाई 11 वीं शताब्दी की संत और  कृष्ण भक्त थीं, जिनका जन्म 1017 ई. में झाँसी, उत्तर प्रदेश  में हुआ था।
  • वह अपनी अटूट भक्ति के लिये पूजनीय हैं और भगवान कृष्ण को खिचड़ी चढ़ाने के लिये जानी जाती हैं, यह परंपरा आज भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर में निभाई जाती है। 

जगन्नाथ मंदिर, पुरी

  • यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (विष्णु) को समर्पित है और इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश के अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था तथा इसका निर्माण 1230 ई. में अनंगभीम देव तृतीय के शासनकाल में पूरा हुआ था।
  • यह चार धामों में से एक है और इसे 'यमनिका तीर्थ' के नाम से जाना जाता है। 
  • मंदिर में कलिंग वास्तुकला का उपयोग किया गया है और प्रवेश द्वार पर अरुण स्तंभ स्थापित है, जो मूल रूप से कोणार्क सूर्य मंदिर से लिया गया है।
  • मंदिर में रथयात्रा उत्सव का आयोजन किया जाता है।

और पढ़ें: जगन्नाथ मंदिर 


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