प्रोटॉन बीम थेरेपी
वर्तमान में भारत में प्रोटॉन बीम थेरेपी उपचार प्रदान करने वाला कोई बुनियादी ढाँचा उपलब्ध नहीं है। यह प्रक्रिया ठोस ट्यूमर, विशेष रूप से सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज के लिये संभावित विकिरण-मुक्त विकल्प माना जाती है।
प्रोटॉन बीम थेरेपी:
- परिचय:
- प्रोटॉन बीम थेरेपी एक प्रकार का कैंसर उपचार है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये उच्च-ऊर्जा प्रोटॉन बीम का उपयोग करती है।
- प्रोटॉन एक सकारात्मक रूप से आवेशित प्राथमिक कण होता है जो सभी परमाणु नाभिकों का एक मूलभूत घटक है।
- पारंपरिक विकिरण चिकित्सा जो एक्स-रे का उपयोग करती है, के विपरीत प्रोटॉन बीम थेरेपी (PBT) आसपास के स्वस्थ ऊतकों के विकिरण जोखिम को कम करते हुए ट्यूमर को सटीक रूप से लक्षित कर सकती है।
- प्रोटॉन बीम थेरेपी सामान्यतः एक बड़ी, जटिल मशीन के माध्यम से की जाती है जिसे साइक्लोट्रॉन कहा जाता है, जो प्रोटॉन को उच्च गति के साथ ट्यूमर तक पहुँचाती है।
- प्रोटॉन बीम थेरेपी एक प्रकार का कैंसर उपचार है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये उच्च-ऊर्जा प्रोटॉन बीम का उपयोग करती है।
- प्रोटॉन बीम थेरेपी से संबंधित समस्याएँ:
- परमाणु ऊर्जा विभाग की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ जैसे- बुनियादी ढाँचे और नियामक दृष्टिकोण से PBT केंद्र खोलना इसे चुनौतीपूर्ण बनाती हैं।
- चूँकि हाइड्रोजन एक अत्यधिक ज्वलनशील तत्त्व है और इसकी सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ हैं अर्थात् रिसाव को रोकने हेतु लगातार निरीक्षण करना आवश्यक है।
- PBT मशीन एक बहुत बड़ा उपकरण है और इसकी लागत लगभग 500 करोड़ रुपए है।
- परमाणु ऊर्जा विभाग की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ जैसे- बुनियादी ढाँचे और नियामक दृष्टिकोण से PBT केंद्र खोलना इसे चुनौतीपूर्ण बनाती हैं।
- भारत में PBT :
- चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल, दक्षिण और पश्चिम एशिया का एकमात्र केंद्र है जो PBT सुविधा प्रदान करता है।
- इस अस्पताल में अब तक 900 रोगियों का इलाज किया गया है जिनमें 47% मामले ब्रेन ट्यूमर के थे।
- प्रोस्टेट, ओवरी, स्तन, फेफड़े, हड्डियों और सॉफ्ट टिश्यूज़ के कैंसर रोगियों के इलाज में भी PBT के आशाजनक परिणाम देखे गए हैं।
आगे की राह
- भारत में PBT उपचार तक पहुँच प्रदान किये जाने की आवश्यकता है। सरकार को देश के विभिन्न हिस्सों में PBT केंद्र स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिये ताकि अधिक-से-अधिक कैंसर रोगियों को इलाज की सुविधा प्राप्त हो सके।
- PBT केंद्र की स्थापना करते समय सुरक्षा चिंताओं, बुनियादी ढाँचे एवं नियामक चुनौतियों को संबोधित करना आवश्यक है। चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल PBT की सफलता के मामले में अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये इस तकनीक में निवेश करने हेतु प्रेरणादायक हो सकता है।
स्रोत: द हिंदू
भारत में ई-फार्मेसी
फरवरी 2023 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कम-से-कम 20 कंपनियों को ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री करने के लिये कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notices) जारी किया, जिनमें टाटा-1एमजी (Tata-1mg), फ्लिपकार्ट (Flipkart), अपोलो (Apollo), फार्म-ईज़ी (PharmEasy), अमेज़न (Amazon) और रिलायंस नेटमेड्स (Reliance Netmeds) शामिल हैं।
भारत में ई-फार्मेसी की वर्तमान स्थिति क्या है?
- परिचय:
- भारत में ई-फार्मेसी का विकास हाल के वर्षों में महत्त्वपूर्ण रहा है और 2021-2027 के दौरान 21.28% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के सुदृढ़ विकास के साथ बढ़ने की संभावना है।
- इस वृद्धि के मुख्य कारकों में इंटरनेट एवं स्मार्टफोन की बढ़ती पैठ, स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत तथा सुविधा और पहुँच की बढ़ती मांग शामिल हैं।
- ई-फार्मेसी का विकास:
- कोविड-19 के दौरान दवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी की आवश्यकता महसूस की गई थी। लॉकडाउन के दौरान लगभग 8.8 मिलियन परिवारों ने होम डिलीवरी सेवाओं का उपयोग किया।
- ई-फार्मेसी खुद को डोरस्टेप डिलीवरी का सूत्रधार बताती है और वेंडिंग दवाओं के लिये खुदरा केमिस्ट्स के साथ ताल-मेल का दावा करती है।
- कोविड-19 के दौरान दवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी की आवश्यकता महसूस की गई थी। लॉकडाउन के दौरान लगभग 8.8 मिलियन परिवारों ने होम डिलीवरी सेवाओं का उपयोग किया।
- चिंता:
- दवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव:
- लाइसेंस के बिना ऑनलाइन, इंटरनेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्मों के माध्यम से दवाओं, स्टॉक की बिक्री या वितरण की पेशकश का दवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ने की संभावना है और यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
- बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से दवाओं के दुरुपयोग की स्थिति उत्पन्न होती है।
- कोई वैधानिक समर्थन नहीं:
- औषधि और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम, 1940 भारत में औषधियों के आयात, निर्माण और वितरण को नियंत्रित करता है।
- हालाँकि औषधि और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम, 1940 अथवा औषधि अधिनियम, 1948 के तहत "ई-फार्मेसी" की कोई वैधानिक परिभाषा नहीं प्रदान की गई है।
- दवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव:
- ई-फार्मेसी का विनियमन:
- मसौदा ई-फार्मेसी नियम वर्ष 2018 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया गया थे।
- मुंबई, मद्रास, दिल्ली और पटना उच्च न्यायालय सहित कई न्यायालयी आदेशों में ई-फार्मेसी को विनियमित करने का आह्वान किया गया है।
- जून 2022 में जारी 172वीं संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट ने ई-फार्मेसी नियमों को अधिसूचित नहीं किये जाने के विषय में चिंता जताई।
- मसौदा ई-फार्मेसी नियम वर्ष 2018 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया गया थे।
निष्कर्ष:
एक समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु ई-फार्मेसी व्यवसायों और ऑफलाइन फार्मासिस्टों के हितों को लेकर संतुलन स्थापित किया जाना चाहिये। हाइब्रिडाइज़्ड इकोसिस्टम में सभी की निगाहें स्वास्थ्य मंत्रालय पर हैं, जिसे ड्रग स्पेस यानी दवा क्षेत्र में ई-कॉमर्स के नए तरीके को प्रभावी ढंग से विनियमित करना होगा।
स्रोत: द हिंदू
स्वायत्त पहल
सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर "स्टार्ट-अप्स, वीमेन एंड यूथ एडवांटेज थ्रू ई-ट्रांज़ैक्शन" (SWAYATT) को बढ़ावा देने की पहल "SWAYATT" की सफलता की याद में हाल ही में नई दिल्ली में एक समारोह का आयोजन किया गया।
स्वायत्त पहल:
- परिचय:
- यह पहल वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा फरवरी 2019 में प्रारंभ की गई थी।
- यह भारतीय उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख हितधारकों को राष्ट्रीय खरीद पोर्टल के साथ सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर एक साथ लाता है।
- अब तक की प्रगति:
- व्यापार के अवसरों में वृद्धि: GeM पोर्टल पर पंजीकृत किये गए सूक्ष्म और लघु उद्यम (Micro and Small Enterprises- MSEs) की संख्या 8.5 लाख से अधिक है जिसमें उन्होंने 68 लाख से अधिक ऑर्डर प्राप्त किये और इससे 1.87 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हुआ।
- महिला सशक्तीकरण: 1.45 लाख से अधिक महिला MSE ने 15,922 करोड़ मूल्य के 7.32 लाख ऑर्डर पूरे किये हैं।
- SC/ST को सशक्त बनाना: लगभग 43000 SC/ST MSE ने अब तक GeM पोर्टल पर 2,592 करोड़ मूल्य के 1.35 लाखसे अधिक ऑर्डर डिलीवर किये हैं।
- किसानों को बाज़ार की सुविधा: 105 किसान उत्पादक संगठन अब 200 से अधिक कृषि उत्पादों को GeM के माध्यम से सीधे सरकार को बेच सकते हैं।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस
- GeM एक ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म है जिसे वर्ष 2016 में सरकारी मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertakings- PSU) आदि द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की सुविधा हेतु स्थापित किया गया था।
- इसकी परिकल्पना भारत के राष्ट्रीय खरीद पोर्टल के रूप में की गई है।
- इसे राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीज़न (इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) के तकनीकी समर्थन के साथ आपूर्ति एवं निपटान महानिदेशालय (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) द्वारा विकसित किया गया है।
- यह आपूर्ति एवं निपटान महानिदेशालय (Directorate General of Supplies and Disposals- DGS&D), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- GeM पूरी तरह से पेपरलेस, कैशलेस और सिस्टम संचालित ई-मार्केटप्लेस है जो न्यूनतम मानव इंटरफेस के साथ सामान्य उपयोग की वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद को सक्षम बनाता है।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 मार्च , 2023
पृथ्वी की 5वीं परत
एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लगभग 650 किमी. {आंतरिक क्रोड त्रिज्या (संपूर्ण)- 1,221 किमी.} की त्रिज्या के साथ एक 5वीं नई परत अंतरतम आंतरिक क्रोड (Innermost Inner Core) के अस्तित्त्व की पुष्टि की (इन चार परतों-क्रस्ट, मेंटल, बाह्य तरल क्रोड और आंतरिक ठोस क्रोड के अलावा) है। यह 5वीं परत आंतरिक क्रोड (लोहा और निकल) के समान सामग्री से बनी है एवं दोनों के बीच मुख्य अंतर यह है कि इसके परमाणुओं की व्यवस्था अलग तरह होने से ठोस संरचना का निर्माण हुआ है। यह परत आंतरिक क्रोड के बाकी हिस्सों की तुलना में एक अलग दिशा में निर्मित और विकसित हो सकती है। वर्ष 2002 में यह प्रस्तावित किया गया था कि पृथ्वी में 5वीं परत हो सकती है। पृथ्वी के आंतरिक भाग का अध्ययन करने हेतु वैज्ञानिक भूकंपीय तरंगों पर निर्भर हैं। ये तरंगें विभिन्न पदार्थो से गुज़रने पर अलग तरह से व्यवहार करती हैं (जैसे- गर्म सामग्री से गुज़रते समय धीमी गति से गुज़रना)। इस विश्लेषण के अनुसार, अंतरतम आंतरिक क्रोड घूर्णन अक्ष (ध्रुव से ध्रुव तक) और विषुवतीय तल (ध्रुवों के लंबवत) के बीच एक बिंदु पर भूकंपीय तरंगों को धीमा कर देता है। इसके विपरीत आंतरिक क्रोड का बाहरी आवरण केवल भूमध्यरेखीय तल में तरंगों को धीमा करता है।
और पढ़ें… अदृश्य मेंटल परतें, भूकंप (इन्फोग्राफिक)
विंडसर फ्रेमवर्क
विंडसर फ्रेमवर्क यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के बीच व्यापार एवं भावनाओं को प्रभावित करने वाली राजनीतिक जटिलताओं के समाधान का नवीनतम प्रयास है। यह उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल का स्थान लेगा जो ब्रेक्ज़िट के सबसे कठिन परिणामों में से एक है। उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल के तहत ग्रेट ब्रिटेन से उत्तरी आयरलैंड को भेजे जाने वाले सामानों के भारी भरकम व्यापार/सीमा शुल्क निरीक्षण के साथ उत्तरी आयरलैंड, यूरोपीय संघ के एकल बाज़ार में बना रहा, जिससे व्यापार में बाधा उत्पन्न हुई और खाद्य उत्पादों की शेल्फ लाइफ कम हो गई। इसके अलावा यूरोपीय संघ के नियमों ने UK सरकार की कुछ नीतियों को उत्तरी आयरलैंड में लागू करने से रोक दिया तथा एक आयरिश समुद्री सीमा की उपस्थिति के कारण वे लोग परेशान हुए जो एक संयुक्त UK की मांग करते हैं। विंडसर फ्रेमवर्क उत्तरी आयरलैंड में व्यापार वस्तुओं हेतु ग्रीन और रेड लेन के उपयोग (परिचय) के माध्यम से ग्रेट ब्रिटेन एवं उत्तरी आयरलैंड के बीच मुक्त व्यापार की अनुमति देकर व्यापार व्यवधानों को संबोधित करना चाहता है। ग्रीन लेन के सामानों के मामले में कम जाँच और नियंत्रण होंगे, जिसमें कोई सीमा शुल्क जाँच या उत्पत्ति के नियम शामिल नहीं होंगे। फ्रेमवर्क के तहत रेड लेन के सामान यूरोपीय संघ के एकल बाज़ार को संरक्षित करने हेतु पूर्ण जाँच एवं नियंत्रण के अधीन होंगे।
और पढ़ें… ब्रेक्सिट और उत्तरी आयरलैंड मुद्दा
एडिनोवायरस
पश्चिम बंगाल में हाल ही में एडिनोवायरस संक्रमण के कारण सरकारी अस्पतालों में 12 मौतें हुई हैं। हालाँकि वर्तमान में वायरल महामारी के कोई साक्ष्य नहीं हैं। एडिनोवायरस 70-90 नैनोमीटर आकार का डबल-स्ट्रैंडेड लीनियर DNA वायरस है। इसके लक्षणों में ठंड लगना, बुखार, गले में खराश, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, दस्त और नेत्रश्लेष्मलाशोथ (गुलाबी आँख ) शामिल हैं।
और पढ़ें…एडिनोवायरस
अल नीनो
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, ला नीना के लगातार तीन वर्षों के पश्चात् आने वाले माह में एल नीनो की घटना घटित हो सकती है। एल नीनो में ला नीना के विपरीत पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में जल के असामान्य रूप से गर्म होने की विशेषता होती है, जहाँ आमतौर पर ला नीना इस क्षेत्र में ठंडे जल को लेकर आता है। इस घटना के एक साथ घटित होने को अल नीनो दक्षिणी दोलन (El Niño Southern Oscillation- ENSO) कहा जाता है। एल नीनो का भारत में ग्रीष्मकाल और कमज़ोर मानसून वर्षा के साथ उच्च संबंध है।
और पढ़ें…अल नीनो और ला नीना