भारत द्वारा रियायती शुल्क पर आयात
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने टैरिफ-रेट कोटा (TRQ) के तहत मक्का, कच्चे सूरजमुखी तेल, रिफाइंड रेपसीड तेल एवं मिल्क पाउडर के सीमित आयात की अनुमति प्रदान की है।
- बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत यह कदम उठाया गया है।
टैरिफ-रेट कोटा (TRQ)
- यह एक व्यापार नीति उपकरण है जो किसी विशिष्ट वस्तु की एक निश्चित मात्रा को कम टैरिफ रेट पर आयात करने की अनुमति देता है, जबकि इस सीमा से ऊपर की मात्रा उच्च टैरिफ के अधीन होती है।
- इसका उपयोग आयात के माध्यम से मांग को पूरा करने की आवश्यकता के साथ घरेलू उद्योगों की सुरक्षा को संतुलित करने के लिये भी किया जाता है।
वनस्पति तेल एवं दुग्ध बाज़ार में भारत की स्थिति क्या है?
- वनस्पति तेल में भारत की स्थिति:
- भारत पाम ऑयल, सोया ऑयल एवं सूरजमुखी तेल जैसे वनस्पति तेलों का विश्व का सबसे बड़ा आयातक है, जो अपनी लगभग दो-तिहाई आवश्यकताओं को आयात के माध्यम से पूरा करता है।
- भारत के वनस्पति तेल की खपत में पाम ऑयल की हिस्सेदारी 40% है, इसका दो-तिहाई से अधिक हिस्सा इंडोनेशिया एवं मलेशिया से आयात किया जाता है।
- वर्ष 2021 में, भारत द्वारा घरेलू पाम तेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये खाद्य तेल-ऑयल पाम पर राष्ट्रीय मिशन का अनावरण किया।
- सूरजमुखी का तेल एवं सोया ऑयल रूस, यूक्रेन, अर्जेंटीना और ब्राज़ील से आयात किया जाता है।
- खाद्य तेल के शीर्ष 5 उत्पादक: चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया तथा ब्राज़ील।
- भारत के वनस्पति तेल की खपत में पाम ऑयल की हिस्सेदारी 40% है, इसका दो-तिहाई से अधिक हिस्सा इंडोनेशिया एवं मलेशिया से आयात किया जाता है।
- भारत पाम ऑयल, सोया ऑयल एवं सूरजमुखी तेल जैसे वनस्पति तेलों का विश्व का सबसे बड़ा आयातक है, जो अपनी लगभग दो-तिहाई आवश्यकताओं को आयात के माध्यम से पूरा करता है।
- दुग्ध उत्पादन:
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 तक दूध उत्पादन में 58% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिससे कुल उत्पादन 230.58 मिलियन टन तक पहुँच गया है।
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के आँकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है, जो वर्ष 2021-2022 में वैश्विक दुग्ध उत्पादन का लगभग 24.64% है।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 तक दूध उत्पादन में 58% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिससे कुल उत्पादन 230.58 मिलियन टन तक पहुँच गया है।
- मक्का:
- भारत विश्व के मक्का उत्पादन में लगभग 2% का योगदान देता है तथा उत्पादन क्षेत्र के संदर्भ में सातवें स्थान पर है और साथ ही कृषि योग्य क्षेत्र के संदर्भ में चौथे स्थान पर है।
- वर्ष 2023-24 के लिये मक्का उत्पादन अनुमान लगभग 33.5 मिलियन मीट्रिक टन की उपज का अनुमान हैं।
- मक्के के शीर्ष 3 उत्पादक: अमेरिका, चीन और ब्राज़ील।
रियायती शुल्क क्या है?
- परिचय:
- यह एक टैरिफ या कर है, जो आयातित वस्तुओं पर मानक शुल्क की तुलना में कम दर पर लगाया जाता है।
- अधिरोपण के कारण:
- आयात लागत में कमी: शुल्क कम करके सरकार का लक्ष्य कुछ वस्तुओं के आयात को सस्ता बनाना है। इससे घरेलू स्तर पर उन वस्तुओं को अधिक किफायती बनाकर उपभोक्ताओं को लाभान्वित किया जा सकता है।
- कीमतें नियंत्रित करना: इससे घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने में सहायता प्राप्त हो सकती है, विशेषकर आवश्यक वस्तुओं के मामले में।
- विशिष्ट उद्योगों को प्रोत्साहन देना: कच्चे माल या उपकरणों पर शुल्क में कमी से कुछ उद्योगों में घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन प्राप्त हो सकता है।
- व्यापार संबंधों को मज़बूत करना: रियायती शुल्क अन्य देशों के साथ मज़बूत व्यापारिक साझेदारी बनाने का एक तरीका हो सकता है।
- अस्थायी उपाय: इन्हें प्राय: विशिष्ट स्थितियों, जैसे उच्च घरेलू कीमतों को कम करने के लिये अस्थायी उपायों के रूप में लागू किया जाता है। एक बार जब स्थिति में सुधार हो जाता है, तब शुल्क को मानक दर पर पुनः बढ़ाया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
SAARC हेतु संशोधित मुद्रा विनिमय ढाँचा
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2024 से 2027 की अवधि के लिये SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के संदर्भ में मुद्रा विनिमय हेतु एक संशोधित ढाँचा लागू करने का निर्णय लिया है।
मुद्रा विनिमय ढाँचा:
- परिचय:
- करेंसी स्वैप अथवा मुद्रा विनिमय का आशय तरलता बनाए रखने के क्रम में दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित नियमों एवं शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान हेतु किया गया समझौता या अनुबंध है।
- केंद्रीय बैंक और सरकारों द्वारा अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अथवा भुगतान संतुलन संकट से बचने के लिये पर्याप्त विदेशी मुद्रा सुनिश्चित करने के क्रम में विदेशी समकक्षों के साथ मुद्रा विनिमय किया जाता है।
- इन विनिमय समझौतों में विनिमय दर या अन्य बाज़ार संबंधी जोखिमों का कोई खतरा नहीं रहता है क्योंकि लेन-देन की शर्तें अग्रिम रूप से निर्धारित होती हैं।
- SAARC के लिये स्वैप सुविधाओं हेतु RBI की रूपरेखा:
- SAARC मुद्रा विनिमय सुविधा पहली बार 15 नवंबर, 2012 को लागू हुई थी, जिसका उद्देश्य SAARC देशों की अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं या भुगतान संतुलन संकटों के लिये दीर्घकालिक व्यवस्था होने तक वित्तपोषण की बैकस्टॉप लाइन प्रदान करना था।
- RBI 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की समग्र निधि के भीतर स्वैप व्यवस्था की पेशकश कर सकता है।
- स्वैप अमेरिकी डॉलर, यूरो या भारतीय रुपए में किया जा सकता है। इस ढाँचे में भारतीय रुपए में स्वैप के लिये कुछ रियायतें दी गई हैं।
- यह सुविधा सभी SAARC सदस्य देशों को उपलब्ध होगी, बशर्ते वे द्विपक्षीय स्वैप समझौतों पर हस्ताक्षर करें।
- नए ढाँचे में परिवर्तन:
- वर्ष 2024-27 की रूपरेखा के अंतर्गत, भारतीय रुपए में स्वैप समर्थन के लिये विभिन्न रियायतों के साथ एक अलग INR (भारतीय रुपया) स्वैप विंडो शुरू की गई है।
- रुपया समर्थन की कुल राशि 250 अरब रुपए है।
- RBI 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की समग्र निधि के साथ एक अलग अमेरिकी डॉलर/यूरो स्वैप विंडो के तहत अमेरिकी डॉलर और यूरो में स्वैप व्यवस्था की पेशकश जारी रखेगा।
- वर्ष 2024-27 की रूपरेखा के अंतर्गत, भारतीय रुपए में स्वैप समर्थन के लिये विभिन्न रियायतों के साथ एक अलग INR (भारतीय रुपया) स्वैप विंडो शुरू की गई है।
- अन्य द्विपक्षीय मुद्रा स्वैप समझौते:
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC)
- स्थापना: सार्क की स्थापना 8 दिसंबर 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में सार्क चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी।
- सदस्य देश: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान तथा श्रीलंका हैं।
- सचिवालय: काठमांडू,(नेपाल)
- उद्देश्य: दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देना, उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना, तथा अन्य बातों के अतिरिक्त आर्थिक विकास में तीव्रता लाना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के संदर्भ में, मुद्रा संकट के जोखिम को कम करने में निम्नलिखित में से किस/किन कारक/कारकों का योगदान है? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. “भारत में बढ़ते हुए सीमापारीय आतंकी हमले और अनेक सदस्य-राज्यों के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा बढ़ता हुआ हस्तक्षेप सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के भविष्य के लिये सहायक नहीं है।” उपयुक्त उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये। (2016) |
ISA की 30वीं वर्षगाँठ
स्रोत:अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) के अंतर्गत आने वाली एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (International Seabed Authority- ISA) ने अपनी 30वीं वर्षगाँठ मनाई।
- इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय जल में निर्जीव समुद्री संसाधनों के अन्वेषण और उपयोग की देख-रेख के लिये की गई थी।
ISA के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- यह एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) और UNCLOS के भाग XI के कार्यान्वयन से संबंधित 1994 के समझौते के तहत की गई थी।
- मुख्यालय: किंग्स्टन, जमैका।
- सदस्य: 168 सदस्य राज्य (भारत सहित) और यूरोपियन यूनियन।
- इसके अधिकार क्षेत्र में विश्व के महासागरों के कुल क्षेत्रफल का लगभग 54% हिस्सा शामिल है।
- ISA गहरे समुद्र में होने वाली गतिविधियों के हानिकारक प्रभावों से समुद्री पर्यावरण की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- जनादेश:
- सभी अन्वेषण गतिविधियों और गहरे समुद्र में खनिजों के दोहन के संचालन को विनियमित करना।
- गहरे समुद्र तल से संबंधित गतिविधियों के हानिकारक प्रभावों से समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा।
- समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन।
- भारत एवं ISA:
- 18 जनवरी 2024 को भारत ने हिंद महासागर के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में अन्वेषण के लिये दो आवेदन प्रस्तुत किये।
- हिंद महासागर कटक (कार्ल्सबर्ग रिज) में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड।
- मध्य हिंद महासागर में अफानसी-निकितिन सीमाउंट की कोबाल्ट-समृद्ध फेरोमैंगनीज़ परतें।
- वर्तमान में भारत के पास हिंद महासागर में अन्वेषण के लिये दो अनुबंध हैं।
- मध्य हिंद महासागर बेसिन और रिज में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल तथा सल्फाइड।
- 18 जनवरी 2024 को भारत ने हिंद महासागर के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में अन्वेषण के लिये दो आवेदन प्रस्तुत किये।
सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS)
- ‘समुद्री कानून संधि’, जिसे औपचारिक रूप से समुद्री कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के रूप में जाना जाता है, को वर्ष 1982 में महासागरीय क्षेत्रों पर अधिकार क्षेत्र की सीमाएँ स्थापित करने के लिये अपनाया गया था।
- इस अभिसमय में आधार रेखा से 12 समुद्री मील की दूरी को प्रादेशिक समुद्री सीमा तथा 200 समुद्री मील की दूरी को अनन्य आर्थिक क्षेत्र सीमा के रूप में परिभाषित किया गया है।
- इसमें विकसित देशों से अविकसित देशों को प्रौद्योगिकी तथा धन हस्तांतरण का प्रावधान है और साथ ही इसमें शामिल पक्षों से समुद्री प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये नियमों एवं कानूनों को लागू करने की अपेक्षा भी की गई है।
- भारत ने वर्ष 1982 में UNCLOS पर हस्ताक्षर किये।
- UNCLOS के तहत तीन नए संस्थान:
- समुद्री कानून पर अंतर्राष्ट्रीय अधिकरण: यह एक स्वतंत्र न्यायिक निकाय है जिसकी स्थापना UNCLOS के संदर्भ में उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाने के लिये की गई है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण: यह महासागरों के निर्जीव संसाधनों की खोज एवं दोहन को विनियमित करने हेतु स्थापित एक संयुक्त राष्ट्र निकाय है।
- महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं से संबंधित आयोग: यह 200 समुद्री मील से परे महाद्वीपीय शेल्फ की बाहरी सीमाओं की स्थापना के संबंध में समुद्री कानून (अभिसमय) पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के कार्यान्वयन से संबंधित है।
और पढ़ें: समुद्री तल के खनन स्पर्द्धा में श्रीलंका के साथ भारत भी शामिल
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: वैश्विक महासागर आयोग अंतर्राष्ट्रीय जल में समुद्र तल की खोज और खनन के लिये लाइसेंस प्रदान करता है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय जल में समुद्र तल खनिज अन्वेषण के लिये लाइसेंस प्राप्त हुआ है। 'दुर्लभ मृदा खनिज' अंतर्राष्ट्रीय समुद्र जल तल पर मौजूद हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
PLI योजना के तहत ग्लूकागॉन का विनिर्माण
स्रोत:बिज़नेस स्टैण्डर्ड
हाल ही में सरकार ने वर्ष 2026 से भारत में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत ग्लूकागॉन जैसे पेप्टाइड रिसेप्टर एगोनिस्ट (GLP-1RA) ड्रग्स (दवा) के विनिर्माण का फैसला किया है।
- GLP-1RA, मधुमेह रोधी दवाओं के वर्ग से संबंधित है जिसका उपयोग वज़न घटाने के लिये भी किया जाता है।
- GLP-1RA के अलावा निवेशक ओज़ेम्पिक (मधुमेह के लिये) और वेगोवी (मोटापे के लिये) जैसी अन्य दवाएँ बनाने की भी योजना बना रहे हैं तथा इस क्रम में PLI योजना के तहत भारत में विनिर्माण हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।
- घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के क्रम में PLI योजना एक महत्त्वाकांक्षी योजना है, जिससे आयात में कमी आने के साथ रोज़गार सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा।
- मार्च 2020 में शुरू की गई इस योजना के तहत वर्तमान में 14 क्षेत्र शामिल हैं।
- इस योजना के तहत घरेलू तथा विदेशी कंपनियों को भारत में विनिर्माण हेतु वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है, जो पाँच वर्षों तक के उनके राजस्व के प्रतिशत के आधार पर निर्धारित होता है।
और पढ़ें: उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना
मेनलैंड सीरो
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में असम वन विभाग एवं संरक्षणवादियों द्वारा पश्चिमी असम के रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में मेनलैंड सीरो (कैपरीकोर्निस सुमात्रेंसिस थार) के पहले फोटोग्राफिक साक्ष्य का दस्तावेज़ीकरण किया है।
मेनलैंड सीरो:
- यह एक स्तनपायी जीव है जो बकरी और मृग के बीच की संकर प्रजाति जैसा दिखाई देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के अनुसार, मेनलैंड सीरो 200-3000 मीटर की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- यह पशु भारत-भूटान सीमा के पार फिबसू वन्यजीव अभयारण्य और भूटान के रॉयल मानस राष्ट्रीय उद्यान में भी पाए जाते हैं।
- इस पशु की तीन अन्य प्रजातियाँ जापानी सीरो, रेड सीरो (पूर्वी भारत, बांग्लादेश और म्याँमार में पाई जाती हैं) तथा ताइवानी या फॉर्मोसन सीरो हैं।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
और पढ़े: हिमालयन सीरो
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
हाल ही में राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) ने बिग-5 फर्मों की ऑडिट शाखाओं का निरीक्षण शुरू किया है।
- बिग-5 फर्मों में BSR & Co, डेलोइट हैस्किन्स एंड सेल्स, SRBC & Co, प्राइस वाटरहाउस चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और वॉकर चंडियोक एंड कंपनी शामिल हैं।
- "ऑडिट शाखाएँ", कंपनी के वित्तीय विवरणों का ऑडिट करने हेतु उत्तरदायी होती हैं।
- इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि इनमें से अधिकांश फर्मों ने अपनी ऑडिट एवं गैर-ऑडिट सेवाओं को पृथक करने हेतु पहले से ही पहल शुरू कर दी है।
- इस रिपोर्ट में कमज़ोरी वाले क्षेत्रों को सुधार के संभावित क्षेत्रों के रूप में संदर्भित किये जाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA):
बोर्नियो हाथी
स्रोत: आई. यू. सी. एन.
हाल ही में बोर्नियो हाथियों (एलिफस मैक्सिमस बोर्नेंसिस) को IUCN रेड लिस्ट में 'संकटग्रस्त' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- अब केवल लगभग 1,000 बोर्नियो हाथी ही बचे हैं, जिनमें से 400 वयस्क प्रजननशील हैं।
- उनके लिये मुख्य खतरा मानव-हाथी संघर्ष, अवैध शिकार तथा लकड़ी काटने और तेल ताड़ के बागानों के कारण उनके आवास का नुकसान है, जिसके कारण पिछले 4 दशकों में उनके वन आवास का लगभग 60% हिस्सा नष्ट हो गया है।
बोर्नियो हाथी:
- यह एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस) की एक उप-प्रजाति है जो बोर्नियो द्वीप की स्थानिक प्रजाति है।
- वे मुख्य रूप से सबा, मलेशिया और कालीमंतन, इंडोनेशिया में पाए जाते हैं।
- वे अन्य एशियाई हाथी आबादियों से आनुवंशिक रूप से भिन्न हैं तथा इनका छोटा आकार और सिर की विशिष्ट आकृति (Unique Skull Shape) इसकी विशेषता है।
- वे शाकाहारी होते हैं और परिवार समूहों में रहते हैं, जिनका नेतृत्व एक मादा हाथी करती है तथा आमतौर पर नदियों जैसे जल स्रोतों के पास पाए जाते हैं।
- एशियाई हाथियों की संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- बोर्नियो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है, जिसके उत्तर में मलेशिया और ब्रुनेई तथा दक्षिण में इंडोनेशिया स्थित हैं।
और पढ़ें: IUCN रेड लिस्ट अपडेट 2023, विश्व हाथी दिवस 2023