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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 01 Jun, 2022
  • 27 min read
प्रारंभिक परीक्षा

गोवा का स्थापना दिवस

गोवा के स्थापना दिवस (30 मई) पर प्रधानमंत्री ने राज्य के लोगों को बधाई दी। 

Goa

प्रमुख बिंदु: 

गोवा की भौगोलिक अवस्थिति

  • गोवा, भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर कोंकण के रूप में जाने वाले क्षेत्र में स्थित है और भौगोलिक रूप से दक्कन उच्च भूमि से पश्चिमी घाट द्वारा अलग होता है। 

राजधानी:  

  • पणजी। 

आधिकारिक भाषा: इसकी अधिकारिक भाषा कोंकणी है जो आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक है। 

सीमाएँ:  

  • यह उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व और दक्षिण में कर्नाटक से घिरा हुआ है तथा अरब सागर इसके पश्चिमी तट का निर्माण करता है। 

इतिहास: 

  • भारत ने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही पुर्तगालियों से अपने क्षेत्र को वापस लौटाने का अनुरोध किया परंतु पुर्तगालियों ने ऐसा करने से मना कर दिया। 
  • राजनयिक प्रयासों की विफलता के बाद भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना द्वारा गोवा में ऑपरेशन विजय' चलाकर 19 दिसंबर,1961 को इसे पुर्तगालियों से मुक्त करा लिया गया। 
    • प्रत्येक वर्ष 19 दिसंबर को भारत में गोवा मुक्ति दिवस मनाया जाता है। 
    • उल्लेखनीय है कि पुर्तगाली भारत आने वाले पहले यूरोपीय (वर्ष 1498 में) और इस भूमि को छोड़ने वाले अंतिम (वर्ष 1961) थे। 
  • 30 मई, 1987 में इस क्षेत्र को विभाजित किया गया और गोवा को पूर्ण राज्य तथा दमन एवं दीव को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। 

भौगोलिक विशेषताएँ: 

  • गोवा का उच्चतम बिंदु सोंसोगोर (Sonsogor) है। 
  • गोवा के उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है, राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में मांडवी, जुआरी, चपोरा, रखोल, गलगिबाग, कुम्बरजुआ नहर, तलपोना और साल आदि शामिल हैं। 
  • गोवा का अधिकांश मृदा आवरण लेटराइट से निर्मित है। 

वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान: 

स्रोत: पी.आई.बी. 


प्रारंभिक परीक्षा

विश्व दुग्ध दिवस

प्रत्येक वर्ष 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय: 
    • विश्व दुग्ध दिवस वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा एक वैश्विक आहार के रूप में दूध के महत्त्व को रेखांकित करने के लिये स्थापित किया गया। 
    • इस दिन का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित करने का अवसर प्रदान करना है। 
  • थीम:  
    • इस वर्ष की थीम जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने और जलवायु परिवर्तन पर डेयरी क्षेत्र के प्रभाव को कम करने में मदद करने के लिये पहले से चलाए जा रहे कार्योंक्रमों को बढ़ावा देना है। 
    • इस मंच का उपयोग करते हुए डेयरी नेट ज़ीरो के प्रति संदेश और कार्रवाई के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाएगी। 
  • विशेषताएँ: 
    • विश्व दुग्ध दिवस डेयरी क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण योगदान के निम्नलिखित विषयों पर चर्चा को प्रोत्साहित है : 
      • अच्छा भोजन, स्वास्थ्य और पोषण। 
      • किसानों की अपने समुदायों, ज़मीनों और अपने पशुधन पर निर्भरता  
      • डेयरी क्षेत्र में स्थिरता 
      • डेयरी क्षेत्र कैसे आर्थिक विकास और आजीविका में योगदान करता है 

भारतीय डेयरी क्षेत्र:  

  • भारत 22% वैश्विक दुग्ध उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और ब्राज़ील का नंबर आता है। 
  • देश में दूध उत्पादन लगभग 6.2% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर 2020-21 में 209.96 मिलियन टन तक पहुँच गया है, जो वर्ष 2014 में 146.31 मिलियन टन था। 
    • शीर्ष 5 दूध उत्पादक राज्य हैं: उत्तर प्रदेश (14.9%), राजस्थान (14.6%), मध्य प्रदेश (8.6%), गुजरात (7.6%) और आंध्र प्रदेश (7.0%)। 

डेयरी क्षेत्र से संबंधित भारत सरकार की पहल: 

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन: यह मिशन गोजातीय आबादी के आनुवंशिक उन्नयन और स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के माध्यम से उत्पादकता में सुधार एवं दूध उत्पादन बढ़ाने के लिये शुरू किया गया है। 
  • गोपाल रत्न पुरस्कार 2021: गोपाल रत्न पुरस्कार दुग्ध क्षेत्र में काम करने वाले सभी किसानों, कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों और डेयरी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के लिये दिया जाता है। 
  • राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत कृत्रिम गर्भाधान सेवाएँ किसानों के दरवाज़े पर मुफ्त दी जाती हैं। 
  • ई-गोपाला एप: ई-गोपाला एप (उत्पादक पशुधन के माध्यम से धन का सृजन) के रूप में किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिये एक व्यापक नस्ल सुधार बाज़ार और सूचना पोर्टल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है 
  • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD): राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (SIA) अर्थात् राज्य सहकारी डेयरी परिसंघ के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण दूध के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण और दूध व दुग्ध उत्पादों के विपणन के लिये अवसंरचना को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वर्ष 2014 से देश भर में "राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)" शुरू किया गया है। 
  • डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष (DIDF) योजना: DIDF योजना 2017 में दूध प्रसंस्करण और शीतलन संयंत्रों के आधुनिकीकरण के लिये शुरू की गई थी, जिसमें मूल्यवर्द्धन भी शामिल है। 
  • “डेयरी सहकारी समितियों और डेयरी गतिविधियों में लगे किसान उत्पादक संगठनों का समर्थन करना " (SDCऔर FPO): 
    • पशुपालन और डेयरी विभाग ने अपनी योजना SDC और FPO के तहत एक घटक के रूप में एक नया घटक "डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज छूट सहायता" पेश किया है। 
    • पशुपालन और डेयरी किसानों के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से, किसानों को कार्यशील पूंजी व्यय के लिये रियायती ब्याज़ दर पर संस्थागत ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाया गया है। 

विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसानों को निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिये अल्पकालिक ऋण सुविधा प्रदान की जाती है? (2020) 

  1. कृषि संपत्तियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी  
  2. कंबाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर और मिनी ट्रक की खरीद 
  3. खेतिहर परिवारों की उपभोग आवश्यकताएंँ  
  4. फसल के बाद का खर्च  
  5. पारिवारिक आवास का निर्माण एवं ग्राम कोल्ड स्टोरेज सुविधा की स्थापना 

निम्नलिखित कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिये: 

(a) केवल 1, 2 और 5 
(b) केवल 1, 3 और 4 
(c) केवल 2, 3, 4 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5 

उत्तर: (b) 

  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना 1998 में किसानों को उनकी खेती के लिये लचीली और सरलीकृत प्रक्रिया के साथ एकल खिड़की के तहत बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी। अन्य ज़रूरतों जैसे कि कृषि आदानों की खरीद यथा- बीज़, उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का उपयोग करने और अपनी उत्पादन आवश्यकताओं के लिये नकद आहरित करना। 
  • इस योजना को वर्ष 2004 में किसानों की निवेश ऋण आवश्यकता जैसे- संबद्ध और गैर-कृषि गतिविधियों के लिये आगे बढ़ाया गया था। 
  • किसान क्रेडिट कार्ड निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ प्रदान किया जाता है: 
    • फसलों की खेती के लिये अल्पकालिक ऋण आवश्यकताएंँ 
    • फसल के बाद के खर्च अतः कथन 4 सही है। 
    • विपणन ऋण का उत्पादन 
    • किसान परिवार की उपभोग आवश्यकताएंँ अतः कथन 3 सही है। 
    • कृषि संपत्ति और कृषि से संबंधित गतिविधियों, जैसे- डेयरी पशु, अंतर्देशीय मत्स्य पालन आदि के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी। अतः कथन  1 सही है। 
    • कृषि और संबद्ध गतिविधियों जैसे- पंपसेट, स्प्रेयर, डेयरी पशु आदि के लिये निवेश ऋण की आवश्यकता। हालांँकि यह खंड दीर्घकालिक ऋण का हिस्सा है। 
  • किसान क्रेडिट कार्ड योजना वाणिज्यिक बैंकों, आरआरबी, लघु वित्त बैंकों और सहकारी समितियों द्वारा कार्यान्वित की जाती है। 
  • किसानों को कंबाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर और मिनी ट्रक की खरीद तथा परिवार हेतु घर के निर्माण एवं गाँव कोल्ड स्टोरेज सुविधा की स्थापना के लिये अल्पकालिक ऋण सहायता नहीं दी जाती है। अतः कथन 2 सही नहीं हैं। अतः विकल्प (B) सही है 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


प्रारंभिक परीक्षा

भारत में चीता पुनर्वास

भारत जल्द ही मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले के कुनो पालपुर में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए  चीतों को जंगल में छोड़ेगा। 

  • यह चीतों के अंतर-महाद्वीपीय पुनर्वास की भारत की महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत करेगा। 
  • देश का अंतिम चित्तीदार चीता वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ में मृत पाया गया था और वर्ष 1952 में इसे देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। 
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने कुछ साल पहले एक चीता पुनर्वास परियोजना तैयार की थी। 

 चीतों से संबंधित प्रमुख बिंदु: 

  • परिचय: 
    • चीता बड़ी बिल्ली प्रजातियों में सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है, जिनके पूर्वजों को पाँच मिलियन से अधिक वर्ष पूर्व मियोसीन युग में खोजा जा सकता है। 
    • चीता दुनिया का सबसे तेज़, भूमि स्तनपायी भी है जो अफ्रीका और एशिया में पाया जाता है। 
  • अफ्रीकी चीता: 
    • वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस 
    • विशेषताएँ: इनकी त्वचा थोड़ी भूरी और सुनहरी होती है जो एशियाई चीतों से मोटी होती है। 
      • एशियाई प्रजाति की तुलना में उनके चेहरे पर बहुत अधिक धब्बे और रेखाएँ पाई जाती हैं। 
    • वितरण: पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में हज़ारों की संख्या में पाए जाते हैं। 
    • संरक्षण स्थिति:  

africa-cheetah

  • एशियाई चीता: 
    • वैज्ञानिक नाम: एसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस 
    • विशेषताएँ: यह अफ्रीकी चीता की तुलना में छोटा होता है 
      • शरीर पर बहुत अधिक फर, छोटा सिर व लंबी गर्दन,आमतौर पर इनकी आँखें लाल होती हैं और येप्रायः बिल्ली के समान दिखते हैं।. 
    • वितरण: ये केवल ईरान में पाए जाते हैं और वहाँ भी इनकी संख्या 100 से कम बची है। 
    • संरक्षण:  
      • IUCN रेड लिस्ट: ‘अति संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) 
      • CITES: परिशिष्ट-I 
      • WPA: अनुसूची-2 

Asia-cheetah

खतरे : 

  • मानव-वन्यजीव संघर्ष, आवास की क्षति और शिकार की अनुपलब्धता एवं अवैध तस्करी। 
  • वनों की कटाई और कृषि के चलते वन भूमि एवं चीता आवासों में कमी आई है। 
  • जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मानव जनसंख्या ने इन समस्याओं को और जटिल बना दिया है। 

भारत द्वारा संरक्षण के प्रयास: 

  • भारतीय वन्यजीव संस्थान ने सात साल पहले चीता संरक्षण के लिये 260 करोड़ रुपए की लागत से पुन: पुनर्वास परियोजना तैयार की थी। 
  • यह विश्व की पहली अंतर-महाद्वीपीय चीता स्थानांतरण परियोजना हो सकती है। 
  • पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की 19वीं बैठक में 'भारत में चीते की पुनः वापसी हेतु कार्ययोजना' जारी की थी। 
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने अगले 5 वर्षों के भीतर नामीबिया से 50 अफ्रीकी चीते लाने का फैसला किया है। 

कुनो नेशनल पार्क की मुख्य विशेषताएँ:  

  • मध्य प्रदेश का कुनो राष्ट्रीय उद्यान सभी वन्यजीव प्रेमियों के लिये सबसे अनूठे स्थलों में से एक है। 
  • इसमें चितल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा और मवेशियों की स्वस्थ आबादी पाई जाती है। 
  • इस वर्ष की शुरुआत में एक बाघ को वापस रणथंभौर में भेज दिये जाने के बाद वर्तमान में इस उद्यान में बड़े मांसाहारी जानवर केवल तेंदुआ और धारीदार लकड़बग्घा ही हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


प्रारंभिक परीक्षा

अस्त्र  मार्क-1 मिसाइल

हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने अस्त्र मार्क-1 की आपूर्ति के लिये हैदराबाद स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की ‘भारत डायनेमिक्स लिमिटेड’ (BDL) कंपनी के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं। 

  • भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लड़ाकू जेट विमानों पर तैनाती के लिये 2,971 करोड़ रुपए की लागत के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए थे।

Astra-Mk-1-Missile

अस्त्र मिसाइल और उसके संस्करण: 

  • अस्त्र परियोजना आधिकारिक तौर पर 2000 के दशक की शुरुआत में परिभाषित मापदंडों और प्रस्तावित भविष्य के रूपों के साथ शुरू की गई थी। 
  • वर्ष 2017 के आसपास अस्त्र  मार्क-1 मिसाइल संस्करण का विकास चरण पूरा हो गया था। 
    • वर्ष 2017 से अब तक सुखोई-30 एमकेआई से इसके कई सफल परीक्षण किये जा चुके हैं। 

अस्त्र  मार्क-1 मिसाइल: 

  • परिचय: 
    • अस्त्र भारत की पहली स्वदेश निर्मित दृश्य सीमा से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल (BVRAAM) है। 
      • BVM मिसाइलें 20 नॉटिकल मील या 37 किलोमीटर की सीमा से आगे तक मार करने में सक्षम हैं। 
      • AAMs को एक हवाई लक्ष्य को नष्ट करने के लिये हवा में ही छोड़ा जाता है। 
  • रेंज: 
    • अस्त्र मार्क-1 की रेंज करीब 110 किलोमीटर है। 
    • 150 किमी से अधिक रेंज वाले मार्क-2 का विकास किया जा रहा है और लंबी रेंज वाले मार्क-3 संस्करण की परिकल्पना की जा रही है। 
      •  अस्त्र  का एक अन्य  संस्करण, जिसकी रेंज मार्क-1 से कम है, निर्माणाधीन है। 
  •  इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। 

 सामरिक महत्त्व: 

  • विदेशी स्रोतों पर निर्भरता में कमी: 
    • मिसाइल को BVR के लिये भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा निर्दिष्ट आवश्यकताओं के साथ-साथ करीबी-प्रतिस्पर्द्धा, विदेशी स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के आधार पर डिज़ाइन किया गया है। 
      • BVR क्षमता वाले AAM अपने लड़ाकू विमानों के लिये लार्ज स्टैंड-ऑफ रेंज प्रदान करते हैं जो प्रतिकूल वायु रक्षा उपायों से खुद को बचाते हुए शत्रु की हवाई संपत्ति को बेअसर कर सकते हैं। 
        • स्टैंड-ऑफ रेंज का अर्थ उस पर्याप्त दूरी से है जिस पर मिसाइल को लॉन्च करने से हमलावर पक्ष के आक्रमण से बचाव किया जा सके 
  • तकनीकी और आर्थिक रूप से बेहतर: 
    •  अस्त्र, तकनीकी और आर्थिक रूप से ऐसी कई आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर है। 
    •  यह मिसाइल ध्वनि की गति से चार गुना से अधिक गति से यात्रा कर सकती है और अधिकतम 20 किमी. की  ऊँचाई तक पहुँच सकती है, अतः यह हवाई युद्ध के लिये अत्यधिक कुशल है। 
  • अन्य लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत किया जा सकता है: 
    • मिसाइल पूरी तरह से सुखोई 30 MK II पर एकीकृत है और इसे हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेज़स सहित चरणबद्ध तरीके से अन्य लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत किया जाएगा। 
    • यह मिसाइल को मिग-29K लड़ाकू विमान पर एकीकृत करेगा जो नौसेना के विमान वाहक पर तैनात हैं इस प्रकार भारत के विमान वाहक की घातकता को बढ़ाता है। 

विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. अग्नि-4 प्रक्षेपास्त्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2014) 

  1. यह  सतह से सतह तक मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है। 
  2. इसमें केवल द्रव नोदक ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है। 
  3. यह एक टन नाभिकीय वारहेड को 7500 किलोमीटर दूरी तक फेंक सकता है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a)  

व्याख्या: 

  • अग्नि-IV भारत की परमाणु-सक्षम लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 4,000 किमी. है। 
  • स्वदेश में विकसित अग्नि-4 सतह से सतह पर मार करने वाली दो चरणों वाली मिसाइल है। यह 17 टन वज़न के साथ 20 मीटर लंबी है। अत: कथन 1 सही है। 
  • यह दो चरणों वाली ठोस ईंधन प्रणाली है जो एक टन के परमाणु हथियार को 4,000 किलोमीटर की दूरी तक ले जाने में सक्षम  है। अत: कथन 2 और 3 सही नहीं हैं। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। 

प्रश्न. भारतीय रक्षा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009) 

  1. शौर्य मिसाइल 8 मैक (Mach) से अधिक गति से उड़ती है। 
  2. शौर्य मिसाइल की परास 1600 किमी. से अधिक है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (D)  

  • शौर्य एक हाइपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली सामरिक मिसाइल है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग हेतु विकसित किया गया है। 
  • इसकी स्पीड  7.5  मैक है। अतः कथन 1 सही नहीं है 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 जून, 2022

जैव विविधता नीति 

भारत के सबसे बड़े एकीकृत ऊर्जा उत्पादक ‘राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम- NTPC लिमिटेड’ ने जैवविविधता के संरक्षण एवं उसे पूर्व स्तर पर लाने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण एवं मार्गदर्शक सिद्धांत स्थापित करने हेतु नवीनीकृत जैवविविधता नीति-2022 जारी की है। यह जैवविविधता नीति, NTPC की पर्यावरण नीति का अभिन्न अंग है एवं पर्यावरण और स्थिरता नीतियों के अनुरूप है। इसके अलावा इस नीति को NTPC समूह के सभी पेशेवरों को इस क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान करने के लिये भी तैयार किया गया है। NTPC वर्ष 2018 में जैवविविधता नीति जारी करने वाला पहला सार्वजनिक उपक्रम था। उसी वर्ष NTPC, भारत व्यापार और जैवविविधता पहल (IBBI) का सदस्य बन गया था। NTPC जैवविविधता के क्षेत्र में स्थानीय समुदायों, संगठनों, नियामक एजेंसियों और राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अनुसंधान संस्थानों के साथ भी सहयोग कर रहा है। NTPC द्वारा की गई एक बड़ी पहल में कंपनी ने आंध्र प्रदेश के समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण के लिये आंध्र प्रदेश वन विभाग के साथ पाँच वर्ष के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। 4.6 करोड़ रुपए के वित्तीय योगदान और समुदाय की बढ़ी हुई भागीदारी के साथ NTPC के हस्तक्षेप के बाद से समुद्र के जल में हैचिंग की सख्या में लगभग 2.25 गुना वृद्धि हुई है।


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