आंतरिक सुरक्षा
तेजस लड़ाकू विमान
- 19 Mar 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, तेजस लड़ाकू विमान मेन्स के लिये:भारतीय वायुसेना के स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council-DAC) ने बंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited-HAL) द्वारा निर्मित 83 तेजस एमके-1ए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Tejas Mk-1A Light Combat Aircraft) की खरीद को मंज़ूरी प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- रक्षा विभाग (DoD) और सैन्य मामलों के विभाग (DMA) के कार्यक्षेत्रों के निर्धारण के पश्चात् रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की पहली बैठक हुई। इसी बैठक में यह निर्णय लिया गया।
- ध्यातव्य है कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत विमान विकास एजेंसी (ADA) ने हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ (Tejas) का स्वदेशी डिज़ाइन तैयार किया है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने निर्मित किया है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, यह लड़ाकू विमान भविष्य में भारतीय वायुसेना के लिये काफी मददगार साबित होगा।
- भारतीय वायुसेना द्वारा 40 ‘तेजस’ विमानों के खरीद आदेश दिये जा चुके हैं। DAC ने 83 विमानों की खरीद की मंज़ूरी दी है जो इस विमान का आधुनिक एमके-1ए वर्जन होगा।
- लगभग 38000 करोड़ रुपए के इस प्रस्ताव को सुरक्षा पर संसदीय समिति (CCS) के समक्ष विचार के लिये रखा जाएगा।
लाभ
- इस खरीद से 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि विमान का डिज़ाइन और विकास स्वदेशी तकनीक से किया गया है। इसका निर्माण HAL के अतिरिक्त कई अन्य स्थानीय निर्माताओं के सहयोग से किया गया है।
- भारतीय वायु सेना में लड़ाकू स्क्वाड्रन की ताकत बनाए रखने के लिये यह समझौता काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
- आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारतीय वायु सेना में कुल 30 लड़ाकू स्क्वाड्रन्स की कमी है और यदि HAL समय पर उक्त विमानों की पूर्ति कर देता है तो भी भारतीय वायु सेना के पास 26 लड़ाकू स्क्वाड्रन्स की कमी होगी।
- विदित है कि भारतीय वायुसेना के प्रत्येक स्क्वाड्रन में आमतौर पर 18 विमान होते हैं।
- इन 83 विमानों की पूर्ति के साथ ही भारतीय वायु सेना के पास कुल 123 तेजस लड़ाकू जेट हो जाएंगे।
तेजस
(Tejas)
- यह एक ‘स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान’ (Indigenous Light Combat Aircraft) है, जिसे ‘विमान विकास एजेंसी’ (Aeronautical Development Agency- ADA) तथा ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (Hindustan Aeronautics Limited- HAL) के द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
- यह सबसे छोटे-हल्के वज़न का एकल इंजन युक्त ‘बहु-भूमिका निभाने वाला एक सामरिक लड़ाकू विमान’ (Multirole Tactical Fighter Aircraft) है।
- गौरतलब है कि इसे रूस के MIG-21 लड़ाकू विमानों पर अपनी निर्भरता को कम करने तथा स्वदेशी युद्ध संबंधी के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड
(Hindustan Aeronautics Limited-HAL)
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। HAL का इतिहास और विकास भारत में विगत 77 वर्षों के वैमानिकी उद्योग के विकास को दर्शाता है।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को मैसूर सरकार के सहयोग से वालचंद हीराचंद द्वारा 23 दिसंबर, 1940 को बंगलूरु में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था।
- दिसंबर 1945 में इसे उद्योग एवं आपूर्ति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया और जनवरी 1951 को रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड को अपने प्रशासनिक नियंत्रण में लिया गया।
- 1 अक्तूबर, 1964 को भारत सरकार द्वारा जारी विलय आदेश के अंतर्गत हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड और एरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड का विलय संपन्न हुआ और विलय के बाद कंपनी का नाम हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) रखा गया।
- कंपनी का मुख्य कार्य विमानों, हेलिकॉप्टरों और इंजनों तथा संबंधित प्रणालियों जैसे- उड्डयानिकी, उपकरणों और उपसाधनों का विकास, निर्माण, मरम्मत और पुनर्कल्पन करना है।