प्रारंभिक परीक्षा
कदन्न अनुभव केंद्र
भारत सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) के सहयोग से अपनी तरह का पहला कदन्न अनुभव केंद्र (MEC) लॉन्च किया है।
- यह पहल UNGA द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष (IYM 2023) के रूप में घोषित किये जाने से प्रकाश में आई है।
- मोटे अनाज (मिलेट) को केंद्रीय बजट 2023-24 में 'श्री अन्न' कहा गया है।
मिलेट्स एक्सपीरियंस सेंटर (MEC)/कदन्न अनुभव केंद्र (MEC):
- परिचय:
- MEC एक अनूठी अवधारणा है जो बाज़रे को एक बहुमुखी, स्वस्थ अनाज के रूप में बढ़ावा देगी और इसके आहार लाभों को प्रदर्शित करेगी तथा ग्राहकों को एक अनूठा भोजन अनुभव प्रदान करेगी।
- ग्राहक स्थानीय कदन्न स्टार्ट-अप केंद्र से विभिन्न प्रकार के रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पाद खरीद सकते हैं।
- MEC उन उपभोक्ताओं के लिये योजना को व्यापक करने में मदद करेगा जो सक्रिय रूप से स्वस्थ विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
- महत्त्व:
- MEC की स्थापना कदन्न के लिये "ग्लोबल हब" बनने के भारत के लक्ष्य की दिशा में एक कदम है।
- MEC न केवल प्राचीन अनाज के आहार संबंधी लाभों को बढ़ावा देगा बल्कि कदन्न को लोकप्रिय बनाने के लिये कदन्न डोसा और कदन्न पास्ता जैसे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को पकाने हेतु एक पोषण शक्ति केंद्र के रूप में भी लोकप्रिय करेगा।
- यह पहल भारत के मज़बूत कदन्न-आधारित स्टार्ट-अप समुदाय के लिये नए मार्ग प्रशस्त करेगी और बहुमुखी एवं स्वस्थ अनाज के रूप में कदन्न की अपार क्षमता को पहचानने में मदद करेगी।
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (IYM) 2023:
- परिचय:
- वर्ष 2023 में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मनाने के भारत के प्रस्ताव को वर्ष 2018 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा अनुमोदित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है।
- इसे संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव द्वारा अपनाया गया और इसका नेतृत्व भारत ने किया तथा 70 से अधिक देशों ने इसका समर्थन किया।
- उद्देश्य:
- खाद्य सुरक्षा और पोषण में कदन्न के योगदान के बारे में जागरूकता।
- कदन्न के सतत् उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिये हितधारकों को प्रेरित करना।
- अन्य दो उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अनुसंधान और विकास तथा विस्तार सेवाओं में निवेश बढ़ाने पर ध्यान देना।
कदन्न को मुख्यधारा में लाने के लिये अन्य सरकारी पहल:
- गहन कदन्न संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा के लिये पहल (INSIMP)
- राष्ट्रीय कदन्न मिशन (NMM)
- मूल्य समर्थन योजना (PSS)
- PDS में कदन्न को बढ़ावा देना
- कदन्न का MSP बढ़ाया जाना
- कदन्न की जैविक खेती को बढ़ावा देना
- मूल्यवर्द्धित कदन्न आधारित उत्पादों का विकास करना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. 'गहन कदन्न संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल (Initiative for Nutritional Security through Intensive Millets Promotion)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 मई, 2023
पारसी लेडी
औपनिवेशिक काल के दौरान पारंपरिक भारतीय कला में क्रांति लाने वाले महान भारतीय कलाकार राजा रवि वर्मा की एक अधूरी पेंटिंग जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी। वर्ष 1906 में अपनी मृत्यु से पहले रवि वर्मा द्वारा बनाई गई 'पारसी लेडी' नाम की पेंटिंग उनकी आखिरी कृति है। यह पेंटिंग अद्वितीय है क्योंकि यह दादा साहेब फाल्के के साथ रवि वर्मा के जुड़ाव की एक झलक प्रदर्शित करती है, जिन्होंने उस समय उनके लिये काम किया था। रवि वर्मा ने फाल्के को एक बड़ी राशि दी, जिन्होंने बाद में पहली गहन भारतीय फीचर फिल्म, राजा हरिश्चंद्र बनाकर हेतु ख्याति प्राप्त की। किलिमनूर पैलेस ट्रस्ट पेंटिंग का मालिक है एवं उसने रवि वर्मा की 175वीं जयंती के अवसर पर एक अन्य पेंटिंग के साथ इसका अनावरण करने का फैसला किया है जिसे अभी तक प्रदर्शित नहीं किया गया है। इस पैलेस ने एक कला पुनर्स्थापक एस. माधन की मदद से पेंटिंग को उसके मूल रूप में बहाल किया है, इन्होंने पेंटिंग पर जमा हुई पुरानी वार्निश की परतों तथा गंदगी को हटाने का काम किया। राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल, 1848 को हुआ, जो एक भारतीय चित्रकार थे, जिन्हें हिंदू देवी-देवताओं के पश्चिमी, शास्त्रीय प्रतिनिधित्त्व हेतु जाना जाता था। उन्होंने शाही चित्रकार रामास्वामी नायडू से जलरंगों का प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं अपने जीवनकाल में लगभग 7,000 चित्र बनाए। वर्मा की लिथोग्राफिक प्रेस की महारत ने उनके काम को दूर-दूर तक विस्तारित करने में मदद की, साथ ही उन्हें वर्ष 1904 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा कैसर-ए-हिंद स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 में बुध ग्रह पर एक क्रेटर उनके सम्मान में नामित किया गया था।
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सर्वोच्च न्यायालय ने हेट स्पीच पर प्रथिमिकी दर्ज करने के आदेश दिये
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों को हेट स्पीच की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने और शिकायत दर्ज होने की प्रतीक्षा किये बिना अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनश्य को बढ़ावा देना), 153B (आरोप, राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल दावे), 505 (सार्वजनिक अनिष्ट), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) सहित विशिष्ट दंड प्रावधानों के तहत हेट स्पीच के अपराधियों की पहचान करने एवं कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया। न्यायालय ने अक्तूबर 2022 में इसी तरह का एक आदेश पारित किया था। हालाँकि यह तर्क दिया गया था कि हेट स्पीच से निपटने की आड़ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला नहीं घोंटा जाना चाहिये और न्यायालय का मानना है संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में देखता है जिसमें व्यक्ति की गरिमा एवं एकता तथा देश की अखंडता भी सुनिश्चित होनी चाहिये।
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वाटर फिक्स्चर के लिये स्टार रेटिंग सिस्टम
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) तथा अमृत 2.0 के मिशन निदेशक ने प्लंबेक्स इंडिया 2023 में घोषणा की कि भारत सरकार जल दक्षता को बढ़ावा देने के लिये वाटर फिक्स्चर एक स्टार रेटिंग प्रणाली शुरू करने की प्रक्रिया में है। बिजली के उपकरणों की तरह, भारत टैप की छत्रछाया में इन वाटर फिक्स्चर को उनकी दक्षता के आधार पर 3, 4 या 5 स्टार की रेटिंग दी जाएगी।
इन मानकों को अपनाने और बढ़ावा देने के लिये इंडियन प्लंबिंग एसोसिएशन (IPA) और निर्माताओं को शामिल किया गया है। पहल में पहले ही देखा गया है कि औसतन 30% से अधिक जल बचाया जा सकता है। IPA ने इस वर्ष अकेले 10,000 करोड़ लीटर जल बचाने हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त की है, सरकार से भविष्य में निविदाएँ देते समय कम प्रवाह वाले फिक्स्चर को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है।
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भारत के मुख्य क्षेत्र का धीमा विकास
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, भारत के आठ प्रमुख क्षेत्रों के उत्पादन में मार्च 2023 में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो पाँच महीनों में सबसे कम है। उच्च मुद्रास्फीति, उधार प्रभाव, बढ़ती ब्याज और बढ़ी हुई आर्थिक अनिश्चितता के साथ-साथ मांग में कमी जैसे कारकों ने घरेलू मांग को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप विकास दर धीमी हुई है। भारत में मुख्य क्षेत्रों में आठ उद्योग शामिल हैं जिनका समग्र आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर बड़ा प्रभाव है। इसमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट एवं बिजली शामिल हैं। इन उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में संयुक्त भार 40.27 प्रतिशत है जो अर्थव्यवस्था में विभिन्न उद्योग समूहों की विकास दर को मापता है। मुख्य क्षेत्र अर्थव्यवस्था के पूंजी आधार और बुनियादी ढाँचे का प्रतिनिधित्त्व करता है। इन उद्योगों का प्रदर्शन अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है।
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