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शासन व्यवस्था

‘भारत टैप’ पहल

  • 13 May 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जल संरक्षण की आवश्यकता, स्वच्छ भारत मिशन, कायाकल्प और परिवर्तन के लिये अटल मिशन (अमृत), अमृत 2.0, जल संरक्षण से संबंधित पहल।

मेन्स के लिये:

जल संरक्षण, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री ने 'प्लम्बेक्स इंडिया' प्रदर्शनी में भारत टैप पहल की शुरुआत की। यह प्रदर्शनी प्लम्बिंग, जल और स्वच्छता उद्योग से संबंधित उत्पादों एवं सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से  लगाई गई है।

  • प्रदर्शनी में राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (NAREDCO) माही के 'निर्मल जल प्रयास' पहल की भी शुरुआत की गई।

भारत टैप पहल:

  •  'भारत टैप' के तहत कम बहाव वाले टैप और ‘फिक्स्चर’ के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • यह बड़े पैमाने पर कम प्रवाह वाले सेनेटरी सामग्री  प्रदान करेगा और इस तरह स्रोत पर पानी की खपत को काफी कम कर देगा।
  • इससे लगभग 40% पानी की बचत होने का अनुमान है, परिणामस्वरूप जल और ऊर्जा की बचत होगी जिससे पंपिंग, जल के परिवहन और शुद्धिकरण के लिये भी कम ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
  • इस पहल को देश में शीघ्रता से स्वीकार किया जाएगा, फलस्वरूप जल संरक्षण के प्रयासों पर नए सिरे से प्रयास किया जा सकता है।

राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद माही:

  • यह वैश्विक जल संकट की समस्या को हल करने में मदद करता है, वित्तीय बाधाओं को दूर करता है और ज़रूरतमंद लोगों को सुरक्षित जल एवं स्वच्छता तक पहुँच प्रदान करता है।
    • ‘निर्मल जल प्रयास’ पहल भूजल मानचित्रण पर कार्य करेगी क्योंकि यह भूमिगत जल को बचाने के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है और इससे प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ लीटर जल का संरक्षण किया जायेगा।
  •  वर्ष 2021 NAREDCO की महिला शाखा ,महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और रियल एस्टेट क्षेत्र व संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्थापित की गई थी।
    • यह एक ऐसे वातावरण के निर्माण का प्रयास करता है जहाँ रियल एस्टेट क्षेत्र में महिलाएँ  अनुभव साझा करने, अपने कौशल का उपयोग करने, संसाधनों को आकर्षित करने, प्रभावित करने और स्थायी परिवर्तन लाने के लिये एक साथ आ सकें।
    • जल संरक्षण में इस तरह की पहल बेहद महत्त्वपूर्ण होगी।

जल संरक्षण की आवश्यकता:

  • जल की मांग में वृद्धि: घरेलू, औद्योगिक और कृषि ज़रूरतों तथा सीमित भू-जल संसाधनों के चलते पानी की मांग में वृद्धि हुई है।
  • सीमित भंडारण: कठोर चट्टानी इलाकों के कारण सीमित भंडारण सुविधाएँ, साथ ही मध्य भारतीय राज्यों में वर्षा में कमी आदि।
  • भूजल का अति-दोहन: हरित क्रांति ने सूखाग्रस्त/पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल-गहन फसलों को उगाने में सक्षम बनाया, जिससे भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ।
  • संदूषण: लैंडफिल, सेप्टिक टैंक, भूमिगत गैस टैंक और उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अति प्रयोग से होने वाले प्रदूषण के मामले में जल प्रदूषण के कारण जल संसाधनों की क्षति और इनमें कमी आती है।
  • अपर्याप्त विनियमन: जल का अपर्याप्त विनियमन तथा इसके लिये कोई दंड न होना जल संसाधनों की समाप्ति को प्रोत्साहित करता है। 
  • वनों की कटाई और अवैज्ञानिक तरीके: वनों की कटाई, कृषि के अवैज्ञानिक तरीके, उद्योगों से रासायनिक अपशिष्ट और स्वच्छता की कमी के कारण भी जल प्रदूषण होता है, जिससे यह अनुपयोगी हो जाता है।

जल संरक्षण के लिये केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • स्वच्छ भारत मिशन: 
    • अतीत के निर्माण या आपूर्ति आधारित कार्यक्रमों (केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम) के विपरीत SBM एक मांग-केंद्रित मॉडल है। इसका उद्देश्य भारत में खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना अर्थात् संपूर्ण देश को खुले में शौच करने से मुक्त (ओ.डी.एफ.) घोषित करना, हर घर में शौचालय का निर्माण, जल की आपूर्ति और ठोस व तरल कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन करना है।
  • कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT): 
    • अमृत मिशन को हर घर में पानी की सुनिश्चित आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन के साथ सभी की नल तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये जून 2015 में शुरू किया गया था।
  • AMRUT 2.0: 
    • अमृत ​​2.0 का लक्ष्य लगभग 4,700 ULB (शहरी स्थानीय निकाय) में सभी घरों में पानी की आपूर्ति के मामले में 100% कवरेज प्रदान करना है।
    • यह स्टार्टअप्स और एंटरप्रेन्योर्स (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) को प्रोत्साहित करके आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना चाहता है। 
  • राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम (NAQUIM): 
    • इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म स्तर पर भूमि जल स्तर की पहचान करना, उपलब्ध भूजल संसाधनों की मात्रा निर्धारित करना तथा भागीदारी प्रबंधन के लिये संस्थागत व्यवस्था करना और भूमि जल स्तर की विशेषताओं के मापन के लिये उपयुक्त योजनाओं का प्रस्ताव करना है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम:
    • इसका उद्देश्य भूजल संचयन में सुधार करना, जल संरक्षण और भंडारण तंत्र का निर्माण करना है तथा सरकार को अधिनियम के तहत जल संरक्षण को एक परियोजना के रूप में पेश करने में सक्षम बनाना है। 
  • जल क्रांति अभियान 
    • ब्लॉक स्तरीय जल संरक्षण योजनाओं के माध्यम से गाँवों और शहरों में क्रांति लाने का सक्रिय प्रयास।
    • उदाहरण के लिये इसके तहत जल ग्राम योजना का उद्देश्य जल संरक्षण और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में दो आदर्श गाँवों का विकास करना है।
  • राष्ट्रीय जल मिशन: 
    • एकीकृत जल संसाधन विकास और प्रबंधन के माध्यम से पानी का संरक्षण, अपव्यय को कम करना और राज्यों में एवं राज्यों के भीतर अधिक समान वितरण सुनिश्चित करना है। 
  • नीति आयोग का समग्र जल प्रबंधन सूचकांक: 
    • पानी के प्रभावी उपयोग का लक्ष्य।
  • जल शक्ति मंत्रालय और जल जीवन मिशन:
    • जल से संबंधित मुद्दों से समग्र रूप से निपटने हेतु जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया था।
    • जल जीवन मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को पाइपलाइन के माध्यम  से पानी उपलब्ध कराना है।
  • अटल भूजल योजना:
    • जल प्रयोक्ता संघों के गठन, जल बजट, ग्राम पंचायतवार जल सुरक्षा योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन आदि के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजल के सतत् प्रबंधन हेतु केंद्रीय क्षेत्र की योजना। 
  • जल शक्ति अभियान:
    • जुलाई 2019 में देश में जल संरक्षण और जल सुरक्षा के अभियान के रूप में शुरू किया गया।
  • राष्ट्रीय जल पुरस्कार:
    • जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा आयोजित।
    • देश भर में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किये गए अच्छे कार्यों और प्रयासों तथा जल समृद्धि भारत के पथ हेतु सरकार के दृष्टिकोण पर ध्यान देना

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):

प्रश्न: अगर राष्ट्रीय जल मिशन को ठीक से और पूरी तरह से लागू किया जाता है तो इसका देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (2012)

  1. शहरी क्षेत्रों की पानी की ज़रूरतों का एक हिस्सा अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण के माध्यम से पूरा किया जाएगा।  
  2. पानी के अपर्याप्त वैकल्पिक स्रोतों वाले तटीय शहरों की पानी की आवश्यकताओं को उपयुक्त तकनीकों को अपनाकर पूरा किया जाएगा जो समुद्री जल के उपयोग की अनुमति देती हैं। 
  3. हिमालय मूल की सभी नदियों को प्रायद्वीपीय भारत की नदियों से जोड़ा जाएगा।  
  4. किसानों द्वारा बोरवेल खोदने और भूजल निकालने के लिये मोटर एवं पंपसेट लगाने पर आने वाले संपूर्ण खर्च की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाएगी। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1  
(b) केवल 1 और 2  
(c) केवल 3 और 4  
(d) 1, 2, 3 और 4  

उत्तर: B 

स्रोत: पी.आई.बी.

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