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एडिटोरियल

  • 23 May, 2024
  • 43 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

ई-कॉमर्स परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव

यह एडिटोरियल 09/05/2024 को ‘लाइवमिंट’ में प्रकाशित “Watch out, AI and GenAI are transforming e-commerce from the ground up” लेख पर आधारित है। इसमें ई-कॉमर्स उद्योग परिदृश्य पर जेनरेटिव AI के परिवर्तनकारी प्रभाव के संबंध में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

ई-कॉमर्स, जेनरेटिव AI, भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति, उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020, ई-कॉमर्स में FDI 

मेन्स के लिये:

ई-कॉमर्स क्षेत्र में जेनरेटिव AI, भारत में ई-कॉमर्स से संबंधित प्रमुख मुद्दे।

ई-कॉमर्स (E-commerce) ने शॉपिंग या खरीदारी के अनुभव को पुनर्परिभाषित किया है, जहाँ उपभोक्ता अपने घर बैठे या व्यस्तता के बीच मोबाइल डिवाइस के माध्यम से उत्पादों की ब्राउज़िंग एवं खरीद कर सकते हैं। सुविधा, विस्तृत उत्पाद वर्गीकरण और प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण से प्रेरित इस मल्टी-बिलियन डॉलर उद्योग का तेज़ी से विकास हुआ है।

ChatGPT, DALL-E और Midjourney जैसी जेनरेटिव AI (Generative AI) प्रौद्योगिकियों का उदय ई-कॉमर्स परिदृश्य को तेज़ी से बदल रहा है। जेनरेटिव AI को इस प्रौद्योगिकी में निवेश करने वाली कंपनियों के लिये उच्च रूपांतरण दर और 3-15% की राजस्व वृद्धि को बढ़ावा देते हुए पाया गया है। हालाँकि, जेनरेटिव AI मॉडल कभी-कभी ‘भ्रम’ भी उत्पन्न कर सकते हैं और मानवीय निगरानी के अभाव में गलत या मनगढ़ंत सूचना सृजित कर सकते हैं।

जेनरेटिव AI ई-कॉमर्स क्षेत्र में किस प्रकार क्रांति ला रहा है?

  • वैयक्तिकृत उत्पाद अनुशंसाएँ (Personalized Product Recommendations): जेनरेटिव AI ग्राहक डेटा और ब्राउज़िंग पैटर्न का विश्लेषण कर अत्यधिक वैयक्तिकृत उत्पाद अनुशंसाएँ प्रदान कर सकता है।
    • एप्सिलॉन (Epsilon) के एक नए शोध से पता चलता है कि 80% उपभोक्ता खरीदारी करने के लिये अधिक इच्छुक होते हैं जब ब्रांड वैयक्तिकृत अनुभव प्रदान करते हैं।
  • स्वचालित उत्पाद विवरण और विपणन कंटेंट (Automated Product Descriptions and Marketing Content): AI स्वचालित रूप से उत्पाद विवरण, विज्ञापन, सोशल मीडिया पोस्ट आदि उत्पन्न कर सकता है, जिससे गुणवत्ता बनाए रखते हुए समय की बचत होती है।
    • ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एडवरटाइजर्स’ के एक अध्ययन के अनुसार, कंटेंट निर्माण के लिये जेनरेटिव AI का उपयोग करने वाले 55% विपणकों (marketers) ने बेहतर प्रदर्शन की रिपोर्टिंग की।
  • मांग पूर्वानुमान और इन्वेंट्री इष्टतमकरण (Demand Forecasting and Inventory Optimization): जेनरेटिव AI मॉडल ऐतिहासिक डेटा पर प्रशिक्षण द्वारा पारंपरिक तरीकों की तुलना में मांग पैटर्न और मौसमी-तत्व (seasonality) का अधिक सटीक पूर्वानुमान प्रदान कर सकते हैं।
    • इससे ई-कॉमर्स व्यवसायों को इन्वेंट्री के स्तर को इष्टतम करने, लागत कम करने और स्टॉक-आउट (stockouts) को रोकने में मदद मिलती है।
  • रूपांतरण दर और राजस्व में वृद्धि (Increased Conversion Rates and Revenue): मैकिन्से (McKinsey) के अनुसार, जेनरेटिव AI में निवेश करने वाले व्यवसायों ने 3-15% राजस्व वृद्धि और निवेश पर बिक्री रिटर्न में 10-20% सुधार का अनुभव किया।

Generative_AI_in_E-Commerce

  • नोट: जेनरेटिव AI कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का एक उपसमूह है जो बड़े डेटासेट के विश्लेषण से सीखे गए पैटर्न और विशेषताओं का अनुकरण/नकल करते हुए नवीन एवं अद्वितीय डेटा या कंटेंट उत्पन्न करने के लिये एल्गोरिदम का उपयोग करता है।

artificial_ intelligence

भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र का परिदृश्य

  • परिचय: भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग के वर्ष 2030 तक उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव करते हुए 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • वित्त वर्ष 2023 में ई-कॉमर्स का सकल व्यापारिक मूल्य (Gross Merchandise Value- GMV) 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 22% अधिक था।
    • वित्त वर्ष 2021 में भारत में चीन और अमेरिका के बाद 150 मिलियन का तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन खरीदार आधार (online shopper base) मौजूद था, जिसके वित्त वर्ष 2026 तक 350 मिलियन होने की उम्मीद है।
  • भारत में ई-कॉमर्स के विकास को प्रेरित करने वाले कारक:
    • इंटरनेट पहुँच में वृद्धि: भारत, 821 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाज़ार है। यह बढ़ती कनेक्टिविटी ई-कॉमर्स अंगीकरण के लिये एक प्रमुख चालक है।
    • टियर 2 और टियर 3 शहरों में बढ़ती उपस्थिति: ई-कॉमर्स का चलन टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी व्यापक लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि अब वे सभी खरीदारों में से लगभग आधे भाग का निर्माण करते हैं और प्रमुख ई-रिटेल प्लेटफॉर्मों के लिये प्रत्येक पाँच ऑर्डर में से तीन का योगदान करते हैं।
      • टियर 3 शहरों की ई-कॉमर्स बाज़ार में हिस्सेदारी वर्ष 2021 में 34.2% से बढ़कर वर्ष 2022 में 41.5% हो गई।
    • बढ़ता मध्यम वर्ग और प्रयोज्य आय: प्राइस रिपोर्ट (PRICE Report) 2023 के अनुसार, भारत के मध्यम वर्ग का आकार वर्ष 2020-21 में 31% से लगभग दोगुना बढ़कर वर्ष 2047 तक इसकी कुल आबादी का 61% हो जाएगा।
      • प्रयोज्य आय (Disposable Incomes) में वृद्धि के साथ उपभोक्ताओं की अधिक संख्या सुविधा के लिये ऑनलाइन खरीदारी कर रही है और विभिन्न ब्रांडों तक पहुँच बना रही है।
    • अनुकूल जनसांख्यिकी: विश्व जनसंख्या परिप्रेक्ष्य (World Population Prospects- WPP) के अनुसार भारत की औसत आयु 28 वर्ष है, जो इसे विश्व स्तर पर सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक बनाती है।
      • यह जनसांख्यिकीय लाभांश और तकनीक-प्रेमी (tech-savvy) आबादी ई-कॉमर्स के अंगीकरण एवं विकास के लिये बेहद अनुकूल स्थिति है।
    • D2C ब्रांड और सोशल कॉमर्स का विकास: boAt, Mamaearth और Licious जैसे डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांडों के उदय ने पारंपरिक खुदरा मॉडल में व्यवधान उत्पन्न किया है।
      • मीशो (Meesho) जैसे सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।
    • सुगम भुगतान के लिये फिनटेक समाधान: UPI, मोबाइल वॉलेट और ‘बाय-नाउ-पे-लेटर’ जैसे डिजिटल भुगतान समाधानों ने भारतीय उपभोक्ताओं के लिये ऑनलाइन लेनदेन को अधिक अभिगम्य एवं सुगम बना दिया है।
      • भारत डिजिटल भुगतान रिपोर्ट (H2 2023) के अनुसार वर्ष 2023 में डिजिटल भुगतान की कुल मात्रा 65.7 बिलियन लेनदेन तक पहुँच गई।
    • लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखला में सुधार: Delhivery, Ecom Express और Xpress Bees जैसी कंपनियों द्वारा लॉजिस्टिक्स अवसंरचना, वेयरहाउसिंग और लास्ट-माइल डिलीवरी नेटवर्क में निवेश ने पूरे भारत में ई-कॉमर्स के विकास को समर्थन प्रदान किया है।

भारत में ई-कॉमर्स से संबंधित प्रमुख मुद्दे:

  • लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखला की कमज़ोरियाँ: सुधार के बावजूद, भारत की लॉजिस्टिक्स अवसंरचना अभी भी पिछड़ी हुई है, जिसके कारण उच्च लागत और आपूर्ति में देरी (विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में) की स्थिति बनती है।
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद के 14-18% के दायरे में रही है, जबकि वैश्विक बेंचमार्क 8% है।
  • सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव संबंधी चिंताएँ: अत्यधिक पैकेजिंग अपशिष्ट, आपूर्ति शृंखला में अनैतिक श्रम संबंधी अभ्यास और असंवहनीय व्यापार मॉडल जैसे मुद्दे व्यापक पारिस्थितिक एवं सामाजिक प्रभाव के बारे में चिंताएँ पैदा करते हैं।
    • उदाहरण के लिये, मई 2023 में चेन्नई में Swiggy के डिलीवरी पार्टनर्स बेहतर वेतन एवं कार्य दशाओं की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए।
  • साख-विरोधी और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रणालियाँ (Antitrust and Anti-Competitive Practices): बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों पर भारी छूट, अधिमान्य व्यवहार और डेटा के दुरुपयोग जैसे प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी अभ्यासों का पालन करने के आरोप लगाए जाते हैं, जिनसे अन्य कंपनियों के लिये समान अवसर को खतरा पहुँचता है।
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2021 में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने फ्यूचर ग्रुप इकाई सौदे के दायरे एवं उद्देश्य का पूरी तरह से खुलासा नहीं करने के लिये Amazon पर 202 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।
  • नकली और पाइरेटेड उत्पाद संबंधी चिंताएँ: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर नकली और पाइरेटेड उत्पादों का प्रसार न केवल वास्तविक ब्रांडों की बिक्री को प्रभावित करता है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र में उपभोक्ता सुरक्षा एवं भरोसे को भी खतरे में डालता है।
    • हाल ही में मुंबई की क्राइम ब्रांच ने ‘WoW’ उत्पादों के रूप में बेचे जा रहे 55,000 रुपए मूल्य के नकली माल जब्त किये।
  • मानव संसाधन संबंधी चुनौतियाँ: ई-कॉमर्स के तीव्र विकास ने कुशल तकनीक, आपूर्ति शृंखला और लॉजिस्टिक्स पेशेवरों के लिये मांग-आपूर्ति में अंतर पैदा कर दिया है।

ई-कॉमर्स से संबंधित प्रमुख सरकारी पहलें:

  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल: इसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा अगस्त 2016 में लॉन्च किया गया ताकि क्रेताओं एवं विक्रेताओं के लिये सार्वजनिक क्रय गतिविधियों के संचालन हेतु एक समावेशी, कुशल एवं पारदर्शी मंच बनाया जा सके।
    • इसके तहत वित्त वर्ष 2023 में खरीद की मात्रा 2 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई।
  • ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC): यह वर्ष 2022 में भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया एक ऑनलाइन नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य MSMEs को डिजिटल कॉमर्स में समान अवसर प्रदान करना और ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना है।
  • राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति: भारत सरकार राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति लाने की तैयारी में है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना तथा निर्यात को प्रोत्साहित करना है।
    • आरंभिक रूप से वर्ष 2018 में प्रस्तावित इस नीति का मसौदा वर्ष 2019 में जारी किया गया था।
  • उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020: इसके अंतर्गत ई-कॉमर्स कंपनियों को उत्पाद सूची के साथ मूल देश का नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है।
    • इसने कंपनियों के लिये अपने प्लेटफॉर्म पर उत्पाद सूचीकरण निर्धारित करने वाले मापदंडों का खुलासा करना भी अनिवार्य कर दिया है।
  • ई-कॉमर्स में FDI: ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाकर 100% कर दी गई है (B2B मॉडल में)।
  • समतुल्य लेवी नियम (Equalisation Levy Rules), 2016 (अक्टूबर 2020 में संशोधित): समकारी लेवी का उद्देश्य डिजिटल अर्थव्यवस्था कर (tax) का उचित हिस्सा सुनिश्चित करना और दोहरे कराधान से बचना है।
    • भारत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म संचालित करने वाली विदेशी कंपनियों के लिये स्थायी खाता संख्या (PAN) रखना अनिवार्य बनाया गया है।
    • गैर-निवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं की आपूर्ति पर वित्त वर्ष 2021 के बजट में 2% कर अधिरोपित किया गया।

भारत में ई-कॉमर्स परिदृश्य में सुधार के लिये आवश्यक उपाय:

  • लॉजिस्टिक्स पार्क और मल्टीमॉडल हब विकसित करना: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से नवोन्मेषी वित्तपोषण मॉडल का लाभ उठाते हुए अत्याधुनिक लॉजिस्टिक्स पार्क और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब के निर्माण को प्रोत्साहित करना।
    • ये हब परिवहन के विभिन्न साधनों (सड़क, रेल, वायु एवं जलमार्ग) को एकीकृत करेंगे और आधुनिक वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग एवं वितरण की सुविधाएँ प्रदान करेंगे, जिससे संपूर्ण आपूर्ति शृंखला सुव्यवस्थित बनेगी।
  • ग्रामीण ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप को बढ़ावा देना: ग्रामीण ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप को प्रौद्योगिकी, वित्तपोषण, मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण तक पहुँच प्रदान कर उनके विकास को प्रोत्साहन और समर्थन देना।
    • ये स्टार्टअप दूरदराज के क्षेत्रों में लास्ट-माइल डिलीवरी के अंतराल को दूर करने के लिये स्थानीय ज्ञान एवं संसाधनों का लाभ उठा सकते हैं, जिससे रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
  • ‘लॉजिस्टिक्स रिवर्स’ और ‘सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल’ को लागू करना: संवहनीय पैकेजिंग सामग्रियों के उपयोग को अनिवार्य बनाना और ‘लॉजिस्टिक्स रिवर्स’ की अवधारणा को बढ़ावा देना, जहाँ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ग्राहकों को पुनर्चक्रण या पुनः उपयोग के लिये पैकेजिंग सामग्रियों को वापस करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, अपशिष्ट को कम करने और संवहनीय उपभोग को बढ़ावा देने के लिये उत्पादों के पुनर्विक्रय, नवीनीकरण या पुनर्चक्रण की सुविधा प्रदान करते हुए चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के अंगीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • एक समर्पित ई-कॉमर्स विनियामक प्राधिकरण का गठन करना: ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी अभ्यासों, डेटा दुरुपयोग और अनुचित व्यावसायिक अभ्यासों की सक्रिय निगरानी एवं नियंत्रण के लिये एक समर्पित ई-कॉमर्स विनियामक प्राधिकरण या भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के भीतर एक विशेष प्रभाग का गठन किया जाए।
    • यह प्राधिकरण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के एल्गोरिदम और नीतियों में ‘फेयरनेस बाय डिज़ाइन’ (Fairness by Design) के सिद्धांतों के कार्यान्वयन की देखरेख भी कर सकता है।
  • उन्नत प्रमाणीकरण एवं ट्रेसिबिलिटी प्रौद्योगिकियों का क्रियान्वयन: नकली माल निर्माण से निपटने और उत्पाद की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिये RFID टैग, QR कोड एवं  ब्लॉकचेन-आधारित ट्रेसिबिलिटी सिस्टम जैसी उन्नत उत्पाद प्रमाणीकरण प्रौद्योगिकियों के उपयोग को अनिवार्य बनाना।
    • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर नकली मालों की बिक्री से निपटने के लिये एक केंद्रीकृत रिपोर्टिंग तंत्र और एक समर्पित टास्क फोर्स का गठन करने के लिये उद्योग संघों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहकार्यता स्थापित की जाए।
  • ‘गिग टैलेंट पूल’ के विकास को प्रोत्साहित करना: ‘गिग टैलेंट पूल’ (Gig Talent Pools) के विकास को प्रोत्साहित किया जाए, जहाँ ई-कॉमर्स कंपनियाँ अल्पकालिक या परियोजना-आधारित कार्यों के लिये कुशल फ्रीलांसरों और स्वतंत्र ठेकेदारों के एक सुचयनित नेटवर्क तक पहुँच बना सकती हैं।
  • ई-कॉमर्स में जेनरेटिव AI को विनियमित करना: नियामक ढाँचे को प्रतिस्पर्द्धा और नैतिक अभ्यासों को बनाए रखने के लिये AI-सृजित कंटेंट और एल्गोरिदम में पारदर्शिता को अनिवार्य बनाना चाहिये। 
    • ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये AI के उपयोग का खुलासा करना और नैतिक मानकों का पालन करना अनिवार्य होना चाहिये।
    • नियमित लेखा परीक्षण एवं अनुपालन जाँच से निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

अभ्यास प्रश्न: प्रमुख नीतिगत पहलों, चुनौतियों और अर्थव्यवस्था पर इस क्षेत्र के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए भारत के ई-कॉमर्स उद्योग की वर्तमान स्थिति का परीक्षण कीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: भारत में कार्य कर रही विदेशी-स्वामित्व की e-वाणिज्य फर्मों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. अपने प्लेटफार्मों को बाज़ार-स्थान के रूप में प्रस्तुत करने के अतिरिक्त वे स्वयं अपने माल का विक्रय भी कर सकते हैं।
  2. वे अपने प्लेटफॉर्मों पर किस अंश तक बड़े विक्रेताओं को स्वीकार कर सकते हैं, यह सीमित है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)

यह एडिटोरियल 09/05/2024 को ‘लाइवमिंट’ में प्रकाशित “Watch out, AI and GenAI are transforming e-commerce from the ground up” लेख पर आधारित है। इसमें ई-कॉमर्स उद्योग परिदृश्य पर जेनरेटिव AI के परिवर्तनकारी प्रभाव के संबंध में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

ई-कॉमर्स, जेनरेटिव AI, भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति, उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020, ई-कॉमर्स में FDI 

मेन्स के लिये:

ई-कॉमर्स क्षेत्र में जेनरेटिव AI, भारत में ई-कॉमर्स से संबंधित प्रमुख मुद्दे।

ई-कॉमर्स (E-commerce) ने शॉपिंग या खरीदारी के अनुभव को पुनर्परिभाषित किया है, जहाँ उपभोक्ता अपने घर बैठे या व्यस्तता के बीच मोबाइल डिवाइस के माध्यम से उत्पादों की ब्राउज़िंग एवं खरीद कर सकते हैं। सुविधा, विस्तृत उत्पाद वर्गीकरण और प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण से प्रेरित इस मल्टी-बिलियन डॉलर उद्योग का तेज़ी से विकास हुआ है।

ChatGPT, DALL-E और Midjourney जैसी जेनरेटिव AI (Generative AI) प्रौद्योगिकियों का उदय ई-कॉमर्स परिदृश्य को तेज़ी से बदल रहा है। जेनरेटिव AI को इस प्रौद्योगिकी में निवेश करने वाली कंपनियों के लिये उच्च रूपांतरण दर और 3-15% की राजस्व वृद्धि को बढ़ावा देते हुए पाया गया है। हालाँकि, जेनरेटिव AI मॉडल कभी-कभी ‘भ्रम’ भी उत्पन्न कर सकते हैं और मानवीय निगरानी के अभाव में गलत या मनगढ़ंत सूचना सृजित कर सकते हैं।

जेनरेटिव AI ई-कॉमर्स क्षेत्र में किस प्रकार क्रांति ला रहा है?

  • वैयक्तिकृत उत्पाद अनुशंसाएँ (Personalized Product Recommendations): जेनरेटिव AI ग्राहक डेटा और ब्राउज़िंग पैटर्न का विश्लेषण कर अत्यधिक वैयक्तिकृत उत्पाद अनुशंसाएँ प्रदान कर सकता है।
    • एप्सिलॉन (Epsilon) के एक नए शोध से पता चलता है कि 80% उपभोक्ता खरीदारी करने के लिये अधिक इच्छुक होते हैं जब ब्रांड वैयक्तिकृत अनुभव प्रदान करते हैं।
  • स्वचालित उत्पाद विवरण और विपणन कंटेंट (Automated Product Descriptions and Marketing Content): AI स्वचालित रूप से उत्पाद विवरण, विज्ञापन, सोशल मीडिया पोस्ट आदि उत्पन्न कर सकता है, जिससे गुणवत्ता बनाए रखते हुए समय की बचत होती है।
    • ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एडवरटाइजर्स’ के एक अध्ययन के अनुसार, कंटेंट निर्माण के लिये जेनरेटिव AI का उपयोग करने वाले 55% विपणकों (marketers) ने बेहतर प्रदर्शन की रिपोर्टिंग की।
  • मांग पूर्वानुमान और इन्वेंट्री इष्टतमकरण (Demand Forecasting and Inventory Optimization): जेनरेटिव AI मॉडल ऐतिहासिक डेटा पर प्रशिक्षण द्वारा पारंपरिक तरीकों की तुलना में मांग पैटर्न और मौसमी-तत्व (seasonality) का अधिक सटीक पूर्वानुमान प्रदान कर सकते हैं।
    • इससे ई-कॉमर्स व्यवसायों को इन्वेंट्री के स्तर को इष्टतम करने, लागत कम करने और स्टॉक-आउट (stockouts) को रोकने में मदद मिलती है।
  • रूपांतरण दर और राजस्व में वृद्धि (Increased Conversion Rates and Revenue): मैकिन्से (McKinsey) के अनुसार, जेनरेटिव AI में निवेश करने वाले व्यवसायों ने 3-15% राजस्व वृद्धि और निवेश पर बिक्री रिटर्न में 10-20% सुधार का अनुभव किया।

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  • नोट: जेनरेटिव AI कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) का एक उपसमूह है जो बड़े डेटासेट के विश्लेषण से सीखे गए पैटर्न और विशेषताओं का अनुकरण/नकल करते हुए नवीन एवं अद्वितीय डेटा या कंटेंट उत्पन्न करने के लिये एल्गोरिदम का उपयोग करता है।

artificial_ intelligence

भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र का परिदृश्य

  • परिचय: भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग के वर्ष 2030 तक उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव करते हुए 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • वित्त वर्ष 2023 में ई-कॉमर्स का सकल व्यापारिक मूल्य (Gross Merchandise Value- GMV) 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 22% अधिक था।
    • वित्त वर्ष 2021 में भारत में चीन और अमेरिका के बाद 150 मिलियन का तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन खरीदार आधार (online shopper base) मौजूद था, जिसके वित्त वर्ष 2026 तक 350 मिलियन होने की उम्मीद है।
  • भारत में ई-कॉमर्स के विकास को प्रेरित करने वाले कारक:
    • इंटरनेट पहुँच में वृद्धि: भारत, 821 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाज़ार है। यह बढ़ती कनेक्टिविटी ई-कॉमर्स अंगीकरण के लिये एक प्रमुख चालक है।
    • टियर 2 और टियर 3 शहरों में बढ़ती उपस्थिति: ई-कॉमर्स का चलन टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी व्यापक लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि अब वे सभी खरीदारों में से लगभग आधे भाग का निर्माण करते हैं और प्रमुख ई-रिटेल प्लेटफॉर्मों के लिये प्रत्येक पाँच ऑर्डर में से तीन का योगदान करते हैं।
      • टियर 3 शहरों की ई-कॉमर्स बाज़ार में हिस्सेदारी वर्ष 2021 में 34.2% से बढ़कर वर्ष 2022 में 41.5% हो गई।
    • बढ़ता मध्यम वर्ग और प्रयोज्य आय: प्राइस रिपोर्ट (PRICE Report) 2023 के अनुसार, भारत के मध्यम वर्ग का आकार वर्ष 2020-21 में 31% से लगभग दोगुना बढ़कर वर्ष 2047 तक इसकी कुल आबादी का 61% हो जाएगा।
      • प्रयोज्य आय (Disposable Incomes) में वृद्धि के साथ उपभोक्ताओं की अधिक संख्या सुविधा के लिये ऑनलाइन खरीदारी कर रही है और विभिन्न ब्रांडों तक पहुँच बना रही है।
    • अनुकूल जनसांख्यिकी: विश्व जनसंख्या परिप्रेक्ष्य (World Population Prospects- WPP) के अनुसार भारत की औसत आयु 28 वर्ष है, जो इसे विश्व स्तर पर सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक बनाती है।
      • यह जनसांख्यिकीय लाभांश और तकनीक-प्रेमी (tech-savvy) आबादी ई-कॉमर्स के अंगीकरण एवं विकास के लिये बेहद अनुकूल स्थिति है।
    • D2C ब्रांड और सोशल कॉमर्स का विकास: boAt, Mamaearth और Licious जैसे डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांडों के उदय ने पारंपरिक खुदरा मॉडल में व्यवधान उत्पन्न किया है।
      • मीशो (Meesho) जैसे सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।
    • सुगम भुगतान के लिये फिनटेक समाधान: UPI, मोबाइल वॉलेट और ‘बाय-नाउ-पे-लेटर’ जैसे डिजिटल भुगतान समाधानों ने भारतीय उपभोक्ताओं के लिये ऑनलाइन लेनदेन को अधिक अभिगम्य एवं सुगम बना दिया है।
      • भारत डिजिटल भुगतान रिपोर्ट (H2 2023) के अनुसार वर्ष 2023 में डिजिटल भुगतान की कुल मात्रा 65.7 बिलियन लेनदेन तक पहुँच गई।
    • लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखला में सुधार: Delhivery, Ecom Express और Xpress Bees जैसी कंपनियों द्वारा लॉजिस्टिक्स अवसंरचना, वेयरहाउसिंग और लास्ट-माइल डिलीवरी नेटवर्क में निवेश ने पूरे भारत में ई-कॉमर्स के विकास को समर्थन प्रदान किया है।

भारत में ई-कॉमर्स से संबंधित प्रमुख मुद्दे:

  • लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखला की कमज़ोरियाँ: सुधार के बावजूद, भारत की लॉजिस्टिक्स अवसंरचना अभी भी पिछड़ी हुई है, जिसके कारण उच्च लागत और आपूर्ति में देरी (विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में) की स्थिति बनती है।
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद के 14-18% के दायरे में रही है, जबकि वैश्विक बेंचमार्क 8% है।
  • सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव संबंधी चिंताएँ: अत्यधिक पैकेजिंग अपशिष्ट, आपूर्ति शृंखला में अनैतिक श्रम संबंधी अभ्यास और असंवहनीय व्यापार मॉडल जैसे मुद्दे व्यापक पारिस्थितिक एवं सामाजिक प्रभाव के बारे में चिंताएँ पैदा करते हैं।
    • उदाहरण के लिये, मई 2023 में चेन्नई में Swiggy के डिलीवरी पार्टनर्स बेहतर वेतन एवं कार्य दशाओं की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए।
  • साख-विरोधी और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रणालियाँ (Antitrust and Anti-Competitive Practices): बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों पर भारी छूट, अधिमान्य व्यवहार और डेटा के दुरुपयोग जैसे प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी अभ्यासों का पालन करने के आरोप लगाए जाते हैं, जिनसे अन्य कंपनियों के लिये समान अवसर को खतरा पहुँचता है।
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2021 में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने फ्यूचर ग्रुप इकाई सौदे के दायरे एवं उद्देश्य का पूरी तरह से खुलासा नहीं करने के लिये Amazon पर 202 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।
  • नकली और पाइरेटेड उत्पाद संबंधी चिंताएँ: ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर नकली और पाइरेटेड उत्पादों का प्रसार न केवल वास्तविक ब्रांडों की बिक्री को प्रभावित करता है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र में उपभोक्ता सुरक्षा एवं भरोसे को भी खतरे में डालता है।
    • हाल ही में मुंबई की क्राइम ब्रांच ने ‘WoW’ उत्पादों के रूप में बेचे जा रहे 55,000 रुपए मूल्य के नकली माल जब्त किये।
  • मानव संसाधन संबंधी चुनौतियाँ: ई-कॉमर्स के तीव्र विकास ने कुशल तकनीक, आपूर्ति शृंखला और लॉजिस्टिक्स पेशेवरों के लिये मांग-आपूर्ति में अंतर पैदा कर दिया है।

ई-कॉमर्स से संबंधित प्रमुख सरकारी पहलें:

  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल: इसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा अगस्त 2016 में लॉन्च किया गया ताकि क्रेताओं एवं विक्रेताओं के लिये सार्वजनिक क्रय गतिविधियों के संचालन हेतु एक समावेशी, कुशल एवं पारदर्शी मंच बनाया जा सके।
    • इसके तहत वित्त वर्ष 2023 में खरीद की मात्रा 2 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई।
  • ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC): यह वर्ष 2022 में भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया एक ऑनलाइन नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य MSMEs को डिजिटल कॉमर्स में समान अवसर प्रदान करना और ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना है।
  • राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति: भारत सरकार राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति लाने की तैयारी में है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना तथा निर्यात को प्रोत्साहित करना है।
    • आरंभिक रूप से वर्ष 2018 में प्रस्तावित इस नीति का मसौदा वर्ष 2019 में जारी किया गया था।
  • उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020: इसके अंतर्गत ई-कॉमर्स कंपनियों को उत्पाद सूची के साथ मूल देश का नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है।
    • इसने कंपनियों के लिये अपने प्लेटफॉर्म पर उत्पाद सूचीकरण निर्धारित करने वाले मापदंडों का खुलासा करना भी अनिवार्य कर दिया है।
  • ई-कॉमर्स में FDI: ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाकर 100% कर दी गई है (B2B मॉडल में)।
  • समतुल्य लेवी नियम (Equalisation Levy Rules), 2016 (अक्टूबर 2020 में संशोधित): समकारी लेवी का उद्देश्य डिजिटल अर्थव्यवस्था कर (tax) का उचित हिस्सा सुनिश्चित करना और दोहरे कराधान से बचना है।
    • भारत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म संचालित करने वाली विदेशी कंपनियों के लिये स्थायी खाता संख्या (PAN) रखना अनिवार्य बनाया गया है।
    • गैर-निवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं की आपूर्ति पर वित्त वर्ष 2021 के बजट में 2% कर अधिरोपित किया गया।

भारत में ई-कॉमर्स परिदृश्य में सुधार के लिये आवश्यक उपाय:

  • लॉजिस्टिक्स पार्क और मल्टीमॉडल हब विकसित करना: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से नवोन्मेषी वित्तपोषण मॉडल का लाभ उठाते हुए अत्याधुनिक लॉजिस्टिक्स पार्क और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब के निर्माण को प्रोत्साहित करना।
    • ये हब परिवहन के विभिन्न साधनों (सड़क, रेल, वायु एवं जलमार्ग) को एकीकृत करेंगे और आधुनिक वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग एवं वितरण की सुविधाएँ प्रदान करेंगे, जिससे संपूर्ण आपूर्ति शृंखला सुव्यवस्थित बनेगी।
  • ग्रामीण ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप को बढ़ावा देना: ग्रामीण ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप को प्रौद्योगिकी, वित्तपोषण, मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण तक पहुँच प्रदान कर उनके विकास को प्रोत्साहन और समर्थन देना।
    • ये स्टार्टअप दूरदराज के क्षेत्रों में लास्ट-माइल डिलीवरी के अंतराल को दूर करने के लिये स्थानीय ज्ञान एवं संसाधनों का लाभ उठा सकते हैं, जिससे रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
  • ‘लॉजिस्टिक्स रिवर्स’ और ‘सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल’ को लागू करना: संवहनीय पैकेजिंग सामग्रियों के उपयोग को अनिवार्य बनाना और ‘लॉजिस्टिक्स रिवर्स’ की अवधारणा को बढ़ावा देना, जहाँ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ग्राहकों को पुनर्चक्रण या पुनः उपयोग के लिये पैकेजिंग सामग्रियों को वापस करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, अपशिष्ट को कम करने और संवहनीय उपभोग को बढ़ावा देने के लिये उत्पादों के पुनर्विक्रय, नवीनीकरण या पुनर्चक्रण की सुविधा प्रदान करते हुए चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के अंगीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • एक समर्पित ई-कॉमर्स विनियामक प्राधिकरण का गठन करना: ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी अभ्यासों, डेटा दुरुपयोग और अनुचित व्यावसायिक अभ्यासों की सक्रिय निगरानी एवं नियंत्रण के लिये एक समर्पित ई-कॉमर्स विनियामक प्राधिकरण या भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के भीतर एक विशेष प्रभाग का गठन किया जाए।
    • यह प्राधिकरण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के एल्गोरिदम और नीतियों में ‘फेयरनेस बाय डिज़ाइन’ (Fairness by Design) के सिद्धांतों के कार्यान्वयन की देखरेख भी कर सकता है।
  • उन्नत प्रमाणीकरण एवं ट्रेसिबिलिटी प्रौद्योगिकियों का क्रियान्वयन: नकली माल निर्माण से निपटने और उत्पाद की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिये RFID टैग, QR कोड एवं  ब्लॉकचेन-आधारित ट्रेसिबिलिटी सिस्टम जैसी उन्नत उत्पाद प्रमाणीकरण प्रौद्योगिकियों के उपयोग को अनिवार्य बनाना।
    • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर नकली मालों की बिक्री से निपटने के लिये एक केंद्रीकृत रिपोर्टिंग तंत्र और एक समर्पित टास्क फोर्स का गठन करने के लिये उद्योग संघों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहकार्यता स्थापित की जाए।
  • ‘गिग टैलेंट पूल’ के विकास को प्रोत्साहित करना: ‘गिग टैलेंट पूल’ (Gig Talent Pools) के विकास को प्रोत्साहित किया जाए, जहाँ ई-कॉमर्स कंपनियाँ अल्पकालिक या परियोजना-आधारित कार्यों के लिये कुशल फ्रीलांसरों और स्वतंत्र ठेकेदारों के एक सुचयनित नेटवर्क तक पहुँच बना सकती हैं।
  • ई-कॉमर्स में जेनरेटिव AI को विनियमित करना: नियामक ढाँचे को प्रतिस्पर्द्धा और नैतिक अभ्यासों को बनाए रखने के लिये AI-सृजित कंटेंट और एल्गोरिदम में पारदर्शिता को अनिवार्य बनाना चाहिये। 
    • ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये AI के उपयोग का खुलासा करना और नैतिक मानकों का पालन करना अनिवार्य होना चाहिये।
    • नियमित लेखा परीक्षण एवं अनुपालन जाँच से निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

अभ्यास प्रश्न: प्रमुख नीतिगत पहलों, चुनौतियों और अर्थव्यवस्था पर इस क्षेत्र के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए भारत के ई-कॉमर्स उद्योग की वर्तमान स्थिति का परीक्षण कीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: भारत में कार्य कर रही विदेशी-स्वामित्व की e-वाणिज्य फर्मों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. अपने प्लेटफार्मों को बाज़ार-स्थान के रूप में प्रस्तुत करने के अतिरिक्त वे स्वयं अपने माल का विक्रय भी कर सकते हैं।
  2. वे अपने प्लेटफॉर्मों पर किस अंश तक बड़े विक्रेताओं को स्वीकार कर सकते हैं, यह सीमित है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)


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