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एडिटोरियल

  • 18 Mar, 2024
  • 18 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भूटान का गेलेफू गैम्बिट

यह एडिटोरियल 15/03/2024 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Bhutan’s opening move, its Gelephu gambit” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में असम की सीमा पर अवस्थित भूटान के गेलेफू शहर में एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र स्थापित करने के भूटान के प्रस्ताव, भूटान के लिये एक आरंभिक कदम के रूप में इस परियोजना के महत्त्व और भारत के समर्थन से क्षेत्र के लिये इसके रूपांतरणकारी सिद्ध हो सकने के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है।

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-भूटान संबंध, G20 शिखर सम्मेलन, ग्लोबल साउथ, नवीकरणीय ऊर्जा, 2017 में डोकलाम गतिरोध, व्यापार घाटा, क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र, गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी” (GMC), एक्ट ईस्ट, भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (IMEC)

मेन्स के लिये:

भारत-भूटान संबंधों पर चीन द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ।

कनेक्टिविटी पहलों, बड़े पैमाने की अवसंरचना परियोजनाओं और विश्व भर में स्मार्ट शहरों के विकास से चिह्नित हो रहे वर्तमान समय में भूटान के प्रधानमंत्री ने भारत की हाल की यात्रा के दौरान असम की सीमा पर अवस्थित भूटान के गेलेफू (Gelephu) शहर में एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा। 

दिसंबर 2023 में भूटान के राजा द्वारा लॉन्च की गई इस योजना के तहत 1000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अनूठे भूटानी वास्तुशिल्प ब्लूप्रिंट के साथ ‘गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी’ (Gelephu Mindfulness City- GMC) का निर्माण किया जाना है, जो निवेशक-अनुकूल कानूनों के साथ एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के रूप में स्थापित किया जाएगा।

भूटान से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • भूटान भारत और तिब्बत (जो चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र है) के बीच अवस्थित एक स्थलरुद्ध देश है।
  • देश में आयोजित पहले लोकतांत्रिक चुनाव के साथ वर्ष 2008 में भूटान एक लोकतांत्रिक देश बन गया जहाँ एक निर्वाचित प्रधानमंत्री के साथ भूटान के राजा को राज्य प्रमुख स्थिति प्राप्त है।
  • भूटान में पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित प्रमुख नदियों में टोरसा (अमो), वोंग (रैडाक), संकोश (मो) और मानस शामिल हैं। ये सभी नदियाँ वृहत हिमालय से दक्षिण की ओर बहती हैं और भारत में ब्रह्मपुत्र नदी में आकर मिल जाती हैं।
    • भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जो दक्षिणी भूटान और भारत के बीच हिमालय की तलहटी में प्रवाहित एक सीमा-पारीय नदी है।

GMC के विकास के संबंध में विभिन्न तर्क:

  • समर्थन में तर्क:
    • एक कार्बन-तटस्थ शहर:
      • एक कार्बन-तटस्थ शहर के रूप में गेलेफू में केवल गैर-प्रदूषणकारी उद्योग (मुख्य रूप से आईटी, शिक्षा, होटल एवं अस्पताल क्षेत्र) शामिल होंगे और इन्हें क्षेत्र के मध्य में एक निवेश गंतव्य तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।
        • इस दृष्टिकोण से यह दुबई, हांगकांग और सिंगापुर जैसे चमकती गगनचुंबी इमारतों वाले वित्तीय केंद्रों की तुलना में सऊदी अरब के निओम (Neom) और इंडोनेशिया के नुसंतारा (Nusantara) जैसे योजनाबद्ध शहरों जैसा होगा।
      • भारत की कनेक्टिविटी योजनाओं को गति प्राप्त होना:
        • यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ (Act East) नीति के चौराहे पर स्थित होगा जिसके तहत भारत म्यांमार, आसियान (ASEAN) एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ संपर्क बढ़ाने की योजना रखता है। इसके साथ ही, यह बांग्लादेश से बंगाल की खाड़ी एवं हिंद महासगार के माध्यम से उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों के बीच भारत-जापान कनेक्टिविटी की नई योजनाओं के लिये भी एक भूमिका रखेगा।  
      • पार्श्विक स्थल-आधारित कनेक्टिविटी की आवश्यकता को पूरा करना:
        • पर्थ (ऑस्ट्रेलिया) में आयोजित 7वें हिंद महासागर सम्मेलन (2024) में भारतीय विदेश मंत्रालय ने हिंद महासागर क्षेत्र में पार्श्विक स्थल-आधारित कनेक्टिविटी की आवश्यकता को उजागर किया जो भारत के पश्चिम में ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे’ India-Middle East-Europe Economic Corridor- IMEC) और भारत के पूर्व में त्रिपक्षीय राजमार्ग (Trilateral Highway) जैसी पहलों के माध्यम से समुद्री आवाजाही को पूरकता प्रदान करने के लिये आवश्यक है। 
        • GMC से भूटान को लाभ प्राप्त होगा और इसकी विभिन्न अवसंरचना परियोजनाओं को पूरकता मिलेगी। यह भविष्य में भूटान को IMEC में शामिल होने का अवसर भी प्रदान करेगा।
  • विरोध में तर्क:
    • पर्वतीय क्षेत्र होने से उत्पन्न चुनौतियाँ: एक पर्वतीय देश में एक दुर्लभ विस्तृत मैदान के रूप में गेलेफू का भूगोल विभिन्न चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। पर्वतीय क्षेत्रों की तुलना में गर्म तापमान के साथ मानसून के दौरान गेलेफू में कई माह तक उच्च मात्रा में वर्षा होती है, जिससे हर वर्ष बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
    • अवस्थिति संबंधी कारकों से जुड़े मुद्दे: आसपास के जंगल और वन्यजीव आबादी के साथ गेलेफू हाथी गलियारों के ठीक बीच में अवस्थित है। चूँकि गेलेफू स्थलरुद्ध क्षेत्र है, इसलिये यह विशेष प्रशासनिक क्षेत्र से बाहर व्यापार एवं परिवहन हेतु अवसंरचना प्रदान करने के लिये अन्य देशों, मुख्य रूप से भारत, पर निर्भर है।
    • उत्तर-पूर्वी राज्यों में उग्रवाद के कारण चिंताएँ: असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों तथा म्यांमार में भारतीय सीमा के पास उग्रवाद की समस्या अतीत में बड़ी चिंता का कारण रही है। भूटान के पूर्व राजा द्वारा भारतीय सेना के सहयोग से क्षेत्र में शरण ले रहे उग्रवादी समूहों को खदेड़ने के लिये वर्ष 2003 में एक बड़ा सैन्य अभियान (Operation All Clear) भी चलाया गया था।

गेलेफू परियोजना का महत्त्व:

  • भूटान के लिये:
    • पर्यटन को बढ़ावा: यदि भूटान अपने राजस्व को बढ़ाना चाहता है तो उसे अधिक पर्यटकों और आगंतुकों को संभाल सकने तथा बड़े विमानों को उतार सकने की अपनी क्षमता बढ़ानी होगी। इसके लिये वर्तमान में संकीर्ण पारो घाटी में स्थित हवाई अड्डे की तुलना में पर्याप्त बड़े हवाई अड्डे की आवश्यकता होगी।
      • गेलेफू परियोजना के पहले भाग में गेलेफू हवाई अड्डे और टरमैक को अंतर्राष्ट्रीय मानकों तक बेहतर बनाना शामिल है, जिसके लिये भारत से वित्तपोषण एवं विशेषज्ञता की आवश्यकता होगी।
    • रोज़गार को बढ़ावा: विदेशों में नौकरियों की तलाश में भूटानी युवाओं का बढ़ता ‘पलायन’ एक और चुनौती है तथा सरकार को उम्मीद है कि गेलेफू जैसी मेगा परियोजना रोज़गार अवसर सृजित कर इस पर रोक लगाएगी।
    • भूटान की भू-राजनीतिक चिंताओं को संबोधित करना: भूटान की सबसे गंभीर भू-राजनीतिक चिंता सीमा समाधान समझौता संपन्न करने और राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिये उस पर चीन द्वारा बनाया जा रहे दबाव से संबंधित है।
      • सुदूर दक्षिण में स्थित गेलेफू भूटान को शेष विश्व के लिये नियंत्रित तरीके से स्वयं को खोल सकने का एक अवसर प्रदान करता है, जबकि एक स्थिर सीमा के लिये वह बीजिंग के साथ वार्तारत भी है।
  • भारत के लिये:
    • भूटान को भारत के निकट लाना: भारत और भूटान के बीच मित्रवत संबंध है जो पिछले 75 वर्षों में भूटान के प्रत्येक राजा और भारतीय प्रधानमंत्रियों के बीच मज़बूत समझ पर विकसित हुआ है। यह भारत का एकमात्र निकट पड़ोसी है जो वर्तमान में बीजिंग के प्रभाव-क्षेत्र में नहीं है।
      • भारत भूटान में निवेश का प्रमुख स्रोत है, जो इसके कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 50% योगदान करता है।
      • भारत एक दशक पहले श्रीलंका के हंबनटोटा में अनुभव किये गए ‘अवसर चूकने’ के प्रति भी सतर्कता रखता है जहाँ एक निकट पड़ोसी चीन के पाले में चला गया और असंवहनीय ऋण का शिकार बना।
    • भारत की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को पूरा करना: जहाँ तक अवसंरचना में निवेश का सवाल है, गेलेफू की आवश्यकताएँ इस क्षेत्र के लिये भारत की स्वयं की योजनाओं के अनुरूप होंगी:
      • भूटान की सीमा तक रेलवे लाइनें;
      • म्यांमार और दक्षिण पूर्व एशिया तक ‘त्रिपक्षीय राजमार्ग’ को जोड़ने के लिये बेहतर सड़कें;
      • चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों तक पहुँच के लिये बांग्लादेश में सड़कों एवं पुलों के निर्माण में समन्वय के लिये जापान के साथ सहयोग;
      • कुशल व्यापार की अनुमति देने के लिये तीनों भूमि पड़ोसियों के साथ सीमा चौकियों को उन्नत करना।
    • बिजली आपूर्ति की मांग को सुविधाजनक बनाना: जलवायु-अनुकूल सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं के अलावा, भारत एक दक्षिण एशियाई पावर ग्रिड की योजना रखता है जो नेपाल एवं भूटान से बिजली प्राप्त करेगा और बांग्लादेश एवं श्रीलंका को इसकी आपूर्ति करेगा। यह गेलेफू के लिये आवश्यक अधिक सुसंगत बिजली आपूर्ति भी प्रदान कर सकेगा। 

भविष्य में पड़ोसी देशों के साथ संबंध मज़बूत करने के लिये भारत को क्या करना चाहिये?

  • पड़ोसी देशों के साथ सहमति के साझा आधार ढूँढ़ना:
    • निश्चित रूप से, GMC के लिये परिकल्पित निवेश से तत्काल कोई रिटर्न प्राप्त नहीं होने के साथ ऐसे मेगा-स्मार्ट सिटी के लिये दशाएँ अभी इष्टतम नहीं दिखती हैं।
    • हालाँकि, जैसे-जैसे वैश्विक परिदृश्य अधिक ध्रुवीकृत होता जा रहा है और दुनिया के देश तेज़ी से ‘ट्राइबल’ विदेशी नीतियों (tribal foreign policies) का विकल्प चुन रहे हैं (जहाँ अपने पड़ोस में पारंपरिक सहयोगियों से अधिक आकर्षण होता है), भारत को भी दक्षिण एशिया में (एक ऐसा क्षेत्र जो भाषा, विश्वास, संस्कृति, भूगोल और जलवायु साझा करता है) अपनी ‘ट्राइब’ (tribe) ढूँढ़नी चाहिये। 
  • श्रीलंका और बांग्लादेश के अनुभव से प्रेरणा ग्रहण करना:
    • श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान भारत के उदार समर्थन और बांग्लादेश के साथ दृढ़ संबंधों से उत्पन्न सद्भावना को अन्य दिशाओं में इसी तरह के प्रयासों से कई गुना बढ़ाया जा सकता है— जैसे कि नेपाल को ओवरफ्लाइट अधिकारों की अनुमति देकर उसके नए हवाई अड्डों की लागत चुकाने में मदद करना, मालदीव के साथ संबंधों में हाल की गिरावट के बावजूद वहाँ प्रतिबद्ध परियोजनाओं का कार्य जारी रखना और यहाँ तक कि पाकिस्तान के साथ एक नए अध्याय की शुरूआत करना। 
  • संपूर्ण दक्षिण एशिया में डिजिटल अवसंरचना को बढ़ावा देना:
    • सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों से परे नए क्षेत्रों में सहयोग—जैसे नई STEM-आधारित पहलें, ‘थर्ड इंटरनेशनल इंटरनेट गेटवे’ जैसी डिजिटल अवसंरचना की स्थापना, भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (National Knowledge Network) के साथ भूटान के ‘DrukRen’ का एकीकरण (जो ई-लर्निंग के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण सहयोग है), डिजिटल रूपांतरण के भूटान के प्रयासों में ई-लाइब्रेरी परियोजना से पूरकता प्रदान करना आदि—सराहनीय है।
    • हालाँकि, आर्थिक एवं अवसंरचनात्मक एकीकरण को आगे और बढ़ावा देने तथा सद्भावना पैदा करने के लिये संपूर्ण दक्षिण एशियाई क्षेत्र में इसी तरह के प्रयास किये जाने की ज़रूरत है।
  • सहयोग के माध्यम से पर्यावरणीय संवहनीयता को बढ़ावा देना:
    • भारत-भूटान संबंधों के संदर्भ में पर्यावरणीय संवहनीयता के महत्त्व को कम कर नहीं आँका जा सकता। भारत एवं भूटान दोनों के पास प्रचुर प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं और यह आवश्यक है कि वे भावी पीढ़ियों के लिये इन संसाधनों को सुरक्षित बनाये रखने के लिये मिलकर कार्य करें।
    • इसलिये, यह महत्त्वपूर्ण है कि भारत और भूटान अपने द्विपक्षीय संबंधों में पर्यावरणीय संवहनीयता को प्राथमिकता देना जारी रखें और सतत् विकास को बढ़ावा देने तथा प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने के अपने साझा लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कार्य करें।

निष्कर्ष:

भारत-भूटान क्षेत्र के केंद्र में गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी (GMC) की स्थापना की भूटान की महत्त्वाकांक्षी योजना सतत् विकास के लिये एक साहसिक दृष्टिकोण को इंगित करती है। पर्यावरणीय कारकों और भू-राजनीतिक दबावों जैसी महत्त्वपूर्ण चुनौतियों के बावजूद, यह परियोजना आर्थिक विकास तथा कनेक्टिविटी की वृद्धि के लिये भूटान की आकांक्षाओं का प्रतीक है। इस प्रयास का समर्थन करने में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों और क्षेत्रीय सहयोग की क्षमता को रेखांकित करती है। जबकि दोनों देश जटिल क्षेत्रीय गतिशीलता का सामना कर रहे हैं, गेलेफू परियोजना क्षेत्र में प्रगति एवं समृद्धि के लिये उनकी साझा प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में खड़ी है।

अभ्यास प्रश्न: उन ऐतिहासिक कारकों की चर्चा कीजिये जिन्होंने प्राचीन काल से भारत और भूटान के बीच घनिष्ठ एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों को आकार दिया है। दोने देशों के संबंधों को सशक्त करने में आर्थिक सहयोग और विकास सहायता की भूमिका का भी मूल्यांकन कीजिये।


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