मणिपुर में विद्रोह

प्रिलिम्स के लिये:

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA), मणिपुर में उग्रवाद का उदय।

मेन्स के लिये:

उत्तर-पूर्व विद्रोह और इसकी पृष्ठभूमि, चुनौतियाँ एवं समाधान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि वह इस क्षेत्र में स्थायी शांति लाने हेतु मणिपुर में उग्रवादी समूहों के साथ बातचीत करने के लिये तैयार है।

  • मणिपुर में विद्रोह का उदय वर्ष 1964 में ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ (UNLF) के गठन के साथ हुआ, जो अभी भी सबसे दुर्जेय उग्रवादी संगठनों में से एक है।

Manipur

मणिपुर में उग्रवाद के बढ़ने का कारण:

  • ज़बरन विलय: मणिपुर में अलगाववादी विद्रोह का उदय मुख्य रूप से मणिपुर के भारत संघ के साथ "ज़बरन" विलय को लेकर कथित असंतोष और बाद में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने में देरी के कारण हुआ।
    • मणिपुर के तत्कालीन साम्राज्य का  विलय 15 अक्तूबर, 1949 को भारत में कर दिया गया था, परंतु इसे वर्ष 1972 में राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।
  • उग्रवाद का उदय: बाद के वर्षों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलेईपाक (प्रीपैक), कंगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), और कांगले यावोल कन्ना लुप (केवाईकेएल) सहित कई उग्रवादी संगठनों का गठन हुआ। 
    • घाटी के ये संगठन स्वतंत्र मणिपुर की मांग कर रहे हैं।
  • ‘ग्रेटर नगालिम’ की मांग का व्यापक प्रभाव: नगालैंड में नगा आंदोलन मणिपुर के पहाड़ी ज़िलों में फैल गया, जिसमें एनएससीएन-आईएम ने "नगालिम" (ग्रेटर नगालैंड) के लिये दबाव बनाते हुए इसे नियंत्रित किया, जिसे घाटी में मणिपुर की ‘प्रादेशिक अखंडता’ के लिये "खतरे" के रूप में माना जाता है।
  • वेली-हिल्स कान्फ्लिक्ट: मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का नौ-दस प्रतिशत हिस्सा पहाड़ी है जो बहुत कम आबादी वाला क्षेत्र है, जबकि राज्य की अधिकांश आबादी घाटी में केंद्रित है। 
    • इंफाल घाटी में मेतेई समुदाय बहुसंख्यक है, जबकि आसपास के पहाड़ी ज़िलों में नगा और कुकी रहते हैं।
  • नगा-कुकी संघर्ष: 1990 के दशक की शुरुआत में नगा और कुकी के बीच जातीय संघर्ष ने कई कुकी विद्रोही समूहों का गठन किया, जिन्होंने अब कुकी राज्य से एक अलग क्षेत्रीय परिषद की अपनी मांग का त्याग कर दिया है।
    • उग्रवाद के कारण जेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट ( Zeliangrong United Front- ZUF), पीपुल्स यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ( People’s United Liberation Front- PULF) और अन्य छोटे समूहों जैसे छोटे संगठनों का गठन हुआ।.

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • सैन्य कार्रवाई:
    • AFSPA: वर्ष 1980 में केंद्र ने पूरे मणिपुर को "अशांत क्षेत्र" घोषित किया और उग्रवादी गतिविधियों को दबाने के लिये विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (AFSPA) लागू किया जो आज तक लागू है।
    • ऑपरेशन ऑल क्लियर: असम राइफल्स और सेना द्वारा पहाड़ी इलाकों में ‘’ऑपरेशन ऑल क्लियर" (Operation All Clear) चलाया गया जिससे अधिकांश उग्रवादियों के ठिकानों को निष्प्रभावी कर दिया गया था जिनमें से कई उग्रवादी संघठन घाटी में स्थानांतरित हो गए थे।
  • युद्धविराम समझौता:
    • वर्ष 1997 में NSCN-IM ने भारत सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया, जबकि उनके बीच शांति वार्ता अभी भी जारी है।
    • दो मुख्य समूहों कुकी नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन (Kuki National Organisation- KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (United People’s Front- UPF) के तहत कुकी संगठनों ने भी 22 अगस्त, 2008 में भारत व मणिपुर की सरकारों के साथ त्रिपक्षीय सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (Suspension of Operation- SoO) समझौते पर हस्ताक्षर किये।
    • हालाँकि उनके कई छोटे संगठनों ने राज्य सरकार के साथ एसओओ (SoO) समझौता किया है, जिसने ऐसे समूहों के लिये पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया है।
    • हालाँकि यूएनएलएफ (UNLF), पीएलए (PLA), केवाईकेएल (KYKL) आदि जैसे प्रमुख घाटी-आधारित आतंकवादी संगठन (मेइती समूह) अभी तक बातचीत के लिये एक साथ नहीं आए हैं।

मणिपुर में शांति बहाल करने में चुनौतियाँ:

  • परस्पर विरोधी मांगें: केंद्र सरकार का उग्रवादी संगठनों के साथ शांतिपूर्ण समाधान का दृष्टिकोण प्रतिकूल साबित हुआ है।
    • चूँकि कई संगठनों की मांगें एक-दूसरे से टकराती हैं, जिससे एक समूह के साथ कोई भी पारंपरिक समझौता दूसरे समूहों द्वारा आंदोलन का कारण बन जाता है।
  • प्रॉक्सी ग्रुपिंग: यह देखते हुए कि विद्रोही समूहों के साथ शांति वार्ता चल रही है, समूहों के लिये एक अन्य गुट द्वारा सशस्त्र विद्रोह को केवल नाम में बदलाव या एक नया समूह बनाकर जारी रखने की प्रवृत्ति रही है।
  • राजनेता-विद्रोहियों का गठजोड़: राजनेताओं और विद्रोहियों तथा अपराधियों के बीच गठजोड़ राज्य के संकट को बढ़ाता है।
    • कुछ संगठन आपराधिक गैंगस्टर के रूप में कार्य करते हैं जो ज़बरन वसूली, अपहरण और अनुबंध हत्याओं में लिप्त हैं।
    • बहरहाल, उपद्रवी अशांति का फायदा उठाते हैं और खुद को विद्रोही बताकर धन की उगाही करते हैं।
    • इसके अलावा राजनीतिक दलों द्वारा विवादों को बढ़ाकर वोट बैंक के लिये लाभ हासिल करने हेतु अधिकांश सुरक्षा मुद्दों का राजनीतिकरण किया जाता है।
  • सीमावर्ती राज्य: मणिपुर वन वातावरण के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाला एक सीमावर्ती राज्य होने के नाते विद्रोही संगठनों के प्रशिक्षण, हथियार और आवश्यक रसद के लिये बाहरी देशों पर निर्भरता जैसी सीमा पार गतिविधियों से प्रभावित है।

आगे की राह

  • सुशासन: राज्य में पारदर्शी सरकार, निष्पक्ष न्याय प्रणाली, कानून का शासन और अस्पतालों, स्कूलों, पुलिस थानों आदि जैसी न्यूनतम बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान के माध्यम से राज्य में सुशासन स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • घाटी और पहाड़ियों दोनों क्षेत्रों में राज्य के समग्र विकास के लिये धन के उचित वितरण के साथ राजनीतिक ईमानदारी आवश्यक है।
    • इसके बाद सरकार, अर्द्ध-सरकारी एवं निजी उद्यमिता भागीदारी के माध्यम से आर्थिक विकास किया जाना चाहिये।
  • सीमा प्रबंधन: किसी भी प्रकार की आतंकवाद विरोधी नीति/संचालन शुरू करने से पहले भारत-म्याँमार अंतर्राष्ट्रीय सीमा के उचित प्रबंधन की आवश्यकता है।
  • लोगों के साथ जुड़ाव: राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करने के लिये मणिपुर के विविध समुदायों के समग्र भारत के साथ परस्पर जुड़ाव को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिये।
    • इसके लिये गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), महिला संघों, खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस