थाईलैंड में नष्ट हो रहे प्रवाल
प्रिलिम्स के लिये:प्रवाल रीफ्स, ओवरफिशिंग, प्रदूषण, ज़ूजैन्थेले (Zooxanthellae), महासागर अम्लीकरण, प्रवाल ब्लीचिंग, इंटरनेशनल प्रवाल रीफ इनिशिएटिव, क्रायोमेश(Cryomesh), बायोरॉक तकनीक। मेन्स के लिये:प्रवाल के प्रकार, प्रवाल रीफ का महत्त्व, प्रवाल की रक्षा के लिये पहल। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यह बात प्रकाश में आई है कि एक तेज़ी से फैलने वाली बीमारी, जिसे आमतौर पर येलो बैंड डिज़ीज़ के रूप में जाना जाता है, थाईलैंड के समुद्र तल के विशाल हिस्सों में प्रवाल को नष्ट कर रही है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण ओवरफिशिंग, प्रदूषण और पानी का बढ़ता तापमान, चट्टानों को येलो बैंड डिज़ीज के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं।
येलो बैंड डिज़ीज:
- प्रवाल को नष्ट करने से पहले येलो बैंड डिज़ीज़ इसे जिस रंग में बदल देता है, उसी के नाम पर इसे नामित किया गया है। दशकों पहले पहली बार यह देखा गया कि इस डिज़ीज ने कैरिबियन में चट्टानों को व्यापक नुकसान पहुँचाया था। इसका अभी कोई ज्ञात उपचार नहीं है।
- येलो बैंड रोग पर्यावरणीय तनावों के संयोजन के कारण होता है, जिसमें पानी के तापमान, प्रदूषण और अवसादन में वृद्धि के साथ-साथ अधिक विस्तार के लिये अन्य जीवों से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा शामिल है।
- ये कारक प्रवाल को कमज़ोर कर सकते हैं और इसे बैक्टीरिया एवं कवक जैसे रोगजनकों के संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं।
- प्रवाल ब्लीचिंग के प्रभावों के विपरीत रोग के प्रभाव को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
प्रवाल भित्ति:
- परिचय:
- प्रवाल समुद्री अकशेरुकी जीव हैं जो फाइलम नाइडेरिया में एंथोज़ोआ वर्ग से संबंधित हैं।
- वे सामान्यतः कई समान व्यक्तिगत पॉलीप्स की कॉम्पैक्ट कॉलोनियों में रहते हैं।
- प्रवाल भित्ति जल के नीचे का पारिस्थितिक तंत्र हैं जो प्रवाल पॉलीप्स की कॉलोनियों से बने होते हैं।
- प्रवाल पॉलीप्स विभिन्न प्रकार के प्रकाश संश्लेषक शैवाल के साथ सहजीवी संबंध में रहते हैं, जिन्हें ज़ूजैन्थेले(zooxanthellae) कहा जाता है, वे उनके ऊतकों के भीतर रहते हैं।
- ये शैवाल प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से प्रवाल को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जबकि प्रवाल शैवाल को एक संरक्षित वातावरण और यौगिक प्रदान करता है, उन्हें विकास की आवश्यकता होती है।
- प्रवाल समुद्री अकशेरुकी जीव हैं जो फाइलम नाइडेरिया में एंथोज़ोआ वर्ग से संबंधित हैं।
- प्रवाल के प्रकार:
- कठोर प्रवाल:
- वे कठोर, सफेद प्रवाल एक्सोस्केलेटन बनाने के लिये समुद्री जल से कैल्शियम कार्बोनेट निकालते हैं।
- वे एक तरह से रीफ इकोसिस्टम के इंजीनियर हैं, प्रवाल भित्ति की स्थिति को मापने के लिये कठोर प्रवाल की सीमा को मापना व्यापक रूप से एक स्वीकृत मीट्रिक है।
- नरम प्रवाल:
- वे ऐसे कंकालों के साथ-साथ अपने पूर्वजों द्वारा बनाए गए पुराने कंकालों से जुड़े रहते हैं।
- सॉफ्ट/कोमल प्रवाल आमतौर पर गहरे पानी में पाए जाते हैं और कठोर प्रवालों की तुलना में कम पाए जाते हैं।
- कठोर प्रवाल:
- महत्त्व:
- पारिस्थितिकीय महत्त्व: प्रवाल भित्तियाँ पृथ्वी पर सबसे विविध और उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं, जो विभिन्न प्रकार के पौधों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों के लिये आवास प्रदान करती हैं।
- वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और तटरेखाओं को कटाव तथा तूफान से होने वाली क्षति से सुरक्षा प्रदान कर हमारे ग्रह की जलवायु को विनियमित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- आर्थिक महत्त्व: प्रवाल भित्तियाँ मछली पालन, पर्यटन और मनोरंजन सहित विभिन्न प्रकार के उद्योगों को सहायता प्रदान करती हैं। वे चिकित्सीय तथा जैव प्रौद्योगिकी के लिये संसाधन भी प्रदान करते हैं।
- जलवायु नियमन: प्रवाल भित्तियाँ लहरों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को अवशोषित करती हैं, तटों की रक्षा करती हैं और तूफानों तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभाव को कम करती हैं, इस प्रकार वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में प्राकृतिक बफर क्षेत्र के रूप में कार्य करती हैं।
- जैवविविधता: प्रवाल भित्तियाँ मछलियों, शार्क, क्रस्टेशियन (Crustaceans), मोलस्क (Mollusks) और कई अन्य समुद्री जीवों का आवास हैं। एक प्रकार से यह समुद्र का वर्षावन है।
- खतरे:
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरीय अम्लीकरण और प्रवाल विरंजन प्रवाल भित्तियों के लिये विशेष रूप से खतरनाक हैं।
- प्रवाल विरंजन तब होता है जब प्रवाल/प्रवाल पॉलीप्स अपने ऊतकों में रहने वाले शैवाल (ज़ूजैन्थेले) को बाहर निकाल देते हैं, जिस कारण प्रवाल का रंग पूरी तरह से सफेद हो जाता है।
- प्रदूषण: सीवेज, कृषि अपवाह और औद्योगिक निर्वहन सहित प्रदूषण प्रवाल भित्तियों के अस्तित्त्व के लिये चिंता का विषय है।
- साथ ही प्रदूषक तत्त्व उनके लिये कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं और रीफ पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।
- ओवरफिशिंग: ओवरफिशिंग में प्रवाल भित्तियों के संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करने की क्षमता होती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रवालों की संख्या में गिरावट आ सकती है।
- तटीय विकास: बंदरगाहों, मैरीना (बंदरगाह के पास मनोरजंन, नौका विहार के लिये छोटा जल-क्षेत्र) और अन्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण, प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुँचा सकता है तथा रीफ पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
- अक्रामक प्रजातियाँ: लायनफिश जैसी अक्रामक प्रजातियाँ भी प्रवाल भित्तियों हेतु खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरीय अम्लीकरण और प्रवाल विरंजन प्रवाल भित्तियों के लिये विशेष रूप से खतरनाक हैं।
- प्रवाल भित्ति के संरक्षण हेतु पहल:
- तकनीकी हस्तक्षेप:
- भारत:
- राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम
- वैश्विक:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवाल भित्ति पहल
- वैश्विक प्रवाल भित्ति अनुसंधान एवं विकास त्वरक मंच
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: निम्नलिखित स्थितियों में से किस एक में ‘‘जैवशैल प्रौद्योगिकी (बायोरॉक टेक्नोलॉजी)’’ की बातें होती हैं? (2022) (a) क्षतिग्रस्त प्रवाल भित्तियों (प्रवाल रीफ्स) की बहाली उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित समूहों में से किनमें ऐसी जातियाँ होती हैं जो अन्य जीवों के साथ सहजीवी संबंध बना सकती हैं? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. उदाहरण के साथ प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2019) |
स्रोत: द हिंदू
सर्वोच्च न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के नियमों को बनाया आसान
प्रिलिम्स के लिये:निष्क्रिय इच्छामृत्यु, राष्ट्रीय स्वास्थ्य डिजिटल रिकॉर्ड, अनुच्छेद 21, लिविंग विल। मेन्स के लिये:भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु, इच्छामृत्यु के दिशा-निर्देशों में प्रमुख परिवर्तन। |
चर्चा में क्यों?
भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के नियमों में बदलाव किया है, इसका प्राथमिक उद्देश्य इसे आसान बनाने के साथ ही कम समय लेने वाली प्रक्रिया बनाना है।
दिशा-निर्देशों में प्रमुख परिवर्तन:
- सर्वोच्च न्यायालय ने लिविंग विल (प्रतिहस्ताक्षरित/लिखित बयान) को प्रमाणित करने या प्रतिहस्ताक्षरित करने के लिये न्यायिक मजिस्ट्रेट की आवश्यकता को खत्म करने हेतु पिछले निर्णय को बदल दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि किसी व्यक्ति के लिये वैध वसीयत बनाने हेतु नोटरी या राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापन पर्याप्त माना जाएगा।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, लिविंग विल को संबंधित ज़िला न्यायालय की निगरानी में रखने के बजाय यह दस्तावेज़ राष्ट्रीय स्वास्थ्य डिजिटल रिकॉर्ड का हिस्सा होगा जिसे देश के किसी भी भाग में अस्पतालों और डॉक्टरों द्वारा एक्सेस (पहुँच की सुविधा) किया जा सकता है।
- यदि अस्पताल का मेडिकल बोर्ड चिकित्सा उपचार वापस लेने की अनुमति देने से इनकार करता है, तो रोगी के परिवार के सदस्य संबंधित उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं, जो अंतिम निर्णय लेने के लिये चिकित्सा विशेषज्ञों का एक नया बोर्ड नियुक्त करता है।
निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia):
- परिचय:
- निष्क्रिय (Passive) इच्छामृत्यु चिकित्सा उपचार को रोकने या वापस लेने का कार्य है, जैसे कि किसी व्यक्ति को मरने की अनुमति देने के उद्देश्य से जीवन समर्थन उपकरणों को रोकना या वापस लेना है।
- यह सक्रिय इच्छामृत्यु के विपरीत है, जिसमें सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से किसी पदार्थ या बाहरी बल द्वारा व्यक्ति के जीवन को समाप्त किया जाना शामिल है, जैसे कि घातक इंजेक्शन देना।
- निष्क्रिय (Passive) इच्छामृत्यु चिकित्सा उपचार को रोकने या वापस लेने का कार्य है, जैसे कि किसी व्यक्ति को मरने की अनुमति देने के उद्देश्य से जीवन समर्थन उपकरणों को रोकना या वापस लेना है।
- भारत में इच्छामृत्यु :
- एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को यह कहते हुए वैध कर दिया था कि यह 'लिविंग विल' का विषय है।
- फैसले के अनुसार, अपने चेतन मन से एक वयस्क को चिकित्सा उपचार से इनकार करने या स्वेच्छा से कुछ शर्तों के तहत प्राकृतिक तरीके से मृत्यु को गले लगाने हेतु चिकित्सा उपचार नहीं लेने का निर्णय लेने की अनुमति है।
- इसमें गंभीर रूप से बीमार रोगियों द्वारा बनाई गई 'लिविंग विल' के लिये दिशा-निर्देश भी निर्धारित किये गए हैं।
- अदालत ने विशेष रूप से कहा कि "मृत्यु की प्रक्रिया में गरिमा अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक हिस्सा है। किसी व्यक्ति को जीवन के अंत में गरिमा से वंचित करना व्यक्ति को एक सार्थक अस्तित्व से वंचित करना है।"
- इच्छामृत्यु वाले विभिन्न देश:
- नीदरलैंड, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम किसी भी ऐसे व्यक्ति, जो "असहनीय पीड़ा" का सामना करता है और जिसके स्वास्थ्य में सुधार की कोई संभावना नहीं है, को इच्छामृत्यु एवं सहायता प्राप्त आत्महत्या दोनों की अनुमति देते हैं।
- स्विट्ज़रलैंड में इच्छामृत्यु प्रतिबंधित है लेकिन किसी डॉक्टर या चिकित्सीय पेशेवर की उपस्थिति तथा सहायता से मृत्यु प्राप्त करने की अनुमति देता है।
- कनाडा ने घोषणा की थी कि मार्च 2023 तक मानसिक रूप से बीमार रोगियों को इच्छामृत्यु और असिस्टेड डाइंग की अनुमति दी जाएगी; हालाँकि इस निर्णय की व्यापक रूप से आलोचना की गई है और इस कदम में कुछ बदलाव भी किये जा सकते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कानून हैं। वाशिंगटन, ओरेगन और मोंटाना जैसे कुछ राज्यों में इच्छामृत्यु की अनुमति है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया गया है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध। उत्तर: c |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
भारत-मिस्र संबंध
प्रिलिम्स के लिये:गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM), इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC), गणतंत्र दिवस मेन्स के लिये:भारत और मिस्र के बीच संबंध |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। यह पहली बार है जब मिस्र के किसी राष्ट्रपति को यह सम्मान दिया गया है।
- इस अवसर पर परेड में मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी ने भी भाग लिया।
नोट: मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रण महत्त्वपूर्ण सम्मान है, इसका प्रतीकात्मक महत्त्व बहुत अधिक है। प्रत्येक वर्ष मुख्य अतिथि के रूप में नई दिल्ली की पसंद कई कारणों- रणनीतिक और कूटनीतिक, व्यावसायिक हित तथा भू-राजनीति से तय होती है।
भारत-मिस्र संबंध:
- इतिहास:
- विश्व की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं, यथा- भारत और मिस्र के बीच संपर्क का इतिहास काफी पुराना है और इसका पता सम्राट अशोक के समय से लगाया जा सकता है।
- अशोक के अभिलेखों में टॉलेमी-द्वितीय के तहत मिस्र के साथ उसके संबंधों का उल्लेख है।
- आधुनिक काल में महात्मा गांधी और मिस्र के क्रांतिकारी साद जगलुल का साझा लक्ष्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
- 18 अगस्त, 1947 को राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंधों की स्थापना की संयुक्त रूप से घोषणा की गई थी।
- वर्ष 1955 में भारत और मिस्र ने एक मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किये। वर्ष 1961 में भारत और मिस्र ने यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया एवं घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement- NAM) की स्थापना की।
- वर्ष 2016 में भारत और मिस्र ने राजनीतिक-सुरक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव, वैज्ञानिक सहयोग तथा लोगों के बीच संबंधों के सिद्धांतों पर एक नए युग के लिये नई साझेदारी बनाने के अपने इरादे को रेखांकित करते हुए एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया।
- विश्व की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं, यथा- भारत और मिस्र के बीच संपर्क का इतिहास काफी पुराना है और इसका पता सम्राट अशोक के समय से लगाया जा सकता है।
- वर्तमान परिदृश्य:
- इस वर्ष की बैठक के दौरान भारत और मिस्र दोनों द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" के रूप में बेहतर बनाने पर सहमत हुए।
- रणनीतिक साझेदारी के मोटे तौर पर चार तत्त्व होंगे: राजनीतिक; रक्षा और सुरक्षा, आर्थिक जुड़ाव, वैज्ञानिक तथा शैक्षणिक सहयोग, सांस्कृतिक एवं लोगों बीच संपर्क।
- भारत एवं मिस्र ने प्रसार भारती और मिस्र के राष्ट्रीय मीडिया प्राधिकरण के बीच विषय-सामग्री विनिमय, क्षमता निर्माण तथा सह-निर्माण की सुविधा हेतु तीन वर्ष के लिये समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding -MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इस समझौते के तहत दोनों प्रसारक द्विपक्षीय आधार पर खेल, समाचार, संस्कृति, मनोरंजन जैसी विभिन्न शैलियों के अपने कार्यक्रमों का आदान-प्रदान करेंगे।
- इस वर्ष की बैठक के दौरान भारत और मिस्र दोनों द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" के रूप में बेहतर बनाने पर सहमत हुए।
- OIC में भागीदार:
- भारत, मिस्र को मुस्लिम-बहुल देशों के बीच एक उदार इस्लामी देश के रूप में और इस्लामिक सहयोग संगठन (Organization for Islamic Cooperation -OIC) में एक भागीदार के रूप में देखता है।
- आतंकवाद और सुरक्षा:
- इस गणतंत्र दिवस की बैठक के दौरान भारत और मिस्र ने विश्व भर में फैल रहे आतंकवाद को लेकर चिंता व्यक्त की क्योंकि यह मानवता के लिये सबसे गंभीर खतरा है। नतीजतन, दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिये ठोस कार्रवाई की जानी आवश्यक है।
- दोनों देश रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने पर ज़ोर दे रहे हैं। इसके अलावा दोनों देशों की वायु सेनाओं ने 1960 के दशक में लड़ाकू विमानों के विकास पर सहयोग किया तथा भारतीय पायलटों ने 1960 के दशक से 1980 के दशक के मध्य तक मिस्र के समकक्ष पायलटों को प्रशिक्षित किया।
- भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) और मिस्र की वायु सेना दोनों ही फ्राँसीसी राफेल लड़ाकू जेट का उपयोग करते हैं।
- वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसमें अभ्यास में भाग लेने और प्रशिक्षण में सहयोग करने का भी फैसला किया गया है।
- भारतीय सेना और मिस्र की सेना के बीच पहला संयुक्त विशेष बल अभ्यास, "अभ्यास चक्रवात- I" 14 जनवरी, 2023 से राजस्थान के जैसलमेर में चल रहा है।
- सांस्कृतिक संबंध:
- वर्ष 1992 में काहिरा में मौलाना आज़ाद सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (MACIC) की स्थापना हुई। यह केंद्र दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देता रहा है।
- मिस्र के समक्ष चुनौतियाँ:
- मिस्र की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकटपूर्ण रही है, जिसने मिस्र द्वारा रूस एवं यूक्रेन से आयात किये जाने वाले लगभग 80% खाद्यान्न की आपूर्ति और मिस्र के विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित किया।
- वर्ष 2022 में गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद भारत ने मिस्र को 61,500 मीट्रिक टन के शिपमेंट की अनुमति दी।
- मिस्र द्वारा भारत से मेट्रो परियोजनाओं, स्वेज़ नहर आर्थिक क्षेत्र, स्वेज़ नहर में दूसरा चैनल और मिस्र में एक नई प्रशासनिक राजधानी सहित बुनियादी ढाँचे में निवेश हेतु सहयोग की मांग की जा रही है है।
- 50 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मिस्र में 3.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
- मिस्र की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकटपूर्ण रही है, जिसने मिस्र द्वारा रूस एवं यूक्रेन से आयात किये जाने वाले लगभग 80% खाद्यान्न की आपूर्ति और मिस्र के विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित किया।
- भू-सामरिक चिंताएँ:
- मिस्र के साथ चीन का द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो वर्ष 2021-22 में भारत के 7.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुना है। पिछले आठ वर्षों के दौरान चीनी निवेश को लुभाने के लिये मिस्र के राष्ट्रपति ने सात बार चीन की यात्रा की है।
- पश्चिम एशिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश मिस्र, एक महत्त्वपूर्ण भू-रणनीतिक स्थान पर है क्योंकि वैश्विक व्यापार का 12% स्वेज़ नहर से होकर गुज़रता है जो कि मिस्र का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
- यह भारत के लिये एक प्रमुख बाज़ार है और यूरोप तथा अफ्रीका दोनों के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। हालाँकि इसके महत्त्वपूर्ण पश्चिम- एशियाई और अफ्रीकी देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते भी हैं जो भारत के लिये चिंता का विषय है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 1956 में स्वेज संकट किन घटनाओं के कारण हुआ? इसने विश्व शक्ति के रूप में ब्रिटेन की स्वयं की छवि को अंतिम झटका कैसे दिया? (2014) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
स्मारक मित्र योजना
प्रिलिम्स के लिये:स्मारक मित्र योजना, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्त्व, एडॉप्ट ए हेरिटेज, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI), इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH), नेशनल मिशन ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड एंटीक्विटीज़ (NMMA), 2007, प्रोजेक्ट मौसम। मेन्स के लिये:विरासत का महत्त्व, भारत में विरासत प्रबंधन से संबंधित मुद्दे, विरासत प्रबंधन संबंधी सरकारी पहल। |
चर्चा में क्यों?
निजी कंपनियाँ जल्द ही स्मारक मित्र योजना के तहत 1,000 स्मारकों के रखरखाव के लिये भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के साथ साझेदारी करने में सक्षम होंगी, जिसमें विरासत स्थलों को अपनाना और उनका रखरखाव करना शामिल है।
- संशोधित योजना कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्त्व मॉडल पर आधारित होगी और सभी विरासत स्थलों के नाम वाली एक नई वेबसाइट भी लॉन्च की जाएगी।
स्मारक मित्र योजना:
- स्मारक मित्र' शब्द 'एडॉप्ट ए हेरिटेज' परियोजना के तहत सरकार के साथ भागीदारी करने वाली इकाई को संदर्भित करता है।
- इसे पहले पर्यटन मंत्रालय के तहत लॉन्च किया गया था और फिर इसे संस्कृति मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
- इस परियोजना का उद्देश्य कॉर्पोरेट संस्थाओं, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों या व्यक्तियों को 'अपनाने' के लिये आमंत्रित करके पूरे भारत में स्मारकों, विरासत और पर्यटन स्थलों को विकसित करना है।
विरासत:
- परिचय:
- विरासत का मतलब उन इमारतों, कलाकृतियों, संरचनाओं, क्षेत्रों और परिसरों से है जो ऐतिहासिक, सौंदर्यवादी, वास्तुशिल्प, पारिस्थितिक या सांस्कृतिक महत्त्व के हैं।
- यह स्वीकार किया जाना चाहिये कि किसी विरासत स्थल के आसपास का 'सांस्कृतिक परिदृश्य' स्थल इसकी निर्मित विरासत की व्याख्या के लिये महत्त्वपूर्ण है और इस प्रकार इसका एक अभिन्न अंग है।
- तीन प्रमुख अवधारणाएँ जिनके आधार पर यह निर्धारित करने पर विचार किया जा सकता है कि किसी संपत्ति को विरासत के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है या नहीं:
- ऐतिहासिक महत्त्व
- ऐतिहासिक अखंडता
- ऐतिहासिक संदर्भ
- भारतीय विरासत में पुरातात्त्विक स्थल, अवशेष, खंडहर शामिल हैं। देश में 'स्मारक और स्थलों' के प्राथमिक संरक्षक, यानी भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) और समकक्ष उनकी रक्षा करते हैं।
- विरासत का मतलब उन इमारतों, कलाकृतियों, संरचनाओं, क्षेत्रों और परिसरों से है जो ऐतिहासिक, सौंदर्यवादी, वास्तुशिल्प, पारिस्थितिक या सांस्कृतिक महत्त्व के हैं।
- महत्त्व:
- भारतीय इतिहास के कहानीकार: विरासत भौतिक और अमूर्त हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं, संरक्षित हैं और निरंतर आगे बढ़ रही हैं।
- विरासत आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक महत्त्व के साथ भारतीय समाज के ताने-बाने में बुनी गई हैं।
- विविधता को अपनाना: भारत की विरासत अपने आप में विभिन्नता, समुदायों, रीति-रिवाजों, परंपराओं, धर्मों, संस्कृतियों, विश्वासों, भाषाओं, जातियों एवं सामाजिक व्यवस्थाओं का संग्रहालय है।
- आर्थिक योगदान: भारत में विरासत स्थलों का अत्यधिक आर्थिक महत्त्व है।
- ये स्थल हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जो आवास, परिवहन और स्मारिका बिक्री जैसी पर्यटन संबंधी गतिविधियों के माध्यम से सरकार तथा स्थानीय समुदायों के लिये राजस्व उत्पन्न करते हैं।
- भारतीय इतिहास के कहानीकार: विरासत भौतिक और अमूर्त हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं, संरक्षित हैं और निरंतर आगे बढ़ रही हैं।
- भारत में विरासत प्रबंधन से संबंधित मुद्दे:
- विरासत स्थलों के लिये केंद्रीकृत डेटाबेस का अभाव: भारत में विरासत संरचना के राज्यवार वितरण के साथ एक पूर्ण राष्ट्रीय स्तर के डेटाबेस का अभाव है।
- हालाँकि ‘इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज’ (INTACH) ने 150 शहरों में लगभग 60,000 इमारतों को सूचीबद्ध किया है, लेकिन यह मामूली प्रयास ही माना जा सकता है।
- धरोहर स्थलों पर अतिक्रमण: कई प्राचीन स्मारकों का स्थानीय निवासियों, दुकानदारों और स्मारिका विक्रेताओं द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है।
- इन संरचनाओं और स्मारकों या आसपास की स्थापत्य शैली के बीच कोई सामंजस्य नहीं है।
- दृष्टांत के लिये भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार, ताजमहल परिसर खान-ए-आलम बाग के निकट अतिक्रमण का शिकार पाया गया।
- मानव संसाधन की कमी: स्मारकों की देखभाल और संरक्षण गतिविधियों के लिये कुशल एवं सक्षम मानव संसाधन की कमी ASI जैसी एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी समस्या है।
- विरासत स्थलों के लिये केंद्रीकृत डेटाबेस का अभाव: भारत में विरासत संरचना के राज्यवार वितरण के साथ एक पूर्ण राष्ट्रीय स्तर के डेटाबेस का अभाव है।
- धरोहर संरक्षण से संबंधित सरकार की प्रमुख पहलें:
- राष्ट्रीय स्मारक और पुरावशेष मिशन (National Mission on Monuments and Antiquities- NMMA), 2007
- प्रोजेक्ट मौसम
भारत में विरासत स्थलों को कैसे नया रूप दिया जा सकता है?
- ‘स्मार्ट सिटी, स्मार्ट हेरिटेज’: सभी बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के लिये धरोहर प्रभाव आकलन (Heritage Impact Assessment ) पर विचार करना आवश्यक है।
- धरोहर पहचान और संरक्षण परियोजनाओं (Heritage Identification and Conservation Projects) को शहर के मास्टर प्लान से जोड़ने तथा स्मार्ट सिटी पहल के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।
- संलग्नता बढ़ाने के लिये अभिनव रणनीतियाँ: ऐसे स्मारक जो बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित नहीं करते हैं और सांस्कृतिक/धार्मिक रूप से संवेदनशील नहीं हैं, सांस्कृतिक एवं विवाह कार्यक्रमों आदि के आयोजन स्थल के रूप में उपयोग किये जा सकते हैं, जो निम्नलिखित दोहरे उद्देश्य की पूर्ति कर सकते हैं:
- संबंधित अमूर्त धरोहर का प्रचार।
- ऐसे स्थलों पर आगंतुकों की संख्या को बढ़ाना।
- जलवायु कार्रवाई के साथ धरोहर संरक्षण को संबद्ध करना: धरोहर स्थल जलवायु संचार और शिक्षा के अवसरों के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसके साथ ही बदलती जलवायु स्थितियों के संबंध में पिछली प्रतिक्रियाओं को समझने के लिये ऐतिहासिक स्थलों एवं अभ्यासों पर शोध से अनुकूलन तथा शमन योजनाकारों को ऐसी रणनीतियाँ विकसित करने में मदद मिल सकती है जो प्राकृतिक विज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को एकीकृत करती हैं।
- उदाहरण के लिये माजुली द्वीप के समुदायों जैसे- तटीय और नदीवासी समुदाय सदियों से बदलते जल स्तर के साथ रह रहे हैं और इसके अनुकूल बन रहे हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. भारतीय कला विरासत का संरक्षण समय की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये। (2018) प्रश्न. भारतीय दर्शन और परंपरा ने भारत में स्मारकों एवं उनकी कला की कल्पना तथा उन्हें आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। चर्चा कीजिये। (2020) |