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डेली न्यूज़

  • 26 Aug, 2022
  • 63 min read
शासन व्यवस्था

गैर-संचारी रोगों के निदान हेतु पेन-प्लस रणनीति

प्रिलिम्स के लिये:

पेन-प्लस रणनीति, 'विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष' NPCDCS, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, ASHA।

मेन्स के लिये:

गैर-संचारी रोग के प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अफ्रीका ने गंभीर गैर-संचारी रोगों (NCD) के निदान, उपचार और देखभाल तक पहुँच को बढ़ावा देने के लिये पेन-प्लस रणनीति (PEN-PLUS Strategy) नामक नई रणनीति अपनाई है।

पेन-प्लस रणनीति

  • यह प्रथम स्तर की संदर्भित स्वास्थ्य सुविधाओं में गंभीर गैर-संचारी रोगों को संबोधित करने के लिये क्षेत्रीय रणनीति है।
    • रणनीति का उद्देश्य पुराने और गंभीर NCDs रोगियों के उपचारखभाल में पहुँच के अंतर को समाप्त करना है।
  • यह देशों से आग्रह करता है कि पुरानी और गंभीर गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिये मानकीकृत कार्यक्रम स्थापित करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ज़िला अस्पतालों में आवश्यक दवाएँ, प्रौद्योगिकियाँ तथा निदान उपलब्ध एवं पहुँच योग्य हैं।

गैर-संचारी रोग:

  • परिचय:
    • गैर-संचारी रोग (Non-Communicable Diseases- NCD) वह चिकित्सीय स्थितियाँ या रोग हैं जो संक्रामक कारकों के कारण नहीं फैलती हैं।
      • गैर-संचारी रोगों को दीर्घकालिक बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये लंबे समय तक बनी रहते हैं तथा आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और व्यवहार कारकों के संयोजन का परिणाम होती है।
    • ये रोग वे पुरानी स्थितियाँ हैं जो बच्चों, किशोरों और वयस्कों में उच्च स्तर की विकलांगता एवं मृत्यु का कारण बनती हैं यदि उन्हें अनुपचारित छोड़ दिया जाता है।
    • NCD में हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, अस्थमा आदि शामिल हैं।
    • विश्व स्तर पर NCD, रुग्णता और मृत्यु का मुख्य कारण हैं।
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ये वैश्विक स्तर पर 71% मौतों का कारण बनते हैं।
      • अफ्रीकी क्षेत्र में NCD के कारण मृत्यु दर का अनुपात 27-88% के बीच है।

भारत में गैर-संचारी रोगों (NCDs) की स्थिति:

  • परिचय:
    • भारत मेंं प्रत्येक वर्ष लगभग 58 मिलियन लोगों की (WHO रिपोर्ट, 2015) NCDs (हृदय और फेफड़ों के रोग स्ट्रोक कैंसर और मधुमेह) से मृत्यु हो जाती है या दूसरे शब्दों में 4 में से 1 भारतीयों को 70 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पूर्व ही NCDs से मौत की आशंका होती है।
      • इसके अलावा यह पाया गया है कि NCDs की वजह से वर्ष 1990 में 'विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष' (DALYs) की अवधि 30% बढ़कर वर्ष 2016 में 55% हो गई है और इसके कारण होने वाली मौतों के अनुपात में भी वृद्धि हुई है। NCDs (सभी प्रकार की मौतों के लिये) वर्ष 1990 में 37% से बढ़कर वर्ष 2016 में 61% हो गई थी।
      • चार प्रमुख NDCs हृदय रोग (CVDs), कैंसर, पुराने श्वसन रोग (CRDs) और मधुमेह हैं।
  • कारण:
    • शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर आहार (फलों, सब्जियों और साबुत अनाज का कम तथा उच्च  वसा युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन ), तंबाकू और शराब के सेवन NCDs के प्रमुख कारक हैं।
      • उच्च रक्तचाप,
      • रक्त में शर्करा की बढ़ी हुई मात्रा (मधुमेह का प्रमुख कारण),
      • असामान्य रूप से रक्त में बढ़ी हुई वसा की मात्रा (डिस्लिपिडेमिया),
      • इसके अलावा, वायु प्रदूषण जो मुख्य रूप से खाना पकाने और घरों को गर्म रखने के लिये ठोस ईंधन जलाने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, NCDs के प्रमुख कारक हैं ।
  • पहल:
    • कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS):
      • जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, बुनियादी ढाँचे (जैसे NCD क्लीनिक, कार्डियक केयर यूनिट) स्थापित करना और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तरों पर त्वरित जाँच करना आदि शामिल है।
      • NCDs की रोकथाम और नियंत्रण हेतु वर्ष 2013-2020 की अवधि के लिये WHO वैश्विक कार्य योजना का कार्यान्वयन।
        • विश्व का प्रथम देश है जिसने राष्ट्रीय कार्य योजना को विशिष्ट राष्ट्रीय लक्ष्यों और संकेतकों के साथ, वर्ष 2025 तक NCD से वैश्विक आकस्मिक मृत्यु की संख्या को 25% तक कम करने के लक्ष्य के साथ अपनाया है।
      • उप घटक:
        • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के साथ NPCDCS के एकीकरण के परिणामस्वरूप अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्त्ताओं - विशेषकर ANM और मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (ASHA) के रूप में बुनियादी ढाँचे और मानव संसाधनों में वृद्धि हुई है।
        • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ (COPD) और क्रॉनिक किडनी डिजीज़ (CKD) की रोकथाम तथा प्रबंधन और मधुमेह एवं टीबी जैसी सह-बीमारियों के बेहतर प्रबंधन पर भी NPCDCS कार्यक्रम के तहत विचार किया गया।
    • आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) का NPCDCS के साथ एकीकरण सामान्य जनसंख्या के बीच स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम है।
      • NCDs की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये सोशल मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य प्रचार किया जा रहा है,
        • नए अनुप्रयोगों में मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग कर NCDs के रोकथाम के लिये जागरूकता बढ़ाई जा रही है, जैसे कि मधुमेह नियंत्रण के लिये (mDiabetes ऐप), तंबाकू उत्पादों के सेवन को छोड़ने के लिये (mCessation ऐप) और मानसिक तनाव के सहायक के तौर पर (No more tension ऐप)।

 स्रोत: डाउन टू अर्थ


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत में पवन परियोजनाएँ

प्रिलिम्स के लिये:

पवन ऊर्जा, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत, सरकारी पहल

मेन्स के लिये:

पवन ऊर्जा का महत्त्व, पवन ऊर्जा परियोजनाओं में चुनौतियाँ, संबंधित सरकारी पहल

चर्चा में क्यों?

वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद (GWEC) और नवीकरणीय ऊर्जा में विशेषज्ञता रखने वाली एक परामर्श फर्म MEC इंटेलिजेंस (MEC+) ने बताया है कि भारत में नई पवन ऊर्जा परियोजनाओं की वार्षिक स्थापना वर्ष 2024 तक उच्च स्तर पर होगी तथा उसके बाद इसमें गिरावट की संभावना है।  

  • वर्ष 2024 के बाद नई परियोजनाओं के पवन-सौर ऊर्जा संकरण (Wind-solar hybrids) की संभावना है। 

भारत में पवन ऊर्जा परियोजनाएँ:

  • परिचय:
    • वर्तमान में पवन ऊर्जा के सामान्यत: दो प्रकार हैं:
      • तटवर्ती पवन फार्म जो भूमि पर स्थित पवन टर्बाइनों के व्यापक रूप में स्थापित हैं।
      • अपतटीय पवन फार्म जो जल निकायों में/समीप स्थित प्रतिष्ठान हैं।
  • स्थिति:
    • भारत में वर्तमान में पवन ऊर्जा में 13.4 गीगावाट (GW) की संभावित परियोजनाओं को वर्ष 2024 तक स्थापित करने की उम्मीद है।
    • भारत में वर्ष 2022 में 3.2 GW, वर्ष 2023 में 4.1 GW, वर्ष 2024 में 4.6 GW तक बढ़ने की उम्मीद है, इसके बाद अगले दो वर्षों में घटकर 4 GW और 3.5 GW हो जाने की संभावना है।
    • वर्ष 2017 से भारत में पवन ऊर्जा उद्योग की स्थापना धीमी हो रही है।
      • 2021 में केवल 1.45 GW पवन परियोजनाएँ स्थापित की गईं, जिनमें से कई कोविड -19 की दूसरी लहर और आपूर्ति शृंखला से संबंधित व्यवधानों के कारण विलंबित थीं।
  • चुनौतियाँ:
    • पवन ऊर्जा बाज़ार गुजरात और तमिलनाडु के कुछ सबस्टेशनों के आसपास पवन परियोजनाओं तक केंद्रित है जो सबसे मज़बूत संसाधन क्षमता तथा भूमि की सबसे कम लागत के स्थान हैं।
      • हालाँकि आधारभूत ढाँचागत अवसंरचनाओ की कमी की वजह से परियोजना गति धीमी हुई है और यह सौर ऊर्जा की तुलना में अधिक लागत वाला विकल्प बन गया।
    • भारत के ट्रैक रिकॉर्ड ने संकेत दिया है कि पवन स्थापना बाज़ार एक विखंडित बाज़ार है।
      • वर्ष 2017-2018 से पाइपलाइन में काफी गति से निर्माण किया गया है, लेकिन परियोजना निष्पादन में अत्यधिक देरी ने विकासकर्त्ताओं की धारणाओं को चुनौती दी है।
    • COVID-19 महामारी और आपूर्ति शृंखला की बाधाओं के कारण विद्युत वितरण कंपनियों (DISCOM) के कुल बकाया राशि में भी वृद्धि हुई है।
      • RE जनरेटर को बकाया भुगतान दिसंबर 2021 में 73% बढ़कर 19,400 करोड़ रुपए हो गया, जबकि दिसंबर 2020 में यह 11,200 करोड़ रुपए था।
  • भारत की ऊर्जा क्षमता:
    • भारत में लगभग 60 GW पवन ऊर्जा क्षमता विद्यमान है।
      • भारत के संदर्भ में पवन ऊर्जा की क्षमता भविष्य में वृद्धि की संभावना व्यक्त की गई है क्योंकि कुछ पुराने पवन ऊर्जा स्टेशनों को पवन टर्बाइनों से प्रतिस्थापित जा सकता है, जिनकी क्षमता अधिक होती है।
    • पवन ऊर्जा क्षेत्र का अभी तक पर्याप्त दोहन नहीं हो पाया है, महासागरीय क्षेत्रों में इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु असीम संभावनाएँ विद्यमान हैं।
      • वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में अन्वेषण अभी भी प्रारंभिक अवस्था में ही है।
        • भारत के पूर्वी हिस्से में चक्रवातों की बारंबारता पवन उर्जा के विकास में प्रमुख बाधा है।
          • संभवत: भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के विकास के लिये पर्याप्त संभावनाएँ विद्यमान हैं।
    • भारत लगभग 7,516.6 किलोमीटर लंबी तटरेखा वाला देश है और इसके सभी विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों में पवन ऊर्जा का विकास करने का पर्याप्त अवसर है।
    • राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान, चेन्नई द्वारा यह बताया गया है कि गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश तक एक स्थिर तथा निरंतर वायु के प्रवाह के मामले में पश्चिमी राज्यों में असीम संभावनाएँ हैं।
      • वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार तमिलनाडु 9,075 मेगावाट क्षमता के साथ पवन ऊर्जा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।

पवन ऊर्जा: 

wind-Energy

  • परिचय:
    • गति में वायु द्वारा बनाई गई गतिज ऊर्जा का उपयोग करके विद्युत् उत्पादन किया जाता है। इसे विंड टर्बाइन या पवन ऊर्जा रूपांतरण प्रणाली का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
      • वायु पहले टर्बाइन के ब्लेड से टकराती है, जिससे वे घूमने लगते हैं और उनसे जुड़ा टर्बाइन भी घूमने लगता है।
      • यह एक जनरेटर से जुड़े हुए शाफ्ट को घुमाकर गतिज ऊर्जा को घूर्णी ऊर्जा में बदल देता है जिसके परिणामस्वरूप विद्युत चुंबकत्व के माध्यम से विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है।
      • घरों, व्यवसायों, स्कूलों आदि में बिज़ली ट्रांसमिशन और वितरण लाइनों के माध्यम से भेजी जाती है।
    • वायु से प्राप्त की जा सकने वाली ऊर्जा की मात्रा टर्बाइन के आकार और उसके ब्लेड की लंबाई पर निर्भर करती है।
      • वायु से प्राप्त की जा सकने वाली ऊर्जा की मात्रा रोटर के आयामों और हवा की गति के घन के समानुपाती होता है।
      • सैद्धांतिक रूप से, जब हवा की गति दोगुनी हो जाती है, तो पवन ऊर्जा क्षमता आठ गुना बढ़ जाती है।
  • ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
    • विंड टर्बाइन का आविष्कार लगभग एक सदी पूर्व हुआ था।
    • 1830 के दशक में विद्युत जनरेटर के आविष्कार के बाद, इंजीनियरों ने विद्युत उत्पादन के लिये पवन ऊर्जा का उपयोग करने का प्रयास करना शुरू कर दिया था।
    • पवन ऊर्जा का उत्पादन यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार वर्ष क्रमशः 1887 तथा वर्ष 1888 में हुआ था, लेकिन माना जाता है कि आधुनिक पवन ऊर्जा को सबसे पहले डेनमार्क में विकसित किया गया था।

संबंधित पहलें:

आगे की राह

  • सरकारों को नियोजन बाधाओं और ग्रिड कनेक्शन चुनौतियों जैसे मुद्दों से निपटने की ज़रूरत है।
  • पवन आधारित उत्पादन क्षमता में वृद्धि को बनाए रखने और बढ़ाने के लिये, नीति निर्माताओं को भूमि आवंटन एवं ग्रिड कनेक्शन परियोजनाओं सहित परमिट देने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
  • बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन के लिये कार्यबल की योजना एक प्रारंभिक नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिये और ग्रिड में निवेश वर्ष 2030 तक मौजूदा स्तरों से तिगुना होना चाहिये।
  • "पवन आपूर्ति शृंखला की नई भू-राजनीति" का सामना करने के लिये अधिक से अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारकी भी आवश्यकता है।
  • वस्तुओं और दुर्लभ खनिजों के लिये बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा को दूर करने के लिये मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय नियामक ढाँचे की आवश्यकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न: देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित वर्तमान स्थिति और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों का विवरण दीजिये। प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के महत्त्व पर संक्षेप में चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2016)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

बेनामी लेनदेन अधिनियम

प्रिलिम्स के लिये:

बेनामी संपत्ति, बेनामी लेनदेन, बेनामीदार, मनी लॉन्ड्रिंग

मेन्स के लिये:

बेनामी लेनदेन के प्रावधान (निषेध) संशोधन अधिनियम 2016, असंवैधानिक प्रावधान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3(2) को स्पष्ट रूप से स्वैच्छिक होने के आधार पर असंवैधानिक करार दिया।

  • धारा 3(2) बेनामी लेनदेन में करने पर सजा का प्रावधान करती है।
  • न्यायाधीशों ने माना कि अधिनियम जिसे वर्ष 2016 में संशोधित किया गया था केवल संभावित रूप से लागू किया जा सकता है और संशोधित अधिनियम के लागू होने से पहले सभी अभियोजन या ज़ब्ती की कार्यवाही को रद्द कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सुनाया

  • अधिनियम, 2016 की धारा 3(3):
    • न्यायालय ने बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल के कारावास की सजा और संपत्ति के उचित बाज़ार मूल्य के 25 प्रतिशत तक ज़ुर्माना बढ़ा दी।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि "संबंधित अधिकारी अधिनियम, 2016 के (25 अक्तूबर 2016) के लागू होने से पहले किये गए लेनदेन हेतु आपराधिक मुकदमा चलाने या ज़ब्त करने की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते हैं या जारी नहीं रख सकते हैं। उपरोक्त घोषणा के परिणामस्वरूप ऐसे सभी अभियोजन या ज़ब्ती की कार्यवाही रद्द हो जाएगी।"
  • बेनामी संपत्तियों की ज़ब्ती:
    • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1988 के अधिनियम में बेनामी संपत्तियों को असंवैधानिक रूप से ज़ब्त करने के प्रावधान को भी असंवैधानिक ठहराया और कहा कि 2016 के संशोधित अधिनियम में प्रावधान केवल संभावित रूप से लागू किया जा सकता है।
      • चूँकि यह वर्ष 2016 के संशोधन अधिनियम के तहत अन्य आधारों पर विचार की गई स्वतंत्र ज़ब्ती कार्यवाही की संवैधानिकता से संबंधित नहीं है, इसलिये यह उचित मामलों में निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र था।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002
    • सर्वोच्च न्यायालय के हाल ही के एक निर्णय ने PMLA के प्रावधान को बरकरार रखा जो अधिकारियों को असाधारण मामलों में मुकदमे से पहले संपत्ति पर अधिकार करने की अनुमति देता है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इस तरह के प्रावधान से मनमाने आवेदन की संभावना खत्म हो जाती है

बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम 2016

  • परिचय:
    • अधिनियम ने मूल अधिनियम बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 में संशोधन किया और इसका नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 कर दिया।
    • अधिनियम ने बेनामी लेनदेन को एक लेनदेन के रूप में परिभाषित करता है जहाँ:
      • एक संपत्ति किसी व्यक्ति के पास होती है या उसे हस्तांतरित की जाती है लेकिन किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रदान या भुगतान की जाती है।
      • फर्जी नाम से किया गया लेनदेन
      • मालिक को संपत्ति के स्वामित से इनकार करने के बारे में जानकारी नहीं है,
      • संपत्ति के लिये दावा प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति ट्रेस करने योग्य नहीं है।
  • अपीलीय न्यायाधिकरण:
    • यह अधिनियम न्यायनिर्णायक प्राधिकारी द्वारा पारित किसी भी आदेश के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई के लिये एक अपीलीय न्यायाधिकरण का प्रावधान करता है।
      • अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी।
    • विशेष न्यायालय को शिकायत दर्ज करने की तारीख से छह महीने के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करनी चाहिये।
  • प्राधिकरण:
    • बेनामी लेनदेन के संबंध में पूछताछ या जाँच करने के लिये अधिनियम ने चार प्राधिकरणों की स्थापना की:
      • पहल अधिकारी
      • अनुमोदन प्राधिकारी
      • प्रशासक
      • निर्णायक प्राधिकारी
    • यदि पहल अधिकारी को लगता है कि व्यक्ति एक बेनामीदार है तो वह उस व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकता है।
      • अनुमोदन प्राधिकारी की अनुमति के अधीन पहल अधिकारी नोटिस जारी होने की तारीख से 90 दिनों के लिये संपत्ति को अधिकार में ले सकता है।
        • नोटिस अवधि के अंत में, पहला अधिकारी संपत्ति पूर्वकालिक स्थिति के लिये एक आदेश पारित कर सकता है।
    • यदि संपत्ति के स्वामित्त्व को जारी रखने के लिये कोई आदेश पारित किया जाता है, तो अधिकारी मामले को न्यायनिर्णायक प्राधिकारी को संदर्भित करेगा।
      • न्यायनिर्णयन प्राधिकारी मामले से संबंधित सभी दस्तावेजों और साक्ष्यों की जाँच करेगा और फिर एक आदेश पारित करेगा कि संपत्ति को बेनामी के रूप में रखा जाए या नहीं।
        • बेनामी संपत्ति को ज़ब्त करने के आदेश के आधार पर, प्रशासक संपत्ति को निर्धारित तरीके और शर्तों के अधीन प्राप्त तथा प्रबंधित करेगा।
    • संशोधित कानून निर्दिष्ट अधिकारियों को बेनामी संपत्तियों को अस्थायी रूप से संलग्न करने का अधिकार देता है जिन्हें अंततः ज़ब्त किया जा सकता है।
  • दंड:
    • यदि कोई व्यक्ति सक्षम न्यायालय द्वारा बेनामी लेन-देन के अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम एक वर्ष की अवधि के लिये कठोर कारावास की सज़ा हो सकती है, जिसे 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
    • वह जुर्माने के लिये भी उत्तरदायी होगा जो संपत्ति के उचित बाज़ार मूल्य के 25% तक हो सकता है।

अधिनियम के तहत कुछ महत्त्वपूर्ण शर्तें:

  • संपत्ति:
    • किसी भी प्रकार की संपत्ति, चाहे चल या अचल, मूर्त या अमूर्त, भौतिक या निगमन और इसमें कोई अधिकार या हित या कानूनी दस्तावेज या उपकरण शामिल हैं जो संपत्ति पर अधिकार का सबूत देते हैं और जहाँ संपत्ति किसी अन्य रूप में रूपांतरण करने में सक्षम है, परिवर्तित रूप में संपत्ति और संपत्ति से आय भी शामिल है।
  • बेनामी संपत्ति:
    • कोई भी संपत्ति जो बेनामी लेन-देन का विषय है और इसमें ऐसी संपत्ति से प्राप्त आय भी शामिल है।
  • बेनामीदार:
    • एक व्यक्ति या एक काल्पनिक व्यक्ति, जैसा भी मामला हो, जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति हस्तांतरित या धारण की जाती है और इसमें वह व्यक्ति शामिल होता है जो अपना नाम उधार देता है।
  • स्वामी:
    • ऐसा व्यक्ति चाहे उसकी पहचान ज्ञात हो या नहीं, जिसके लाभ के लिये बेनामी संपत्ति एक बेनामीदार के पास है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. 'बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 (PBPT अधिनियम)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. किसी संपत्ति लेनदेन को बेनामी लेनदेन नहीं माना जाता है यदि संपत्ति के मालिक लेनदेन से अवगत नहीं है।
  2. बेनामी संपत्तियाँ सरकार द्वारा अधिकृत की जा सकती हैं।
  3. अधिनियम में जाँच के लिये तीन प्राधिकरणों का प्रावधान है, लेकिन किसी भी अपीलीय तंत्र का प्रावधान नहीं है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम, 1988 (PBPT अधिनियम):
    • एक बेनामी लेनदेन की परिभाषा को एक काल्पनिक नाम से किये गए लेनदेन को शामिल करने के लिये विस्तृत किया गया है, जहाँ मालिक को संपत्ति के स्वामित्व के बारे में जानकारी नहीं है या संपत्ति के लिये प्रतिफल प्रदान करने वाले व्यक्ति का पता नहीं चलता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
    • यह बेनामी संपत्ति के अधिग्रहण का प्रावधान रखता है। अत: कथन 2 सही है।
    • साथ ही, इसने PBPT अधिनियम के तहत निर्णायक प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण के रूप में एक अपीलीय तंत्र प्रदान किया है। अत: कथन 3 सही नहीं है।
  • हालाँकि, बेनामी लेनदेन के निषेध के लिये एक प्रभावी व्यवस्था प्रदान करने की दृष्टि से उक्त अधिनियम को बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधित अधिनियम, 2016 के माध्यम से संशोधित किया गया था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

तालिबान 2.0 का एक वर्ष

प्रिलिम्स के लिये:

अफगानिस्तान, तालिबान, अफगानिस्तान की अवस्थिति

मेन्स के लिये:

भारत और उसके पड़ोस, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, अफगानिस्तान में संकट और इसके प्रभाव

चर्चा में क्यों?

अगस्त 2021 में अमेरिका ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और वर्तमान में तालिबान को अफगानिस्तान में शासन संभाले हुए लगभग एक वर्ष हो गया है।

  • पिछले दो दशकों में भारत सहित विदेशी शक्तियों ने अफगानिस्तान को सड़कों, बाँधों, सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, अर्थव्यवस्था और शिक्षा के पुनर्निर्माण में सहायता की है।

Afghanistan

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में शासन:

  • तालिबान:
    • तालिबान (पश्तो भाषा में ‘छात्र’) 1990 के दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान से सोवियत सैनिकों की वापसी के बाद उत्तरी पाकिस्तान में उभरा एक आतंकवादी संगठन है।
    • वर्तमान में यह अफगानिस्तान में सक्रिय एक इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक और सैन्य संगठन है। यह काफी समय से अफगान राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण स्थिति में था।
    • तालिबान बीते लगभग 20 वर्षों से काबुल में अमेरिकी समर्थित सरकार के खिलाफ लड़ रहा है। वह अफगानिस्तान में इस्लाम के सख्त रूप को फिर से लागू करना चाहता है।

पृष्ठभूमि:

  • आतंकवादी हमले:
    • 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों में लगभग 3,000 लोग मारे गए थे।
    • इस हमले के लगभग एक महीने बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान (ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम) के खिलाफ हवाई हमले शुरू कर दिये।
  • अफगानिस्तान में संक्रमणकारी सरकार का दौर:
    • हमलों के बाद नाटो गठबंधन सैनिकों ने अफगानिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।
    • कुछ ही समय में अमेरिका ने तालिबान शासन को उखाड़ फेंका और अफगानिस्तान में एक संक्रमणकारी सरकार की स्थापना की।
    • अमेरिका बहुत पहले इस निष्कर्ष पर पहुँच गया था कि यह युद्ध अजेय है और शांति वार्ता ही इसे खत्म करने का एकमात्र उपाय है।
  • शांति वार्ता:
    • ‘मुरी' वार्त्ता:
      • वर्ष 2015 में अमेरिका ने तालिबान और अफगान सरकार के बीच पहली बैठक में एक प्रतिनिधि भेजा था, जिसकी मेज़बानी पाकिस्तान द्वारा वर्ष 2015 में ‘मुरी/मरी’ में की गई थी।
    • दोहा वार्त्ता:
      • वर्ष 2020 में दोहा वार्त्ता की शुरुआत से पूर्व तालिबान ने स्पष्ट किया कि वे केवल अमेरिका के साथ प्रत्यक्ष वार्ता करेंगे, न कि काबुल सरकार के साथ।
      • इस समझौते में अमेरिकी प्रशासन ने वादा किया कि वह 1 मई, 2021 तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लेगा।
      • कुछ समय बाद इस समय-सीमा को बढ़ाकर 11 सितंबर, 2021 कर दिया गया।
  • अमेरिका की वापसी:
    • अमेरिका ने दावा किया कि उसने जुलाई 2021 तक अपने 90% सैनिकों को वापस बुला लिया था और तालिबान इस समय तक अफगानिस्तान के 85% से अधिक क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले चुका था।
  • तालिबान का अधिग्रहण:
    • अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान में शासन पर नियंत्रण कर लिया।
    • 20 वर्ष पहले 9/11 के हमलों के मद्देनज़र उनके निष्कासन के बाद यह पहली बार है कि तालिबान लड़ाके काबुल शहर में प्रवेश कर चुके हैं, तालिबान ने पहली बार वर्ष 1996 में राजधानी पर नियंत्रण कर लिया था।

तालिबान के शासन के तहत अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति:

  • अवलोकन:
    • तालिबान ने एक पूर्व-स्थापित देश नियंत्रण कर लिया, लेकिन 32 मिलियन जनसंख्या वाले अफगानिस्तान का प्रशासन संभालने के लिये क्षमता और वित्त की आवश्यकता होती है।
      • तालिबान के पास इन दोनों का अभाव है।
    • अफगानिस्तान के उच्च और मध्यम वर्ग के लोग जिनके पास पर्याप्त साधन और साक्षरता है, जिनमें वहाँ के अनेक अधिकारी भी शामिल हैं, तालिबान शासन का हिस्सा नहीं बनना चाहते है तथा देश छोड़कर भाग गए हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक शासन को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है और कई देशों में तालिबान पर यात्रा प्रतिबंध सहित अन्य प्रतिबंध लागू हैं।
      • अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग और वित्त तक तालिबान की पहुँच सीमित है।
  • अर्थव्यवस्था:
    • मई 2022 में तालिबान ने पूरी तरह घरेलू राजस्व पर आधारित वार्षिक बजट पेश किया।
      • इसने6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यय और 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के राजस्व का अनुमान लगाया है।
      • व्यय के बारे में या राजस्व के अंतर को कैसे पूरा किया जाएगा, इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया।
    • अफगानिस्तान का अधिकांश राजस्व अब सीमा शुल्क के माध्यम से जुटाया जा रहा है।
      • अफगानिस्तान पाकिस्तान को कोयले का निर्यात कर रहा है।
    • संयुक्त राष्ट् की मानवीय प्रतिक्रिया अफगानिस्तान में महत्त्वपूर्ण है।
      • संयुक्त राष्ट्र तालिबान द्वारा लड़कियों की उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध लगाए जाने तक शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर रहा था।
    • रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) काबुल में इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल को वित्तपोषित कर रही है।
    • अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सुविधाओं की अनुपस्थिति में संयुक्त राष्ट्र ने 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर नकद अफगानिस्तान पहुँचाया है जिससे ज़रूरतमंदों की मदद की जा सके और साझेदार एजेंसियों के माध्यम से धन हस्तांतरित किया जा सके।
  • सुरक्षा:
    • तालिबान दाएश या ISKP (इस्लामिक स्टेट खुरासान क्षेत्र) को लेकर घबराया हुआ है, जिसने काबुल में भयावह नियमितता के साथ हमले किये हैं
      • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ISKP द्वारा ज़िम्मेदार या दावा की गई हिंसा में अगस्त 2021 के मध्य से जून 2022 के मध्य तक 2,106 लोग घायल हुए तथा 700 लोग मारे गए।
    • अमेरिका द्वारा काबुल के एक इलाके में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी की हत्या ने तालिबान की असुरक्षा को और बढ़ा दिया है।
  • अफगान जनसंख्या और तालिबान:
    • हालाँकि नागरिकों के प्रति तालिबान के बीस साल पहले के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन अभी तक सीधे तौर पर क्रूरता की सूचना नहीं मिली है।
      • पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये एक ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है, लेकिन इसे कड़ाई से लागू नहीं किया जा रहा है।
    • तालिबान द्वारा स्कूल में कक्षा 6 से आगे की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने और महिलाओं के लिये काम करना मुश्किल बनाने के लिये "शिक्षा, रोज़गार और रोटी" की मांग करने वाली महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
      • इसे हवा में फायरिंग कर गार्डों ने तितर-बितर किया।
    • संयुक्त राष्ट्र ने 160 गैर-न्यायिक हत्याओं, 178 मनमाने ढंग से हिरासत में लिये जाने, पूर्व सरकार और सैन्य अधिकारियों के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के 56 मामलों की सूचना दी है।
    • गुटबाजी की रिपोर्ट, और तालिबान के हक्कानी और कंधार कोर के बीच कथित असंगति ने सरकार के टूटने तथा गृह युद्ध के एक और चक्र की संभावना के बारे में अटकलों को हवा दी है।

तालिबान शासन के बाद भारत का अफगानिस्तान के प्रति रुख:

  • तालिबान के अधिग्रहण के बाद, भारत अपनी नीति में एक रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में अफगानिस्तान की स्थिति को बहाल करने और जमीनी पर व्यावहारिक बाधाओं के बीच विभाजित इस दुविधा के बीच फंँस गया है।
  • वर्तमान में, भारत अफगानिस्तान के साथ संभावित जुड़ाव के तीन व्यापक तरीकों का आकलन कर रहा है:
    • मानवीय सहायता प्रदान करना।
    • अन्य भागीदारों के साथ संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रयास की खोज करना।
    • तालिबान से बातचीत करना।
    • इन सभी का अंतिम लक्ष्य लोगों से लोगों के बीच संपर्क बहाल करना और पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में दिल्ली की विकासात्मक सहायता से प्राप्त लाभ के दावों से पीछे हटने से रोकना है।
  • भारत ने सभी 34 अफगान प्रांतों में 400 से अधिक प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शुरू की हैं और व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिये रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • वर्ष 2002 से 2021 तक भारत ने अफगानिस्तान में विकास सहायता में 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये, हाई-विजिबिलिटी प्रोजेक्ट्स जैसे राजमार्ग, अस्पताल, संसद भवन, ग्रामीण स्कूल और विद्युत ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण किया।
      • इन परियोजनाओं ने भारत के लिये सद्भावना का व्यापक और गहरा संबंध स्थापित किया है जिसका कोई अन्य देश दावा नहीं कर सकता है।
      • काबुल के 2 मिलियन निवासियों को पीने का जल उपलब्ध कराने के लिये शहतूत बाँध को अधूरा छोड़ दिया गया था।

भारत के लिये अफगानिस्तान का महत्त्व:

  • आर्थिक और रणनीतिक हित:
    • अफगानिस्तान तेल और खनिज समृद्ध मध्य एशियाई गणराज्यों का प्रवेश द्वार है।
    • अफगानिस्तान भू-रणनीतिक दृष्टि से भी भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अफगानिस्तान में जो भी सत्ता में रहता है, वह भारत को मध्य एशिया (अफगानिस्तान के माध्यम से) से जोड़ने वाले भू- मार्गों को नियंत्रित करता है।
    • ऐतिहासिक सिल्क रोड के केंद्र में स्थित अफगानिस्तान लंबे समय से एशियाई देशों के बीच वाणिज्य का केंद्र था, जो उन्हें यूरोप से जोड़ता था तथा धार्मिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संपर्कों को बढ़ावा देता था।
  • विकास परियोजनाएंँ: इस देश के लिये बड़ी निर्माण योजनाएँ भारतीय कंपनियों को बहुत सारे अवसर प्रदान करती हैं।
  • तीन प्रमुख परियोजनाएंँ: अफगान संसद, जेराज़-डेलाराम राजमार्ग और अफगानिस्तान-भारत मैत्री बाँध (सलमा बाँध) के साथ-साथ सैकड़ों छोटी विकास परियोजनाओं (स्कूलों, अस्पतालों और जल परियोजनाओं) में 3 बिलियन अमेरिकी डॅालर से अधिक की भारत की सहायता ने अफगानिस्तान में भारत की स्थिति को मज़बूत किया है।
  • सुरक्षा हित:
    • भारत इस क्षेत्र में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह (जैसे हक्कानी नेटवर्क) से उत्पन्न राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार अफगानिस्तान में भारत की दो प्राथमिकताएंँ हैं:
      • पाकिस्तान को अफगानिस्तान में मित्रवत सरकार बनाने से रोकने के लिये।
      • अलकायदा जैसे जिहादी समूहों की वापसी से बचने के लिये, जो भारत में हमले कर सकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रिलिम्स के लिये:

निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. अज़रबैजान
  2. किर्गिस्तान
  3. ताजिकिस्तान
  4. तुर्कमेनिस्तान
  5. उज़्बेकिस्तान

उपर्युक्त में से किसकी सीमाएँ अफगानिस्तान से लगती हैं?

(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 1, 2, 3 और 4
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (c)

व्याख्या:

Kabul

अतः विकल्प C सही है।


प्रश्न. वर्ष 2014 में अफगानिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (ISAF) की प्रस्तावित वापसी क्षेत्र के देशों के लिये बड़े खतरों भरा है। इस तथ्य के आलोक में परीक्षण कीजिये कि भारत के समक्ष भरपूर चुनौतियाँ है तथा उसे अपने सामरिक महत्त्व के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है। (मुख्य परीक्षा, 2013)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क हेतु समझौता ज्ञापन

प्रिलिम्स के लिये:

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, भारतमाला परियोजना, त्रिपक्षीय समझौता

मेन्स के लिये:

बुनियादी ढाँचा, अर्थव्यवस्था में लॉजिस्टिक क्षेत्र का महत्व, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, भारतमाला परियोजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने देश भर में भारतमाला परियोजना के तहत आधुनिक मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) के तेज़ी से विकास के लिये त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया है।

  • इसका उद्देश्य माल ढुलाई को केंद्रीकृत करना और लॉजिस्टिक लागत को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप 14% से घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के 10% से कम करना है।

समझौते के महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • त्रिपक्षीय समझौते पर निम्न द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे:
    • राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक प्रबंधन लिमिटेड (NHLML):
      • यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है।
    • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI):
      • यह बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक वैधानिक प्राधिकरण है।
    • रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL):
  • समझौता देश के भीतर लॉजिस्टिक परिवहन में दक्षता हासिल करने के लिये तीन निकायों के बीच सहयोग और सहयोग मॉडल को रेखांकित करता है।
  • यह निर्बाध मोडल शिफ्ट प्रदान करेगा, MMLP यह सुनिश्चित करेगा कि कार्गो को जलमार्ग, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर और सड़क परिवहन से स्वैप/स्थानांतरित किया जाता है।

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP)

mmlp

  • परिचय:
    • ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल के तहत विकसित, MMLP राजमार्गों, रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल परिवहन के कई तरीकों को एकीकृत करेगा।
    • मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क परियोजना विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के लिये बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक वेयरहाउसिंग सुविधाओं को विकसित करने के लिये तथा वेयरहाउसिंग, कस्टम क्लीयरेंस, पार्किंग, ट्रक के रखरखाव जैसी कार्गो आवाजाही से संबंधित सभी सेवाओं के लिये वन स्टॉप सॉल्यूशन बनने की ओर अग्रसर है।
      • इसमें गोदाम, रेलवे साइडिंग, कोल्ड स्टोरेज, कस्टम क्लीयरेंस हाउस, यार्ड सुविधा, वर्कशॉप, पेट्रोल पंप, ट्रक पार्किंग, प्रशासनिक भवन, बोर्डिंग लॉजिंग, ईटिंग जॉइंट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट आदि सभी सुविधाएँ होंगी।
  • कार्य:
    • MMLPs अत्याधुनिक माल ढुलाई प्रबंधन प्रणाली के लिये प्रौद्योगिकी संचालित कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
      • इन परियोजनाओं में पैकेजिंग, रीपैकेजिंग और लेबलिंग जैसी कई मूल्य वर्धित सेवाएँ उपलब्ध होंगी।
    • MMLP अन्य संबद्ध सुविधाओं के साथ मशीनीकृत सामग्री हैंडलिंग और मूल्य वर्धित सेवाओं के लिये माल ढुलाई सुविधा होगी।

भारतमाला परियोजना

bharatMala

  • परिचय:
    • भारतमाला परियोजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा परिकल्पित राजमार्ग क्षेत्र के लिये व्यापक कार्यक्रम है।
  • कार्य:
    • यह मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों के विकास और चोक पॉइंट्स (रणनीतिक संकीर्ण मार्ग जो किसी अन्य क्षेत्र से होकर गुजरता है) को खत्म करके मौजूदा कॉरिडोर की दक्षता में सुधार का आह्वान करता है।
    • यह उत्तर पूर्व में कनेक्टिविटी में सुधार लाने और अंतर्देशीय जलमार्गों के साथ तालमेल का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • यह उत्तर पूर्व आर्थिक गलियारा राज्यों की राजधानियों और प्रमुख शहरों से कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है।
      • ब्रह्मपुत्र धुबरी, सिलघाट, विश्वनाथ घाट, नीमती, डिब्रूगढ़, सेंगजन, उड़ियामघ नदी पर 7 जलमार्ग टर्मिनलों के माध्यम से मल्टीमॉडल माल ढुलाई की जाएगी।
    • यह परियोजना की तैयारी और परिसंपत्ति निगरानी के लिये प्रौद्योगिकी एवं वैज्ञानिक योजना के उपयोग पर ज़ोर देता है।
    • यह पड़ोसी देशों के साथ निर्बाध संपर्क का आह्वान करता है:
      • 24 एकीकृत जाँच चौकियों (ICPs) की पहचान की गई।
      • पूर्वोत्तर कनेक्टिविटी में सुधार के लिये बांग्लादेश के माध्यम से पारगमन।
      • बांग्लादेश-भूटान-नेपाल और म्याँमार-थाईलैंड कॉरिडोर को एकीकृत करना जो पूर्वोत्तर को पूर्वी एशिया का हब बनाएगा।
    • उन्नयन आवश्यकताओं की पहचान करने के लिये गलियारों की सैटेलाइट मैपिंग।
  • उद्देश्य:
    • प्रभावी हस्तक्षेपों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के अंतराल समाप्त कर देश भर में माल और यात्री आवाजाही की दक्षता हेतु अनुकूल करना।
    • प्रभावी हस्तक्षेपों में आर्थिक गलियारा, अंतर-गलियारा और मार्गों का विकास, राष्ट्रीय गलियारा दक्षता सुधार, सीमा एवं अंतर्राष्ट्रीय संपर्क सड़क, तटीय व बंदरगाह कनेक्टिविटी और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे शामिल हैं।
      • आर्थिक गलियारा:
        • ये आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये डिज़ाइन किये गए भौगोलिक क्षेत्र के भीतर बुनियादी ढाँचे के एकीकृत नेटवर्क हैं।
      • ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ:
        • ‘ग्रीनफील्ड परियोजन’' का तात्पर्य ऐसी परियोजना से है जिसमें किसी पूर्व कार्य/परियोजना का अनुसरण नहीं किया जाता है। अवसंरचना में अप्रयुक्त भूमि पर तैयार की जाने वाली परियोजनाएँ जिनमें मौजूदा संरचना को फिर से तैयार करने या ध्वस्त करने की आवश्यकता नहीं होती है, उन्हें ग्रीन फील्ड परियोजना कहा जाता है।
      • ब्राउनफील्ड परियोजनाएँ:
        • जिन परियोजनाओं को संशोधित या अपग्रेड किया जाता है, उन्हें ‘ब्राउनफील्ड परियोजना’ कहा जाता है। ये परियोजनाएँ पहले से मौजूद होती हैं जिसमें निवेश किया जाता है।
    • निर्माण और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा करना तथा देश भर में बेहतर सड़क-संपर्क के परिणामस्वरूप बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधि के हिस्से के रूप में देश में 550 ज़िलों को राष्ट्रीय राजमार्ग लिंकेज के माध्यम से जोड़ना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

मेन्स:

प्रश्न. भारत में औद्योगिक गलियारों का क्या महत्त्व है? औद्योगिक गलियारों की पहचान और उनकी मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये। (2018)

स्रोत: पी.आई.बी.


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आर्टेमिस I मिशन

प्रिलिम्स के लिये:

NASA, आर्टेमिस I, चंद्र मिशन, चंद्रयान प्रोजेक्ट, ISRO)

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष अन्वेषण, चंद्र मिशन, चंद्रमा और मंगल पर मानव मिशन

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) द्वारा आर्टेमिस मिशन शीघ्र ही लॉन्च किया जाऐगा।

आर्टेमिस I मिशन

  • आर्टेमिस I नासा का मानव रहित मिशन है।
  • यह एजेंसी के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल का परीक्षण करेगा।
  • आर्टेमिस I आने वाले दशकों में चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति हेतु जटिल मिशनों की शृंखला में पहला मिशन होगा।
    • आर्टेमिस I के लिये प्राथमिक लक्ष्य स्पेसफ्लाइट वातावरण में ओरियन के सिस्टम का प्रदर्शन करना है और आर्टेमिस II के क्रू की पहली उड़ान से पहले सुरक्षित पुन: प्रवेश और पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना है।

Artemis-I

मिशन के दौरान प्रमुख कार्यक्रम:

  • आर्टेमिस I लॉन्च:
    • SLS रॉकेट और ओरियन अंतरिक्ष यान ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में अपने असेंबली बिल्डिंग से लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39B तक की अपनी यात्रा पूरी कर ली है।
    • लॉन्च के समय रॉकेट अपने चार RS-25 इंजन और पाँच-सेगमेंट बूस्टर से अधिकतम 3.9 मिलियन किलोग्राम से अधिक बल उत्पन्न करेगा।
    • लॉन्च के कुछ समय बाद इससे बूस्टर, सर्विस मॉड्यूल और लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम को अलग कर लिया जाएगा।
    • तत्पश्चात कोर स्टेज इंजन बंद होकर अंतरिक्ष यान से अलग हो जाएगा।
  • आर्टेमिस I: चंद्रमा के लिये प्रक्षेपवक्र
    • लॉन्च के बाद अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और सोलर ऐरे को स्थापित करेगा।
    • इसके बाद क्रायोजेनिक प्रणोदन चरण (ICPS) ओरियन को पृथ्वी की कक्षा छोड़ने और चंद्रमा की यात्रा करने में सहायता करने के लिये एक "धक्का" (PUSH) देगा।
    • लॉन्च होने के लगभग दो घंटे के भीतर, अंतरिक्ष यान चंद्रमा के प्रक्षेपवक्र में प्रवेश करने के दौरान ICPS से अलग हो जाएगा।
    • इस अंतरिक्ष यान के अलग होने के बाद, ICPS क्यूबसैट (छोटे उपग्रहों) को  अंतरिक्ष में स्थापित करेगा।
      • इसमें बायो सेंटिनल भी शामिल है जो सूक्ष्म जीवों पर अंतरिक्ष विकिरण के तीव्र प्रभावों का अध्ययन करने के लिये यीस्ट को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
      • अन्य क्यूबसैट विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन भी करेंगे।
  • आर्टेमिस I: चंद्रमा की कक्षा
    • चंद्रमा की कक्षा, ओरियन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा निर्मित एक सेवा मॉड्यूल द्वारा संचालित किया जाएगा
    • चंद्रमा की कक्षा में ओरियन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा निर्मित एक सर्विस मॉड्यूल द्वारा संचालित किया जाएगा।
      • अंतरिक्ष यान की प्रणोदन प्रणाली और विद्युत की आपूर्ति के अलावा, सेवा मॉड्यूल को भविष्य के क्रू मिशनों के लिये वायु और जल को एकत्र करने के लिये भी डिज़ाइन किया गया है।
    • चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद, अंतरिक्ष यान डेटा एकत्र करेगा।
    • उसके बाद, ओरियन हमारे ग्रह की ओर वापस गति करने के लिये चंद्रमा के गुरुत्त्वाकर्षण के साथ संयोजन में सर्विस मॉड्यूल के सटीक समय पर इंजन फायरिंग का उपयोग करेगा।
  • आर्टेमिस I: पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश
    • लगभग 6 सप्ताह के मिशन के बाद, ओरियन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा।
    • सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो यह कैलिफोर्निया में बाजा के तट पर पुनर्प्राप्ति जहाज़ के माध्यम से समुद्र में उतरेगा।

चंद्र अन्वेषण का इतिहास:

  • वर्ष 1959 में, सोवियत संघ का मानव रहित लूना 1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाला पहला रोवर बना।
  • अमेरिका ने वर्ष 1961 की शुरुआत से ही लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश शुरू कर दी थी।
  • आठ वर्ष बाद 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग, एडविन "बज़" एल्ड्रिन के साथ अपोलो 11 मिशन के हिस्से के रूप में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले इंसान थे।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपोलो 11 मिशन को चंद्रमा पर भेजने से पहले वर्ष 1961 और वर्ष 1968 के बीच रोबोट मिशन के तीन वर्ग भेजे थे।
  • वर्ष 1969, जुलाई से वर्ष 1972 तक 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर पहुँचे।
  • 1990 के दशक में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने रोबोट मिशन क्लेमेंटाइन और लूनर प्रॉस्पेक्टर के साथ चंद्र अन्वेषण फिर से शुरू किया।
  • वर्ष 2009 में, इसने लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) और लूनर क्रेटर ऑब्जर्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट (LCROSS) के प्रक्षेपण के साथ रोबोटिक चंद्र मिशन की एक नई शृंखला की शुरूआत की।
  • वर्ष 2011 में NASA ने आर्टेमिस मिशन की शुरुआत की।
  • वर्ष 2012 में ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, चीन और भारत ने चंद्रमा का अन्वेषण करने के लिये मिशन भेजे हैं।
  • चीन ने वर्ष 2019 में पहली बार चंद्रमा के सबसे दूर की सतह पर दो रोवर उतारे।

इसरो के चंद्र अन्वेषण प्रयास:

  • चंद्रयान 1:
    • चंद्रयान परियोजना की शुरुआत वर्ष 2007 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और रूस के ROSCOSMOS के बीच आपसी सहयोग हेतु एक समझौते के साथ हुई थी।
    • हालाँकि इस मिशन को जनवरी 2013 में स्थगित कर दिया गया था और इसे वर्ष 2016 लॉन्च के लिये पुनर्निर्धारित किया गया क्योंकि रूस समय पर लैंडर को विकसित करने में असमर्थ रहा था।
    • निष्कर्ष:
      • चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की पुष्टि।
      • प्राचीन चंद्र लावा प्रवाह द्वारा निर्मित चंद्र गुफाओं के साक्ष्य।
      • चंद्र सतह पर विगत विवर्तनिक गतिविधि पाई गई थी।
      • पुरातन अंदरूनी विवर्तनिकी गतिविधियों और उल्कापिंड के संयुक्त प्रभावों के कारण चंद्रमा की सतह पर  दरार और भ्रंश पाये गए।
  • चंद्रयान -2 चंद्रमा के लिये भारत का दूसरा मिशन है और इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं।
    • रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर के अंदर स्थित है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 की घोषणा की, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्र. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (2014)

अंतरिक्षयान  उद्देश्य
1. कैसिनी-ह्यूजेन्स शुक्र की परिक्रमा करना और डेटा को पृथ्वी पर प्रेषित करना
2. मैसेंजर  बुध का मानचित्रण और जाँच
3. वोयजर 1 और 2 बाहरी सौर मंडल की खोज

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • कैसिनी- हाइगेन्स को शनि और उसके चंद्रमाओं का अध्ययन करने के लिये भेजा गया था। यह नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बीच एक संयुक्त सहयोग था। इसे वर्ष 1997 में लॉन्च किया गया था और वर्ष 2004 में इसने शनि की कक्षा में प्रवेश किया। मिशन वर्ष 2017 में समाप्त हुआ। अतः युग्म 1 सही सुमेलित नहीं है।
  • मैसेंजर, नासा का एक अंतरिक्ष यान है जिसे बुध ग्रह के मानचित्रण तथा अन्वेषण हेतु भेजा गया था। इसे वर्ष 2004 में लॉन्च किया गया था और वर्ष 2011 में इसने बुध ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया। मिशन वर्ष 2015 में समाप्त हुआ। अतः युग्म 2 सही सुमेलित है।
  • वॉयजर 1 और 2 को नासा ने वर्ष 1977 में बाह्य सौर मंडल का पता लगाने के लिये लॉन्च किया था। दोनों अंतरिक्ष यान अभी भी कार्यरत हैं। अत: युग्म 3 सही सुमेलित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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