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अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और मालदीव
प्रिलिम्स के लिये:सागर, नेबरहुड फर्स्ट, सामुदायिक विकास परियोजना (HICDP), भारत की पड़ोस नीति, मोतियों की माला/स्ट्रिंग ऑफ पर्ल। मेन्स के लिये:भारत-मालदीव संबंध और आगे की राह। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और मालदीव ने मालदीव में विकास परियोजनाओं पर समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- मालदीव एवं श्रीलंका दोनों हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसी हैं जो प्रधानमंत्री के 'सागर/SAGAR' (क्षेत्र में सभी हेतु सुरक्षा और विकास) तथा 'नेबरहुड फर्स्ट' के दृष्टिकोण में विशेष स्थान रखते हैं।
समझौता:
- अनुदान सहायता:
- इसमें उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना (High Impact Community Development Project- HICDP) के लिये 100 मिलियन रूफिया/Rufiyaa (मालदीव की मुद्रा) की अनुदान सहायता शामिल है।
- इस वित्तपोषण के तहत पूरे देश में कई सामाजिक-आर्थिक विकास परियोजनाओं को लागू करने की योजना है।
- खेल परिसर और शैक्षणिक सहयोग:
- इसमें गहधू में एक खेल परिसर का विकास और मालदीव नेशनल यूनिवर्सिटी एवं कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के बीच अकादमिक सहयोग भी शामिल है।
मालदीव के साथ भारत के संबंध:
- सुरक्षा भागीदारी:
- रक्षा सहयोग संयुक्त अभ्यास के क्षेत्रों तक विस्तृत है जैसे- ‘एकुवेरिन’, ‘दोस्ती’, ‘एकथा’ और ‘ऑपरेशन शील्ड’ (वर्ष 2021 में शुरू)।
- मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (Maldivian National Defence Force- MNDF) के लिये भारत इस क्षेत्र में उसकी 70% से अधिक ज़रूरतों को पूरा करते हुए सबसे अधिक प्रशिक्षण संभावनाएँ प्रदान करता है।
- पुनर्सुधार केंद्र:
- अड्डू रिक्लेमेशन और तट संरक्षण परियोजना के लिये 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर।
- अड्डू में भारत की सहायता से एक ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन और रिहैबिलिटेशन सेंटर निर्मित किया गया है।
- यह केंद्र स्वास्थ्य, शिक्षा, मत्स्य पालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।
- आर्थिक सहयोग:
- पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। यह देश अब भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जबकिअन्य के लिये रोज़गार का साधन है।
- अगस्त 2021 में भारतीय कंपनी ऐफ्कोंस ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी अवसंरचनात्मक परियोजना के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये जो ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) है।
- भारत वर्ष 2018 के चौथे स्थान से बढ़ते हुए मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वर्ष 2021 में महामारी से संबंधित चुनौतियों का सामना करते हुए द्विपक्षीय व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में 31% की वृद्धि दर्ज की गई।
- 22 जुलाई, 2019 को RBI और मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के बीच एक द्विपक्षीय अमेरिकी डॉलर मुद्रा स्वैप समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ:
- भारतीय क्रेडिट लाइन के तहत हनीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा विकास परियोजना प्रतिवर्ष 1.3 मिलियन यात्रियों को समायोजित करने के लिये एक नया टर्मिनल स्थापित करेगी।
- भारत के विदेश मंत्री द्वारा वर्ष 2022 में ‘नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट’ (NCPLE) का उद्घाटन किया गया।
- NCPLE मालदीव में भारत द्वारा निष्पादित सबसे बड़ी अनुदान परियोजना है।
भारत-मालदीव संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ:
- राजनैतिक अस्थिरता:
- भारत की प्रमुख चिंता पड़ोसी देशों की राजनीतिक अस्थिरता के कारण इसकी सुरक्षा और विकास पर प्रभाव रहा है।
- फरवरी 2015 में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तारी और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट ने भारत की पड़ोस नीति के समक्ष एक वास्तविक कूटनीतिक परीक्षा जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी।
- कट्टरता:
- पिछले एक दशक में इस्लामिक स्टेट (IS) और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों का मालदीव में प्रभाव बढ़ता देखा गया है।
- यह पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकी हमलों के लिये लॉन्च पैड के रूप में मालदीव के द्वीपों का उपयोग करने की आशंका को जन्म देता है।
- पिछले एक दशक में इस्लामिक स्टेट (IS) और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों का मालदीव में प्रभाव बढ़ता देखा गया है।
- चीनी पक्ष:
- हाल के वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
- चीन-भारत संबंधों की अनिश्चितता को देखते हुए मालदीव में चीन की रणनीतिक उपस्थिति चिंता का विषय बनी हुई है।
आगे की राह
- दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत को इंडो-पैसिफिक सुरक्षा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिये।
- भारत के समुद्री प्रभाव के क्षेत्र में अतिरिक्त क्षेत्रीय शक्तियों (विशेष रूप से चीन) के विकास की प्रतिक्रिया के रूप में हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र को विकसित किया गया है।
- वर्तमान में 'इंडिया आउट' अभियान को सीमित आबादी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन भारत सरकार द्वारा इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
- यदि 'इंडिया आउट' के समर्थकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सावधानी पूर्वक नहीं संभाला जाता है और भारत राष्ट्र द्वीप पर परियोजनाओं के पीछे अपने इरादों के बारे में मालदीव के लोगों को प्रभावी ढंग से आश्वस्त नहीं करता है, तो यह अभियान मालदीव की घरेलू राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है तथा मालदीव के साथ भारत के वर्तमान अनुकूल संबंधों में हलचल उत्पन्न कर सकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'मोतियों की माला' से आप क्या समझते हैं? यह भारत को कैसे प्रभावित करती है? इसका मुकाबला करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों की संक्षेप में रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये। (2013) प्रश्न. पिछले दो वर्षों के दौरान मालदीव में राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा कीजिये। क्या उन्हें भारत के लिये चिंता का कारण होना चाहिये? (2013) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
17वाँ ASER 2022
प्रिलिम्स के लिये:शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER), 2022, निपुण भारत मिशन मेन्स के लिये:भारत में शिक्षा की स्थिति |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में NGO प्रथम द्वारा 17वीं वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट (ASER), 2022 जारी की गई, जो शिक्षा पर महामारी के प्रभाव पर प्रकाश डालती है।
- रिपोर्ट में स्कूलों में बच्चों के उच्च नामांकन का खुलासा किया गया है जो निपुण भारत मिशन जैसे सरकारी कार्यक्रमों के लिये एक अच्छा प्रदर्शन संकेतक है।
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER):
- ASER एक वार्षिक, नागरिक-नेतृत्त्व वाला घरेलू सर्वेक्षण है जिसका उद्देश्य यह समझना है कि ग्रामीण भारत में बच्चे स्कूल में नामांकित हैं या नहीं और क्या वे सीख रहे हैं।
- ASER भारत के सभी ग्रामीण ज़िलों में वर्ष 2005 से प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है। यह भारत में नागरिकों के नेतृत्त्व वाला सबसे बड़ा सर्वेक्षण है।
- ASER सर्वेक्षण 3-16 वर्ष की आयु के बच्चों की नामांकन स्थिति और 5-16 वर्ष की आयु के बच्चों को राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर बुनियादी शिक्षा एवं अंकगणितीय स्तर के प्रतिनिधि अनुमान उपलब्ध कराता है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- सरकारी स्कूलों में नामांकन:
- ASER 2022 के अनुसार, देश में सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन में वृद्धि देखी गई है।
- बुनियादी शिक्षा और अंकगणितीय कौशल:
- भारत में कक्षा 3 और कक्षा 5 में छोटे बच्चों की बुनियादी शिक्षा एवं अंकगणितीय कौशल में गिरावट आई है।
- नामांकित लड़कियों का अनुपात:
- स्कूलों में गैर-नामांकित 11-14 आयु वर्ग की लड़कियों के अनुपात में 2018 के 4.1% से 2022 में 2% की कमी एक महत्त्वपूर्ण सुधार और सकारात्मक विकास है।
- यह इंगित करता है कि शिक्षा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के प्रयास प्रभावी रहे हैं और इससे स्कूलों में लड़कियों के नामांकन को बढ़ाने में मदद मिली है।
मापदंड |
2018 |
2022 |
प्रवृत्ति |
समग्र नामांकन (आयु समूह 6-14) |
97.2% |
98.4% |
सकारात्मक |
सरकारी स्कूल में नामांकित (आयु समूह 6-14) |
65.6% |
72.9% |
सकारात्मक |
स्कूल में नामांकित छात्राएँ (आयु समूह 11-14) |
4.1% |
2 % |
सकारात्मक |
शुल्क देकर निजी ट्यूशन ले रहे कक्षा I-VIII के बच्चे |
26.4% |
30.5% |
सकारात्मक |
कक्षा III के बच्चे (सरकारी या निजी स्कूल) कक्षा II स्तर पर पढ़ने में सक्षम |
27.3% |
20.5% |
नकारात्मक |
जो कम-से-कम जोड़ने-घटाने में सक्षम तीसरी कक्षा के बच्चे |
28.2% |
25.9% |
नकारात्मक |
भारत में कक्षा V के वे बच्चे जो भाग कर सकते हैं |
27.9% |
25.6% |
नकारात्मक |
60 से कम छात्रों के नामांकन वाले सरकारी स्कूल |
29.4% |
29.9% |
नकारात्मक |
औसत शिक्षक उपस्थिति |
85.4% |
87.1% |
सकारात्मक |
लड़कियों के शौचालय की सुविधा वाले स्कूलों की संख्या |
66.4% |
68.4% |
सकारात्मक |
पेयजल उपलब्धता वाले विद्यालय |
74.8% |
76% |
सकारात्मक |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-ओमान सामरिक वार्ता
प्रिलिम्स के लिये:भारत-ओमान सामरिक संवाद, भारत-ओमान संबंध, भारत-प्रशांत, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, अरब सागर, IORA मेन्स के लिये:भारत-ओमान संबंध और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 8वीं भारत-ओमान रणनीतिक वार्ता भारत में आयोजित की गई, जहाँ दोनों देशों ने आतंकवाद, आतंकवाद के प्रचार, साइबर स्पेस के दुरुपयोग और नई उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग की चुनौती से लड़ने के लिये सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- दोनों देश वर्ष 2024 में ओमान में रणनीतिक वार्ता के अगले दौर को आयोजित करने पर सहमत हुए।
संवाद की मुख्य विशेषताएँ:
- दोनों पक्षों ने विश्वास और आपसी सम्मान के आधार पर अपने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिये दोनों देशों के नेतृत्व द्वारा दी गई उच्च प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला।
- द्विपक्षीय रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग, रक्षा एवं क्षेत्रीय सुरक्षा सहित आपसी हित के मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला पर चर्चा हुई।
- दोनों पक्षों ने समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा और संरक्षित करने के महत्त्व को दोहराया।
- दोनों पक्षों ने भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय सहयोग के एक महत्त्वपूर्ण तंत्र के रूप में सामरिक वार्ता के महत्त्व को दोहराया।
भारत-ओमान संबंध के प्रमुख बिंदु:
- पृष्ठभूमि:
- अरब सागर पार के दोनों देश भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं तथा दोनों के मध्य मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध बने हुए हैं, जिसका श्रेय ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंधों को दिया जाता है।
- ओमान सल्तनत खाड़ी में भारत का एक रणनीतिक भागीदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) में एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है।
- दिवंगत सुल्तान, काबूस बिन सईद अल सैद को भारत और ओमान के बीच संबंधों को मज़बूत करने तथा खाड़ी क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देने हेतु गांधी शांति पुरस्कार 2019 दिया गया था।
- रक्षा संबंध:
- संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (Joint Military Cooperation Committee- JMCC):
- JMCC रक्षा के क्षेत्र में भारत और ओमान के बीच जुड़ाव का सर्वोच्च मंच है।
- JMCC की बैठक प्रतिवर्ष आयोजित होती है, लेकिन वर्ष 2018 में ओमान में आयोजित JMCC की 9वीं बैठक के बाद से इसका आयोजन नहीं किया जा सका।
- सैन्य अभ्यास:
- थल सेना अभ्यास: अल नागाह
- वायु सेना अभ्यास: ईस्टर्न ब्रिज
- नौसेना अभ्यास: नसीम अल बह्र
- संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (Joint Military Cooperation Committee- JMCC):
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- ओमान के साथ भारत अपने आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों के विस्तार को उच्च प्राथमिकता देता है। संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) तथा संयुक्त व्यापार परिषद (JBC) जैसे संस्थागत तंत्र भारत व ओमान के बीच आर्थिक सहयोग को मज़बूती प्रदान करते हैं।
- भारत, ओमान के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में से एक है।
- वर्ष 2022 में ओमान के कच्चे तेल के निर्यात हेतु चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है।
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE), संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब के बाद भारत वर्ष 2022 में ओमान के गैर-तेल निर्यात हेतु चौथा सबसे बड़ा बाज़ार है और UAE के बाद आयात का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
- प्रमुख भारतीय वित्तीय संस्थानों की ओमान में उपस्थिति है। भारतीय कंपनियों ने ओमान में लोहा और इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कपड़ा आदि क्षेत्रों में निवेश किया है।
- भारत-ओमान संयुक्त निवेश कोष (India-Oman Joint Investment Fund- OIJIF) जो भारतीय स्टेट बैंक और ओमान के स्टेट जनरल रिज़र्व फंड (SGRF) के बीच एक संयुक्त उपक्रम है तथा भारत में निवेश करने के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन है, का संचालन किया गया है।
- ओमान में भारतीय समुदाय:
- ओमान में करीब 6.2 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें से करीब 4.8 लाख कर्मचारी और पेशेवर हैं। ओमान में 150-200 से अधिक वर्षों से भारतीय परिवार रह रहे हैं।
भारत के लिये ओमान का सामरिक महत्त्व:
- ओमान होर्मुज़ जलसंधि के प्रवेश मार्ग पर स्थित है जिसके माध्यम से भारत अपने तेल आयात का पाँचवाँ हिस्सा आयात करता है।
- मज़बूत भारत-ओमान सामरिक साझेदारी के लिये रक्षा सहयोग एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है। रक्षा संबंधी आदान-प्रदान एक फ्रेमवर्क समझौता ज्ञापन द्वारा निर्देशित होते हैं जिसे हाल ही में वर्ष 2021 में नवीनीकृत किया गया था।
- खाड़ी क्षेत्र में ओमान एकमात्र ऐसा देश है जिसके साथ भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाएँ नियमित द्विपक्षीय अभ्यास करती हैं, इससे पेशेवर स्तर पर घनिष्ठ सहयोग और विश्वास में वृद्धि होती है।
- ओमान हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium -IONS) में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में अपने विस्तार में भारत ने सैन्य उपयोग और रसद समर्थन के लिये ओमान में दुक्म के प्रमुख बंदरगाह तक पहुँच हासिल कर ली है। यह इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव तथा गतिविधियों का सामना करने के लिये भारत की समुद्री रणनीति का हिस्सा है।
- दुक्म बंदरगाह ओमान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है, जो अरब सागर और हिंद महासागर के साथ संपर्क को मज़बूत बनाता है।
- यह ईरान में चाबहार बंदरगाह के निकट स्थित है। दुक्म बंदरगाह, सेशेल्स में अज़म्पशन द्वीप और मॉरीशस में अगालेगा द्वीप भारत के सक्रिय समुद्री सुरक्षा रोडमैप के अनुरूप हैं।
आगे की राह
- भारत के पास अपनी वर्तमान या भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा संसाधन नहीं हैं। तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग ने ओमान जैसे देशों की दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी की आवश्यकता में योगदान दिया है।
- ओमान का दुक्म बंदरगाह पूर्व में पश्चिम एशिया के साथ जुड़ने वाला अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लेन के मध्य में स्थित है।
- भारत को ओमान के साथ जुड़ने और दुक्म बंदरगाह औद्योगिक शहर से उत्पन्न होने वाले अवसरों का उपयोग करने के लिये पहल करने की आवश्यकता है।
- भारत को इस क्षेत्र में रणनीतिक मज़बूती और हिंद महासागर के पश्चिमी तथा दक्षिणी हिस्से में अपने इंडो-पैसिफिक विज़न को बढ़ाने के लिये ओमान के साथ मिलकर काम करना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016) (a) ईरान उत्तर: (a) व्याख्या:
अत: विकल्प (a) सही है। प्रश्न. अनेक बाहरी शक्तियों ने अपने आपको मध्य एशिया में स्थापित कर लिया है, जो कि भारत के हित का क्षेत्र है। इस संदर्भ में भारत के अश्गाबात समझौते में शामिल होने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2018) प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2017) |