मुख्य परीक्षा
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2025 जारी की गई है, जो न्याय प्रदान करने में भारतीय राज्यों की क्षमता और प्रदर्शन का व्यापक मूल्यांकन प्रस्तुत करती है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) क्या है?
- परिचय: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय आवधिक रिपोर्टिंग है जो राज्यों की न्याय प्रदान करने की क्षमता को रैंक करती है।
- मापदंड: यह 5 मापदंडों का उपयोग करके 4 स्तंभों: पुलिस, जेल, न्यायपालिका, विधिक सहायता और SHRC का मूल्यांकन करता है: मानव संसाधन, बुनियादी ढाँचा, बजट, कार्यभार और विविधता।
- राज्यों का वर्गीकरण: निष्पक्ष तुलना के लिये राज्यों को बड़े/मध्यम आकार (> 1 करोड़ जनसंख्या) और छोटे (<1 करोड़) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- समग्र रैंकिंग: कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में शीर्ष पर हैं, जबकि सिक्किम छोटे राज्यों में सबसे आगे है। बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में सबसे अधिक सुधार हुआ है।
- पुलिस में महिलाओं की भागीदारी: महिलाएँ अब भी केवल 8% अधिकारी पदों पर हैं और 4,940 वरिष्ठ IPS पदों में से 1,000 से कम, 90% कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं। हालाँकि, 78% पुलिस स्टेशनों में अब महिला हेल्प डेस्क हैं।
- न्याय प्रदान करने में अंतराल: देश में लगभग 21,000 न्यायाधीश हैं (प्रति दस लाख पर 15 जबकि विधि आयोग द्वारा अनुशंसित 50) तथा उच्च न्यायालयों (33%) और ज़िला न्यायालयों (21%) में रिक्तियाँ बहुत अधिक हैं।
- विधिक सहायता पर प्रति व्यक्ति व्यय मात्र 6 रूपए है तथा न्यायपालिका पर कुल व्यय 182 रूपए प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष है, तथा कोई भी राज्य न्यायपालिका पर अपने बजट का 1% से अधिक आवंटित नहीं करता है।
- पैरालीगल वालंटियर्स (PLV) की संख्या में पिछले पाँच वर्षों में 38% की गिरावट आई है, तथा अब प्रति लाख जनसंख्या पर केवल 3 PLV रह गए हैं।
- विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत प्रशिक्षित PLV, विशेष रूप से ग्रामीण और हाशिये के क्षेत्रों में बुनियादी विधिक सहायता और जागरूकता प्रदान करते हैं।
- पुलिस: भारत के पुलिस बल में जनशक्ति का बड़ा अभाव है, 28% अधिकारियों की कमी है और उनकी उपस्थिति भी कम है (प्रति लाख पर 120 जबकि वैश्विक मानक 222 है), अर्थात प्रत्येक 831 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है।
- तथापि, न्याय के चार स्तंभों में से इसकी प्रति व्यक्ति व्यय (1,275 रूपए) सबसे अधिक है।
- कारागार: भारत के कारागारों में क्षमता से अधिक (131%) कैदी हैं तथा कर्मचारी वर्ग में 28% अधिकारी, 44% रक्षक कर्मी तथा 43% चिकित्सा कर्मी की कमी है।
- डॉक्टर-कैदी अनुपात 1:775 (मानक: 1:300) है, तथा अनुमान है कि वर्ष 2030 तक कैदियों की संख्या क्षमता से 1.65 लाख अधिक हो सकती है।
- इनमें से विचाराधीन कैदी 76% है, जिनमें से अनेक 3 से 5 वर्ष से हिरासत में हैं।
- वर्ष 2024 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जातिवादी प्रावधानों को खत्म करने के बावजूद कारागारों में जाति आधारित पृथक्करण जारी है। पुनर्वास लक्ष्य अभी भी अपूर्ण हैं, जहाँ वर्ष 2022 में केवल 6% कैदियों को शिक्षा और 2% को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
भारत में पुलिस व्यवस्था और न्यायपालिका से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
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भारत में न्यायिक सुधार से संबंधित प्रमुख हालिया पहलें कौन-सी हैं?
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये: न्यायिक सुधार से संबंधित पहलें
निष्कर्ष:
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 सुलभ, कुशल और समावेशी न्याय सुनिश्चित करने में भारत की आकांक्षाओं और चुनौतियों को रेखांकित करती है। डिजिटल साधनों और सुधारों के कार्यान्वयन के बावजूद, मौलिक क्षमता का अभाव अभी भी बना हुआ है। समग्र देश में न्याय वितरण में सुधार करने की दृष्टि से एक व्यापक, अविरत और जवाबदेह दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की पुलिस और न्यायपालिका प्रणाली की प्रायः विलंब करने और इसकी अक्षमताओं के लिये आलोचना की जाती है। उनके समक्ष विद्यमान प्राथमिक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये और यथासमय एवं न्यायसंगत न्याय सुनिश्चित करने के लिये उपायों का सुझाव दीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय न्यायपालिका के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. विविधता, समता और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिये उच्चतर न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की वांछनीयता पर चर्चा कीजिये। (2021) प्रश्न. भारत में उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014' पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2017) |
मुख्य परीक्षा
भारत की व्यापार गतिशीलता
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
टैरिफ तनाव के बीच अग्रिम शिपमेंट के परिणामस्वरूप अमेरिका को भारत का निर्यात 86.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर रहा, जबकि चीन से आयात बढ़कर 113.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो चीन पर बढ़ती निर्भरता और वैश्विक व्यापार गतिशीलता में बदलाव का संकेत है।
भारत के व्यापार प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?
- फ्रंट-लोडिंग रणनीति: निर्यात में हुई तीव्र वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से निर्यातकों को दिया जा सकता है, जिन्होंने अप्रैल में लागू होने वाली प्रत्याशित पारस्परिक टैरिफ वृद्धि से पहले ही शीघ्रता से शिपमेंट का प्रेषण किया।
- मांग और बाज़ार में प्रभुत्व: अमेरिका और ब्रिटेन जैसे प्रमुख बाज़ारों में भारत की निर्यात हिस्सेदारी में क्रमशः 13.73% और 14.31% की वृद्धि हुई, जो मांग में वृद्धि और बाज़ार में विस्तार का संकेत है।
- निर्यात में क्षेत्रवार वृद्धि: इस वृद्धि में प्रमुख योगदान इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र का रहा, जिसमें निर्यात में 32% की वृद्धि दर्ज की गई, जो मुख्य रूप से स्मार्टफोन शिपमेंट में बढ़ोतरी के कारण हुई, जिससे कुल निर्यात 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- कॉफी निर्यात में 40% की वृद्धि हुई और यह 1.8 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। इसकी मांग में हुई तीव्र वृद्धि का कारण ब्राज़ील में, जो विश्व के शीर्ष कॉफी उत्पादकों में से एक है, अनावृष्टि और उच्च तापमान के कारण वैश्विक आपूर्ति में उत्पन्न हुए व्यवधान था।
- सेवा निर्यात: वित्त वर्ष 2025 के दौरान यह 12.45% की वृद्धि के साथ बढ़कर 383.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। सेवाओं का आयात 195.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर रहने के साथ, भारत ने अपने सेवा व्यापार में एक महत्त्वपूर्ण अधिशेष बनाए रखा।
भारत का व्यापार परिदृश्य:
- कुल निर्यात: वित्त वर्ष 2024-25 में 820 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 5.5-6% की वृद्धि है।
- अप्रैल-फरवरी 2025 के लिये व्यापारिक निर्यात 395.63 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है, पूरे वर्ष का अनुमान लगभग 438 बिलियन अमरीकी डॉलर है।
- कुल आयात: वित्त वर्ष 2024-25 के लिये 915 बिलियन अमेरिकी डॉलर अनुमानित है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 675.44 बिलियन अमेरिकी डॉलर (पण्य) से 6.9% अधिक है, जो कमोडिटी की उच्च कीमतों और मांग को दर्शाता है।
- अप्रैल-फरवरी 2025 के लिये सेवाओं का निर्यात 354.90 बिलियन अमरीकी डॉलर दर्ज किया गया, जिसका पूर्ण वर्ष अनुमान 382-383 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 341.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से 12% की मज़बूत वृद्धि को दर्शाता है।
- व्यापार घाटा: वित्त वर्ष 2024-25 के लिये 94 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है, जो आयात में कमी और सेवा निर्यात वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2023-24 के 238.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम है।
भारत के व्यापार बास्केट का क्षेत्रीय प्रदर्शन क्या है?
- प्रमुख निर्यात क्षेत्र:
- भारत के निर्यात बास्केट में पेट्रोलियम उत्पादों का सबसे बड़ा योगदान है। वर्ष 2023 में, भारत ने 55.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का परिष्कृत पेट्रोलियम निर्यात किया, जिससे यह विश्व में परिष्कृत पेट्रोलियम का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया।
- 25% योगदान देने वाले इंजीनियरिंग सामान में मज़बूत वृद्धि देखी गई है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स, विशेष रूप से स्मार्टफोन में वित्त वर्ष 2020 से 151% की वृद्धि हुई है।
- मसाले और कृषि उत्पाद महत्त्वपूर्ण बने हुए हैं, भारत 180 से अधिक देशों को 225 मसाला उत्पादों का निर्यात करता है।
- प्रमुख आयात क्षेत्र:
- भारत के आयात में कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का प्रभुत्व है, जो आयात का 32% है, जो देश की 80% से अधिक आयातित ऊर्जा पर निर्भरता को दर्शाता है।
- सांस्कृतिक मांग के कारण अप्रैल 2024 में सोने के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जबकि विनिर्माण क्षेत्र के लिये आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी का आयात 11.7% रहा।
भारत के व्यापार घाटे को दूर करने के लिये प्रमुख उपाय क्या हैं?
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UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न: भुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन चालू खाता प्रदर्शित करता है/गठन करता है? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: C प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से पूँजीगत लेखा की रचना करते हैं? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) 1, 2 और 3 उत्तर: B मेन्सप्रश्न: सोने के लिये भारतीयों के उन्माद ने हाल के वर्षों में सोने के आयात में प्रोत्कर्ष (उछाल) उत्पन्न कर दिया है और भुगतान-संतुलन और रुपए के बाह्य मूल्य पर दबाव डाला है। इसको देखते हुए, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के गुणों का परीक्षण कीजिये। (2015) |