डेली न्यूज़ (18 Jul, 2022)



भारत और बेलारूस

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-बेलारूस, UNSC, NSG, NAM।

मेन्स के लिये:

भारत-बेलारूस संबंध और आगे की राह।

चर्चा में क्यों?

भारत ने 3 जुलाई, 2022 को बेलारूस को उसकी 78वीं स्वतंत्रता जश्न के अवसर पर बधाई दी।

Belarus

भारत-बेलारूस संबंध:

  • राजनयिक संबंध:
    • बेलारूस के साथ भारत के संबंध परंपरागत रूप से मधुर और सौहार्दपूर्ण रहे हैं।
    • भारत, वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद बेलारूस को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
  • बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन:
  • व्यापक भागीदारी:
    • दोनों देशों के बीच एक व्यापक साझेदारी है और विदेश कार्यालय परामर्श (FOC), अंतर-सरकारी आयोग (IGC), सैन्य तकनीकी सहयोग पर संयुक्त आयोग के माध्यम से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिये तंत्र स्थापित किया गया है।
    • दोनों देशों ने व्यापार और आर्थिक सहयोग, संस्कृति, शिक्षा, मीडिया एवं खेल, पर्यटन, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, कृषि, वस्त्र, दोहरे कराधान से बचाव, निवेश को बढ़ावा देने व संरक्षण सहित रक्षा एवं तकनीकी सहयोग जैसे विभिन्न विषयों पर कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • व्यापार और वाणिज्य:
    • आर्थिक क्षेत्र में वर्ष 2019 में वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार कारोबार 569.6 मिलियन अमेरिकी डाॅलर का था।
    • वर्ष 2015 में भारत ने बेलारूस को बाज़ार अर्थव्यवस्था का दर्जा दिया और 100 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की ऋण सहायता से भी आर्थिक क्षेत्र के विकास में मदद मिली है।
      • बाज़ार अर्थव्यवस्था का दर्जा बेंचमार्क के रूप में स्वीकार किये गए वस्तु का निर्यात करने वाले देश को दिया जाता है। इस स्थिति से पहले देश को गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था (NME) के रूप में माना जाता था
    • बेलारूसी व्यवसायियों को 'मेक इन इंडिया' परियोजनाओं में निवेश करने के लिये भारत के प्रोत्त्साहन का लाभ मिल रहा है।
  • भारतीय प्रवासी:
    • बेलारूस में भारतीय समुदायं के लगभग 112 भारतीय नागरिक और 906 भारतीय छात्र हैं जो बेलारूस में राज्य चिकित्सा विश्वविद्यालयों में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे हैं।
    • भारतीय कला और संस्कृति, नृत्य, योग, आयुर्वेद, फिल्म आदि बेलारूसी नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं।
      • कई युवा बेलारूसवासी भी हिंदी और भारत के नृत्य रूपों को सीखने में गहरी रुचि रखते हैं।

आगे की राह:

  • वैश्विक भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक आकर्षण केंद्र के एशिया में क्रमिक बदलाव को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ सहयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश के लिये अतिरिक्त अवसर पैदा करता है।
  • बेलारूस को विविधतापूर्ण एशिया में कई भौगोलिक उप-क्षेत्रों के साथ संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है। दक्षिण एशिया में भारत ऐसे स्तंभों में से एक बन सकता है, लेकिन बेलारूसी पहल निश्चित रूप से भारत के राष्ट्रीय हितों और धार्मिक उद्देश्यों (National Interests and Sacred Meanings) के "मैट्रिक्स" में आनी चाहिये।
  • साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के लिये कुछ छिपे हुए आरक्षण भी हैं। बेलारूस भारतीय दवा कंपनियों हेतु यूरेशियन बाज़ार में "प्रवेश बिंदु" बन सकता है।
  • साझा विकास सहित सैन्य और तकनीकी सहयोग की संभावना का पूरी तरह से खुलासा नहीं किया गया है। यह सिनेमा (बॉलीवुड) भारतीय व्यापार समुदाय और पर्यटकों के हित को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति (आयुर्वेद + योग) के आधार पर बेलारूस में स्थापित किये जा रहे मनोरंजन केंद्रों द्वारा पर्यटन और चिकित्सा सेवाओं के निर्यात में अतिरिक्त वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है।
  • आपसी हित बढ़ाने के लिये नए नवोन्मेषी विकास बिंदुओं की स्थापना तथा सफल विचारों को प्रोत्साहित करना और सक्रिय विशेषज्ञ कूटनीति संचार का प्रमुख महत्त्व है।

विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ावा देने के उपाय

प्रिलिम्स के लिये:

फॉरेक्स, सीआरआर, एसएलआर, ईसीबी, आरबीआई।

मेन्स के लिये:

विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ावा देने के उपाय।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय रुपए के मूल्यह्रास को देखते हुए विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ाने के उपाय किये हैं।

RBI द्वारा विदेशी मुद्रा को बढ़ावा देने के उपाय:

  • चालू वित्त वर्ष (2022-23) के दौरान अब तक जारी भू-राजनीतिक तनाव के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 4.1 फीसदी की गिरावट आई है।
    • चालू वित्त वर्ष (2022-23) में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 4.1% गिरकर 79.30 हो गया है।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने छह महीने में 2.32 लाख करोड़ रुपए निकाले हैं।
  • पिछले 9 महीनों में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी के साथ 593.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गया है।

विदेशी मुद्रा रिज़र्व

  • परिचय:
    • विदेशी मुद्रा भंडार का आशय केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से है, जिसमें बाॅण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
    • गौरतलब है कि अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आरक्षित किये जाते हैं।
  • भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं:

उपाय :

  • FPI निवेश:
  • उच्च प्राप्ति (रिटर्न):
    • RBI ने बैंकों को विदेशी मुद्रा जमा पर अधिक रिटर्न देने की अनुमति दी है, जिस पर उन्हें कोई भंडार नहीं रखना होगा।
      • तुलनीय घरेलू रुपया सावधि जमा पर बैंकों द्वारा दी जाने वाली ब्याज़ दरें अधिक नहीं होनी चाहिये।
  • ECB के तहत छूट:
    • कॉरपोरेट्स के लिये बाहरी वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing- ECB) को नियंत्रित करने वाले नियमों में ढील दी गई है, स्वचालित मार्ग को दोगुना करके 1.5 बिलियन अमेरिकी डाॅलर और उधार लेने की लागत पर 1% बढ़ा दिया गया है।
      • ECB भारत में अनिवासी उधारदाताओं द्वारा विदेशी मुद्रा में भारतीय उधारकर्त्ताओं को दिये गए ऋण हैं। भारतीय निगमों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ( PSU) द्वारा विदेशी धन तक पहुँच की सुविधा के लिये इसका उपयोग किया जाता है।
  • निर्यात कर:
  • FCNR (B) और NRI जमाराशियों पर छूट:
    • अनिवासी भारतीयों (NRI) को FCNR (B) और NRI जमा में भारत में विदेशी मुद्रा लाने के लिये उच्च रिटर्न मिलेगा क्योंकि नवीनतम ज़मा के लिये दरों की सीमा हटा दी गई है।
      • FCNR (B) विदेशी मुद्रा अनिवासी जमा (विदेशी मुद्रा मूल्यवर्ग) हैं, जबकि NRI जमा अनिवासी बाह्य जमा हैं।

बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowings)

  • परिचय:
    • ECB एक गैर-निवासी ऋणदाता से न्यूनतम औसत परिपक्वता के लिये भारतीय इकाई द्वारा प्राप्त किया गया ऋण है।
    • इनमें से अधिकतर ऋण विदेशी वाणिज्यिक बैंक खरीदारों के क्रेडिट, आपूर्तिकर्त्ताओं के क्रेडिट, फ़्लोटिंग रेट नोट्स और फिक्स्ड रेट बाॅण्ड इत्यादि जैसे सुरक्षित उपकरणों द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
  • ECB के लाभ:
    • यह बड़ी मात्रा में धन उधार लेने का अवसर प्रदान करता है।
    • इससे प्राप्त धन अपेक्षाकृत लंबी अवधि के लिये उपलब्ध होता है।
    • घरेलू धन की तुलना में ब्याज दर भी कम होती है।
    • यह विदेशी मुद्राओं के रूप में होता है। इसलिये यह मशीनरी के आयात को पूरा करने के लिये कॉर्पोरेट को विदेशी मुद्रा रखने में सक्षम बनाता है।
    • कॉर्पोरेट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्रोतों, जैसे- बैंक, निर्यात क्रेडिट एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाज़ार इत्यादि से ECB बढ़ा सकते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस


टीकाकरण कवरेज में गिरावट

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), डिप्थीरिया, टेटनस, और पर्टुसिस (डीपीटी) गहन मिशन इंद्रधनुष।

मेन्स के लिये:

डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (डीपीटी), सघन मिशन इंद्रधनुष।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के वैश्विक स्तर पर एवं भारत में टीकाकरण कार्यक्रमों पर पड़ने वाले प्रभाव को उजागर किया गया है।

  • DPT वैक्सीन को पूरे देश में टीकाकरण कवरेज के लिये प्रेरक माना जाता है।

डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (DPT):

  • डिप्थीरिया:
    • कारण:
      • डिप्थीरिया मुख्य रूप से कोरिनबैक्टीरियम डिप्थीरिया जीवाणु के कारण होता है।
    • लक्षण:
      • सामान्य सर्दी, बुखार, ठंड लगना, गर्दन में सूजन ग्रंथि, गले में खराश, नीली त्वचा आदि।
    • प्रसार:
      • यह मुख्य रूप से खाँसने और छींकने या किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से फैलता है।
    • लक्षित जनसंख्या:
      • डिप्थीरिया विशेष रूप से 1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
      • पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में डिप्थीरिया के मामलों की घटना प्राथमिक डिप्थीरिया टीकाकरण के कम कवरेज को दर्शाती है।
  • टेटनस:
    • कारण:
      • टेटनस जीवाणु क्लोस्ट्रीडियम टेटानी के बीजाणुओं के साथ कट या घाव के संक्रमण के माध्यम से फैलते हैं और ज़्यादातर मामले संक्रमण के 14 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं। यह रोग मिट्टी में रहने वाले बैक्टीरिया से घावों के प्रदूषित होने के कारण होता है।
    • रोकथाम:
      • टेटनस-टॉक्सोइड-युक्त टीके (TTCV) के साथ टीकाकरण के माध्यम से टेटनस को रोका जा सकता है। हालाँकि जो लोग टेटनस से ठीक हो जाते हैं उनमें प्राकृतिक प्रतिरक्षा नहीं होती है और वे फिर से संक्रमित हो सकते हैं।
    • लक्षण:
      • जबड़े में ऐंठन या मुँह खोलने में असमर्थता।
      • पीठ, पेट और हाथ-पाँव में अक्सर मांसपेशियों में ऐंठन।
      • अचानक मांसपेशियों में दर्दनाक ऐंठन शुरू होती है।
      • दौरे पड़ना।
  • पर्टुसिस:
    • कारण:
      • पर्टुसिस, जिसे काली खाँसी के रूप में भी जाना जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन संक्रमण है जो जीवाणु बोर्डेटेला पर्टुसिस के कारण होता है। वर्ष 2018 में विश्व स्तर पर पर्टुसिस के 151000 से अधिक मामले थे।
      • यह रोग शिशुओं के लिये सबसे खतरनाक है और इस आयु वर्ग में बीमारी एवं मृत्यु का एक महत्त्वपूर्ण कारण है।
    • प्रसार:
      • पर्टुसिस मुख्य रूप से खांसने या छींकने से उत्पन्न बूंँदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2020 में तीन मिलियन बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (DPT) वैक्सीन की पहली खुराक नहीं मिली।
  • दुनिया भर में DPT वैक्सीन की तीन खुराक प्राप्त करने वाले बच्चों के प्रतिशत में 2019 और 2021 के बीच पांँच प्रतिशत अंकों की गिरावट आई है।
    • दुनिया भर में मात्र 8% कवरेज के साथ यह बच्चों के टीकाकरण में सबसे बड़ी निरंतर गिरावट है।
  • अकेले वर्ष 2021 में विश्व स्तर पर लगभग 25 मिलियन बच्चे या अधिक DPT वैक्सीन की खुराक लेने से छूट गए, जो कि वर्ष 2020 में छूटने वालों की तुलना में दो मिलियन अधिक और वर्ष 2019 की तुलना में छह मिलियन अधिक हैं।
  • वर्ष 2021 में 24 मिलियन से अधिक बच्चे खसरे के टीके की अपनी पहली खुराक लेने से छूट गए, जो वर्ष 2019 की तुलना में पांँच मिलियन अधिक हैं।
  • वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में 6.7 मिलियन से अधिक बच्चे पोलियो वैक्सीन की तीसरी खुराक लेने से छूट गए और 3.5 मिलियन बच्चे ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) वैक्सीन की पहली खुराक लेने से छूट गए, जो लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाता है।
  • टीकों के कवरेज में हर क्षेत्र में गिरावट देखी गई, जबकि पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज़ उलटफेर दर्ज किया गया:
    • वर्ष 2021 में 25 मिलियन बच्चों में से लगभग 18 मिलियन, जिन्हें एक भी DPT खुराक नहीं मिली, वे निम्न और मध्यम आय वाले देशों से हैं, जिनमें भारत, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, इथियोपिया एवं फिलीपींस में सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है।
    • म्यांँमार और मोज़ाम्बिक में उन बच्चों की संख्या में सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई, जिन्हें वर्ष 2019 तथा वर्ष 2021 के बीच एक भी टीका नहीं लगा।

गिरावट का कारण:

  • प्रतिरक्षण कवरेज में गिरावट की अनेक वजहें थीं जैसे संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि और नाजुक स्थिति जहाँ टीकाकरण पहुँच अक्सर चुनौतीपूर्ण होती है।
  • यह सोशल मीडिया पर टीकाकरण के संबंध में भ्रामक सूचनाओं और कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं तथा आपूर्ति शृंखला में व्यवधान, प्रतिक्रिया प्रयासों के लिये संसाधन मोड, रोकथाम के उपायों के कारण भी था जिसने टीकाकरण सेवा की पहुँच व उपलब्धता को सीमित किया।

भारत का प्रदर्शन

  • भारत अपने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से सालाना 30 मिलियन से अधिक गर्भवती महिलाओं और 27 मिलियन बच्चों का टीकाकरण करता है।
  • भारत ने सघन मिशन इंद्रधनुष0 जैसे कैच-अप कार्यक्रम शुरू करके अपने आपको और पीछे होने से रोका, जिसने वर्ष 2021 में पहली खुराक छोड़ने वाले बच्चों की संख्या को 3 मिलियन से 2.7 मिलियन तक कम करने में मदद की, जबकि वर्ष 2019 की तुलना में 1.4 मिलियन बच्चों को पहली खुराक नहीं मिली थी।
  • भारत ने नियमित टीकाकरण सेवाओं की शीघ्र बहाली के साथ-साथ साक्ष्य-आधारित कैच-अप कार्यक्रमों द्वारा कवरेज में गिरावट को प्रभावी ढंग से टाला, जिसने इसे नियमित टीकाकरण कवरेज में गिरावट से बचने में सक्षम बनाया।
  • भारत ने टीकाकरण से चूक गई हर गर्भवती महिला और बच्चे का टीकाकरण करने के उद्देश्य से फरवरी 2022 में सघन मिशन इंद्रधनुष0 भी शुरू किया।

संबंधित वैश्विक पहल:

  • वैश्विक प्रतिरक्षण रणनीति 2030 (IA2030):
    • यह सभी देशों और प्रासंगिक वैश्विक भागीदारों के लिये एक रणनीति है, जिसका उद्देश्य हर किसी के, हर जगह, किसी भी उम्र में टीकाकरण और वैक्सीन वितरण के माध्यम से रोग की रोकथाम करना है।
    • WHO और UNICEF वैश्विक प्रतिरक्षण रणनीति एजेंडा 2030 (IA2030) को लागू करने के लिये Gavi, वैक्सीन एलायंस एवं अन्य भागीदारों के साथ सहयोग कर रहे हैं।
  • विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह:
    • प्रतिवर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ‘विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह’ मनाया जाता है।
    • इसका उद्देश्य सभी उम्र के लोगों को बीमारी से बचाने हेतु टीकों के उपयोग को बढ़ावा देना है।
    • टीकाकरण उस प्रक्रिया को वर्णित करता है, जिससे लोग सूक्ष्मजीवों (औपचारिक रूप से रोगजनकों) से होने वाले संक्रामक बीमारी से सुरक्षित रहते हैं। ‘टीका’ शब्द टीकाकरण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री को संदर्भित करता है।

आगे की राह

  • नियमित टीकाकरण से चूकने की समस्या को संबोधित करने के लिये टीकाकरण के प्रयासों को तेज़ करने की आवश्यकता है, इससे  प्रक्रिया में छूटे हुए बच्चों तक पहुँचने के लिये वंचित क्षेत्रों में सेवाओं का विस्तार करने और प्रकोप को रोकने के लिये अभियानों को लागू करने की आवश्यकता है।
  • इसके अलावा, टीकों और टीकाकरण प्रक्रिया में विश्वास बनाने, अफवाहों का मुकाबला करने और विशेष रूप से कमज़ोर समुदायों के बीच टीके के लिये साक्ष्य-आधारित, जन-केंद्रित रणनीतियों को लागू करने की आवश्यकता है।
  • इन कार्यक्रमों के अधिकतम प्रभाव के लिये  आवश्यक डेटा और निगरानी प्रदान करने हेतु स्वास्थ्य सूचना एवं रोग निगरानी प्रणाली को मज़बूत बनाने की भी आवश्यकता है।

UPSC विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन इंद्रधनुष' किससे संबंधित है? (2016)

(a) बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण
(b) देश भर में स्मार्ट शहरों का निर्माण
(c) बाहरी अंतरिक्ष में पृथ्वी सदृश ग्रहों के संदर्भ में भारत की खोज़
(d) नई शिक्षा नीति

उत्तर: A

व्याख्या:

  • मिशन इंद्रधनुष 25 दिसंबर, 2014 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक टीकाकरण योजना है।
  • इंद्रधनुष के सात रंगों को दर्शाते हुए, इसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक उन सभी बच्चों को कवर करना है, जो या तो अशिक्षित हैं या जिन्हें डिप्थीरिया, काल खाँसी, टेटनस, पोलियो, तपेदिक, खसरा और हेपेटाइटिस B सहित सात टीकों से बचाव योग्य बीमारियों के खिलाफ आंशिक रूप से टीका लगाया गया है।
  • यह मिशन तकनीकी रूप से WHO, यूनिसेफ, रोटरी इंटरनेशनल और अन्य दाता भागीदारों द्वारा समर्थित है।

 अतः  विकल्प A सही  है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


हरित ग्रिड पहल

प्रिलिम्स के लिये:

हरित ग्रिड पहल, वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड, सौर ऊर्जा, सोलर पैनल, सोलर पंप, सीओपी, नवीकरणीय क्षेत्र, आईएसए, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, हीटवेव्स।

मेन्स के लिये:

अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये भारत की पहल, देश की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक समूहों का महत्त्व, OSOWOG में चुनौतियाँ और अवसर।

संदर्भ:

मई 2021 में भारत और यूनाइटेड किंगडम ने CoP26 में हरित ग्रिड पहल (GGI) को लॉन्च करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी;  हालाँकि अपशिष्ट निपटान के मुद्दों के कारण इस पहल के कार्यान्वयन में पर्यावरणीय लागत में वृद्धि की समस्या उत्पन्न होने की आशंका जताई गई है ।

वन सन,वन वर्ल्ड, वन ग्रिड:

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के तहत भारत ने यूनाइटेड किंगडम के साथ साझेदारी में हरित ग्रिड पहल- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (GGI-OSOWOG) की शुरुआत की घोषणा की है।
  • उद्देश्य:
    • ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ की अवधारणा 'द सन नेवर सेट्स' यानी ‘सूरज कभी अस्त नहीं होता’ और यह किसी भी भौगोलिक स्थान पर, विश्व स्तर पर, किसी भी समय स्थिर रहता है, के विचार पर ज़ोर देती है।
    • इस पहल का उद्देश्य नवीकरणीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग पर वैश्विक सहयोग के लिये एक ढाँचा तैयार करना और यह सुनिश्चित करने में मदद करना है कि सभी देशों के लिये वर्ष 2030 तक स्वच्छ एवं कुशल ऊर्जा की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एक विश्वसनीय विकल्प मौजूद हो।
    • इस परियोजना के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा का दोहन करने और अक्षय ऊर्जा के संक्रमण में तेज़ी लाने के लिये एक वैश्विक इंटरकनेक्टेड बिजली ग्रिड का निर्माण करने की बात कही गई।
    • इस पहल के माध्यम से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में 80 से अधिक देशों को सूरज की रोशनी के विभिन्न स्तरों से जोड़ने की उम्मीद है। एक संक्रमणकालीन प्रणाली सूर्य के प्रकाश के निम्न स्तर वाले देशों को इसकी अधिकता वाले क्षेत्रों से ऊर्जा प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।
  • ग्रिड कनेक्शन के विभिन्न चरण:
    • मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई (MESASEA) ग्रिड के साथ भारतीय ग्रिड का इंटरकनेक्शन।।
    • MESASEA ग्रिड का अफ्रीकी पावर ग्रिड के साथ इंटरकनेक्शन।
    • अंत में, वैश्विक इंटरकनेक्टिविटी।

GGI-OSOWOG का महत्त्व

  • यह पहल सीमा पार नवीकरणीय ऊर्जा हस्तांतरण परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने में मदद करने के लिये अधिक तकनीकी, वित्तीय और अनुसंधान सहयोग प्रदान करेगी, जो OSOWOG को वैश्विक बुनियादी ढाँचा प्रदान करेगा।
  • यह स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित दुनिया के लिये आवश्यक नए बुनियादी ढाँचे के निर्माण में तेज़ी लाने के लिये राष्ट्रीय सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय और तकनीकी संगठनों, व्यवस्थापकों तथा बिजली ऑपरेटरों के संगठनों के बीच मजबूती प्रदान करेगी।
  • यह परस्पर लाभ और वैश्विक स्थिरता के लिये साझा किये जाने वाले परस्पर नवीकरणीय ऊर्जा के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से तेज़ी से विकास सुनिश्चित करेगी।
  • यह कम कार्बन, नवीन सौर परियोजनाओं की दिशा में गति और निवेश का एक पूल प्रदान करेगी तथा कुशल श्रमिकों को सौर ऊर्जा संचालित आर्थिक सुधार के लिये एक साथ लाएगी। यह निवेश को भी बढ़ावा दे सकती है और लाखों नई हरित नौकरियाँ पैदा कर सकती है।
  • इससे सभी सहभागी संस्थाओं के लिये कम परियोजना लागत, उच्च दक्षता और बढ़ी हुई संपत्ति का उपयोग होगा।
  • इसके परिणामस्वरूप आर्थिक लाभ सकारात्मक रूप से गरीबी उन्मूलन और पानी, स्वच्छता, भोजन एवं अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को कम करने में सहायता मिलेगी।
  • भारत में राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक प्रबंधन केंद्रों के रूप में विकसित होने में मदद मिलेगी।

भारत के लिये GGI-OSOWOG में चुनौतियाँ और अवसर:

  • चुनौतियाँ:
    • GGI का दस्तावेज़ीकरण देश में मौजूदा सौर ऊर्जा बुनियादी ढाँचे की दक्षता में सुधार पर टिप्पणी नहीं करता है।
    • अधिकांश सौर ऊर्जा अवसंरचनाएँ रेगिस्तानी क्षेत्रों में स्थित हैं, जो पैनलों पर धूल जमा करती हैं।
    • धूल की एक परत सौर ऊर्जा रूपांतरण दक्षता को 40% तक कम कर देती है।
    • सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ जैसे- बैटरी और पैनल ऊर्जा-गहन कच्चे माल तथा कई रसायनों एवं भारी धातुओं का उपयोग करते हैं जिन्हें सही ढंग से संभालने और निपटाने की आवश्यकता होती है।
    • यह मौजूदा बुनियादी ढाँचे को पुन: चक्रित करने और पुनर्व्यवस्थित करने के लिये रणनीतियों को परिभाषित नहीं करता है, जो कि चक्रीय अर्थव्यवस्था लेंस के माध्यम से देखने के लिये एक रोमांचक तरीका हो सकता है।
    • सोलर पैनल की लाइफ 20-25 वर्ष होती है, इसलिये कचरे की समस्या भविष्य में चुनौती बन सकती है।
  • अवसर:
    • थर्मल ऊर्जा पर निर्भर देश होने के नाते भारत कई क्षेत्रों में हीटवेव (जब मांग बढ़ जाती है) और कोयले की कमी के कारण विद्युत की गंभीर कमी का सामना करता है।
      • GGI थर्मल पावर प्लांटों को सौर ऊर्जा में बदलकर पारंपरिक ऊर्जा प्रणाली को बदल सकता है, जिससे भारत चरम मौसमी स्थिति के प्रति अधिक लचीला और जीवाश्म ईंधन पर कम निर्भर हो सकता है।
    • सौर ऊर्जा ग्रामीण भारत में लाखों लोगों के जीवन में सुधार कर रही है, जिससे वे पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों से अपने जीवन स्तर में सुधार करने में सक्षम हो रहे हैं।
      • इसका एक उदाहरण भूजल निकालने के लिये सौर ऊर्जा से चलने वाले कृषि पंप (पीएम-कुसुम) का कार्यान्वयन है, जो पारंपरिक डीज़ल पंपों की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल हैं।
        • भारत में डज़जल पंपों की संख्या एक करोड़ है।
        • ऐसा अनुमान है कि 10 लाख डीज़ल पंपों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों में बदलने से कृषि उत्पादन में 30,000 करोड़ रुपए का लाभ हो सकता है, साथ ही डीज़ल के उपयोग को भी कम किया जा सकता है।
      • GGI का कार्यान्वयन कई अन्य क्षेत्रों में ग्रामीण समुदायों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स तक पहुंँच, स्वच्छ पेयजल आदि।

आगे की राह

  • सौर ऊर्जा की पर्यावरणीय लागत, दक्षता के मुद्दे, रूपांतरण और हस्तांतरण के कारण ऊर्जा की हानि, तथा अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या आदि ऐसी बाधाएंँ हैं जिन्हें कार्यान्वयन निकायों द्वारा तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है।
  • भारत में अपशिष्ट निपटान के मुद्दों के कारण GGI के कार्यान्वयन में पर्यावरणीय लागत बढ़ जाती है।
    • मौजूदा बुनियादी ढांँचे के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण के लिये विशिष्ट प्रणालियों को विकसित करके इन बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।
  • भारत में पहल को सफल बनाने के लिये पहल की लागतों और लाभों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
    • इसके संशोधनों की योजना उन तरीकों से बनाने की आवश्यकता है जो देश की आवश्यकताओं और संसाधन क्षमताओं के अनुरूप हों।
  • बहु-देशीय ग्रिड परियोजना की महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिये संस्थान निर्माण महत्त्वपूर्ण है।
    • इस संदर्भ में इंटरनेशनल सोलर एलायंस (ISA) एक स्वतंत्र सुपरनेशनल संस्थान के रूप में कार्य कर सकता है ताकि यह निर्णय लिया जा सके कि ग्रिड को कैसे चलाया जाना चाहिये और विवादों का निपटारा कैसे किया जाना चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):

प्रश्न. सौर जल पंपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. सौर ऊर्जा का प्रयोग पृष्ठीय पंपों को चलाने के लिये हो सकता है, निमज्जनी (submersible) पंपों के लिये नहीं।
  2. सौर ऊर्जा का प्रयोग अपकेंद्री पंपों को चलाने के लिये हो सकता है और पिस्टन वाले पंपों के लिये नहीं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • सोलर पंपिंग सिस्टम में मुख्य घटकों में एक फोटोवोल्टिक (PV) सरणी, एक इलेक्ट्रिक मोटर और एक पंप शामिल है।
  • उनके कार्यात्मक तंत्र के आधार पर कई अलग-अलग प्रकार के सौर-संचालित पंप हैं लेकिन मुख्य रूप से चार प्रकार के सौर जल पंप हैं - सबमर्सिबल पंप, पृष्ठीय पंप, दिष्ट धारा (DC) पंप और प्रत्यावर्ती धारा (AC) पंप। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • सौर ऊर्जा का उपयोग अपकेंद्री और पिस्टन पंप दोनों को चलाने के लिये किया जा सकता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।

अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।

स्रोत : डाउन टू अर्थ


जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप

प्रिलिम्स के लिये:

जेम्स वेब टेलीस्कोप, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, हबल टेलीस्कोप, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी। 

मेन्स के लिये:

जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा ब्रह्मांड के बारे में की गई नई खोज। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की सहायता से  आकाश के पाँच अलग-अलग क्षेत्रों की छवियों का एक सेट जारी किया। 

  • इसमें एक आकाशगंगा समूह शामिल है जो आज से करीब 4.6 अरब साल पहले दिखाई दिया था। 
  • यह अब तक खोजी गई कुछ सबसे दूर और सबसे पुरानी आकाशगंगाओं की सबसे गहरी एवं बेहतरीन अवरक्त छवि है। 
  • ये विशेषताएँ वैज्ञानिकों को इन प्राचीन आकाशगंगाओं के द्रव्यमान, आयु, इतिहास और संरचना  के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में सहायता करेंगी। 

James-Webb-Space-Telescope

 जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप:  

  • परिचय:  
    •  यह टेलीस्कोप नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का परिणाम है जिसे दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था। 
    • यह वर्तमान में अंतरिक्ष में एक बिंदु पर है जिसे सूर्य-पृथ्वी L2 लैग्रेंज बिंदु के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। 
      • लैग्रेंज प्वाइंट 2 पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के कक्षीय तल के पाँच बिंदुओं में से एक है। 
      • इतालवी- फ़्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया यह बिंदु पृथ्वी और सूर्य जैसे किसी भी घूर्णन करने वाले दो पिंडों में विद्यमान होते हैंं जहाँ दो बड़े निकायों के गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को संतुलित  कर देते हैं। 
      • इन स्थितियों में रखी गई वस्तुएँ अपेक्षाकृत स्थिर होती हैं और उन्हें वहाँ रखने के लिये न्यूनतम बाहरी ऊर्जा या ईंधन की आवश्यकता होती है, अन्य कई  उपकरण यहाँ पहले से स्थापित हैं। 
    • यह अब तक का सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली इन्फ्रारेड स्पेस टेलीस्कोप है। 
    • यह हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी है। 
    • यह इतनी दूर आकाशगंगाओं की तलाश में बिग बैंग के ठीक बाद के समय में अतीत की ओर देख सकता है जिस प्रकाश को उन आकाशगंगाओं से हमारी दूरबीनों तक पहुँचने में कई अरब वर्ष लग गए। 
  • उद्देश्य:. 
    • यह ब्रह्मांड के अतीत के हर चरण की जाँच करेगा: बिग बैंग से लेकर आकाशगंगाओं, तारों और ग्रहों के निर्माण से लेकर हमारे अपने सौर मंडल के विकास तक। 
    • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की थीम्स को चार विषयों में बाँटा जा सकता है। 
      • पहला, यह लगभग 13.5 बिलियन वर्ष पीछे मुड़कर देखें तो प्रारंभिक ब्रह्मांड के अंधेरे से पहले सितारों और आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ। 
      • दूसरा, सबसे कमज़ोर, आरंभिक आकाशगंगाओं की तुलना आज के भव्य सर्पिलों से करना और यह समझना कि आकाशगंगाएँं अरबों वर्षों में कैसे एकत्रित होती हैं। 
      • तीसरा, यह देखने के लिये कि तारे और ग्रह प्रणालियाँ कहाँ पैदा हो रही हैं। 
      • चौथा, एक्स्ट्रासोलर ग्रहों (हमारे सौरमंडल से परे) के वातावरण का निरीक्षण करने के लिये एवं शायद ब्रह्मांड में कहीं और जीवन के निर्माण खंडों का पता लगाए। 

हबल और जेम्स वेब टेलीस्कोप:  

  • तरंग दैर्ध्य: 
    • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जिसे JWST या वेब भी कहा जाता है) मुख्य रूप से इन्फ्रारेड रेंज में निरीक्षण के साथ 0.6 से 28 माइक्रोन तक कवरेज प्रदान करेगा। 
    • हबल के उपकरण मुख्य रूप से स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी और दृश्य भाग में देखते हैं। यह इन्फ्रारेड में 0.8 से 2.5 माइक्रोन तक केवल एक छोटी सी सीमा का निरीक्षण कर सकता है। 
  • कक्ष: 
    • वेब टेलीस्कोप पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करेगा। यह पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर सूर्य की परिक्रमा करेगा। 
    • हबल इससे 575 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। 
  • अवलोकन: 
    • नासा के अनुसार, हबल सभी आकाशगंगाओं में सबसे छोटी और नवीनतम आकाशगंगाओं को देख सकता है। 
    • वेब नई आकाशगंगाओं को भी देख सकेगा।  
    • वेब के निकट और मध्य-अवरक्त उपकरण पहले गठित आकाशगंगाओं और एक्सोप्लैनेट का अध्ययन करने में सहायक होंगे।   

अन्य अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन: 

  • पायनियर (Pioneer): 
    • यह सौरमंडल में सबसे अधिक फोटोजेनिक/प्रकाशमान और विशाल गैस भंडार वाले बृहस्पति तथा शनि का दौरा करने वाला पहला अंतरिक्षयान था। 
    • पायनियर 10 सौरमंडल के क्षुद्रग्रह बेल्ट के माध्यम से मंगल और बृहस्पति के बीच परिक्रमा करने वाली चट्टानों के एक क्षेत्र के माध्यम से यात्रा करने वाली पहली जाँच थी। 
  • वोएजर (Voyager): 
    • प्रथम अन्वेषक के उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद वोएजर 1 और वोएजर 2 ने जाँच की। उन्होंने बृहस्पति और शनि के बारे में कई महत्त्वपूर्ण खोज की, जिसमें बृहस्पति के चारों ओर के रिंग और बृहस्पति के चंद्रमा पर ज्वालामुखी की उपस्थिति शामिल है 
    • वोएजर 1 वर्तमान में पृथ्वी से सबसे दूर मानव निर्मित वस्तु है, जो पृथ्वी से सूर्य की दूरी से सौ गुना से अधिक और प्लूटो से दोगुने से भी अधिक दूर है। 
  • चंद्रा : 
    • वर्ष 1999 से चंद्रा एक्स-रे वेधशाला कुछ सबसे दूर और विचित्र खगोलीय घटनाओं को देखते हुए एक्स-रे प्रकाश में आकाश को स्कैन कर रही है। 
    •  चूँकि पृथ्वी का अजीब वातावरण अधिकांश एक्स-रे को अवरुद्ध कर देता है, खगोलविद् इस उच्च-ऊर्जा, लघु-तरंग दैर्ध्य प्रकाश में ब्रह्मांड को तब तक नहीं देख सकते जब तक उन्होंने चंद्र को अंतरिक्ष में नहीं भेजा। 
  • SPHEREx’s: 
    •  स्पेक्ट्रो-फोटोमीटर फॉर द हिस्ट्री ऑफ द यूनिवर्स, एपोच ऑफ रियनाइज़ेशन एंड आईसेस एक्सप्लोरर (Spectro-Photometer for the History of the Universe, Epoch of Reionization and Ices Explorer-SPHEREx) एक दो वर्षीय मिशन है जो दृश्य प्रकाश और अवरक्त प्रकाश में आकाश का सर्वेक्षण करेगा। हालांँकि यह प्रकाश मानव आँंख को दिखाई नहीं देता, लेकिन ब्रह्मांडीय प्रश्नों का उत्तर देने के लिये एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करेगा। 
    • इसे वर्ष 2024 में लॉन्च किया जाएगा। 
    • इस मिशन का उपयोग खगोल विज्ञानी 300 मिलियन से अधिक आकाशगंगाओं के साथ ही अपनी आकाशगंगा में पाए जाने वाले 100 मिलियन से अधिक सितारों के आँकड़े (डेटा) एकत्र करने के लिये करेंगे। 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. वैज्ञानिक निम्नलिखित में से किस/किन परिघटना/परिघटनाओं को ब्रह्मांड के निरंतर विस्तरण के साक्ष्य के रूप में उद्धृत करते हैं? (2012) 

  1. अंतरिक्ष में सूक्ष्म तरंगों की उपस्थिति का पता चलना 
  2. अंतरिक्ष में रेडशिफ्रट परिघटना का अवलोकन 
  3. अंतरिक्ष में क्षुद्रग्रहों की गति 
  4. अंतरिक्ष में सुपरनोवा विस्फोटों का होना 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 
(c) 1, 3 और 4 
(d) उपर्युक्त में से कोई भी साक्ष्य के रूप में उद्धत नही किया जा सकता 

उत्तर: (a)  

  • वर्ष 1963 में अर्नो पेनज़ियास और रॉबर्ट विल्सन ने रहस्यमय माइक्रोवेव को सभी दिशाओं से समान रूप से गमन करते हुए देखा। कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन नामक विकिरण की वर्षों पहले गामो, हरमन और अल्फर द्वारा भविष्यवाणी की गई थी। इसने अधिकांश खगोलविदों को आश्वस्त किया कि बिग बैंग सिद्धांत सही था और ब्रह्मांड के निरंतर विस्तार के लिये एक साक्ष्य आधार प्रदान किया। अत: कथन 1 सही है। 
  • वर्ष 1929 में एडविन हबल ने दूर की कई आकाशगंगाओं के रेडशिफ्ट को मापा। सापेक्ष दूरी के सामने रेडशिफ्ट की घटना घटित होने पर, दूर की आकाशगंगाओं का रेडशिफ्ट उनकी दूरी के रैखिक दूरी के रूप में विस्तारित होता है। डॉप्लर शिफ्ट का उपयोग करके खगोलविद हमारे सापेक्ष वस्तुओं की गति को मापते हैं। ब्रह्मांड में दूर की वस्तुओं से प्रकाश को फिर से स्थानांतरित किया जाता है (प्रकाश की आवृत्ति में लाल रंग की ओर बदलाव), जो हमें बताता है कि सभी वस्तुएंँ हमसे दूर जा रही हैं। अत: कथन 2 सही है। 
  • अंतरिक्ष में क्षुद्रग्रह की गति प्रारंभिक ब्रह्मांड में सामग्री के प्रकार के बारे में जानकारी प्रदान कर सकती है, लेकिन इस तरह ब्रह्मांड के विस्तार के संबंध में कोई प्रमाण नहीं है। अत: कथन 3 सही नहीं है। 
  • सुपरनोवा विस्फोट तब होता है जब किसी तारे के केंद्र में कोई परिवर्तन होता है। यह या तो बाइनरी स्टार सिस्टम में होता है या किसी सिंगल स्टार के जीवनकाल के अंत में होता है। यह पूरे ब्रह्मांड में तत्त्वों के वितरण का अध्ययन करने में मदद करता है। ये तत्त्व ब्रह्मांड में नए तारे, ग्रह और बाकी सब कुछ बनाने के लिये विचरण करते हैं। हालांँकि यह ब्रह्मांड के विस्तार के लिये प्रमाण नहीं देता है। अत: कथन 4 सही नहीं है। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। 

स्रोत : द हिंदू