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जैव विविधता और पर्यावरण

हीटवेव और वेट बल्ब तापमान

  • 09 May 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वेट बल्ब तापमान, ड्राई बल्ब  तापमान, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल, आईपीसीसी  छठी आकलन रिपोर्ट , हीटवेव।

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, संरक्षण, वेट बल्ब तापमान, बढ़ते वेट बल्ब तापमान का प्रभाव, हीटवेव।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में प्रकाशित जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल(IPCC) की छठी आकलन रिपोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि मानव शरीर पर अत्यधिक गर्मी डालने वाले शारीरिक तनाव का आकलन करते समय आर्द्रता बहुत महत्त्वपूर्ण कारक है।

  • "ड्राई बल्ब तापमान” के बजाय (जिसे आमतौर पर एक नियमित थर्मामीटर का उपयोग करके मापा जाता है) अत्यधिक गर्मी के जोखिम को मापने के लिये "वेट बल्ब तापमान" के रूप में एक वैकल्पिक मीट्रिक का उपयोग किया गया है।
  • मार्च 2022 के बाद से दक्षिण एशिया में लगातार हीटवेव से इस वर्ष भी ऐतिहासिक तापमान के रिकॉर्ड तोड़ने की प्रवृत्ति जारी है

हीटवेव: 

  • हीट वेव अर्थात् ग्रीष्म लहर असामान्य रूप से उच्च तापमान की वह स्थिति है, जिसमें भारत के उत्तर-पश्चिमी और दक्षिण मध्य भागों में गर्मी के मौसम के दौरान तापमान सामान्य से अधिक बना  रहता है
  • हीटवेव की स्थिति आमतौर पर मार्च और जून के बीच होती हैं तथा कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई तक भी रहती है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)   हीटवेव को क्षेत्रों और उनके तापमान के क्रम के अनुसार वर्गीकृत करता है।

हीटवेव के लिये मानदंड:

  • हीटवेव की स्थिति तब मानी जाती है जब किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों के लिये कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
  • यदि किसी स्थान का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है, तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
    • इसके अलावा सामान्य तापमान से 7 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की वृद्धि को भीषण हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
  • यदि किसी स्थान का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से अधिक है, तो सामान्य तापमान से 4°C से 5°C की वृद्धि को हीटवेव की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा 6 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की वृद्धि को भीषण भीषण हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
  • इसके अतिरिक्त यदि वास्तविक अधिकतम तापमान सामान्य अधिकतम तापमान के बावजूद 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहता है, तो हीटवेव घोषित किया जाता है।

गर्मी के जोखिम को मापते समय आर्द्रता का महत्त्व: 

  • मनुष्य अपने शरीर के भीतर उत्पन्न गर्मी को त्वचा पर पसीने एवं वाष्पीकरण करके नियंत्रित करता है।
    • शरीर के स्थिर तापमान को बनाए रखने के लिये इस वाष्पीकरण का शीतलन प्रभाव आवश्यक है।
  • जैसे-जैसे नमी बढ़ती है, पसीना वाष्पित नहीं होता है और शरीर के तापमान को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इसी वजह से नम जगहों पर इंसानों को ज़्यादा परेशानी होती है।
  • गीले बल्ब का तापमान आमतौर पर सूखे बल्ब के तापमान से कम होता है और हवा के शुष्क होने पर दोनों के बीच का अंतर नाट्कीय रूप से बढ़ जाता है।
    • रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर वेट बल्ब के तापमान के लिये निरंतर एक्सपोज़र घातक है, जबकि 32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर वेट बल्ब के तापमान का निरंतर एक्सपोज़र तीव्र शारीरिक गतिविधि के लिये खतरनाक हैं।

Wet-Bulb-Temperature

  • भूमि पर 35°C से अधिक वेट बल्ब के तापमान तक पहुंँचने के लिये आवश्यक आर्द्रता हासिल करना बेहद मुश्किल होता है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, आजकल ऐसे हालात कम ही देखने को मिलते हैं।
  • निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि जीवित रहने की सीमा से परे ‘वेट बल्ब’ के तापमान के निरंतर संपर्क का अनुभव करने की संभावना नहीं है।
    • सबसे पहले अपने तापमान को स्थिर करने में शरीर की अक्षमता के कई कारण हो सकते हैं। 
      • उच्च तापमान की अवधि के दौरान हृदय पर बढ़ा हुआ तनाव उन लोगों के लिये घातक हो सकता है, जिन्हें पहले से हृदय की समस्या है, यह हीटवेव के दौरान मौतों का प्रमुख कारण है। 
    • पहले से मौजूद साँस की समस्याएँ और मधुमेह भी मौत के संभावित कारण हैं।
      • ऐसी स्थितियाँ पर्यावरण में गर्मी को कुशलतापूर्वक स्थानांतरित करने की शरीर की क्षमता को कम करती है। 

‘वेट बल्ब’ तापमान:

  •  ‘वेट-बल्ब’ तापमान सबसे कम तापमान होता है, जिससे हवा में पानी के वाष्पीकरण द्वारा निरंतर दबाव में हवा को ठंडा किया जा सकता है।
  • ‘वेट-बल्ब’ तापमान गर्मी एवं आर्द्रता की वह सीमा है, जिसके आगे मनुष्य उच्च तापमान को सहन नहीं कर सकता है।
  • ‘वेट बल्ब’ तापमान रुद्धोष्म संतृप्ति का तापमान है। यह हवा के प्रवाह के संपर्क में आने वाले एक नम थर्मामीटर बल्ब द्वारा इंगित तापमान है।
    • रुद्धोष्म प्रक्रम वह है, जिसमें न तो कोई ऊष्मा प्राप्त की जाती है और न ही खोई जाती है।
  • गीले मलमल में लिपटे बल्ब के साथ थर्मामीटर का उपयोग करके ‘वेट बल्ब’ तापमान मापा जा सकता है।

Wet-Bulb

  • थर्मामीटर से पानी का एडियाबेटिक वाष्पीकरण और शीतलन प्रभाव हवा में ‘ड्राई-बल्ब’ तापमान ‘वेट-बल्ब’ तापमान से कम इंगित किया जाता है।
  • बल्ब पर गीली पट्टी से वाष्पीकरण की दर और सूखे बल्ब तथा गीले बल्ब के बीच तापमान का अंतर हवा की नमी पर निर्भर करता है।
    • वायु में जलवाष्प की मात्रा अधिक होने पर वाष्पीकरण की दर कम हो जाती है।
  • वेट बल्ब का तापमान हमेशा ड्राइ बल्ब के तापमान से कम होता है लेकिन यह 100% सापेक्ष आर्द्रता (जब हवा संतृप्ति रेखा पर हो) के समान होगा।
  • 31 डिग्री सेल्सियस पर वेट-बल्ब का तापमान मनुष्यों के लिये अत्यधिक हानिकारक होता है, जबकि 35 डिग्री सेल्सियस पर तापमान 6 घंटे से अधिक समय तक सहनीय नहीं हो सकता है।

ड्राई बल्ब तापमान:

  • ड्राई बल्ब तापमान, जिसे आमतौर पर "हवा का तापमान" (Air Temperature) भी कहा जाता है, वायु का वह गुण है जिसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। जब लोग हवा के तापमान का उल्लेख करते हैं तो वे आमतौर पर ड्राई बल्ब के तापमान (Dry Bulb Temperature) की बात करते हैं।
  • ड्राई बल्ब तापमान मूल रूप से परिवेशी वायु तापमान को संदर्भित करता है। इसे "ड्राई बल्ब" कहा जाता है क्योंकि हवा का तापमान एक थर्मामीटर द्वारा इंगित किया जाता है जो हवा की नमी से प्रभावित नहीं होता है।
  • ड्राई बल्ब तापमान को एक सामान्य थर्मामीटर का उपयोग करके मापा जा सकता है जो स्वतंत्र रूप से हवा के संपर्क में आता है लेकिन विकिरण और नमी से परिरक्षित (Shielded) होता है।
  • ड्राई बल्ब तापमान ऊष्मा की मात्रा का सूचक है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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