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डेली न्यूज़

  • 18 Apr, 2022
  • 41 min read
शासन व्यवस्था

उड़ान योजना हेतु उत्कृष्टता पुरस्कार

प्रिलिम्स के लिये:

उड़ान, लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार, सिविल सेवा दिवस।

मेन्स के लिये:

एरियल कनेक्टिविटी में सुधार के लिये उड़ान योजना का महत्त्व। उड़ान योजना के तहत उपलब्धियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना को "नवाचार (सामान्य)- केंद्रीय" श्रेणी के तहत लोक प्रशासन 2020 में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार हेतु चुना गया है।

  • नागरिक विमानन मंत्रालय 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस के अवसर पर इस पुरस्कार को प्राप्त करेगा। भारत सरकार प्रत्येक वर्ष सिविल सेवा दिवस को सिविल सेवकों के नागरिकों की सेवा हेतु खुद को समर्पित करने और सार्वजनिक सेवा एवं कार्य में उत्कृष्टता के लिये अपनी प्रतिबद्धताओं को नवीनीकृत करने के अवसर के रूप में मनाती है।
  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय वर्ष 2026 तक उड़ान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (UDAN Regional Connectivity Scheme- RCS) योजना के तहत 1,000 नए मार्गों के साथ भारत में वर्ष 2024 तक 100 नए हवाई अड्डों का निर्माण करने की योजना बना रहा है।

लोक प्रशासन में उत्कृष्टता हेतु प्रधानमंत्री पुरस्कार:

  • इसका गठन वर्ष 2006 में भारत सरकार द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों के ज़िलों तथा संगठनों द्वारा किये गए असाधारण एवं अभिनव कार्यों को स्वीकार करने, पहचानने और पुरस्कृत करने के लिये किया गया था।
  • पुरस्कार में एक ट्रॉफी, स्क्रॉल और 10 लाख रुपए सम्मानित ज़िले या संगठन को प्रोत्साहन के रूप में परियोजना/कार्यक्रम के कार्यान्वयन या लोक कल्याण के किसी भी क्षेत्र में संसाधन अंतराल को पूरा करने के लिये दिया जाता है ।

उड़ान (UDAN) योजना:

  • लॉन्च:
    • उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) को वर्ष 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS) के रूप में शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • क्षेत्रीय विमानन क्षेत्र का विकास करना।
    • छोटे शहरों में भी आम आदमी को क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक हवाई यात्रा की सुविधा प्रदान करना।
  • विशेषताएँ:
    • इस योजना में मौजूदा हवाई पट्टियों और हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से देश के असेवित तथा कम सेवा वाले हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। यह योजना 10 वर्षों की अवधि के लिये परिचालित है।
      • कम सेवा वाले हवाई अड्डे वे होते हैं जिनमें एक दिन में एक से अधिक उड़ानें नहीं होती हैं, जबकि अनारक्षित हवाई अड्डे वे होते हैं जहाँ कोई परिचालन नहीं होता है।
    • केंद्र, राज्य सरकारों और हवाई अड्डा संचालकों की ओर से चयनित एयरलाइंस को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है ताकि असेवित तथा कम सेवा वाले हवाई अड्डों से संचालन को प्रोत्साहित किया जा सके एवं हवाई किराए को किफायती रखा जा सके।
  • अब तक की उपलब्धियाँ:
    • पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी: इस योजना के तहत अब तक 387 मार्गों और 60 हवाई अड्डों का संचालन किया जा चुका है, जिनमें से 100 मार्ग अकेले उत्तर-पूर्व के हैं।
      • कृषि उड़ान योजना के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र के निर्यात अवसरों को बढ़ाने के लिये 16 हवाई अड्डों की पहचान की गई है, जिससे माल ढुलाई और निर्यात में वृद्धि जैसे दोहरे लाभ प्राप्त हो रहे हैं।
    • आर्थिक विकास: उड़ान का देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और उद्योग हितधारकों विशेषकर एयरलाइंस ऑपरेटरों तथा राज्य सरकारों द्वारा इसे लेकर उत्कृष्ट प्रतिक्रिया देखी गई है। 
    • संतुलित क्षेत्रीय विकास: इस योजना के तहत 350 से अधिक नए शहर अब तक जोड़े जा चुके हैं। 200 शहर पहले ही जोड़े जा चुके हैं जो व्यापक रूप में देश के भौगोलिक क्षेत्र में कनेक्टिविटी प्रदान करने के साथ-साथ स्थानीय आबादी के संतुलित क्षेत्रीय विकास, आर्थिक विकास और रोज़गार प्रदान करने के उद्देश्य से विस्तृत हैं।
      • इस योजना से नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का विकास हुआ जैसे सिक्किम में गंगटोक के पास पाकयोंग, अरुणाचल प्रदेश में तेज़ू और आंध्र प्रदेश में कुर्नूल।
    • यात्रियों की संख्या में वृद्धि: इस योजना के तहत नॉन मेट्रो एयरपोर्ट्स (Non-Metro Airports) के घरेलू यात्रियों की संख्या में 5% की वृद्धि हुई है।

उड़ान योजना के विभिन्न चरण 

उड़ान 1.0

  • इस चरण के तहत 5 एयरलाइन कंपनियों को 70 हवाई अड्डों (36 नए बनाए गए परिचालन हवाई अड्डों सहित) के लिये 128 उड़ान मार्ग प्रदान किये गए।

उड़ान 2.0

  • वर्ष 2018 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 73 ऐसे हवाई अड्डों की घोषणा की जहाँ कोई सेवा प्रदान नही की गई थी या उनके द्वारा की गई सेवा बहुत कम थी।
  • उड़ान योजना के दूसरे चरण के तहत पहली बार हेलीपैड भी योजना से जोड़े गए थे।

उड़ान 3.0

  • पर्यटन मंत्रालय के समन्वय में उड़ान 3.0 के तहत पर्यटन मार्गों का समावेश।
  • जलीय हवाई अड्डे को जोड़ने के लिये जल विमान का समावेश।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई मार्गों को उड़ान के दायरे में लाना।

उड़ान 4.0

  • वर्ष 2020 में देश के दूरस्थ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) के चौथे संस्करण के तहत 78 नए मार्गों के लिये मंज़ूरी दी गई थी।
  • लक्षद्वीप के मिनिकॉय, कवरत्ती और अगत्ती द्वीपों को उड़ान 4.0 के तहत नए मार्गों से जोड़ने की योजना बनाई गई है।

उड़ान 4.1

  • उड़ान 4.1 मुख्यतः छोटे हवाई अड्डों, विशेष तौर पर हेलीकॉप्टर और सी-प्लेन मार्गों को जोड़ने पर केंद्रित है।
  • सागरमाला विमान सेवा के तहत कुछ नए मार्ग प्रस्तावित हैं।
    • सागरमाला सी-प्लेन सेवा संभावित एयरलाइन ऑपरेटरों के साथ पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे अक्तूबर 2020 में शुरू किया गया था।

आगे की राह:

  • एयरलाइंस ने इस योजना का लाभ रणनीतिक रूप से भीड़भाड़ वाले टियर-1 हवाई अड्डों पर अतिरिक्त स्लॉट हासिल करने, मार्गों पर एकाधिकार की स्थिति और कम परिचालन लागत प्राप्त करने की दिशा में उठाया है। इस प्रकार हितधारकों को उड़ान योजना को टिकाऊ बनाने और इसकी दक्षता में सुधार करने की दिशा में काम करना चाहिये।
  • एयरलाइंस को मार्केटिंग हेतु पहल करनी चाहिये ताकि अधिक से अधिक लोग उड़ान योजना का लाभ उठा सकें।
  • देश भर में योजना के सफल कार्यान्वयन के लिये बुनियादी ढाँचे की और अधिक मज़बूत करने आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात उत्पाद योजना पर शुल्क और करों की छूट

प्रिलिम्स के लिये:

‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना,‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (MEIS)।

मेंन्स:

निर्यात संवर्धन, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने ‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना से लौह, इस्पात, रसायन और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों को हटा दिया है।

इन क्षेत्रों को इस योजना से हटा दिया गया क्योंकि लौह और इस्पात 'पहले से ही उन्नत स्तर पर थे तथा महामारी के दौरान फार्मा उद्योग में भी वृद्धि हुई थी।

‘निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना:

  • परिचय
    • RoDTEP योजना निर्यातकों को ऐसे अंतर्निहित केंद्रीय, राज्य और स्थानीय शुल्क या करों को वापस कर देगी, जिन पर अब तक या तो छूट नहीं दी जा रही थी या उन्हें वापस नहीं किया जा रहा था, जिससे भारत के निर्यातकों को नुकसान हो रहा था।
    • यह योजना उन करों या शुल्कों पर लागू नहीं होगी, जिन पर पहले ही छूट दी जा चुकी है या जिन्हें वापस किया जा चुका है। 
  • लॉन्च
    • इसे जनवरी 2021 में ‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (MEIS) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया था, जो विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप नहीं थी।
      • MEIS योजना के तहत निर्यात के ‘फ्रेट ऑन बोर्ड’ (FOB) मूल्य पर 2% से 7% का अतिरिक्त लाभ प्रदान किया जा रहा था।
    • परिधान निर्यातकों के लिये ‘राज्य और केंद्रीय लेवी तथा कर’ (RoSCTL) योजना की छूट अलग से अधिसूचित की गई है।
  • दरें
    • विभिन्न क्षेत्रों के लिये कर रिफंड दरें 0.5% से 4.3% तक हैं।
    • यह छूट निर्यात के ‘फ्रेट ऑन बोर्ड’ मूल्य के प्रतिशत के रूप में दी जाएगी।
  • निर्गमन

महत्त्व:

  • भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना:
    • विद्युत् शुल्क पर कर, परिवहन में ईंधन पर मूल्यवर्द्धित कर, कृषि क्षेत्र आदि जैसे करों की प्रतिपूर्ति भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
    • अगले 5-10 वर्षों में भारत द्वारा प्रतिस्पर्द्धात्मकता, व्यापार प्रवाह और निर्यात संख्या को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की संभावना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों की बराबरी:
    • भारतीय निर्यातक, निर्यात के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने में सक्षम होंगे क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर निर्भर होने के बजाय देश के भीतर निर्यातकों को सस्ते परीक्षण और प्रमाणन उपलब्ध कराया जाएगा।
    • इससे देश के लिये अर्थव्यवस्था और उद्यमों हेतु कार्यशील पूंजी में वृद्धि होगी।
  • स्वचालित कर निर्धारण:
    • साथ ही इसके तहत निर्यातकों के लिये टैक्स असेसमेंट/कर मूल्यांकन पूरी तरह से स्वचालित हो जाएगा। व्यवसायों को एक स्वचालित धन वापसी-मार्ग के माध्यम से GST (वस्तु और सेवा कर) के तहत रिफंड तक पहुँच हो जाएगी।

फ्रेट ऑन बोर्ड:

  • इसे फ्री ऑन बोर्ड (FOB) भी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल यह इंगित करने के लिये किया जाता है कि शिपिंग के दौरान किसी भी वस्तु के क्षतिग्रस्त या नष्ट होने पर कौन उत्तरदायी है।
    • "FOB ऑरिज़िन" का अर्थ है कि खरीदार जोखिम में है और विक्रेता द्वारा उत्पाद को शिप किये जाने के बाद माल पर खरीददार का स्वामित्व होता है।
    • "FOB डेस्टिनेशन" का अर्थ है कि जब तक माल खरीदार तक नहीं पहुँचता तब तक किसी भी प्रकार के नुकसान का जोखिम विक्रेता पर बना रहता है।
  • FOB की शर्तें खरीदार की माल सूची लागत (Inventory Cost) को प्रभावित करती हैं अर्थात् शिप किये गए माल में देयता को जोड़े जाने से माल सूची लागत बढ़ जाती है तथा शुद्ध आय कम हो जाती है।

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रूस को 'आतंकवाद के राज्य प्रायोजक' के रूप में नामित करने का अनुरोध

प्रिलिम्स के लिये:

रूस का स्थान, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, यूएनएचआरसी, यूएनएससी

मेंन्स के लिये:

भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, रूस-यूक्रेन संघर्ष और वैश्विक भू-राजनीति पर इसका प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूक्रेन ने अमेरिका से रूस को "आतंकवाद के राज्य प्रायोजक" के रूप में नामित करने का अनुरोध किया है।

  • इसके परिणामस्वरूप रूस के खिलाफ अमेरिका के पास उपलब्ध सभी प्रतिबंधों में से सबसे कठोर प्रतिबंध लगाए जा सकेंगे।

Russia

आतंकवाद के राज्य प्रायोजक से तात्पर्य

  • परिचय:
    • इसके तहत अमेरिकी विदेश मंत्री के पास "आतंकवाद के राज्य प्रायोजक" के रूप में "अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिये बार-बार समर्थन प्रदान करने वाले देशों" को नामित करने की शक्ति होती है।
    • अमेरिका इस सूची में शामिल देशों पर चार तरह के प्रतिबंध लगा सकता है:
      • अमेरिकी विदेशी सहायता पर प्रतिबंध
      • रक्षा निर्यात और बिक्री पर प्रतिबंध
      • दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात पर कुछ नियंत्रण
      • विविध वित्तीय और अन्य प्रतिबंध
    • इसके तहत उन देशों और व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं जो निर्दिष्ट देशों के साथ व्यापार में संलग्न हैं।
  • इस सूची में शामिल देश:
    • अब तक आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों की सूची में चार देश हैं:

आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में नामांकन वाले कानून

  • वर्तमान में तीन कानून हैं जो विदेश मंत्री को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिये बार-बार समर्थन प्रदान करने हेतु एक देश को नामित करने के लिये अधिकृत करते हैं:
    • 1961 का विदेशी सहायता अधिनियम: यह अधिकांश सहायता के हस्तांतरण पर रोक लगाता है;
    • शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम (AECA): यह निर्यात, क्रेडिट, गारंटी, अन्य वित्तीय सहायता और राज्य विभाग द्वारा नियंत्रित निर्यात लाइसेंसिंग को प्रतिबंधित करता है; और
    • 2018 का निर्यात नियंत्रण अधिनियम
  • इन तीन कानूनों में से केवल AECA ही आपत्तिजनक गतिविधियों को आतंकवाद के रूप में सीमित स्तर परिभाषित करती है, जबकि तीनों अधिनियमों में से कोई भी "अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद" को व्यापक अर्थ में परिभाषित नहीं करता है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत का क्या रुख रहा है?

  • प्रारंभ में भारत अमेरिका द्वारा प्रायोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के उस प्रस्ताव में अनुपस्थित रहा जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई।
  • भारत ने यूक्रेन में मानवीय स्थिति पर रूस द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव पर यूएनएससी में मतदान में भी अनुपस्थित रहा, जिसमें नागरिकों की सुरक्षित, तीव्र, स्वैच्छिक और निर्बाध निकासी को सक्षम करने के लिये बातचीत के जरिए संघर्ष विराम का आह्वान करने की मांग की गई थी।
    • यूक्रेन से संबंधित पिछली अनुपस्थिति के विपरीत, यह पहली बार था कि भारत ने इस संघर्ष में पश्चिम का साथ दिया
  • भारत जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान से दूर रहा। परिषद ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों की जाँच के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रस्ताव पेश किया।
  • भारत, चीन और 33 अन्य देशों की हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव में अनुपस्थिति रही से जिसमें यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई हेतु उसकी निंदा की गई थी।
  • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रस्ताव से भी अनुपस्थित रहा जो चार परमाणु ऊर्जा स्टेशनों और चेर्नोबिल सहित कई परमाणु अपशिष्ट स्थलों पर सुरक्षा से संबंधित था, क्योंकि रूस द्वारा उन पर नियंत्रण कर लिया था।

आगे की राह:

  • यूक्रेन पर रूस का हमला, हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है, इस एक प्रकार का  आतंकवादी प्रयोजनों नहीं है, लेकिन रूस ने इसके लिये पिछले एक दशक में आतंकवादी प्रयोजनों के संबंध में कई अन्य आधार प्रदान किये हैं।
    • किसी देश को आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में नामित करने के लिये विदेश मंत्री को यह निर्धारित करना होगा कि देश की सरकार ने बार-बार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों जैसे कि हत्या या आतंकवादी समूहों को वित्तपोषण के लिये समर्थन प्रदान किया है।
  • भारत के दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। यदि दोनों अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ता है तो भारत के लिये रिश्तों को तर्कसंगत रूप से संतुलित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • रूस के साथ भारत के संबंध उतने बहुआयामी नहीं हैं जितने कि अमेरिका, यूरोप या जापान के साथ भारत के संबंध हैं। रूस के साथ भारत के संबंध मुख्य रूप से ऊर्जा और रक्षा पर केंद्रित हैं।
    • भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार केवल 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, लेकिन रूसी सैन्य उपकरणों की भारतीय खरीद इसका सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

विश्व हीमोफीलिया दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व हीमोफीलिया दिवस, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया।

मेन्स के लिये:

हीमोफीलिया और इसका उपचार, स्वास्थ्य।

चर्चा में क्यों?

विश्व हीमोफीलिया दिवस (World Haemophilia day) प्रत्येक वर्ष 17 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हीमोफीलिया और अन्य वंशानुगत रक्तस्राव विकारों के बारे में लोगों को जागरूक करना है।

  • वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया (WHF) के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel) के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है।
  • इस वर्ष (2022) की थीम "सभी के लिये पहुँच: साझेदारी: नीति: प्रगति, अपनी सरकार को शामिल करना, विरासत में मिली रक्तस्राव विकारों को राष्ट्रीय नीति में एकीकृत करना" है।

हीमोफीलिया क्या है?

  • परिचय:
    • हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रोग है, जिसमें रक्त के थक्के बनने की क्षमता गंभीर रूप से कम हो जाती है, जिससे कि मामूली चोट में भी गंभीर रक्तस्राव हो सकता है।
      • हीमोफीलिया जीन में उत्परिवर्तन या परिवर्तन के कारण होता है, जो रक्त का थक्का बनाने के लिये आवश्यक क्लॉटिंग फैक्टर प्रोटीन बनाने के लिये निर्देश प्रदान करता है।
      • यह परिवर्तन या उत्परिवर्तन क्लॉटिंग प्रोटीन को ठीक से कार्य करने या पूरी तरह समाप्त होने से रोक सकता है। ये जीन X गुणसूत्र पर स्थित होते हैं।
    • एक बच्चे के लिंग का निर्धारण करने के तरीके में शामिल आनुवंशिकी के कारण, महिलाओं की तुलना में पुरुष हीमोफीलिया के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
    • यह काफी दुर्लभ बीमारी है, लगभग 10,000 लोगों में से 1 व्यक्ति इससे प्रभावित होता है।
  • प्रकार
    • हीमोफीलिया A हीमोफीलिया का सबसे सामान्य प्रकार है। इसमें रक्त में थक्के बनने के लिये आवश्यक ‘फैक्टर 8’ की कमी हो जाती है।
    • हीमोफीलिया B बेहद कम सामान्य है। हीमोफीलिया B में थक्के बनने के लिये आवश्यक फैक्टर-9 की कमी हो जाती है।
      • हीमोफीलिया A, लगभग 5,000 में से एक में 1 व्यक्ति में होता है, जबकि हीमोफीलिया B इससे भी दुर्लभ है जो कि लगभग 20,000 में से 1 व्यक्ति को होता है।
  • लक्षण:
    • बड़े घाव।
    • मांँसपेशियों और जोड़ों में रक्तस्राव।
    • सहज रक्तस्राव (बिना किसी स्पष्ट कारण के शरीर के अंदर अचानक रक्तस्राव)।
    • चोट लगने, दांँत निकालने या सर्जरी कराने के बाद लंबे समय तक रक्तस्राव।
  • उपचार:
    • हीमोफीलिया का मुख्य उपचार रिप्लेसमेंट थेरेपी है।
    • रक्त का थक्का जमने के लिये उत्तरदायी कारक यानी क्लॉटिंग फैक्टर VIII (हीमोफीलिया A के लिये) या क्लॉटिंग फैक्टर IX (हीमोफीलिया B के लिये) के सांद्रण को धीरे-धीरे ड्रिप के माध्यम से नसों में पहुँचाया जाता है या इसे नस में इंजेक्ट किया जाता है। यह क्लॉटिंग फैक्टर को बदलने में मदद करते हैं जो यह तो हैं ही नहीं या कम है।

भारत में हीमोफीलिया का परिदृश्य:

  • वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के वार्षिक वैश्विक सर्वेक्षण 2017 के अनुसार, 2017 में दुनिया भर में 1.96 लाख से अधिक लोग हीमोफीलिया से पीड़ित थे।
  • देश-वार आंँकड़ों के अनुसार भारत में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक लगभग 19,000 मामलें हैं।
  • अनुमान है कि भारत में लगभग 80% मामले अपंजीकृत हो जाते हैं, जिससे हीमोफीलिया मामलों वास्तविक संख्या 2 लाख के करीब हो सकती है।

Registered-Cases

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया (WFH) 

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है जिसे 1963 में स्थापित किया गया था।
  • यह 140 देशों में रोगी संगठनों का एक वैश्विक नेटवर्क है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन से आधिकारिक मान्यता प्राप्त है।
  • इसका मिशन दुनिया भर में वंशानुगत रक्तस्राव विकारों वाले लोगों की देखभाल में सुधार और नियंत्रित  करना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (DSCI), साइबर सुरक्षा के लिये सरकार की पहल, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In), संबंधित पहल।

मेन्स के लिये:

संचार नेटवर्क, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति, साइबर सुरक्षा के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2020 में, लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत की अध्यक्षता में भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (Data Security Council of India- DSCI) द्वारा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति की अवधारणा की गई थी। रिपोर्ट में भारत के लिये एक सुरक्षित,सुदृढ़, भरोसेमंद, लचीला और जीवंत साइबर स्पेस सुनिश्चित करने के लिये 21 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

  • हालाँकि भारत में  साइबर हमलों में वृद्धि के बीच, केंद्र ने अभी तक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति लागू नहीं किया है।

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राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति की क्या आवश्यकता है?

  • साइबर हमलों की बढ़ती संख्या: अमेरिकी साइबर सुरक्षा फर्म पालो ऑल्टो नेटवर्क्स की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र भारत में सबसे अधिक लक्षित (सभी रैंसमवेयर हमलों का 42% सामना करने वाला) राज्य था
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत हैकर समूहों के लिये अधिक आर्थिक रूप से लाभदायक क्षेत्रों में से एक है और इसलिये हैकर भारतीय फर्मों की डेटा तक पहुँच प्राप्त करके आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग फिरौती का भुगतान करने के लिये करते हैं।
    • चार भारतीय संगठनों में से एक को वर्ष 2021 में रैंसमवेयर हमले का सामना करना पड़ा, जो वैश्विक औसत के स्तर से 21% अधिक है।
  • साइबर युद्ध के अपराध:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका उन चुनिंदा देशों में से एक है, जिसने न केवल साइबर हमले से बचाव की रणनीति विकसित करने में काफी अधिक धनराशि का निवेश किया है, बल्कि उसके पास साइबर युद्ध अपराधियों से निपटने के लिये आवश्यक क्षमता भी मौजूद है।
    • जिन देशों की साइबर युद्ध क्षमता सबसे अधिक है उनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, इज़रायल और यूनाइटेड किंगडम आदि शामिल हैं।
  • महामारी के बाद डिजिटलीकरण में बढ़ोतरी:
    • कोरोना वायरस महामारी के बाद से महत्त्वपूर्ण अवसंरचना का तेज़ी से डिजिटलीकरण किया जा रहा है, जिसमें वित्तीय सेवाएँ, बैंक, बिजली, विनिर्माण, परमाणु ऊर्जा संयंत्र आदि शामिल हैं।
  • महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की सुरक्षा:
    • विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों की बढ़ती परस्परता और 5G के साथ इंटरनेट के प्रयोग में होने वाली बढ़ोतरी के मद्देनज़र यह काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।
    • भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों की मानें तो केवल वर्ष 2020 के प्रारंभिक आठ महीनों में ही कुल 6.97 लाख साइबर सुरक्षा संबंधी घटनाएँ दर्ज हुई थीं, जो कि पिछले चार वर्षों में हुई कुल साइबर घटनाओं के बराबर हैं।
  • हालिया साइबर घटनाएँ:
    • भारत के बिजली क्षेत्र को व्यापक पैमाने पर लक्षित करने के लिये ‘रेड इको’ नामक चीन के एक समूह द्वारा मैलवेयर आदि के उपयोग में वृद्धि देखी गई है।
      • ‘रेड इको’ द्वारा ‘शैडोपैड’ (ShadowPad) नामक नए मैलवेयर का उपयोग किया जाता है, जिसमें सर्वर तक पहुँच प्राप्त करने के लिये बैकडोर का प्रयोग शामिल है।
    • ‘स्टोन पांडा’ नाम से प्रचलित चीन के एक हैकर समूह द्वारा ‘भारत बायोटेक’ और ‘सीरम इंस्टीट्यूट’ की सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना एवं सप्लाई चेन सॉफ्टवेयर में कई सुभेद्यताएँ खोजी गई थीं।
  • सरकार के लिये:
    • एक स्थानीय, राज्य या केंद्र सरकार देश (भौगोलिक, सैन्य रणनीतिक संपत्ति आदि) एवं नागरिकों से संबंधित विभिन्न गोपनीय डेटा एकत्रित करती है और इस डेटा की सुरक्षा काफी महत्त्वपूर्ण होती है।
  • आम लोगों के लिये:
    • सोशल नेटवर्किंग साइटों पर किसी व्यक्ति द्वारा साझा की गई तस्वीरों, वीडियो और अन्य व्यक्तिगत जानकारी को अनुचित रूप से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रयोग किया जा सकता है, जिससे गंभीर, यहाँ तक ​​कि जानलेवा घटनाएँ भी हो सकती हैं।
  • व्यवसायों के लिये:
    • कंपनियों के पास उनके सिस्टम में बहुत सा डेटा और जानकारी मौजूद होती है। साइबर हमले के माध्यम से किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्द्धी सूचनाओं (जैसे-पेटेंट और मूल कार्य) और कर्मचारियों/ग्राहकों के निजी डेटा की चोरी होने का खतरा रहता है, जिसके परिणामस्वरूप भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति के मुख्य घटक क्या हैं?

  • सार्वजनिक सेवाओं का बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण: सभी डिजिटलीकरण पहलों में डिज़ाइन के शुरुआती चरणों में ही सुरक्षा पर ध्यान देना।
    • मूल उपकरणों के मूल्यांकन, प्रमाणन और रेटिंग के लिये संस्थागत क्षमता का विकास करना।
    • सुभेद्यता और घटनाओं की समय-समय पर रिपोर्टिंग।
  • आपूर्ति शृंखला सुरक्षा: इंटीग्रेटेड सर्किट और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की आपूर्ति शृंखला की निगरानी तथा मैपिंग।
    • सामरिक और तकनीकी स्तरों पर वैश्विक स्तर पर देश की सेमीकंडक्टर डिज़ाइन क्षमताओं का लाभ उठाना।
  • महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण: पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (SCADA) सुरक्षा को एकीकृत करना
    • सुभेद्यता को सुरक्षित बनाए रखना।
    • क्षेत्रक की समग्र स्तर की सुरक्षा आधार रेखा तैयार करना और उसके नियंत्रणों पर नज़र रखना।
    • खतरे की तैयारी और साइबर-बीमा उत्पादों के विकास के लिये ऑडिट पैरामीटर तैयार करना।
  • डिजिटल भुगतान: तैनात उपकरणों और प्लेटफार्मों की मैपिंग तथा मॉडलिंग, आपूर्ति शृंखला, लेनदेन करने वाली संस्थाएंँ, भुगतान प्रवाह, इंटरफेस एवं डेटा एक्सचेंज को मज़बूती प्रदान करना।
  • राज्य स्तरीय साइबर सुरक्षा: राज्य स्तरीय साइबर सुरक्षा नीतियांँ विकसित करना,
    • समर्पित धन का आवंटन,
    • डिजिटलीकरण योजनाओं की गंभीर जांँच,
    • सुरक्षा संरचना, संचालन और शासन के लिये दिशानिर्देश।
  • छोटे और मध्यम व्यवसायों की सुरक्षा: साइबर सुरक्षा तैयारियों के उच्च स्तर के प्रोत्साहन देने के लिये साइबर सुरक्षा में नीतिगत हस्तक्षेप।
    • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और औद्योगीकरण को अपनाने के लिये सुरक्षा मानकों, ढांँचे और संरचना का विकास करना।

रिपोर्ट के सुझाव

  • बजटीय प्रावधान: इस क्षेत्र में वर्तमान वार्षिक बजट आवंटन 0.25% के स्तर से बढ़ाकर 1% तक किया जाना चाहिये इसके अतिरिक्त साइबर सुरक्षा के लिये अलग बजट की सिफारिश की गई है।
    • अलग मंत्रालयों और एजेंसियों के संदर्भ में आईटी/प्रौद्योगिकी व्यय का 15-20% साइबर सुरक्षा के लिये निर्धारित किया जाना चाहिये।
    • यह साइबर सुरक्षा के लिये कोष स्थापित करने और उसी क्षेत्र में क्षमताओं के निर्माण हेतु राज्यों को केंद्रीय वित्त पोषण प्रदान करने का भी सुझाव देता है।
  • अनुसंधान, नवाचार, कौशल-निर्माण और प्रौद्योगिकी विकास: रिपोर्ट आईसीटी के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण में निवेश करने, परिणाम-आधारित कार्यक्रमों के माध्यम से साइबर सुरक्षा के लिये एक लघु तथा दीर्घकालिक एजेंडा स्थापित करने एवं डीप-टेक साइबर सुरक्षा नवाचार में निवेश प्रदान करने का सुझाव देती है।
    • DSCI ​​भारतीय इंजीनियरिंग सेवाओं से चुने गए संवर्गों के साथ एक 'साइबर सुरक्षा सेवाएँ' बनाने की सिफारिश करता है।
  • संकट प्रबंधन: किसी संकट से निपटने के लिये पर्याप्त तैयारी के लिये, DSCI साइबर सुरक्षा अभ्यास आयोजित करने की सिफारिश करता है जिसमें वास्तविक जीवंत परिदृश्य उनके प्रभाव के साथ शामिल हैं।
  • साइबर बीमा: साइबर बीमा पर अभी शोध किया जाना बाकी है इसलिये व्यापार और प्रौद्योगिकी परिदृश्यों में साइबर सुरक्षा जोखिमों को संबोधित करने के साथ-साथ खतरे के जोखिम की गणना करने के लिये एक बीमांकिक विज्ञान होना चाहिये।
  • साइबर कूटनीति: साइबर कूटनीति भारत के वैश्विक संबंधों को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। इसलिये बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे प्रमुख क्षेत्रीय ब्लॉकों की साइबर सुरक्षा तैयारियों को कार्यक्रमों, आदान-प्रदान तथा औद्योगिक समर्थन के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
    • बेहतर कूटनीति के लिये, सरकार को साइबर सुरक्षा में एक ज़िम्मेदार प्लेयर के रूप में ब्रांड इंडिया को बढ़ावा देना चाहिये और प्रमुख देशों/क्षेत्रों के लिये 'साइबर दूत' भी बनाना चाहिये।
  • साइबर अपराध जाँच: दुनिया भर में साइबर अपराध में वृद्धि के साथ, रिपोर्ट स्पैमिंग और फेक न्यूज को रोकने के लिये कानून बनाकर न्यायिक प्रणाली को कम करने की सिफारिश करती है।
    • यह संभावित प्रौद्योगिकी परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए 5 वर्ष का रोडमैप तैयार करने, साइबर अपराधों से निपटने के लिये विशेष न्यायालयों की स्थापना और साइबर अपराध के बैकलॉग को दूर करने का भी सुझाव देती है।
    • इसके अलावा DSCI एजेंसियों को AI/ML, ब्लॉकचैन, IoT, क्लाउड, ऑटोमेशन आदि के युग में उन्नत फोरेंसिक प्रशिक्षण का सुझाव देती है।

सरकार द्वारा शुरू की गई पहलें

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

हाल ही में कभी-कभी खबरों में आने वाले शब्द 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू' निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं (2018)

(a) एक्सोप्लैनेट 
(b) क्रिप्टोकरेंसी
(c) साइबर हमले 
(d) मिनी उपग्रह

उत्तर: (c)

  • रैंसमवेयर दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर (या मैलवेयर) का एक रूप है। एक बार जब यह कंप्यूटर में प्रवेश कर लेता है, तो यह आमतौर पर डेटा तक पहुँच कर उपयोगकर्त्ताओं को नुकसान पहुँचाता है। भुगतान करने पर डेटा तक पहुँच बहाल करने का वादा करते हुए हमलावर पीड़ित से फिरौती की मांग करते है।
  • 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू कुछ रैनसम वेयर हैं, जिन्होंने बिटकॉइन (क्रिप्टोकरेंसी) में फिरौती के भुगतान की मांग की थी।

स्रोत: द हिंदू


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