डेली न्यूज़ (15 Apr, 2022)



भारत में मानवाधिकार रिपोर्ट: अमेरिका

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में मानवाधिकार रिपोर्ट 2021, मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा, मौलिक अधिकार, DPSP, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग।

मेन्स के लिये:

भारत में मानवाधिकार एवं मानवाधिकार संबंधी प्रावधान, भारत में मानवाधिकारों की वर्तमान स्थिति।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग ने वर्ष 2021 में भारत में मानवाधिकारों से संबंधित एक आलोचनात्मक रिपोर्ट जारी की है।

  • यह रिपोर्ट प्रतिवर्ष पूर्वव्यापी आधार पर अमेरिकी काॅन्ग्रेस को प्रस्तुत की जाती है, जिसमें नागरिक, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्त्ता अधिकारों की स्थिति पर देश-वार चर्चा शामिल होती है।
  • दिसंबर 2021 में गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों में मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित आँकड़े राज्यसभा में उपलब्ध कराए गए थे।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • मनमानी गिरफ्तारी और नज़रबंदी:
    • भारतीय कानून ‘मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और नज़रबंदी’ पर रोक लगाते हैं, लेकिन ऐसी कई घटनाएँ सामने आईं, जिसमें पुलिस ने ‘गिरफ्तारी की न्यायिक समीक्षा को स्थगित करने के लिये विशेष सुरक्षा कानूनों’ का उपयोग किया।
    • पूर्व-परीक्षण निरोध मनमाना और काफी लंबी अवधि का था, जो कभी-कभी दोषियों को दी गई सज़ा की अवधि से भी अधिक था।
  • गोपनीयता का उल्लंघन:
    • पेगासस मैलवेयर के माध्यम से पत्रकारों को लक्षित किये जाने संबंधी मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए इस रिपोर्ट ने सरकारी अधिकारियों पर गोपनीयता के उल्लंघन का आरोप लगाया, जिसमें मनमाने ढंग से या गैरकानूनी रूप से निगरानी करने या व्यक्तियों की गोपनीयता में हस्तक्षेप करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है।
  • स्वतंत्र अभिव्यक्ति और मीडिया पर प्रतिबंध:
    • रिपोर्ट में ऐसे उदाहरणों पर प्रकाश डाला गया है जिनमें सरकार या सरकार के करीबी माने जाने वाले लोगों ने कथित तौर पर सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया आउटलेट्स पर दबाव डाला या उन्हें परेशान किया, जिसमें ऑनलाइन ट्रोलिंग भी शामिल है।
    • इसमें फरवरी 2021 के सरकार के आदेश का भी विस्तृत विश्लेषण किया गया है, जिसमें ट्विटर को तीन कृषि कानूनों (बाद में निरस्त) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों के खातों को ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया था।
  • संघ की स्वतंत्रता:

मानवाधिकार का अर्थ:

  • परिचय:
    • सरल शब्दों में कहें तो मानवाधिकार का आशय ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त होते हैं।
    • मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तथा काम एवं शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार आदि शामिल हैं।
    • मानवाधिकारों के संबंध में नेल्सन मंडेला ने कहा था, “लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।”
  • भारत में मानवधिकारों से संबंधित प्रावधान:
    • संवैधानिक प्रावधान:
      • मौलिक अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक। इसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार आदि शामिल हैं।
      • राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत: संविधान के अनुच्छेद 36 से अनुच्छेद 51 तक। इसमें सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, काम का अधिकार, रोज़गार चयन का अधिकार, बेरोज़गारी के विरुद्ध सुरक्षा, समान काम तथा समान वेतन का अधिकार, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार एवं मुफ्त कानूनी सलाह का अधिकार आदि शामिल हैं।
    • सांविधिक प्रावधान:
      • मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (PHRA), 1993 (वर्ष 2019 में संशोधित) में केंद्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के गठन की बात कही गई है, जो संविधान में प्रदान किये गए मौलिक अधिकारों के संरक्षण और उससे संबंधित मुद्दों के लिये राज्य मानवाधिकार आयोगों और मानवाधिकार न्यायालयों का मार्गदर्शन करेगा।
        • PHRA की धारा 2(1)(d) मानव अधिकारों को संविधान द्वारा गारंटीकृत, व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा से संबंधित अधिकारों के रूप में परिभाषित करती है, जो अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदाओं में सन्निहित एवं भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
    • भारत ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के प्रारूपण में सक्रिय रूप से भाग लिया।
      • इसके अंतर्गत अधिकारों और स्वतंत्रताओं से संबंधित कुल 30 अनुच्छेदों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें जीवन, स्वतंत्रता व गोपनीयता जैसे नागरिक और राजनीतिक अधिकार तथा सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं।

प्रश्न. मौलिक अधिकारों के अलावा भारत के संविधान का निम्नलिखित में से कौन-सा भाग मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (1948) के सिद्धांतों और प्रावधानों को दर्शाता है या प्रतिबिंबित करता है? (2020)

  1. प्रस्तावना
  2. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
  3. मौलिक कर्तव्य

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 

  • वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा घोषित मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) प्रत्येक मनुष्य की समानता और गरिमा को स्थापित करती है तथा सभी लोगों को उनके समस्त अधिकारों और स्वतंत्रताओं का निर्वहन करने में सक्षम बनाने हेतु प्रत्येक सरकार के मुख्य कर्तव्य को निर्धारित करती है।
  • प्रस्तावना: प्रस्तावना का उद्देश्य जैसे- न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक), समानता और स्वतंत्रता भी UDHR के सिद्धांतों को दर्शाते हैं।
  • राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत (DPSP): अनुच्छेद 36 से अनुच्छेद 51 के तहत प्रदान किये गए DPSP ऐसे सिद्धांत हैं जिनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान करना तथा कल्याणकारी राज्य की दिशा निर्धारित करना है। ये DPSP राज्य पर दायित्व के रूप में कार्य करते हैं जो मानवाधिकारों के अनुरूप हैं। कुछ डीपीएसपी जो मानव अधिकारों के साथ तालमेल बिठाते हैं, वे इस प्रकार हैं:
    • अनुच्छेद 38: कल्याणकारी राज्य को बढ़ावा देना।
    • अनुच्छेद 39: असमानताओं को कम करना।
    • अनुच्छेद 39A: मुफ्त कानूनी सहायता।
    • अनुच्छेद 41: बेरोज़गार, बीमार, विकलांग और वृद्ध व्यक्तियों जैसे समाज के कमज़ोर वर्गों का समर्थन करना।
    • अनुच्छेद 43: निर्वाह मज़दूरी सुनिश्चित करना।
  • मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A): ये मूल कर्तव्य भारत के सभी नागरिकों के नागरिक और नैतिक दायित्व हैं। वर्तमान में 11 मौलिक कर्तव्य हैं, जो संविधान के भाग IV A में वर्णित हैं। अनुच्छेद 51A (K) माता-पिता या अभिभावक द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करने की बात करता है। यह पहलू किसी तरह गरिमा सुनिश्चित करने से संबंधित है।

स्रोत: द हिंदू


भारत में सामान्य मानसून: आईएमडी

प्रिलिम्स के लिये:

आईएमडी, दक्षिण-पश्चिम मानसून, लंबी दूरी का पूर्वानुमान, अल नीनो, ला नीना, सूखा।

मेन्स के लिये:

मानसून और उसका महत्त्व, मानसून का बदलता पैटर्न।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने वर्ष 2022 के लिये अपना पहला दीर्घावधि पूर्वानुमान (Long Range Forecast- LRF) जारी किया, जिसमें कहा गया है कि देश में लगातार चौथे वर्ष मानसून सामान्य रहने की संभावना है।

  • इस वर्ष के लिये 'सामान्य' दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान लगाते हुए IMD ने औसत वर्षा की परिभाषा को भी संशोधित किया है।
  • प्रत्येक वर्ष IMD दो चरणों में पूर्वानुमान जारी करता है: पहला अप्रैल में और दूसरा मई के अंतिम सप्ताह में, यह एक अधिक विस्तृत पूर्वानुमान है जो देश में मानसून से संबंधित जानकारी प्रदान करता है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD):

  • इसकी स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
  • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science- MoES) की एक एजेंसी है।
  • यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।

पूर्वानुमान की मुख्य विशेषताएँ:

  • भारत में रहेगा सामान्य मानसून:
    • भारत को दीर्घावधि औसत ( Long Period Average- LPA) वर्षा का 99% हिस्सा प्राप्त होगा, वर्ष 2018 में यह 89 सेमी. से 88 सेमी. हो गया था तथा वर्ष 2022 में आवधिक अद्यतन में फिर से 87 सेमी. हो गया।
      • जब वर्षा LPA के 96% और 104% के बीच होती है तो मानसून को "सामान्य" माना जाता है।
  • अपेक्षित अल नीनो :
    • IMD को अल नीनो की उम्मीद नहीं है, लेकिन वर्तमान में ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में प्रचलित है जो मानसून के दौरान जारी रहेगी।
      • अल नीनो मध्य प्रशांत के गर्म होने और उत्तर-पश्चिम भारत में सूखा पड़ने तथा आने वाले मानसून से जुड़ी एक घटना है।
      • ला नीना की घटनाएँ पूर्व-मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र सतह के औसत तापमान से नीचे की अवधि का प्रतिनिधित्व करती हैं।
        • यह कम-से-कम पाँच बार लगातार तीन महीने के मौसम के दौरान समुद्र की सतह के तापमान में 0.9℉ से अधिक की कमी प्रदर्शित करती है।
  • ‘सामान्य’ तथा ‘सामान्य से अधिक’ वर्षा:
    • वर्तमान संकेत प्रायद्वीपीय भारत, मध्य भारत और हिमालय की तलहटी के उत्तरी भागों में ‘सामान्य’ और ‘सामान्य से अधिक’ वर्षा का अनुमान प्रदान करते हैं।
    • पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और दक्षिण भारत के दक्षिणी हिस्सों में मानसून के कमज़ोर रहने की संभावना है।

दीर्घावधि औसत (LPA):

  • IMD के अनुसार, वर्षा का LPA एक विशेष क्षेत्र में निश्चित अंतराल (जैसे- महीने या मौसम) के लिये दर्ज की गई वर्षा है, जिसकी गणना 30 साल, 50 साल की औसत अवधि के दौरान की जाती है।
  • IMD बेंचमार्क ‘दीर्घावधि औसत’ (Long Period Average- LPA) वर्षा के संबंध में ‘सामान्य’, ‘सामान्य से कम’ या ‘सामान्य से अधिक’ मानसून का पूर्वानुमान प्रदान करता है।
  • IMD ने पूर्व में वर्ष 1961-2010 की अवधि के लिये LPA की गणना 88 सेमी. तथा वर्ष 1951-2000 की अवधि के लिये 89 सेमी. की थी।
  • सामान्य मानसून का IMD का पूर्वानुमान वर्ष 1971-2020 की अवधि के लिये LPA पर पूरे देश में औसतन 87 सेमी. बारिश पर आधारित था।
  • जबकि यह मात्रात्मक बेंचमार्क पूरे देश के लिये जून से सितंबर तक दर्ज की गई औसत वर्षा को संदर्भित करता है, प्रत्येक वर्ष होने वाली बारिश की मात्रा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तथा एक महीने से दूसरे महीने में भिन्न होती है।
  • इसलिये संपूर्ण देशव्यापी आँकड़ों के साथ IMD देश के हर क्षेत्र के मौसम के लिये LPA की गणना करता है।
    • शुष्क उत्तर-पश्चिम भारत के लिये यह संख्या लगभग 61 सेमी. तथा आर्द्र पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत के लिये 143 सेमी. से अधिक तक होती है।

LPA की आवश्यकता क्यों है?

  • वर्षा के रुझान को सुचारू रखने हेतु:
    • प्रवृत्तियों को सुचारू रखने हेतु LPA काफी आवश्यक होता है, ताकि एक सटीक अनुमान लगाया जा सके, क्योंकि IMD 2,400 से अधिक स्थानों और 3,500 वर्षा-गेज स्टेशनों पर वर्षा डेटा रिकॉर्ड करता है।
    • क्योंकि वार्षिक वर्षा न केवल एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में और महीने दर महीने, बल्कि वर्ष दर वर्ष भी एक विशेष क्षेत्र या महीने के भीतर बहुत भिन्न हो सकती है।
  • किसी भी दिशा में बड़े बदलाव को कवर करना:
    • 50 वर्षीय LPA असामान्य रूप से उच्च या निम्न वर्षा (‘अल नीनो’ या ‘ला नीना’ जैसी घटनाओं के परिणामस्वरूप) के साथ-साथ आवधिक सूखा और जलवायु परिवर्तन के कारण तीव्रता से बढती चरम मौसमी घटनाओं की वजह से किसी भी दिशा में होने वाले बड़े बदलावों को कवर करता है।

सामान्य मानसून की रेंज:

  • वर्ष 1971-2020 की अवधि के लिये पूरे देश में मौसमी वर्षा का LPA 87 सेमी. है।
  • IMD की अखिल भारतीय पैमाने पर पाँच वर्षा वितरण श्रेणियाँ हैं, ये हैं:
    • सामान्य या लगभग सामान्य: जब वास्तविक वर्षा का प्रतिशत विचलन LPA का +/- 10% होता है, यानी LPA का 96-104% के बीच।
    • सामान्य से कम: जब वास्तविक वर्षा का विचलन LPA के 10% से कम होता है, जो कि LPA का 90-96% है।
    • सामान्य से अधिक: जब वास्तविक वर्षा LPA का 104-110% हो।
    • न्यून: जब वास्तविक वर्षा का विचलन LPA के 90% से कम हो।
    • आधिक्य: जब वास्तविक वर्षा का विचलन LPA के 110 प्रतिशत से अधिक हो।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. मानसून की अवधि दक्षिण भारत से उत्तरी भारत की ओर घटती जाती है।
  2. भारत के उत्तरी मैदानों में वार्षिक वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c) 

  • भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून जून से सितंबर तक रहता है। इस मौसम में आर्द्र दक्षिण-पश्चिम ग्रीष्म मानसून का प्रभुत्व होता है, जो मई के अंत या जून की शुरुआत में धीरे-धीरे पूरे देश में फैल जाता है। अक्तूबर की शुरुआत में उत्तर भारत में मानसूनी बारिश में कमी आने लगती है।
  • दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाएँ सबसे पहले दक्षिण भारत में पहुँचती हैं और आंतरिक उत्तर भारत की तुलना में वहाँ अधिक सक्रिय होती हैं। यह बताता है कि उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में मानसून की अवधि अधिक क्यों है।
  • हवाओं की आर्द्रता में उत्तरोत्तर कमी के कारण उत्तर भारत में वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है। जैसे-जैसे दक्षिण-पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी की शाखा की नमी वाली अंतर्देशीय हवाएँ  आगे बढ़ती हैं, तो वे अपने साथ लाने वाली अधिकांश नमी को समाप्त कर देती हैं। इसके परिणामस्वरूप पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा में धीरे-धीरे कमी आती है।

स्रोत: द हिंदू


जेल आधुनिकीकरण योजना

प्रिलिम्स के लिये:

जेल आधुनिकीकरण योजना, नालसा, ई-कारागार एवं अन्य संबंधित योजनाएंँ, सहायता अनुदान।

मेन्स के लिये:

नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन, जेल आधुनिकीकरण योजना एवं इसका महत्त्व तथा संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs- MHA) द्वारा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जेल आधुनिकीकरण योजना (Modernisation of Prisons Project) के तहत जेलों का आधुनिकीकरण करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु 

जेल आधुनिकीकरण योजना की आवश्यकता:

  • न्याय प्रणाली का अभिन्न अंग: 
    • जेल देश की आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण और अभिन्न अंग हैं।
    • वे न केवल अपराधियों को हिरासत में रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं बल्कि जेलों में विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में उनके सुधार और पुन: एकीकरण की प्रक्रिया में भी मदद करती हैं।
  • भारतीय जेलें लंबे समय से चली आ रही तीन संरचनात्मक बाधाओं का सामना कर रही हैं जिनमें शामिल हैं:
    • जेलों में अधिक भीड़भाड़।
    • कर्मचारियों का अभाव तथा वित्त की कमी। 
    • कैदियो के बीच हिंसक टकराव।

जेल आधुनिकीकरण योजना:

  • जेल आधुनिकीकरण योजना के बारे में: भारत सरकार द्वारा जेलों में आधुनिक सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करने हेतु जेल आधुनिकीकरण योजना के माध्यम से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया गया है जिसमें शामिल हैं:
    • जेलों की सुरक्षा बढ़ाना।
    • सुधारात्मक प्रशासनिक कार्यक्रमों के माध्यम से कैदियों के सुधार और पुनर्वास के कार्य को सुगम बनाना
  • अवधि: इस योजना की अवधि पांँच साल (वर्ष 2021 से वर्ष 2026) की है।
  • अनुदान: केंद्र सरकार परियोजना के कार्यान्वयन हेतु राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता अनुदान प्रदान करेगी।
    • सहायता अनुदान एक सरकार द्वारा दूसरी सरकार, निकाय, संस्था या व्यक्ति को दी गई सहायता, दान या योगदान का भुगतान है।
  • कार्यान्वयन रणनीति: गृह मंत्रालय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में जेलों की संख्या, जेल में बंद कैदियों की संख्या, जेल स्टाफ आदि के आधार पर धन मुहैया कराएगा।
    • वित्तपोषण के  प्रस्ताव पर जेल आधुनिकीकरण योजना के क्रियान्वयन हेतु गठित संचालन समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
  • कवरेज: परियोजना सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेगी तथा विशेष रूप से केंद्रीय जेल, ज़िला जेल, उप-जेल, महिला जेल, खुली जेल, विशेष जेल आदि जेल के विभिन्न प्रकारों को कवर करेगी।

योजना का उद्देश्य:

  • जेलों के सुरक्षा ढाँचे में मौज़ूदा कमियों को दूर करना।
  • जेलों को आधुनिक तकनीक के अनुरूप नए सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना।
  • डोर फ्रेम / मेटल डिटेक्टर / सुरक्षा पोल, बैगेज स्कैनर्स / फ्रिस्किंग / सर्च / जैमिंग सॉल्यूशंस आदि जैसे सुरक्षा उपकरणों के माध्यम से जेल सुरक्षा प्रणाली को मज़बूत करना।
  • प्रशासनिक सुधारों, जिसमें व्यापक प्रशिक्षण के माध्यम से कैदियों को संभालने वाले जेल अधिकारियों की मानसिकता में बदलाव लाना तथा प्रशिक्षित सुधार विशेषज्ञों, व्यवहार विशेषज्ञों, मनोवैज्ञानिकों आदि की नियुक्ति सहित कैदियों के कौशल विकास और पुनर्वास हेतु उनके लिये उपयुक्त कार्यक्रम शुरू करना।

सरकार की संबंधित अन्य पहलें: 

  • कारागारों की आधुनिकीकरण योजना: कारागारों, बंदियों एवं कारागार कर्मियों की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से कारागारों के आधुनिकीकरण की योजना वर्ष 2002-03 में प्रारंभ की गई थी।
  • ई-जेल परियोजना: ई-जेल परियोजना का उद्देश्य डिजिटलीकरण के माध्यम से जेल प्रबंधन में दक्षता लाना है।
  • मॉडल जेल मैनुअल 2016: मैनुअल जेल कैदियों को उपलब्ध कानूनी सेवाओं (मुफ्त सेवाओं सहित) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA): इसका गठन कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया था, जो समाज के कमज़ोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करने हेतु 9 नवंबर, 1995 को लागू हुआ था।

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स


चीन और सोलोमन द्वीप के बीच सुरक्षा समझौता

प्रिलिम्स के लिये:

सोलोमन आइलैंड्स,  AUKUS, बो डिक्लेरेशन।

मेन्स के लिये:

चीन और सोलोमन द्वीप के बीच सुरक्षा समझौता तथा क्षेत्र में इसके भू-राजनीतिक विन्यास।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लीक हुए एक दस्तावेज़ से पता चला है कि दक्षिण प्रशांत में सोलोमन द्वीप चीन के साथ एक समझौते पर पहुँच गया है, जो सुरक्षा सहयोग के अभूतपूर्व स्तर की रूपरेखा तैयार करता है। 

  • इस क्षेत्र में चीन के लिये यह अपनी तरह का पहला सौदा है, जिस पर अभी हस्ताक्षर नहीं हुए हैं और यह पूरी तरह से ज्ञात नहीं है कि लीक हुए दस्तावेज़ में उल्लिखित प्रावधान अंतिम मसौदे में मौज़ूद हैं या नहीं।

सोलोमन द्वीप की मुख्य विशेषताएँ:

  • सोलोमन द्वीप प्रशांत में स्थित द्वीपों के मेलनेशियन समूह का हिस्सा है जो पापुआ न्यू गिनी और वानुअतु (Vanuatu) के मध्य स्थित है।
  • औपनिवेशिक युग के दौरान द्वीपों को शुरू में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा नियंत्रित किया गया था।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा द्वीपों पर कब्ज़ा करने के बाद, यह जर्मनी और जापान के हाथों से फिर वापस यूके में चला गया।
  • सरकार की संसदीय प्रणाली के साथ ब्रिटिश क्राउन के तहत एक संवैधानिक राजतंत्र बनने के लिये द्वीप वर्ष 1978 में स्वतंत्र हो गए।
  • फिर भी यह राष्ट्रमंडल का एक स्वतंत्र सदस्य है तथा गवर्नर-जनरल को एक सदनीय राष्ट्रीय संसद की सलाह पर नियुक्त किया जाता है।

Solomon-Islands

प्रस्तावित सौदे के तहत प्रावधान:

  • दस्तावेज़ स्पष्ट रूप से चीन को अपनी "पुलिस, सशस्त्र पुलिस, सैन्यकर्मियों तथा अन्य कानून प्रवर्तन और सशस्त्र बलों" को बाद की सरकार के अनुरोध पर द्वीपों में भेजने को सक्षम बनाता है, यदि उसे लगता है कि द्वीपों में उसकी परियोजनाओं और कर्मियों की सुरक्षा खतरे में है।
  • यह चीन के नौसैनिक जहाज़ों को रसद सहायता हेतु द्वीपों का उपयोग करने की अनुमति भी प्रदान करता है।

सोलोमन द्वीप में चीन की दिलचस्पी का कारण:

  • ताइवान की भूमिका:
    • प्रशांत द्वीप समूह दुनिया के उन कुछ क्षेत्रों में से हैं जहाँ चीन और ताइवान के मध्य कूटनीतिक प्रतिस्पर्द्धा है।
      • चीन, ताइवान को इस क्षेत्र में एक प्रतिस्पर्द्धी मानता है तथा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में इसकी मान्यता का विरोध करता है।
      • इसलिये जिस भी देश को चीन के साथ आधिकारिक रूप से संबंध स्थापित करने होंगे, उसे ताइवान के साथ राजनयिक संबंध तोड़ने होंगे।
    • सोलोमन द्वीप छह प्रशांत द्वीप राज्यों में से एक था, जिसके ताइवान के साथ आधिकारिक द्विपक्षीय संबंध थे।
    • हालाँकि वर्ष 2019 में सोलोमन द्वीप समूह ने चीन के प्रति निष्ठा को बदल दिया। वर्तमान में ताइवान का समर्थन करने वाले केवल चार क्षेत्रीय देश, जो ज़्यादातर माइक्रोनेशियन द्वीप समूह से संबंधित हैं, अमेरिका के नियंत्रण में हैं।
  • समर्थन जुटाने हेतु संभावित वोट बैंक:
    • छोटे प्रशांत द्वीप राज्य संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर महान शक्तियों के लिये समर्थन जुटाने हेतु संभावित वोट बैंक के रूप में कार्य करते हैं।
  • बड़े समुद्री विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों की उपस्थिति:
    • इन प्रशांत द्वीप राज्यों में उनके छोटे आकार की तुलना में असमान रूप से बड़े समुद्री अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zones) हैं।
  • इमारती लकड़ी और खनिज संसाधनों के भंडार की प्रचुरता:
    • विशेष रूप से सोलोमन द्वीप में मत्स्य पालन के साथ-साथ लकड़ी और खनिज संसाधनों का महत्त्वपूर्ण भंडार है। 
  • सामरिक महत्त्व:
    • प्रशांत द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया में अमेरिका के सैन्य ठिकानों के बीच खुद को सम्मिलित करने हेतु चीन के लिये प्रशांत क्षेत्र में स्थित द्वीप रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
      • यह वर्तमान परिदृश्य में ‘ऑकस’ (ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस) के उद्भव को देखते हुए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है,जो कि एंग्लो-अमेरिकन सहयोग के माध्यम से चीन की तुलना में ऑस्ट्रेलिया की रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास करता है।

सोलोमन द्वीप क्षेत्र में भू-राजनीतिक व्यवस्था के निहितार्थ:

  • इस क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा करने में सभी प्रशांत देशों की हिस्सेदारी है।
    • ऑस्ट्रेलिया सहित पैसिफिक आइलैंड्स फोरम के सदस्यों ने क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों को सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिये वर्ष 2018 बो घोषणापत्र (Boe Declaration) में सहमति व्यक्त की। 
  • चीन और सोलोमन द्वीप के बीच प्रस्तावित एक द्विपक्षीय समझौता उस भावना को कमज़ोर करता है जो पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिये सीमित प्रावधान प्रस्तुत करता है।
  • इससे क्षेत्र ने अमेरिका द्वारा सोलोमन द्वीप में एक दूतावास खोलने की योजना तैयार की जो दृढ़ता के साथ दक्षिण प्रशांत राष्ट्र में चीन के "मज़बूत होते प्रभाव" से पहले अमेरिका के प्रभाव को बढ़ाने की योजना तैयार करेगा।
  • क्षेत्र के छोटे द्वीपीय राष्ट्र उन पर बहुत अधिक निर्भर हैं, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया क्योंकि यह एक रेजिडेंट पॉवर (Resident Power) है।
    • ताइवान के निरंतर विस्थापन और आर्थिक एवं राजनीतिक दबदबे की वजह से क्षेत्र में इस स्थापित शक्ति संरचना को चीन द्वारा चुनौती दी जा रही है।
  • आने वाले वर्षों में प्रशांत द्वीप राज्यों के लिये क्षेत्रीय शक्ति प्रतिद्वंद्विता और घरेलू अस्थिरता के कारण इस क्षेत्र की भू-राजनीति भारत-प्रशांत क्षेत्र के रूप में बड़े बदलावों के साथ एक अभूतपूर्व दौर से गुज़रने की संभावना है।

स्रोत: द हिंदू 


नववर्ष के पारंपरिक त्योहार

प्रिलिम्स के लिये:

बैसाखी, विशु, नाबा बरसा, वैसाखड़ी और पुथांडु-पिराप्पु तथा बोहाग बिहू।

मेन्स के लिये:

नववर्ष के पारंपरिक त्योहार।

चर्चा में क्यों?

भारत के राष्ट्रपति ने ‘चैत्र शुक्लादि, गुड़ी पड़वा, उगादि, चेटीचंड, वैसाखी, विसु, पुथांडु और बोहाग बिहू’ की पूर्व संध्या पर लोगों को बधाई दी है।

नववर्ष के पारंपरिक त्योहार:

  • बैसाखी:
    • इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाया जाता है।
    • यह हिंदू सौर नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। 
    • यह वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह के खालसा पंथ के गठन की याद दिलाता है।
    • बैसाखी के दिन औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों ने एक सभा में जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया था, यह औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय आंदोलन की एक घटना थी।
  • विशु:
    • यह एक हिंदू त्योहार है जो भारत के केरल राज्य, कर्नाटक में तुलु नाडु क्षेत्र, केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी का माहे ज़िला, तमिलनाडु के पड़ोसी क्षेत्र में और उनके प्रवासी समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
    • यह त्योहार केरल में सौर कैलेंडर के नौवें महीने, मेदाम के पहले दिन को चिह्नित करता है।
    • ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह हर वर्ष अप्रैल के मध्य यानी 14 या 15 अप्रैल को मनाया जाता है
  •  पुथांडु:
    • इसे पुथुवरुडम या तमिल नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है, यह तमिल कैलेंडर में वर्ष का पहला दिन है और एक पारंपरिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
    • इस त्योहार की तारीख तमिल महीने चिथिरई के पहले दिन के रूप में हिंदू कैलेंडर के सौर चक्र के साथ निर्धारित की जाती है।
    • इसलिये यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर वर्ष 14 अप्रैल को आता है।
  • बोहाग बिहू:
    • बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू, जिसे हतबिहु (सात बिहू) भी कहा जाता है, असम के उत्तर-पूर्वी भारत और अन्य भागों में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक आदिवासी जातीय त्योहार है।
    • यह असमिया नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
    • यह आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में आता है, ऐतिहासिक रूप से यह फसल के समय को दर्शाता है।
  • नाबा बरसा
    • बंगाली कैलेंडर के अनुसार, पश्चिम बंगाल में नववर्ष को नाबा बरसा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
    • इसे पोइला बोइशाख ( Poila Baisakh) के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है पहली बैसाखी (बंगालियों के चंद्र-सौर कैलेंडर में एक महीना)।
      • बंगाली लोग इस नए साल के त्योहार को साथ मिलकर अन्य बंगाली त्योहार की तरह जोर-शोर से मनाते हैं।
    • इस त्योहार को पूरे बंगाल में सभी जातियों और धर्मों के लोगो द्वारा मनाया जाता है।
    • दुर्गा पूजा के बाद यह बंगाल में दूसरा सबसे अधिक प्रचलित त्योहार है, यह त्योहार खासकर बंगाल के उन बंगाली लोगों को जोड़ता है, जो मूल रूप से हिंदू हैं।  

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

पारंपरिक त्योहार                राज्य

  1. चापचार कुट उत्सव           मिज़ोरम
  2. खोंगजोम परबा गाथागीत     मणिपुर
  3. थांग-ता नृत्य                  सिक्किम

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b)

  • चापचार कुट मिज़ोरम के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है तथा इसका एक महान सांस्कृतिक महत्त्व है।
  • खोंगजोम परबा ढोलक (drum) का उपयोग करते हुए मणिपुर से गाथागीत गायन की एक शैली है। इसमें वर्ष 1891 में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ मणिपुर के लोगों द्वारा वीरता से लड़े गए युद्ध की कहानियों को दर्शाया गया है।
  • थांग-ता प्राचीन मणिपुरी मार्शल आर्ट के लिये एक लोकप्रिय शब्द है जिसे ह्यूएन लालोंग के नाम से जाना जाता है। थांग-ता  तलवार और भाला नृत्य है जहाँ 'थांग' का अर्थ है 'तलवार' और 'ता' का अर्थ है 'भाला'।

स्रोत: पी.आई.बी.