भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत ने प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध लगाया
प्रिलिम्स के लिये :भारत ने प्याज़ निर्यात प्रतिबंध लगाया, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT), रबी और खरीफ सीज़न, खाद्य सुरक्षा। मेंस के लिये:भारत ने प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध लगाया, पूरे भारत में गेहूँ वितरण का वर्तमान परिदृश्य। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने प्याज़ की निर्यात नीति को ‘मुक्त’ से ‘निषिद्ध’ में परिवर्तित करने की अधिसूचना जारी करते हुए मार्च 2024 तक प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
- वर्ष 2022-23 रबी सीज़न के स्टॉक के जल्दी खत्म होने और त्योहारी मांग में वृद्धि के साथ-साथ अनुमानित कम खरीफ 2023 उत्पादन के कारण मौजूदा आपूर्ति की कमी के कारण प्याज़ की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
- सरकार ने गेहूँ के लिये स्टॉक सीमा को भी संशोधित किया है, थोक विक्रेताओं के लिये स्टॉक सीमा को घटाकर 1,000 टन और खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 टन कर दिया गया है।
सरकार ने प्याज़ के निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगाया है?
- मूल्य नियंत्रण:
- प्याज़ के निर्यात पर रोक लगाकर सरकार का लक्ष्य घरेलू बाज़ार में कीमतों में उछाल या उतार-चढ़ाव को रोकना है।
- बढ़ती कीमतों से निपटने के लिये, केंद्र ने अक्टूबर 2023 में प्याज़ पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया था। इससे पहले अगस्त में सरकार ने प्याज़ पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया था।
- प्याज़ की कीमत में महत्त्वपूर्ण अस्थिरता का इतिहास रहा है और निर्यात प्रतिबंध से कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलती है, जिससे स्थानीय उपभोक्ताओं के लिये यह अधिक किफायती हो जाता है।
- प्याज़ के निर्यात पर रोक लगाकर सरकार का लक्ष्य घरेलू बाज़ार में कीमतों में उछाल या उतार-चढ़ाव को रोकना है।
- कमी का समाधान:
- प्रतिकूल मौसम की स्थिति, कम उत्पादन या बढ़ी हुई मांग जैसे कारकों के कारण देश में प्याज़ की कमी हो सकती है।
- निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि उपलब्ध आपूर्ति पहले घरेलू मांगों को पूरा करने के लिये निर्देशित हो।
- खाद्य सुरक्षा:
- प्याज़ भारतीय व्यंजनों का प्रमुख हिस्सा है और इसकी कोई भी कमी खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। निर्यात पर अंकुश लगाकर, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि आबादी को कमी या अप्रभावी कीमतों का सामना किये बिना यह आवश्यक खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो।
प्याज़ के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- प्याज़ अपने पाक प्रयोजनों और औषधीय मूल्यों के लिये विश्व भर में उगाई जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण बागवानी उत्पाद है।
- चीन के बाद भारत प्याज़ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु प्रमुख प्याज़ उत्पादक राज्य हैं।
- वर्ष 2021-22 (तीसरा अग्रिम अनुमान) में प्याज़ उत्पादन में महाराष्ट्र 42.53% की हिस्सेदारी के साथ प्रथम स्थान पर है, उसके बाद 15.16% की हिस्सेदारी के साथ मध्य प्रदेश है।
सरकार ने गेहूँ पर स्टॉक सीमा क्यों लगाई है?
- संशोधित स्टॉक सीमा का उद्देश्य गेहूँ स्टॉकिंग/भंडारण में शामिल संस्थाओं द्वारा जमाखोरी प्रथाओं को रोकना है। कड़ी सीमाएँ लगाकर, सरकार का इरादा इस बनावटी कमी को हतोत्साहित करना और विभिन्न हितधारकों के बीच गेहूँ का उचित वितरण सुनिश्चित करना है।
- अत्यधिक जमाखोरी से आपूर्ति और मांग के बीच असंतुलन हो सकता है, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है जो उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- गेहूँ के भंडार को विनियमित करने से यह सुनिश्चित होता है कि देश की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये बाज़ार में इसकी पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहे। यह कमी को रोककर और उपभोक्ताओं के लिये इस मुख्य खाद्य पदार्थ तक पहुँच सुनिश्चित करके खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में मदद करता है।
संपूर्ण देश में गेहूँ वितरण का वर्तमान परिदृश्य क्या है?
- चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक है किंतु गेहूँ के वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 1% से भी कम है। यह निर्धन वर्गों को सहायिकी युक्त अन्न उपलब्ध कराने के लिये इसका एक बड़ा हिस्सा अपने पास रखता है।
- भारत में प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात हैं।
- प्रमुख निर्यात गंतव्य (2022-23): मुख्य रूप से गेहूँ का निर्यात बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कोरिया गणराज्य, संयुक्त अरब अमीरात एवं यमन गणराज्य को किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: B मेन्स:प्रश्न. अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिये कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिये उपाय सुझाइये। (2017) प्रश्न. अनाज वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने हेतु सरकार द्वारा कौन-कौन से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं? (2019) |
सामाजिक न्याय
खाद्य सुरक्षा और पोषण का क्षेत्रीय अवलोकन 2023
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य सुरक्षा और पोषण का क्षेत्रीय अवलोकन 2023, खाद्य और कृषि संगठन (FAO), खाद्य असुरक्षा, अल्पपोषित लोग मेन्स के लिये:खाद्य सुरक्षा और पोषण का क्षेत्रीय अवलोकन 2023, निर्धनता और भुखमरी से संबंधित मुद्दे |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने खाद्य सुरक्षा और पोषण पर अपनी डिजिटल रिपोर्ट ‘एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय अवलोकन 2023: सांख्यिकी और रुझान’ जारी की है, जिसके अनुसार 74.1% भारतीय वर्ष 2021 में पोषक आहार प्राप्त करने में असमर्थ थे।
रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अल्पपोषण की व्यापकता विगत वर्ष के 8.8% से घटकर वर्ष 2022 में 8.4% हो गई, जो कि वर्ष 2021 की तुलना में लगभग 12 मिलियन कम अल्पपोषित लोगों के सामान है किंतु कोविड 19 महामारी से पूर्व वर्ष 2019 की तुलना में यह 55 मिलियन अधिक है।
- 370.7 मिलियन कुपोषित लोगों के साथ, एशिया-प्रशांत क्षेत्र विश्व के कुल आधे अल्पपोषित लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
- दक्षिणी एशिया में लगभग 314 मिलियन अल्पपोषित लोग रहते हैं। यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 85% अल्पपोषित लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
- दक्षिणी एशिया में किसी भी अन्य उपक्षेत्र की तुलना में अधिक गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षित लोग हैं।
- पूर्वी एशिया को छोड़कर सभी उपक्षेत्रों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक खाद्य असुरक्षित हैं।
- भारतीय:
- स्वस्थ आहार वहन करने में असमर्थता: वर्ष 2021 में 74.1% भारतीय, स्वस्थ आहार वहन करने में असमर्थ थे, वर्ष 2020 में यह प्रतिशत 76.2 था।
- पड़ोसी देशों से तुलना: पाकिस्तान में 82.2% और बांग्लादेश में 66.1% आबादी को स्वस्थ भोजन प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- क्षेत्रीय पोषण और खाद्य सुरक्षा: भारत की 16.6% आबादी अल्पपोषित है।
- वर्ष 2015 के बाद से विश्व की तुलना में भारत में मध्यम या गंभीर और गंभीर खाद्य असुरक्षा का प्रसार कम है।
- बच्चों का स्वास्थ्य: पाँच साल से कम उम्र के 31.7% बच्चे स्टंटिंग/बौनापन से प्रभावित हैं, जबकि पाँच साल से कम उम्र के 18.7% बच्चों में वेस्टिंग (ऊँचाई के अनुसार कम वजन) प्रचलित है।
- बच्चों में कमज़ोरी के प्रति WHO का वैश्विक पोषण लक्ष्य 5% से कम है।
- अवरुद्ध विकास और वृद्धि खराब मातृ स्वास्थ्य एवं पोषण, शिशु एवं छोटे बच्चे के अपर्याप्त आहार प्रथाओं व कई अन्य कारकों के साथ निरंतर अवधि में होने वाले संक्रमण का परिणाम है।
- महिला स्वास्थ्य: देश की 15 से 49 वर्ष के आयुवर्ग की 53% महिलाओं में एनीमिया था, जो वर्ष 2019 में भारत में सबसे बड़ी प्रसार दर थी।
- एनीमिया महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को खराब करता है तथा प्रतिकूल मातृ एवं नवजात परिणामों के जोखिम को बढ़ाता है।
- मोटापा और पोषण संकेतक: FAO के अनुसार वर्ष 2000 तक देश के 1.6% वयस्क मोटापे से ग्रस्त थे। वर्ष 2016 तक यह आँकड़ा बढ़कर 3.9% हो गया।
- विशेष स्तनपान: 0-5 महीने की उम्र के शिशुओं के लिये विशेष स्तनपान पर, भारत ने 63.7% के प्रतिशत के साथ व्यापकता में सुधार किया है, जो विश्व व्यापकता - 47.7% से अधिक है।
- इस क्षेत्र में जन्म के समय कम वजन का प्रचलन सबसे अधिक (27.4%) भारत में है, इसके बाद बांग्लादेश और नेपाल का स्थान है।
- स्वस्थ आहार वहन करने में असमर्थता: वर्ष 2021 में 74.1% भारतीय, स्वस्थ आहार वहन करने में असमर्थ थे, वर्ष 2020 में यह प्रतिशत 76.2 था।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) क्या है?
- परिचय:
- FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भूख पर काबू पाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है।
- हर साल 16 अक्टूबर को विश्व भर में विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। यह दिन वर्ष 1945 में FAO की स्थापना की सालगिरह को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।
- यह रोम (इटली) में स्थित संयुक्त राष्ट्र खाद्य सहायता संगठनों में से एक है। इसकी सहयोगी संस्थाएँ विश्व खाद्य कार्यक्रम और अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) हैं।
- पहलें:
- विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (GIAHS)।
- दुनिया भर में डेज़र्ट लोकस्ट स्थिति पर नज़र रखता है।
- कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन या CAC संयुक्त FAO/WHO खाद्य मानक कार्यक्रम के कार्यान्वयन से संबंधित सभी मामलों के लिये ज़िम्मेदार निकाय है।
- खाद्य और कृषि के लिये पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि को वर्ष 2001 में FAO के सम्मेलन के इकतीसवें सत्र द्वारा अपनाया गया था।
- प्रमुख प्रकाशन:
- विश्व मत्स्य पालन और जलकृषि राज्य (SOFIA)।
- विश्व के वनों का राज्य (SOFO)।
- विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति (SOFI)।
- खाद्य और कृषि राज्य (SOFA)।
- कृषि वस्तु बाज़ार राज्य (SOCO)।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. FAO पारम्परिक कृषि प्रणालियों को 'सार्वभौमिक रूप से महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (Globally Important System 'GIAHS)' की हैसियत प्रदान करता है। इस पहल का संपूर्ण लक्ष्य क्या है? (2016) 1- अभिनिर्धारित GIAHS के स्थानीय समुदायों को आधुनिक प्रौद्योगिकी, आधुनिक कृषि प्रणाली का प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना जिससे उनकी कृषि उत्पादकता अत्यधिक बढ़ जाए। नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 और 3 उत्तर: B |
जैव विविधता और पर्यावरण
भारत के कोयला संयंत्र: SO2 उत्सर्जन नियंत्रण
प्रिलिम्स के लिये:सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), फ्लू-गैस डिसल्फराइजेशन (FGD), सर्कुलेटिंग फ्लुइडाइज़्ड बेड कम्बशन (CFBC), ग्रीनपीस, कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस मेन्स के लिये:SO2 उत्सर्जन को कम करने के उपायों के पर्यावरणीय परिणाम |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के एक विश्लेषण में पाया गया है कि भारत के 8% से भी कम कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों ने सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जन को नियंत्रण में रखने के लिये केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा अनुशंसित SO2 उत्सर्जन कटौती तकनीक स्थापित की है।
- वर्ष 2019 ग्रीनपीस अध्ययन के अनुसार, भारत विश्व में SO2 का सबसे बड़ा उत्सर्जक है।
SO2 उत्सर्जन को कम करने की तकनीकें क्या हैं?
- फ्लू-गैस डीसल्फराइजेशन (FGD):
- (FGD) जीवाश्म-ईंधन वाले ऊर्जा स्टेशनों के निकास उत्सर्जन से सल्फर यौगिकों को हटाने की प्रक्रिया है।
- यह प्रक्रिया अधिशोषक के संयोजन के माध्यम से की जाती है, जो फ्लू-गैस/ग्रिप गैस से 95% तक सल्फर डाइऑक्साइड को हटा सकता है।
- फ्लू-गैस वह पदार्थ है जो तब उत्सर्जित होता है जब कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस या लकड़ी जैसे जीवाश्म ईंधन को गर्मी या ऊर्जा के लिये जलाया जाता है।
- सर्कुलेटिंग फ्लूइडाइज़्ड बेड कम्बशन (CFBC):
- CFBC बॉयलर एक पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा सुविधा है जो दहन के लिये एक ही समय में वायु और चूने को इंजेक्ट करके नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के निर्वहन को कम करती है।
- ठोस कणों की परत (Bed) को तब द्रवित/फ्लूइडाइज़्ड कहा जाता है जब दाब युक्त तरल (द्रव या गैस) को माध्यम से गुजारा जाता है और ठोस कणों को कुछ शर्तों के तहत तरल पदार्थ की तरह व्यवहार करने का कारण बनता है। द्रवीकरण/फ्लूइडाइज़ेशन के कारण ठोस कणों की अवस्था स्थैतिक से गतिक में परिवर्तित हो जाती है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- पूरे भारत में केवल 16.5 गीगावाट (GW) की संयुक्त क्षमता वाले कोयला संयंत्रों ने 5.9 गीगावॉट के बराबर FGD और सर्कुलेटिंग फ्लुइडाइज्ड बेड कंबशन (CFBC) बॉयलर स्थापित किये हैं।
- CREA विश्लेषण में पाया गया है कि देश के 92% कोयला बिजली संयंत्र FGD के बिना काम करते हैं।
- MoEF&CC और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा उनकी प्रगति की जाँच किये बिना सभी कोयला बिजली संयंत्रों के लिये समय-सीमा के व्यापक विस्तार ने कोयला आधारित बिजली उत्पादन इकाइयों से उत्सर्जन नियंत्रण को पटरी से उतारने में प्रमुख भूमिका निभाई।
- भारत की ऊर्जा उत्पादन स्थापित क्षमता 425 गीगावॉट है, जिसमें थर्मल सेक्टर कोयला (48.6%), गैस (5.9%), लिग्नाइट (1.6%) और डीज़ल से न्यूनतम हिस्सेदारी (<0.2%) सहित कुल स्थापित क्षमता में प्रमुख स्थान रखता है।
FGD स्थापित करने के लिये विद्युत संयंत्रों का वर्गीकरण क्या है?
- वर्ष 2021 में, MoEF&CC ने समय-सीमा लागू करने के लिये भूगोल के आधार पर कोयला-बिजली संयंत्रों की श्रेणियों को विभाजित किया।
- श्रेणी A को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के 10 किलोमीटर के दायरे में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिये सीमांकित किया गया है।
- श्रेणी B गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों या गैर-प्राप्ति शहरों के 10 किमी. के दायरे में है।
- श्रेणी C पूरे देश में शेष पौधे हैं।
- देश के अधिकांश बिजली संयंत्र सबसे लंबी समय-सीमा वाले श्रेणी C के हैं।
ऊर्जा और स्वच्छ वायु पर अनुसंधान केंद्र (CREA):
- CREA एक स्वतंत्र अनुसंधान संगठन है जो वायु प्रदूषण के रुझान, कारणों और स्वास्थ्य प्रभावों के साथ-साथ समाधानों का खुलासा करने पर केंद्रित है।
- यह स्वच्छ ऊर्जा और स्वच्छ हवा की दिशा में आगे बढ़ने के लिये दुनिया भर में सरकारों, कंपनियों तथा अभियान चलाने वाले संगठनों के प्रयासों का समर्थन करने के लिये वैज्ञानिक डेटा अनुसंधान और साक्ष्य का उपयोग करता है।
आगे की राह
- FGD कार्यान्वयन में गतिवृद्धि:
- कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों में FGD की स्थापना को प्राथमिकता देना तथा इसमें तेज़ी लाना। MoEF&CC द्वारा निर्धारित उत्सर्जन मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये इस तकनीक को अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर प्रोत्साहन प्रदान करना।
- CFBC कार्यान्वयन का विस्तार:
- पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने के लिये व्यापक कार्यान्वयन का लक्ष्य रखते हुए, CFBC प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिये विद्युत संयंत्रों को समर्थन एवं प्रोत्साहन प्रदान करना।
- सख्त प्रवर्तन और निगरानी:
- उत्सर्जन मानकों की निगरानी तथा उन्हें लागू करने के लिये नियामक तंत्र को मज़बूत करना। समय-सीमा एवं उत्सर्जन नियमों का अनुपालन न करने पर कठोर दंड का प्रावधान करना।
- अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी):
- वर्तमान मानकों से परे उन्नत प्रौद्योगिकियों की खोज करना तथा उन्हें लागू करने के लिये अनुसंधान व विकास में निवेश करना। कोयला आधारित विद्युत उत्पादन को अधिक सतत बनाने के लिये स्वच्छ ऊर्जा समाधान एवं उत्सर्जन नियंत्रण प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. ताम्र प्रगलन संयंत्रों को लेकर चिंता क्यों है? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B प्रश्न. भट्टी के तेल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: D मेन्स:प्रश्न. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। ये वर्ष 2005 में इसके पिछले अद्यतन से किस प्रकार भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में कौन से परिवर्तन आवश्यक हैं? (2021) प्रश्न. सरकार द्वारा किसी परियोजना को मंज़ूरी देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन तेज़ी से किये जा रहे हैं। कोयला खदानों के नज़दीक स्थित कोयले से चलने वाले तापीय संयंत्र के पर्यावरणीय प्रभावों पर चर्चा कीजिये। (2014) |
सामाजिक न्याय
सड़क सुरक्षा की वैश्विक स्थिति रिपोर्ट 2023: WHO
प्रिलिम्स के लिये:सड़क सुरक्षा की वैश्विक स्थिति रिपोर्ट 2023, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सड़क हादसों में होने वाली मौतें और सुरक्षा, सतत विकास लक्ष्य 3.6। मेन्स के लिये:सड़क सुरक्षा की वैश्विक स्थिति रिपोर्ट 2023: WHO, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप तथा उनके डिज़ाइन एवं कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सड़क सुरक्षा की वैश्विक स्थिति 2023 शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में विश्व भर में सड़क हादसों में होने वाली मौतों और सुरक्षा उपायों को लेकर महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष एवं अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की गई है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?
- सड़क हादसों में होने वाली मौतें:
- वर्ष 2010 और 2021 के बीच विश्व भर में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 5% की कमी आई है अर्थात इस एक वर्ष के दौरान होने वाली मौतों की कुल संख्या 1.19 मिलियन है।
- संयुक्त राष्ट्र के 108 सदस्य देशों ने इस अवधि के दौरान सड़क हादसों में होने वाली मौतों में गिरावट दर्ज की है।
- जबकि भारत में इसकी मृत्यु दर में 15% की वृद्धि देखी गई, जो वर्ष 2010 के 1.34 लाख से बढ़कर वर्ष 2021 में 1.54 लाख हो गई है।
- वे देश जहाँ सड़क हादसों में होने वाली मौतों में काफी कमी आई है:
- 10 देशों में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में काफी कमी दर्ज की गई है। 50% से अधिक कमी लाने में सफल देश इस प्रकार हैं: बेलारूस, ब्रुनेई दारुस्सलाम, डेनमार्क, जापान, लिथुआनिया, नॉर्वे, रूसी संघ, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त अरब अमीरात तथा वेनेज़ुएला।
- पैंतीस अन्य देशों ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 30% से 50% की कमी दर्ज की गई है।
- दुर्घटनाओं का क्षेत्रीय वितरण:
- वैश्विक सड़क यातायात में होने वाली मौतों में से 28% WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में, 25% पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में, 19% अफ्रीकी क्षेत्र में, 12% अमेरिका क्षेत्र में, 11% पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में तथा 5% यूरोपीय क्षेत्र में हुई।
- विश्व के केवल 1% मोटर वाहन होने के बावजूद सड़क हादसों से होने वाली 90% मौतें निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
- कमज़ोर सड़क चालक:
- सभी सड़क हादसों से होने वाली मौतों में से 53% कमज़ोर सड़क चालक हैं, जिनमें पैदल यात्री (23%), संचालित दोपहिया तथा तिपहिया वाहनों के चालक (21%), साइकिल चालक (6%) एवं सूक्ष्म-गतिशीलता उपकरणों के चालक (3%) शामिल हैं।
- वर्ष 2010 और वर्ष 2021 के बीच पैदल यात्रियों की मृत्यु 3% बढ़कर 2,74,000 हो गई, जबकि साइकिल चालकों की मृत्यु लगभग 20% बढ़कर 71,000 हो गई।
- हालाँकि कार एवं अन्य चौपहिया हल्के वाहन में सवार लोगों की मृत्यु में थोड़ी कमी आई, जो होने वाली वैश्विक मौतों का 30% है।
- सुरक्षा मानकों व नीतियों पर प्रगति:
- केवल छह देशों में ऐसे कानून हैं जो सभी जोखिम कारकों (तीव्र गति, शराब का सेवन कर वाहन चलाना एवं मोटरसाइकिल हेलमेट, सीटबेल्ट व बच्चों के संयम का उपयोग) के लिये WHO के सर्वोत्तम अभ्यास को पूरा करते हैं, जबकि 140 देशों (संयुक्त राष्ट्र के दो-तिहाई सदस्य देशों) में केवल इन जोखिम कारकों में से किसी एक से संबंधित कानून हैं।
- सीमित संख्या में देशों में प्रमुख वाहन सुरक्षा सुविधाओं को शामिल करने वाले कानून हैं और सड़क उपयोगकर्त्ताओं के लिये सुरक्षा निरीक्षण की आवश्यकता होती है।
- कार्रवाई के लिये आह्वान:
- वैश्विक मोटर-वाहन बेड़े (Fleet) की वृद्धि वर्ष 2030 तक दोगुनी होने की उम्मीद है, जिससे सुदृढ़ सुरक्षा नियमों और बुनियादी ढाँचे में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है।
- यह रिपोर्ट वर्ष 2030 तक सड़क यातायात से होने वाली मौतों को 50% तक कम करने के संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई दशक 2021-2030 के लक्ष्य को पूरा करने के प्रयासों के लिये आधार रेखा तय करती है।
सड़क सुरक्षा से संबंधित पहल क्या हैं?
- वैश्विक:
- सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (2015):
- इस घोषणा पर ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा पर दूसरे वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किये गए। भारत इस घोषणापत्र का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- देशों की योजना सतत् विकास लक्ष्य 3.6 हासिल करने अर्थात वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों और आघात की संख्या को आधा करने की है।
- सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई का दशक 2021-2030:
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2030 तक कम-से-कम 50% सड़क यातायात मौतों और आघातों को रोकने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ "वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार" संकल्प अपनाया।
- वैश्विक योजना सड़क सुरक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर बल देकर स्टॉकहोम घोषणा के अनुरूप है।
- अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP) :
- यह एक पंजीकृत चैरिटी है जो सुरक्षित सड़कों के माध्यम से जीवन बचाने के लिये समर्पित है।
- सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (2015):
- भारत :
- मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019:
- अधिनियम यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, किशोर ड्राइविंग आदि के लिये दंड बढ़ाता है।
- यह एक मोटर वाहन दुर्घटना निधि का प्रावधान करता है, जो भारत में सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को कुछ प्रकार की दुर्घटनाओं के लिये अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा।
- यह केंद्र सरकार द्वारा बनाए जाने वाले एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का भी प्रावधान करता है।
- सड़क मार्ग द्वारा वहन अधिनियम, 2007
- यह अधिनियम आम वाहकों को विनियमित करता है, उनकी देनदारियों को सीमित करता है और उन्हें उनके कर्मचारियों या एजेंटों या अन्य की लापरवाही के कारण उन वस्तुओं की हानि के लिये उनकी देयता का आकलन करने के लिये उनके द्वारा वितरित किये गए वस्तुओं के मूल्य की घोषणा अनिवार्य बनाता है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000:
- यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के भीतर भूमि के नियंत्रण, राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले रास्ते और यातायात का अधिकार तथा उस पर अनधिकृत कब्ज़े को हटाने का भी प्रावधान करता है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998:
- यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास, रखरखाव और प्रबंधन तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिये एक प्राधिकरण के गठन का प्रावधान करता है।
- मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019: