इन्फोग्राफिक्स
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
अरुणाचल प्रदेश में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प
प्रिलिम्स के लिये:तवांग सेक्टर की अवस्थिति, अरुणाचल प्रदेश मेन्स के लिये:भारत-चीन संबंधों की चुनौतियाँ और समाधान |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्स्ते नदी के किनारे भारत और चीन के सैनिको के बीच झड़प हुई है।
- वर्ष 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद से भारतीय सैनिकों और चीनी PLA सैनिकों के बीच इस तरह की यह पहली घटना है।
- दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्रों में गश्त करते हैं और यह वर्ष 2006 से एक प्रवृत्ति रही है।
पृष्ठभूमि
- भारतीय सेना के अनुसार, तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) के साथ कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो अलग-अलग महत्त्व के हैं।
- LAC पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड), सिक्किम और पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश) क्षेत्रों में विभाजित है।
- यह घटना उत्तराखंड की पहाड़ियों में औली में भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास ऑपरेशन युद्धभ्यास पर आपत्ति जताने के कुछ दिनों बाद हुई, जिसमें दावा किया गया कि यह वर्ष 1993 और 1996 के सीमा समझौतों का उल्लंघन है।
भारतीय/चीनी दृष्टिकोण से अरुणाचल प्रदेश का महत्त्व:
- रणनीतिक महत्त्व:
- अरुणाचल प्रदेश, जिसे वर्ष 1972 तक पूर्वोत्तर सीमांत एजेंसी (NEFA) के रूप में जाना जाता था, पूर्वोत्तर में सबसे बड़ा राज्य है, जो उत्तर एवं उत्तर-पश्चिम में तिब्बत, पश्चिम में भूटान और पूर्व में म्याँमार के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ साझा करता है।
- यह राज्य पूर्वोत्तर के लिये एक सुरक्षा कवच की तरह है।
- हालाँकि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है।
- इसके अलावा चीन पूरे राज्य पर दावा कर सकता है, क्योंकि उसका मुख्य हित तवांग ज़िले में है, जो अरुणाचल के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है, यह भूटान और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ हैं।
- भूटान देश से संबंधित कारक:
- अरुणाचल का बीजिंग के नियंत्रण में आने का अर्थ यह होगा कि भूटान की पश्चिमी और पूर्वी दोनों सीमाओं पर चीन पड़ोस में होगा।
- भूटान के पश्चिमी हिस्से में, चीन ने रणनीतिक बिंदुओं को जोड़ने वाली मोटर वाहन योग्य सड़कों का निर्माण शुरू कर दिया है।
- अरुणाचल का बीजिंग के नियंत्रण में आने का अर्थ यह होगा कि भूटान की पश्चिमी और पूर्वी दोनों सीमाओं पर चीन पड़ोस में होगा।
- जल शक्ति:
- चूँकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत की जलापूर्ति पर चीन का नियंत्रण है। इसने कई बाँधों का निर्माण किया है और क्षेत्र में बाढ़ या सूखे के रूप में भारत के खिलाफ भू-रणनीतिक हथियार के रूप में जल का उपयोग कर सकता है।
- त्सांग्पो नदी जो तिब्बत से निकलती है, भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से बहती है जबकि अरुणाचल प्रदेश में सियांग कहलाती है।
- वर्ष 2000 में तिब्बत में एक बाँध टूटने के कारण बाढ़ आई जिसने पूर्वोत्तर भारत में कहर बरपाया और 30 लोगों की जान ले ली तथा इसमें 100 से अधिक लापता हो गए।
तवांग क्षेत्र में चीन की रूचि का कारण:
- रणनीतिक महत्त्व:
- तवांग में चीन की रूचि सामरिक कारणों से हो सकती है क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रणनीतिक प्रवेश प्रदान करता है।
- तवांग तिब्बत और ब्रह्मपुत्र घाटी के बीच गलियारे(कॉरिडोर) का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- तवांग में चीन की रूचि सामरिक कारणों से हो सकती है क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रणनीतिक प्रवेश प्रदान करता है।
- तवांग मठ:
- तवांग, जो भूटान की सीमा से भी जुड़ा हुआ है, तिब्बती बौद्ध धर्म के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मठ गलदन नमग्ये ल्हात्से की मेज़बानी करता है और यह ल्हासा में सबसे बड़ा पोताला महल है।
- पाँचवे दलाई लामा के सम्मान में वर्ष 1680-81 में मेराग लोद्रो ग्यामत्सो द्वारा मठ की स्थापना की गई थी।
- चीन का दावा है कि मठ इस बात का प्रमाण है कि यह ज़िला कभी तिब्बत का था। चीन अरुणाचल पर अपने दावे के समर्थन में तवांग मठ और तिब्बत में ल्हासा मठ के बीच ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देता है।
- तवांग, जो भूटान की सीमा से भी जुड़ा हुआ है, तिब्बती बौद्ध धर्म के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मठ गलदन नमग्ये ल्हात्से की मेज़बानी करता है और यह ल्हासा में सबसे बड़ा पोताला महल है।
- सांस्कृतिक संबंध और चीन की चिंताएँ:
- तवांग तिब्बती बौद्ध धर्म का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है और ऊपरी अरुणाचल क्षेत्र में कुछ जनजातियाँ ऐसी हैं जिनका तिब्बत के लोगों से सांस्कृतिक संबंध है।
- मोनपा जनजाति तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करती है और तिब्बत के कुछ क्षेत्रों में भी पाई जाती है।
- कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, चीन को भय है कि अरुणाचल में इन जातीय समूहों की उपस्थिति किसी भी समय बीजिंग के खिलाफ लोकतंत्र समर्थक तिब्बती आंदोलन को जन्म दे सकती है।
- तवांग तिब्बती बौद्ध धर्म का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है और ऊपरी अरुणाचल क्षेत्र में कुछ जनजातियाँ ऐसी हैं जिनका तिब्बत के लोगों से सांस्कृतिक संबंध है।
- राजनीतिक महत्त्व:
- जब दलाई लामा 1959 में चीन के दमनकाल के दौरान तिब्बत से बच निकल भागे फिर उन्होंने तवांग के रास्ते से भारत में प्रवेश किया और कुछ समय के लिये तवांग मठ में रहे।
आगे की राह:
- भारत को अपने हितों की कुशलता से रक्षा करने के लिये अपनी सीमा के पास चीन द्वारा किसी नए निर्माण के संबंध में सतर्क रहने की आवश्यकता है।
- इसके अलावा इसे कुशल तरीके से कर्मियों और अन्य रसद आपूर्ति की आवाजाही सुनिश्चित करने हेतु अपने दुर्गम सीमा क्षेत्रों में मज़बूत बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है।
- दोनों पक्षों के सीमा सैनिकों को संवाद जारी रखना चाहिये, साथ ही उन्हें शीघ्र ही पीछे हटना चाहिये और तनाव कम करना चाहिये।
- दोनों पक्षों को भारत-चीन सीमा मामलों पर सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति तथा स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. "संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्त्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है।" विवेचना कीजिये। (2021) प्रश्न. "चीन अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष को, एशिया में संभाव्य सैनिक शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है"। इस कथन के प्रकाश में उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव की विवेचना कीजिये। (2017) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
विवाह-विच्छेद अधिनियम, 1869 की धारा 10ए
प्रिलिम्स के लिये:मौलिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता, मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा मेन्स के लिये:समान विवाह संहिता का महत्त्व, न्यायिक उपचार का अधिकार। |
चर्चा में क्यों?
विवाह-विच्छेद अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत आपसी सहमति से तलाक की याचिका दायर करने के लिये एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि की शर्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है और केरल उच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक बताया है।
- केरल उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि विवाह संबंधी विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण और भलाई को बढ़ावा देने के लिये भारत में एक समान विवाह संहिता होनी चाहिये।
न्यायलय ने विवाह-विच्छेद अधिनियम, 1869 की धारा 10ए को क्यों रद्द किया?
- समान परिस्थितियों में अलग-अलग समुदायों के साथ अलग-अलग व्यवहार के रूप में धारा 10ए भेदभावपूर्ण है।
- भले ही विधायिका का उद्देश्य अच्छे लक्ष्यों को प्राप्त करना हो, यह उन व्यक्तियों के हितों की प्रभावी ढंग से रक्षा किये बिना उनकी स्वतंत्रता नहीं छीन सकती है जिनके न्याय मांगने संबंधी अधिकार खतरे में हैं।
- वैधानिक प्रावधानों द्वारा प्रभावित किये गए न्यायिक उपचार का अधिकार मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।
- न्यायिक उपचार जीवन के अधिकार के अंतर्गत आता है।
विवाह-विच्छेद अधिनियम, 1869 की धारा 10ए का स्रोत:
- एक वर्ष की अवधि के निर्धारण संबंधी जानकारी विशेष विवाह अधिनियम की धारा 28(1), हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी (1) और पारसी विवाह और विवाह-विच्छेद अधिनियम की धारा 32बी (1) में मिलती है।
- पहले भारतीय विवाह-विच्छेद अधिनियम की धारा 10ए में तलाक के आवेदन के लिये 2 वर्ष की प्रतीक्षा अवधि अनिवार्य थी।
- सौम्या एन थॉमस बनाम द यूनियन ऑफ इंडिया (2010) व अन्य मामले में केरल उच्च न्यायालय ने ही कहा कि धारा 10ए के तहत 2 वर्ष की न्यूनतम अनिवार्य अवधि एकपक्षीय और दमनकारी है अतः इसे एक वर्ष की अवधि के रूप में ही माना जाना चाहिये।
- मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 8 में यह घोषणा की गई है कि संविधान अथवा कानून द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कृत्यों के लिये सक्षम राष्ट्रीय न्यायाधिकरणों द्वारा सभी के लिये प्रभावी उपचार का अधिकार है।
मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा:
- मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights- UDHR) मानव अधिकारों के इतिहास में एक मील का पत्थर है।
- दिसंबर 1948 में पेरिस में मानवाधिकार दिवस के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसकी घोषणा की गई।
- प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया भर में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
- यह पहली बार मौलिक मानवाधिकारों को सार्वभौमिक रूप से संरक्षित करने के लिये निर्धारित करता है।
- प्रत्येक व्यक्ति इस घोषणा में निर्धारित सभी अधिकारों और स्वतंत्रताओं का बिना किसी प्रकार के भेदभाव ( जैसे जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य राय, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति) के हकदार है।
- सभी मनुष्य गरिमा और अधिकारों के संदर्भ में स्वतंत्र एवं समान पैदा होते हैं। वे तर्क और विवेक से संपन्न हैं तथा उन्हें भाईचारे की भावना से एक दूसरे के प्रति कार्य करना चाहिये।
निष्कर्ष:
- तलाक के संदर्भ में आवेदन करने के लिये अनिवार्य एक वर्ष की अवधि के पीछे मूल उद्देश्य मूल रूप से जोड़ों को एक-दूसरे और विभिन्न पारिवारिक संस्कृति को समझने के लिये उचित समय प्रदान करना है। यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक वैवाहिक मामले में यह दृष्टिकोण एक ही परिणाम के साथ काम करता है इसलिये विषाक्त वैवाहिक संबंधों से छुटकारा पाने के लिये कुछ अन्य उपचारात्मक उपाय होने चाहिये।
- केरल उच्च न्यायालय मूल रूप से उन जोड़ों के गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार को संरक्षित करने का प्रयास कर रहा है जो अपने विवाहित जीवन में गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, PMKVY, कौशल विकास से संबंधित पहल। मेन्स के लिये:प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला, स्किल इंडिया मिशन। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship- MSDE) ने स्किल इंडिया मिशन के तहत प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला (Pradhan Mantri National Apprenticeship Mela- PMNAM) आयोजित किया है।
- इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न कंपनियों की भागीदारी देखी गई और एक ही मंच पर संभावित प्रशिक्षुओं से मिलने और आवेदकों को मौके पर चुनने तथा उन्हें अपने संगठन का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करने का मौका मिला।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला (PMNAM):
- राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (National Skill Development Mission- NSDM) के तहत प्रत्येक महीने प्रशिक्षुता मेलों (Apprenticeship Mela) का आयोजन किया जाता है, जिसमें चयनित व्यक्तियों को नए कौशल हासिल करने के लिये सरकारी मानदंडों के अनुसार मासिक छात्रवृत्ति मिलती है।
- PMNAM का उपयोग प्रतिष्ठानों और छात्रों की भागीदारी बढ़ाने के लिये एक मंच के रूप में किया जा रहा है। यह भाग लेने वाली कंपनियों में मौजूद विभिन्न अवसरों पर युवाओं को जागरूक भी कर रहा है।
- इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य कंपनियों को अधिक प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने के लिये प्रोत्साहित करना है, साथ ही नियोक्ताओं को सही प्रतिभा की खोज करने और प्रशिक्षण एवं व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से उनकी क्षमता विकसित करने में सहायता करना है।
- इसका लक्ष्य 2022 के अंत तक भारत में शिक्षुता के अवसरों को 10 लाख तक और 2026 तक 60 लाख तक बढ़ाना है।
- सरकार अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण के माध्यम से प्रति वर्ष 10 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने और इस मिशन को पूरा करने का प्रयास कर रही है।
स्किल इंडिया मिशन:
- स्किल इंडिया मिशन 15 जुलाई, 2015 को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
- पहल में राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, कौशल विकास और उद्यमिता के लिये राष्ट्रीय नीति, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और कौशल ऋण योजना शामिल हैं।
- PMKVY स्वीकृत कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले उम्मीदवारों को वित्तीय पुरस्कार प्रदान करके कौशल प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करता है।
- कौशल ऋण योजना के तहत कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लेने के इच्छुक युवाओं को 5,000 से 1.5 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
- इसे देश भर में कौशल विकास प्रयासों को लागू करने और बढ़ाने के लिये एक मज़बूत संस्थागत ढाँचा प्रदान करने हेतु शुरू किया गया था।
कौशल विकास के लिये की गई प्रमुख पहलें:
- ‘संकल्प’ और ‘स्ट्राइव’: संकल्प कार्यक्रम (SANKALP programme)—जो ज़िला-स्तरीय स्किलिंग पारितंत्र पर केंद्रित है और ‘स्ट्राइव योजना’ (STRIVE project)—जिसका उद्देश्य ITIs के प्रदर्शन में सुधार करना है, अन्य महत्त्वपूर्ण कौशल निर्माण हस्तक्षेप हैं।
- विभिन्न मंत्रालयों की पहल: 20 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा लगभग 40 कौशल विकास कार्यक्रम कार्यान्वित किये जा रहे हैं। कुल कौशल निर्माण में ‘कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय’ का योगदान लगभग 55% है।
- इन सभी मंत्रालयों की पहल के परिणामस्वरूप वर्ष 2015 से लगभग चार करोड़ लोगों को विभिन्न औपचारिक कौशल कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है।
- कौशल निर्माण में अनिवार्य CSR व्यय: कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य CSR व्यय के कार्यान्वयन के बाद से भारत में निगमों ने विविध सामाजिक परियोजनाओं में 100,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
- इनमें से लगभग 6,877 करोड़ रुपये कौशल निर्माण और आजीविका उन्नयन परियोजनाओं पर खर्च किये गए हैं। इस क्रम में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात शीर्ष पाँच प्राप्तकर्ता राज्य रहे।
- ‘तेजस’ कौशल प्रशिक्षण परियोजना: दुबई एक्सपो, 2020 में विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिये ‘तेजस’ अर्थात् अमीरात में नौकरियों और कौशल के लिये प्रशिक्षण(Training for Emirates Jobs and Skills- TEJAS) की शुरुआत की गई।
- यह परियोजना भारतीयों के कौशल निर्माण, प्रमाणन और विदेश में नियोजन पर केंद्रित है तथा भारतीय कार्यबल को यूएई में कौशल और बाज़ार आवश्यकताओं के अनुरूप सक्षम बनाने के लिये प्रयासरत है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न: "भारत में जनसांख्यिकी लाभांश केवल सैद्धांतिक रहेगा जब तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और रचनात्मक नहीं हो जाती।" हमारी जनसंख्या की क्षमता को अधिक उत्पादक एवं रोज़गार योग्य बनाने के लिये सरकार द्वारा क्या उपाय किये गए हैं? (2016) |
स्रोत: पी.आई.बी
शासन व्यवस्था
इंडिया इंटरनेट गवर्नेंस फोरम 2022
प्रिलिम्स के लिये:इंडिया इंटरनेट गवर्नेंस फोरम 2022 मेन्स के लिये:इंटरनेट गवर्नेंस, मौलिक अधिकार, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्यमंत्री ने इंडिया इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (India Internet Governance Forum- IIGF) 2022 को संबोधित किया।
- वर्ष 2022 के लिये थीम: ‘भारत के सशक्तिकरण के लिये प्रौद्योगिकी के दशक का उपयोग’ (Leveraging Techade for Empowering Bharat)
- इस आयोजन का लक्ष्य डिजिटलीकरण के रोडमैप पर चर्चा करना और इंटरनेट गवर्नेंस पर अंतर्राष्ट्रीय नीति विकास में भारत की भूमिका एवं महत्त्व पर ज़ोर देकर वैश्विक मंच पर इसकी पुष्टि करना था।
IIGF के बारे में:
- इंडिया इंटरनेट गवर्नमेंट फोरम (IIGF) वास्तव में संयुक्त राष्ट्र इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (UN-IGF) से जुड़ी पहल है।
- यह एक बहु-हितधारक मंच है जो इंटरनेट से संबंधित सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये विभिन्न समूहों के प्रतिनिधियों को एकजुट करता है।
- भारत की इंटरनेट कनेक्टिविटी की स्थिति:
- भारत 800 मिलियन भारतीय उपयोगकर्त्ताओं के साथ विश्व का सबसे बड़ा इंटरनेट कनेक्टिविटी वाला देश है।
- 5जी और भारतनेट की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नेटवर्क परियोजना में भारतीय उपयोगकर्त्ताओं की संख्या 1.2 बिलियन होगी जो वैश्विक स्तर पर इंटरनेट की सबसे बड़ी उपस्थिति का प्रतिनिधित्त्व करेंगे।
- भारत ने वैश्विक दक्षिण के देशों के लिये इंटरनेट तक पहुँच में भी सुधार किया है, ये वो देश हैं जो अपनी अर्थव्यवस्थाओं के विकास में इन्टरनेट की सहायता और डिजिटलीकरण की कमी से अर्थव्यवस्था को आवश्यक गति प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं।
- इंटरनेट के लाभ:
- इन लाभों में उत्पादकता, वित्तीय स्वतंत्रता और सूचना तक अधिक पहुँच शामिल हैं।
इंटरनेट गवर्नेंस
- परिचय:
- इंटरनेट गवर्नेंस को मुख्यतः सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज द्वारा साझा सिद्धांतों, मानदंडों, नियमों, निर्णय लेने की प्रक्रियाओं और कार्यक्रमों की अपनी-अपनी भूमिकाओं में विकास और अनुप्रयोग के रूप में परिभाषित किया गया है, जो इंटरनेट के विकास और उपयोग को बढ़ावा देते हैं।
- इसमें तकनीकी मानकों के विकास और समन्वय, महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के संचालन एवं सार्वजनिक नीति के मुद्दों जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया है।
- इंटरनेट गवर्नेंस में इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेसिंग (IP Addressing), डोमेन नेम सिस्टम (DNS), रूटिंग, तकनीकी नवाचार, मानकीकरण, सुरक्षा, सार्वजनिक नीति, गोपनीयता, कानूनी मुद्दे, साइबर मानदंड, बौद्धिक संपदा और कराधान शामिल हैं।
- इंटरनेट गवर्नेंस के आयाम:
- भौतिक अवसंरचना
- कोड या तार्किक आयाम
- विषय वस्तु
- सुरक्षा
- भारत का दृष्टिकोण:
- भारत इंटरनेट गवर्नेंस के मामलों में बहु-हितधारक दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर सरकार का सर्वोच्च अधिकार और नियंत्रण बना रहेगा।
- इस क्षेत्र में भारत की ताकत इसका उद्योग और मानव संसाधन है जिसका बहु-हितधारक दृष्टिकोण में लाभ उठाया जा सकता है।
- चुनौतियाँ:
- इंटरनेट की निरंतर विकसित होती प्रकृति, कुछ कंपनियों और देशों में डिजिटल शक्ति का संकेंद्रण, मांग पक्ष के बजाय आपूर्ति पक्ष द्वारा निर्णय लेना आदि।
स्रोत: पी.आई.बी.
शासन व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिये परिवार पहचान पत्र
प्रिलिम्स के लिये:AADHAR लक्षित जन वितरण प्रणाली, NFSA मेन्स के लिये:कल्याणकारी योजनाओं हेतु पारिवारिक डेटाबेस - दक्षता, महत्त्व और चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के निवासियों के लिये एक परिवार पहचान पत्र लाने का फैसला किया है।
परिवार पहचान पत्र:
- परिचय:
- FPP अद्वितीय 8-अंकीय अक्षरांकीय नंबर (पैन कार्ड की तरह) वाला एक पहचान पत्र होगा, जिसमें परिवार के मुखिया के माध्यम से प्रत्येक परिवार और उसके सदस्यों की पहचान की जाएगी।
- यह केंद्रशासित प्रदेशों में प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के लिये एकल पहचान-पत्र होगा, आधार कार्ड के विपरीत इसमें केवल एक व्यक्ति के बारे में जानकारी होती है।
- विवरण और लिंकिंग:
- इस कार्ड में परिवार के सभी सदस्यों का विवरण होगा, जिसमें उनके नाम, आयु, योग्यता, रोज़गार की स्थिति आदि शामिल हैं और इसे परिवार के प्रमुख के आधार(AADHAR) और बैंक खाता संख्या से जोड़ा जाएगा।
- महत्त्व:
- कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर वितरण: FPP का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में परिवारों का एक प्रामाणिक, सत्यापित और विश्वसनीय डेटाबेस बनाना है ताकि पात्र लाभार्थियों की कल्याणकारी योजनाओं तक त्वरित और पारदर्शी पहुँच सुनिश्चित की जा सके।
- सहज प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: इस तरह की प्रणाली न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ उनके बैंक खातों में लाभों के सीधे अंतरण की सुविधा प्रदान करेगी।
- डुप्लिकेसी को समाप्त करना: डेटाबेस डुप्लीकेट राशन कार्ड और आधार की पहचान करने और इन्हें हटाने में भी मदद करेगा एवं सरकार को उन परिवारों की पहचान करने में मदद करेगा जिनके पास कई शिक्षित युवा हैं, लेकिन नौकरी नहीं है।
- डेटा का स्वत: अद्यतन: डेटाबेस में जानकारी (जन्म, मृत्यु और विवाह) लगातार और स्वचालित रूप से अद्यतन की जाएगी एवं लोगों को ऐसे उद्देश्यों के लिये स्थानीय अधिकारियों के पास नहीं जाना पड़ेगा।
- यह प्रामाणिक, अद्यतन जनसंख्या डेटा के आधार पर सरकार की योजना नीति में भी मदद करेगा।
- FPP के संबंध में असहमति:
- सरकार के अनुसार परिवार की सहमति से ही डेटाबेस बनाया जाएगा। हालाँकि परिवार कार्ड रखने के लिये सहमति नहीं देने वाले परिवारों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने में व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System- PDS) के माध्यम से सब्सिडी वाले राशन, मुफ्त चिकित्सा उपचार, वृद्धावस्था/विधवा/पारिवारिक पेंशन, उग्रवाद के पीड़ितों को सहायता, छात्रवृत्ति आदि सभी को परिवार पहचान पत्र से जोड़ा जाएगा।
- FPP के खिलाफ तर्क:
- विपक्षी दलों ने FPP के विचार की आलोचना करते हुए इसे कश्मीरियों पर नज़र रखने के लिये 'निगरानी उपकरण' के रूप में वर्णित किया है।
- यह जम्मू-कश्मीर के लोगों पर विश्वास की कमी के प्रतीक के रूप में "अद्वितीय परिवार आईडी" का दावा करता हैं।
- प्रस्तावित यूनिक आईडी की समय और संसाधनों की बर्बादी के रूप में आलोचना की गई थी अर्थात् एक समान प्रणाली के रूप में इसकी आवश्यकता नहीं थी क्योंकि आधार पहले से मौजूद है।
- चीनी संस्थाओं द्वारा हाल ही में साइबर और रैंसमवेयर हमलों के मद्देनज़र निवासियों के व्यक्तिगत डेटा की रक्षा करने में सरकार की क्षमता के बारे में भी चिंताएँ हैं।
- विपक्षी दलों ने FPP के विचार की आलोचना करते हुए इसे कश्मीरियों पर नज़र रखने के लिये 'निगरानी उपकरण' के रूप में वर्णित किया है।
अन्य राज्यों में समान परिवार डेटाबेस:
- कई अन्य राज्यों ने समान डेटाबेस प्रस्तावित किये या बनाए हैं; परिवार पहचान पत्र की अवधारणा को लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य था।
- पंजाब ने वर्ष 2021 में उन परिवारों को लाभ के प्रत्यक्ष हस्तांतरण हेतु ऐसी प्रणाली शुरू की जो सरकार की विभिन्न सामाजिक सेवा योजनाओं के लिये पात्र हैं।
- नवंबर 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी तरह के उद्देश्यों के लिये यूपी परिवार कल्याण कार्ड लॉन्च करने का निर्णय लिया।
- राजस्थान राज्य ने भी "जन आधार योजना" शुरू की है, जिसका उद्देश्य एक परिवार से एक व्यक्ति की पहचान करना है और यह राज्य में संचालित अपनी तरह की एकमात्र योजना है, जिस पर सभी प्रकार की नकदी के साथ-साथ गैर-नकदी लाभ की प्राप्ति होती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. अनाज वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने हेतु सरकार द्वारा कौन-कौन से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं? (2019) प्रश्न.नीति प्रक्रिया के सभी चरणों में, जागरूकता और सक्रिय भागीदारी के अभाव के कारण कमज़ोर वर्गों के लिये लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं का प्रदर्शन इतना प्रभावी नहीं है। चर्चा कीजिये। (2019) प्रश्न. भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इसे प्रभावी और पारदर्शी कैसे बनाया जा सकता है? (2022) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2022
प्रिलिम्स के लिये:ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, ऊर्जा संरक्षण दिवस, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन मेन्स के लिये:भारत के विद्युत क्षेत्र का परिदृश्य और संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 14 दिसंबर को मनाया जाता है।
ऊर्जा संरक्षण दिवस:
- पृष्ठभूमि:
- भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 1991 में पुरस्कारों के माध्यम से अपने उत्पादन को बनाए रखते हुए ऊर्जा की खपत को कम करने में उद्योगों और प्रतिष्ठानों के योगदान को मान्यता देने हेतु राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार की शुरुआत की।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) प्रत्येक वर्ष समारोह का नेतृत्त्व करता है।
- पहली बार पुरस्कार 14 दिसंबर, 1991 को प्रदान किये गए थे।
- जब से इस दिन को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में घोषित किया गया है। ये पुरस्कार प्रत्येक वर्ष उसी दिन आयोजित एक समारोह में प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों को प्रदान किये जाते हैं।
- भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 1991 में पुरस्कारों के माध्यम से अपने उत्पादन को बनाए रखते हुए ऊर्जा की खपत को कम करने में उद्योगों और प्रतिष्ठानों के योगदान को मान्यता देने हेतु राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार की शुरुआत की।
- उद्देश्य:
- यह दिन लोगों को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करने पर केंद्रित है तथा ऊर्जा संसाधनों को बचाने के प्रयासों को बढ़ावा देता है। यह ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डालता है।
- भारत के उत्सव के मुख्य आकर्षण:
- राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार (NEEIA), 2022:
- ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में असाधारण कार्य तथा नवाचारी विचार को मान्यता देने के लिये वर्ष 2021 में NEEIA पुरस्कार प्रारंभ किये गए थे।
- पुरस्कारों का मूल्यांकन प्रतिकृति, सामर्थ्य, विश्वसनीयता, ऊर्जा बचत पर प्रभाव और पर्यावरण एवं स्थिरता पर प्रभाव के आधार पर किया जाता है।
- 'ईवी-यात्रा पोर्टल' और मोबाइल ऐप का शुभारंभ:
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने निकटतम सार्वजनिक ईवी चार्जर के लिये ‘इन व्हेकिल नेवीगेशन’ सुविधा हेतु एक मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किया है, देश में ई-गतिशीलता को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न केंद्रीय और राज्य स्तरीय पहलों पर सूचना का प्रसार करने हेतु एक वेबसाइट और सीपीयू को अपने चार्जिंग विवरण को सुरक्षित रूप से राष्ट्रीय ऑनलाइन डाटा बेस में पंजीकृत करने में सक्षम बनाने के लिये वेब पोर्टल है।
- राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार (NEEIA), 2022:
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)?
- यह विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊर्जा आधिक्य को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ विकासशील नीतियों और रणनीतियों में सहायता करता है।
- यह अपने कार्यों को करने में मौजूदा संसाधनों एवं बुनियादी ढाँचे की पहचान तथा उपयोग करने के लिये नामित उपभोक्ताओं, एजेंसियों व अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है।
ऊर्जा संरक्षण:
- इसके तहत ऐसा कोई भी व्यवहार शामिल होता है जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा खपत में कमी की जाती है - जैसे उपयोग नहीं होने पर रोशनी और पंखे बंद करना या ऊर्जा का उपयोग करने वाली किसी विशेष सेवा के उपयोग को कम करना, जैसे की व्यक्तिगत वाहन के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर रहे हैं।
- ऊर्जा संरक्षण एक वृहद स्तर पर सचेत व व्यक्तिगत प्रयास है, यह ऊर्जा दक्षता की ओर ले जाता है।
- ऊर्जा संरक्षण का अंतिम लक्ष्य स्थायी ऊर्जा तक पहुँचना है।
- यह 'ऊर्जा दक्षता' शब्द से अलग है, ऊर्जा दक्षता का अर्थ है किसी कार्य को करने के लिये कम ऊर्जा का उपयोग करना अर्थात् ऊर्जा की बर्बादी को समाप्त करना।
भारत का विद्युत क्षेत्र
- कुल क्षमता: अक्टूबर 2022 तक 408.71 GW की स्थापित बिजली क्षमता के साथ भारत विश्व में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है।
- थर्मल, परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियाँ भारत की बिजली पैदा करने के प्रमुख स्रोत हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र: भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र विश्व स्तर पर चौथा सबसे आकर्षक नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार है।
- पवन ऊर्जा स्थापना क्षमता के मामले में, भारत चौथे स्थान पर था, जबकि सौर ऊर्जा स्थापना क्षमता में यह पाँचवें स्थान पर था।
- भारत ने वर्ष 2022 तक 175GW के लक्ष्य के मुकाबले अक्तूबर, 2022 तक 165.94GW अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है।
- COP26 में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 GW स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है।
- पवन ऊर्जा स्थापना क्षमता के मामले में, भारत चौथे स्थान पर था, जबकि सौर ऊर्जा स्थापना क्षमता में यह पाँचवें स्थान पर था।
ऊर्जा संरक्षण से संबंधित पहल:
- राष्ट्रीय:
- प्रदर्शन उपलब्धि और व्यापार योजना (PET): यह ऊर्जा बचत के प्रमाणीकरण के माध्यम से ऊर्जा गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिये लागत प्रभावशीलता को बढ़ाने हेतु एक बाज़ार आधारित तंत्र है जिसका व्यापार किया जा सकता है।
- मानक और लेबलिंग: यह योजना 2006 में शुरू की गई थी और वर्तमान में उपकरण/उपकरणों के लिये लागू की गई है।
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC): इसे 2007 में नए वाणिज्यिक भवनों के लिये विकसित किया गया था।
- मांग पक्ष प्रबंधन: यह विद्युत मीटर की मांग या ग्राहक-पक्ष पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से उपायों का चयन, योजना और कार्यान्वयन है।
- वैश्विक प्रयास:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी: यह सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य के लिये ऊर्जा नीतियों को आकार देने हेतु दुनिया भर के देशों के साथ कार्य करती है।
- भारत IEA का एक सदस्य देश नहीं बल्कि एक सहयोगी सदस्य (Association Country) है। हालांँकि IEA ने भारत को पूर्णकालिक सदस्य बनने के लिये आमंत्रित किया है।
- IEA और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL - Ministry of Power) ने ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था के कई लाभों को प्रदर्शित करने के लिये भारत सरकार के घरेलू कुशल प्रकाश कार्यक्रम - ‘उजाला’ (UJALA) पर मिलकर केस स्टडी की।
- सस्टेनेबल एनर्जी फॉर आल (SEforALL)
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो जलवायु पर पेरिस समझौते के अनुरूप सतत् विकास लक्ष्य-7 (वर्ष 2030 तक सभी के सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा की पहुँच) की उपलब्धि की दिशा में तेज़ी से कार्रवाई करने के लिये संयुक्त राष्ट्र और सरकार के नेताओं, निजी क्षेत्र, वित्तीय संस्थानों तथा नागरिक समाज के साथ साझेदारी में काम करता है।
- पेरिस समझौता:
- यह जलवायु परिवर्तन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका लक्ष्य पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से कम, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है।
- पेरिस समझौते के तहत भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा तीव्रता (प्रति यूनिट जीडीपी के लिये खर्च ऊर्जा इकाई) को वर्ष 2005 की तुलना में 33-35% कम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- मिशन इनोवेशन (MI):
- यह स्वच्छ ऊर्जा नवाचार में तेज़ी लाने के लिये 24 देशों और यूरोपीय आयोग (यूरोपीय संघ की ओर से) की एक वैश्विक पहल है।
- भारत इसके सदस्य देशों में से एक है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी: यह सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य के लिये ऊर्जा नीतियों को आकार देने हेतु दुनिया भर के देशों के साथ कार्य करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):प्रश्न. निम्नलिखित में से किस पर आप ऊर्जा दक्षता ब्यूरो स्टार लेबल पा सकते हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न.जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के पक्षकारों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2021) |