जैव विविधता और पर्यावरण
CoP26 शिखर सम्मेलन में नया संकल्प
- 05 Nov 2021
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प्रिलिम्स के लिये:CoP26, मीथेन, जलवायु वित्त, वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड मेन्स के लिये:जलवायु परिवर्तन और सम्बंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ग्लासगो में CoP26 वैश्विक जलवायु सम्मेलन में नेताओं ने दशक के अंत तक वनों की कटाई को रोकने और धीमी जलवायु परिवर्तन में मदद करने के लिये मीथेन के उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लिया है।
- इससे पहले भारत ने घोषणा की थी कि वह पाँच सूत्री कार्य योजना के तहत 2070 तक कार्बन तटस्थता तक पहुँच जाएगा, जिसमें 2030 तक उत्सर्जन को 50% तक कम करना शामिल है।
प्रमुख बिंदु
- मीथेन प्लेज:
- यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका ने शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस मीथेन के उत्सर्जन को कम करने के लिये एक ऐतिहासिक संकल्प लिया है जिसके माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग को 0.2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकता है।
- कार्बन डाइऑक्साइड के बाद जलवायु परिवर्तन में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता मीथेन के वैश्विक उत्सर्जन को 2030 तक 2020 के स्तर से 30% तक कम करने के लिये गठबंधन के सदस्य प्रयास करेंगे।
- यूरोपीय संघ और अमेरिका के अलावा 103 से अधिक देशों ने इस पर हस्ताक्षर किये हैं, जिनमें नाइजीरिया और पाकिस्तान जैसे प्रमुख मीथेन उत्सर्जक शामिल हैं।
- ग्लोबल मीथेन प्लेज (यूएस), जिसे पहली बार सितंबर 2021 में घोषित किया गया था, अब वैश्विक अर्थव्यवस्था के दो-तिहाई उत्सर्जन करने वाले देशों को कवर करता है।
- चीन, रूस और भारत ने साइन अप नहीं किया है, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि वह इसका समर्थन नहीं करेगा।
मीथेन
- मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वातावरण में अधिक अल्पकालिक है लेकिन पृथ्वी को गर्म करने में 80 गुना अधिक शक्तिशाली है।
- गैर-लाभकारी विश्व संसाधन संस्थान के अनुसार, मानव जाति ने वनों को नुकसान पहुँचाकर वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों को भी बढ़ावा दिया है जो लगभग 30% कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को अवशोषित करते हैं।
- मीथेन के मानव स्रोतों में लैंडफिल, तेल और प्राकृतिक गैस प्रणाली, कृषि गतिविधियाँ, कोयला खनन, अपशिष्ट जल उपचार और कुछ औद्योगिक प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
- निर्वनीकरण संकल्प:
- 100 से अधिक देशों ने दशक के अंत तक वनों की कटाई और भूमि क्षरण को रोकने का संकल्प लिया, जो कि वनों की रक्षा एवं पुनर्स्थापना में निवेश करने के लिये सार्वजनिक और निजी फंड में 19 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का योगदान करता है।
- WRI की ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार, वर्ष 2020 में दुनिया में यूनाइटेड किंगडम से अधिक क्षेत्र वाले 258,000 वर्ग किमी. वनों का नुकसान हुआ है।
- यह समझौता 2014 के न्यूयॉर्क वन घोषणापत्र के हिस्से के रूप में 40 देशों द्वारा की गई प्रतिबद्धता का विस्तार करता है और अधिक संसाधनों के निवेश का वादा करता है।
- कॉल फॉर क्लाइमेट फाइनेंस:
- भारत के अनुसार, वर्ष 2009 में निर्धारित 100 बिलियन अमेरिकी डालर के जलवायु वित्त स्तर को प्राप्त नहीं किया जा सकता और भारत द्वारा इस बात पर ज़ोर दिया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन को संबोधित कर लक्ष्यों को पूरा करने के लिये कम-से-कम 1 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर का जलवायु वित्त होना चाहिये।
- भारत ने UNFCCC (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) वार्ता में समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (LMDC) की एकता और ताकत को मौलिक रूप से रेखांकित किया।
- जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ग्लोबल साउथ के हित को संरक्षित करने के लिये भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विकासशील देशों के सामने मौजूदा चुनौतियों की पहचान करने के लिये तीव्र वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा व व्यापार युद्ध के बजाय गहन बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता है।
- भारत ने LMDC के सदस्यों से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन (CDRI) और उद्योग संक्रमण के लिये नेतृत्व समूह (LeadIT) सहित वैश्विक पहल का समर्थन करने के लिये भारत के साथ सहयोग का अनुरोध किया।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर रेजिलिएंट आइलैंड स्टेट्स:
- भारत ने CDRI के एक हिस्से के रूप में इस पहल की शुरुआत की, जो विशेष रूप से छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों में पायलट परियोजनाओं के क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों या SIDS को जलवायु परिवर्तन से सबसे बड़े खतरे का सामना करना पड़ता है, भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO उपग्रह के माध्यम से चक्रवात, प्रवाल-भित्ति निगरानी, तट-रेखा निगरानी आदि के बारे में समय पर जानकारी प्रदान करने हेतु उनके लिये एक विशेष डेटा विंडो का निर्माण करेगी।
- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड ग्रुप (OSOWOG) का शुभारंभ:
- यह भारत और यूनाइटेड किंगडम द्वारा सौर ऊर्जा का उपयोग करने और सीमाओं के पार निर्बाध रूप से संचरण की एक पहल है।
- इसमें सरकारों का एक समूह शामिल है जिसे ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव (GGI) - वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड ग्रुप कहा जाता है।
- GGI का उद्देश्य वैश्विक ऊर्जा संक्रमण को कम करने के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे और बाज़ार संरचनाओं में सुधारों को गति प्रदान कर मानकों को प्राप्त करने में मदद करना है।
- इसमें आधुनिक इंजीनियरिंग की सफलता की क्षमता है और नवीकरणीय बिजली उत्पादन के विस्तार के लिये उत्प्रेरक तथा अगले दशक में जलवायु परिवर्तन को प्रभावी ढंग से कम करने की क्षमता है।
- OSOWOG पर ISA के कॉन्सेप्ट नोट के अनुसार, वैश्विक सौर ग्रिड को तीन चरणों में लागू किया जाएगा।
- पहले चरण में 'इंडियन ग्रिड' मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया ग्रिड से जुड़ेगा ताकि बिजली की ज़रूरत को पूरा करने के लिये सौर तथा अन्य नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को साझा किया जा सके, जिसमें पीक डिमांड भी शामिल है।
- इसके बाद इसे दूसरे चरण में अफ्रीकी पावर पूल के साथ जोड़ा जाएगा।
- तीसरे चरण में OSOWOG के विज़न को हासिल करने के लिये पावर ट्रांसमिशन ग्रिड के ग्लोबल इंटरकनेक्शन को कवर किया जाएगा।