भारत की ऊर्जा रणनीति
प्रिलिम्स के लिये:तरलीकृत प्राकृतिक गैस, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल, पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन मेन्स के लिये:ऊर्जा सुरक्षा और विविधीकरण, भारत की ऊर्जा सुरक्षा में अवसर और चुनौतियाँ। |
स्रोत:द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत ने अमेरिका से तेल और प्राकृतिक गैस का आयात बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है, जिससे निकट भविष्य में ऊर्जा व्यापार 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने की उम्मीद है। यह कदम द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने के व्यापक लक्ष्य का हिस्सा है।
- यह निर्णय वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने के साथ-साथ भारत की ऊर्जा सुरक्षा को भी बढ़ाएगा।
भारत अमेरिका के साथ ऊर्जा व्यापार का विस्तार क्यों कर रहा है?
- ऊर्जा सुरक्षा: विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता भारत अपनी 85% से अधिक कच्चे तेल की ज़रूरतों के लिये आयात पर निर्भर है। अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 8.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने से प्राथमिक ऊर्जा मांग वर्ष 2040 तक लगभग दोगुनी होकर 1,123 मिलियन टन तेल के बराबर हो जाएगी, जिससे आपूर्ति स्थिरता महत्त्वपूर्ण हो जाएगी।
- अमेरिका के साथ ऊर्जा व्यापार का विस्तार करने से पश्चिम एशिया और रूस पर निर्भरता कम हो जाती है, जबकि स्रोतों में विविधता लाने से भू-राजनीतिक व्यवधानों से होने वाले जोखिम कम हो जाते हैं।
- द्विपक्षीय व्यापार वृद्धि: ऊर्जा आयात में विस्तार से वर्ष 2024 में अमेरिका के साथ भारत के 45.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार अधिशेष को संतुलित करने में मदद मिली, साथ ही वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने के लिये 'मिशन 500' पहल को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
- बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा: प्रतिस्पर्द्धी मूल्य पर अमेरिकी कच्चे तेल और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का उद्देश्य अमेरिका को भारत का प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता बनाना है, जिससे औद्योगिक विकास, शोधन विस्तार और पेट्रोकेमिकल निवेश को समर्थन मिलेगा।
- भू-राजनीतिक लाभ: अमेरिका के साथ मज़बूत होते ऊर्जा संबंध, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) में पूर्ण सदस्यता के लिये भारत की दावेदारी का समर्थन करते हैं।
- ऊर्जा के क्षेत्र में मज़बूत होते अमेरिकी-भारत संबंध वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों में चीन के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं।
भारत की ऊर्जा खपत की स्थिति क्या है?
कच्चा तेल:
- कुल आयात (2023-24): 234.26 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात।
- आयात निर्भरता: भारत की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता वर्ष 2023-24 में बढ़कर 87.8% हो गई, जिसमें घरेलू उत्पादन द्वारा कुल मांग की 13% से भी कम की पूर्ति हो पाई।
- अनुमान: वित्त वर्ष 2040 तक कच्चे तेल की खपत 4.59% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 500 मिलियन टन तक होने की उम्मीद है।
पेट्रोलियम उत्पाद और डीजल:
- प्राकृतिक गैस और स्वच्छ ईंधन: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 15% तक बढ़ाना है (वर्तमान ~ 6% से)।
- कुल LNG आयात (2023-24): 31.80 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm), जिसकी कीमत 13.405 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के क्रम में वर्ष 2025-26 तक इसे 20% तक बढ़ाया जाएगा, जिससे सितंबर 2024 तक इथेनॉल उत्पादन क्षमता लगभग 1,600 करोड़ लीटर तक पहुँच जाएगी।
- इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम द्वारा CO2 उत्सर्जन में 544 लाख मीट्रिक टन की कमी आई है तथा 181 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल की जगह इसका उपयोग हुआ है।
- इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के क्रम में वर्ष 2025-26 तक इसे 20% तक बढ़ाया जाएगा, जिससे सितंबर 2024 तक इथेनॉल उत्पादन क्षमता लगभग 1,600 करोड़ लीटर तक पहुँच जाएगी।
ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भारत की कार्यनीति क्या है?
- घरेलू उत्पादन में वृद्धि: भारत का लक्ष्य घरेलू तेल एवं गैस अन्वेषण क्षेत्र में वर्ष 2025 तक 0.5 मिलियन वर्ग किमी. से विस्तारित कर वर्ष 2030 तक 1 मिलियन वर्ग किमी. करना है।
- कृष्णा-गोदावरी (KG) बेसिन में नई परियोजनाओं और अपतटीय अन्वेषण प्रयासों से उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- वैश्विक ऊर्जा साझेदारियाँ: अमेरिका, रूस, ब्राज़ील, कनाडा और अफ्रीका जैसे स्रोतों से भारत की विविध आयात रणनीति भू-राजनीतिक संघर्षों के बीच आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती है, हालाँकि यह दीर्घकालिक मूल्य अस्थिरता के खिलाफ पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती है।
- रूस वर्तमान में भारत के कच्चे तेल आयात का 40% (वर्ष 2022 से पहले 1% से भी कम) आपूर्ति करता है।
- भारत दीर्घकालिक अनुबंधों हेतु IEA, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC)+ के साथ संबंधों का सुदृढ़ीकरण कर रहा है।
- वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, भारत की एक पहल है जिसका उद्देश्य समग्र विश्व में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है।
- LNG और गैस पाइपलाइन का विस्तार: एकीकृत पाइपलाइन टैरिफ का लक्ष्य "एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक टैरिफ" है, जिससे दूरदराज़ के उपभोक्ताओं को लाभ होगा और गैस बाज़ार के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये शहरी गैस वितरण नेटवर्क और आयात टर्मिनलों का विस्तार कर रहा है।
- सामरिक पेट्रोलियम भंडार (SPR): SPR कार्यक्रम वैश्विक बाज़ारों में आपूर्ति व्यवधानों और मूल्य अस्थिरता से बचाव हेतु एक रोधक के रूप में कार्य करता है।
- धन जुटाने तथा उच्च तेल कीमतों की भरपाई हेतु अतिरिक्त भंडारण टैंकों का निर्माण किये जाने हेतु भारत का लक्ष्य SPR के 50% का व्यवसायीकरण करना है।
- स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा: भारत ने जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिये सौर, पवन और जलविद्युत परियोजनाओं के विस्तार के साथ वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता संस्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- सरकार वर्ष 2024 में हाइड्रोजन ऊर्जा परियोजनाओं में 67 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवेश की घोषणा करते हुए इथेनॉल मिश्रण, बायोडीज़ल और संपीड़ित बायोगैस (CBG) को बढ़ावा दे रही है।
- नीतिगत सुधार: सरकार ने तेल एवं गैस सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा अपस्ट्रीम एवं निजी क्षेत्र की रिफाइनिंग परियोजनाओं के लिये स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति प्रदान की है, जिससे निवेश और ऊर्जा क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति का उद्देश्य देश में तेल एवं गैस उत्पादन को बढ़ाना है।
- कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), हरित हाइड्रोजन और जैव ईंधन के लिये सब्सिडी प्रदान की जाती है।
निष्कर्ष
भारत की तेल और गैस की आवश्यकताएँ आर्थिक विकास, बढ़ती मांग और आयात पर उच्च निर्भरता से प्रेरित हैं। ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये, भारत रिफाइनिंग क्षमता का विस्तार कर रहा है, प्राकृतिक गैस में निवेश कर रहा है और स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ते हुए आयात का विविधीकरण कर रहा है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. तेल और गैस आयात का विविधीकरण करने की भारत की रणनीति उसकी ऊर्जा सुरक्षा को किस प्रकार प्रभावित करती है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भट्टी के तेल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में पाया जाने वाला शब्द 'वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट' निम्नलिखित में से किसे संदर्भित करता है: (2020) (a) कच्चा तेल उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) प्रश्न. वहनीय (अफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य हैं। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) |
भारत दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक: SIPRI
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक हथियार आयात में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2020-24 की अवधि में घटकर 8.3% हो गई, जिससे यह यूक्रेन के बाद दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया।
शस्त्र व्यापार पर रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- भारत: वर्ष 2015-19 की तुलना में भारत के हथियार आयात में 9.3% की गिरावट आई है। रूस, भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता बना रहा लेकिन इसकी हिस्सेदारी 72% (वर्ष 2010-14) से घटकर 36% (वर्ष 2020-24) रह गई।
- फ्राँस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा (इसके कुल निर्यात का 28% भारत को गया है) है।
- भारत के पड़ोसी देश: पाकिस्तान के हथियार आयात में 61% की वृद्धि हुई है। चीन द्वारा पाकिस्तान के कुल हथियार आयात के 81% की आपूर्ति की गई।
- वर्ष 1990-94 के बाद पहली बार चीन शीर्ष 10 हथियार आयातकों से बाहर हो गया, क्योंकि उसके हथियार आयात में 64% की गिरावट आई है, जिससे इसके मज़बूत घरेलू रक्षा उद्योग पर प्रकाश पड़ता है।
- एशिया और ओशियानिया: भारत, पाकिस्तान, जापान और ऑस्ट्रेलिया वर्ष 2020-24 के अनुसार वैश्विक स्तर पर 10 सबसे बड़े हथियार आयातकों में शामिल हैं।
- अमेरिका: यह सबसे बड़े हथियार निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति बनाए हुए है तथा प्रमुख रूप से यूक्रेन, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के सहयोगियों एवं एशिया-प्रशांत देशों को हथियार आपूर्ति करता है।
- यूरोप: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की प्रतिक्रिया में देशों द्वारा रक्षा व्यय बढ़ाए जाने के कारण यूरोपीय हथियारों के आयात में 155% की वृद्धि हुई है।
- फ्राँस, रूस को पीछे छोड़कर दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है, भारत (28%) शीर्ष खरीदार है, उसके बाद कतर का स्थान है।
- भारत ने फ्राँस से राफेल जेट और स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ खरीदीं।
- रूस के साथ युद्ध के कारण यूक्रेन में हथियारों के आयात में 100 गुना वृद्धि देखी गई। वैश्विक हथियारों के आयात में यूक्रेन का हिस्सा 8.8% रहा, जिसमें अमेरिका, जर्मनी और पोलैंड शीर्ष आपूर्तिकर्त्ता थे।
- फ्राँस, रूस को पीछे छोड़कर दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है, भारत (28%) शीर्ष खरीदार है, उसके बाद कतर का स्थान है।
- रूस: पश्चिमी प्रतिबंधों और उत्पादन बाधाओं के कारण रूस का वैश्विक हथियार निर्यात 64% घटकर 7.8% (तीसरे स्थान) रह गया।
- हालाँकि, भारत (38%), चीन (17%), और कज़ाकिस्तान (11%) इसके शीर्ष खरीदार बने रहे।
- मध्य पूर्व: हथियारों के आयात में 20% की गिरावट आई, लेकिन यह क्षेत्र प्रमुख आयातक बना हुआ है, कतर विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया है।
- वैश्विक हथियार हस्तांतरण: वैश्विक शस्त्र हस्तांतरण 2015-19 और 2010-14 की तुलना में स्थिर रहा, लेकिन 2005-09 की तुलना में 18% अधिक था, जिसमें यूरोप और अमेरिका में बढ़ते आयात की भरपाई चीन जैसे अन्य क्षेत्रों में कमी से हुई।
हथियारों के आयात को कम करने के लिये भारत की क्या पहल हैं?
- बजट: बजट 2024-25 में रक्षा के लिये 6.21 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए, जिसमें 75% पूंजीगत खरीद घरेलू निर्माताओं के लिये आरक्षित है।
- भारतीय विक्रेताओं से खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिये संयुक्त कार्यवाही के माध्यम से आत्मनिर्भर पहल (सृजन) पोर्टल शुरू किया गया।
- उत्पादन: भारत का रक्षा उत्पादन वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड मूल्य तक पहुँच गया, जो वर्ष 2014-15 से 174% अधिक है।
- वर्ष 2023-24 में भारत के रक्षा निर्यात के लिये शीर्ष तीन गंतव्य अमेरिका, फ्राँस और आर्मेनिया थे।
- सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ: रक्षा वस्तुओं से संबंधित पाँच 'सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ' जारी की गई हैं। इन सूचियों में इन वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है, तथा यह सुनिश्चित किया गया है कि इनका उत्पादन भारत में ही किया जाए।
- रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020: विदेशी खरीद की तुलना में घरेलू खरीद को प्राथमिकता दी गई।
- रक्षा औद्योगिक गलियारे (DIC): रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो गलियारे स्थापित किये गए।
- निजी क्षेत्र एवं FDI भागीदारी: रक्षा विनिर्माण में स्वचालित मार्ग से 74% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और सरकारी मार्ग से 100% निर्धारित किया गया।
- भारत के कुल रक्षा उत्पादन में 21% योगदान निजी क्षेत्र का है।
- रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयाँ (DPSU): भारत में 16 DPSU हैं, जिनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स शामिल हैं।
- DPSU के नेतृत्व में प्रमुख स्वदेशीकरण परियोजनाओं में INS विक्रांत (भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक), LCA तेजस (HAL द्वारा विकसित उन्नत लड़ाकू जेट) शामिल हैं।
- अनुसंधान एवं विकास एवं नवाचार: iDEX (रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार) पहल अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी विकसित करने में स्टार्टअप्स और MSME को बढ़ावा देती है।
- भावी लक्ष्य: वर्ष 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपए के उत्पादन के साथ भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपए मूल्य का रक्षा उत्पादन करना है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. हाल के वर्षों में भारत के रक्षा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहलों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. रक्षा क्षेत्रक में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ.डी.आई.) को अब उदारीकृत करने की तैयारी है। भारत की रक्षा और अर्थव्यवस्था पर अल्पकाल और दीर्घकाल में इसके क्या प्रभाव अपेक्षित हैं? (2014) |