डेली न्यूज़ (06 Jun, 2022)



मलेरिया से लड़ने के लिये कृत्रिम प्रकाश

प्रिलिम्स के लिये:

मलेरिया, मलेरिया वैक्सीन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, कृत्रिम प्रकाश, लाइट एमिटिंग डायोड (LED) प्रकाश। 

मेन्स के लिये:

मलेरिया के प्रसार को रोकने के लिये उपाय और रणनीतियाँ। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि मलेरिया से लड़ने के लिये कृत्रिम प्रकाश को हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। 

मुख्य बिंदु

  • प्रकाश जैविक घडी (Biological Clocks) के नियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे- पक्षियों के बीच प्रजनन का समय, शेरों द्वारा शिकार और मनुष्यों के सोने का पैटर्न। 
  • पृथ्वी के घूर्णन के कारण दिन और रात का समय अपेक्षाकृत स्थिर रहा है, इस तरह के नियमित दिन-रात के चक्रों के साथ ग्रह पर जीवन विकसित हुआ है। 
  • मेलाटोनिन हार्मोन एक जीन है जो नींद और जागने के चक्र को विनियमित करने के लिये ज़िम्मेदार है। 
    • यह पौधों के साथ-साथ जानवरों में भी पाया जाता है। 
  • कृत्रिम प्रकाश के बढ़ते उपयोग के कारण प्राकृतिक नींद चक्रों में तेज़ी से परिवर्तन देखा गया है। 
  • वर्तमान में दुनिया की लगभग 80% आबादी कृत्रिम रूप से प्रकाशित आसमान के नीचे रह रही है। 

मलेरिया पर कृत्रिम प्रकाश का प्रभाव:  

  • ृत्रिम प्रकाश मच्छर जीव विज्ञान में परिवर्तन ला सकता है। 
  • मलेरिया फैलाने वाली मच्छर प्रजाति "एनाफिलीज़" रात में सक्रिय होती है। 
  • कृत्रिम प्रकाश का उपयोग करके, मच्छरों को रात में दिन के समान प्रकाश उत्पन्न करके भ्रमित किया जा सकता है। 
  • प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) "एनाफिलीज़" मच्छर  द्वारा  लंबे समय तक काटने की दर को कम कर देता है।
    • इसलिये यह काटने की दर और मलेरिया के संचरण को कम करता है। 

चुनौतियाँ: 

  • पहली चुनौती है, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि मलेरिया के संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिये कृत्रिम रोशनी का उपयोग कैसे किया जा सकता है। 
  • नियंत्रित प्रयोगशाला माध्यम में कृत्रिम प्रकाश के प्रभावों का प्रदर्शन किया जा सकता है, लेकिन एक प्रभावी वाहक नियंत्रण रणनीति के रूप में इसका उपयोग करना बिल्कुल ही अलग परिणाम प्रदर्शित करती है। 
  • इसके अलावा एलईडी प्रकाश नींद को बाधित करने जैसे मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 

मलेरिया:  

  • परिचय:  
    • मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग (Mosquito Borne Blood Disease) है जो प्लाज़्मोडियम परजीवी (Plasmodium Parasites) के कारण होता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।  
    • इस परजीवी का प्रसार संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों (Female Anopheles Mosquitoes) के काटने से होता है। 
      • मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद परजीवी शुरू में यकृत कोशिकाओं के भीतर वृद्धि करते हैं, उसके बाद लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells- RBC) को नष्ट कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है। 
      • ऐसी 5 परजीवी प्रजातियांँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया के संक्रमण के कारक हैं, इनमें से 2 प्रजातियाँ- प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium Falciparum) और प्लाज़्मोडियम विवैक्स (Plasmodium Vivax) हैं, जिनसे मलेरिया संक्रमण का सर्वाधिक खतरा विद्यमान है। 
      • मलेरिया के लक्षणों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षण शामिल होते हैं, जिसमें ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान महसूस होती है। 
      • इस रोग की रोकथाम एवं इलाज़ दोनों संभव हैं। 
  • मलेरिया का टीका:  
    • RTS,S/AS01 जिसे मॉसक्यूरिक्स (Mosquirix) के नाम से भी जाना जाता है, एक इंजेक्शन वैक्सीन है। इस टीके को एक लंबे वैज्ञानिक परीक्षण के बाद प्राप्त किया गया है जो कि पूर्णतः सुरक्षित है। इस टीके के प्रयोग से मलेरिया का खतरा 40 प्रतिशत तक कम हो जाता है तथा इसके परिणाम अब तक के टीकों में सबसे अच्छे देखे गए हैं। 
    • इसे ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline- GSK) कंपनी द्वारा विकसित किया गया था तथा वर्ष 2015 में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (European Medicines Agency) द्वारा अनुमोदित किया गया। 
    • RTS,S वैक्सीन मलेरिया परजीवी, प्लाज़्मोडियम पी. फाल्सीपेरम (Plasmodium P. Falciparum) जो कि मलेरिया परजीवी की सबसे घातक प्रजाति है, के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करती है। 
  • वैश्विक परिदृश्य: 
    • यद्यपि मलेरिया के कुल मामलों में गिरावट आई है। वर्ष 2000 के प्रति 1,000 जनसंख्या पर लगभग 81.1 मामलों से 59 प्रति 1,000 मामलोंं तक पहुँचने के बाद भी मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में विश्व अभी पीछे हैै। 
    • वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 में मलेरिया के लगभग 240 मिलियन मामले और इसके कारण 6,00,000 मौतें दर्ज की गईं। 
    • मलेरिया के सर्वाधिक मामले अफ्रीका में दर्ज किये जाते हैं। 
    • वैश्विक मामलों का 94% तथा वैश्विक रूप से इस बीमारी के कारण होने वाली कुल मौतों का 96% अफ्रीका में दर्ज किया गया है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से 80 प्रतिशत मौतें पाँच वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों में दर्ज की गई हैं। 
  • चुनौतियाँ: 
    • यद्यपि इसके टीके आशाजनक दिखते हैं लेकिन विशेष रूप से पूर्वी अफ्रीका में मलेरिया-रोधी दवा प्रतिरोध में वृद्धि देखी गई है। 
    • परजीवी में आनुवंशिक उत्परिवर्तन उन्हें नियमित निदान से बचने में सक्षम बनाता है। 
    • मच्छरों में कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हो रही है। 
  • समय की मांग: 
    • यह स्थिति वेक्टर/वाहक नियंत्रण विकल्पों को तेज़ करने और नई रणनीतियों की खोज करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। 

Plasmodium

आगे की राह 

  • कार्यान्वयन रणनीति के बारे में विचार करने से पहले कृत्रिम प्रकाश के उपयोग के प्रभावों को पूरी तरह से समझने की ज़रूरत है। 
  • इस मुद्दे पर निकाय के बढ़ते कार्य से पता चलता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य संबंधित निकायों को निश्चित रूप से इस मुद्दे पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। 

 विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के लिये मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने हेतु एक मलेरिया वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। एक प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करना कठिन क्यों है? (2010) 

(a) मलेरिया प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है 
(b) प्राकृतिक संक्रमण के दौरान मनुष्य मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं करता है 
(c) टीके केवल बैक्टीरिया के खिलाफ विकसित किये जा सकते हैं 
(d) मनुष्य केवल एक मध्यवर्ती मेज़बान है, निर्धारित मेज़बान नहीं है 

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो प्लाज़्मोडियम परजीवी के कारण होती है, यह संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों के माध्यम से लोगों में फैलती है। 
  • मलेरिया परजीवी में प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने की असाधारण क्षमता होती है, जो एक प्रभावी मलेरिया वैक्सीन विकसित करने में कठिनाई को संदर्भित करती है। 
  • RTS,S/AS01 (RTS,S) छोटे बच्चों में मलेरिया के खिलाफ आंशिक सुरक्षा प्रदान करने वाला पहला और अब तक का एकमात्र टीका है। 
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 


विश्व पर्यावरण दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस, संयुक्त राष्ट्र सभा, स्टॉकहोम सम्मेलन, COP26, NAP, LiFE आंदोलन, NRLM. 

मेन्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और संबंधित पहल 

चर्चा में क्यों? 

जागरूकता के प्रसार और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। 

  • भारत ने इस अवसर पर 'पर्यावरण के लिये जीवनशैली आंदोलन (Lifestyle for the Environment (LiFE) Movement)’ शुरू किया। 

विश्व पर्यावरण दिवस की मुख्य विशेषताएंँ: 

  • परिचय: 
    • संयुक्त राष्ट्र सभा ने 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना की, जो मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन का पहला दिन था। 
    • प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का उत्सव एक विशिष्ट विषय और नारे के साथ आयोजित किया जाता है जो उस समय की प्रमुख पर्यावरणीय चिंता को संदर्भित करता है। 
    • यह प्रत्येक वर्ष एक अलग देश द्वारा आयोजित किया जाता है। 
      • उदाहरण के लिये भारत ने 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम के तहत विश्व पर्यावरण दिवस के 45वें उत्सव की मेज़बानी की। 
    • पिछले साल विश्व पर्यावरण दिवस समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की भी शुरुआत की, जो जंगलों से खेतों तक, पहाड़ों के शीर्ष से समुद्र की गहराई तक अरबों हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिये एक वैश्विक मिशन है। 
  • 2022 के लिये थीम: 
    • केवल एक पृथ्वी (OnlyOneEarth): 
      • यह 1973 में पहले विश्व पर्यावरण दिवस की थीम को संदर्भित करता है। 
  • महत्त्व: 

पर्यावरण के लिये जीवन शैली (LiFE) आंदोलन' 

  • परिचय:.  
    • LiFE का विचार भारत द्वारा वर्ष 2021 में ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) के दौरान प्रस्तुत किया गया था। 
      • यह विचार पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली को बढ़ावा देता है जो 'नासमझी और अपव्यय' के बजाय 'सचेत और जान-बूझकर उपयोग' के सिद्धांत पर केंद्रित है। 
    • मिशन के शुभारंभ के साथ प्रचलित "उपयोग और निपटान" अर्थव्यवस्था, बेतरतीब एवं विनाशकारी उपभोग तथा प्रशासन को एक चक्रीय अर्थव्यवस्था द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, जिसे ‘सचेत और स्व-खपत’ द्वारा परिभाषित किया जाएगा। 
  • उद्देश्य: 
    • आंदोलन का उद्देश्य सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का उपयोग करना और पूरे विश्व के व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन में सरल जलवायु-अनुकूल कार्य करने के लिये प्रेरित करना है। 
    • यह जलवायु के आसपास के सामाजिक मानदंडों को प्रभावित करने के लिये सामाजिक नेटवर्क की शक्ति का लाभ उठाने का भी प्रयास करता है। 
    • मिशन की योजना व्यक्तियों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाने और उसका पोषण करने की है, जिसका नाम 'प्रो-प्लैनेट पीपल' (P3) है। 
      • P3 की पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिये एक साझा प्रतिबद्धता होगी। 
      • P3 समुदाय के माध्यम से यह मिशन एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करता है जो पर्यावरण के अनुकूल व्यवहारों को आत्मकेंद्रित होने के लिये सुदृढ़ और सक्षम करेगा। 

पर्यावरण संरक्षण के मामले में भारत: 

  • वनावरण में वृद्धि: 
    • भारत का वन क्षेत्र का विस्तार हो रहा है और इसलिये शेरों, बाघों, तेंदुओं, हाथियों और गैंडों की आबादी बढ़ रही है। 
      • कुल वन क्षेत्र वर्ष 2021 में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है, जबकि 2019 में 21.67% और 2017 में 21.54% था। 
  • स्थापित विद्युत क्षमता: 
    • गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से स्थापित विद्युत क्षमता के 40% तक पहुँचने की भारत की प्रतिबद्धता निर्धारित समय से 9 साल पहले हासिल कर ली गई है। 
  • इथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य: 
    • पेट्रोल में 10% एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य नवंबर 2022 के लक्ष्य से 5 महीने पूर्व ही प्राप्त किया जा चुका है। 
    • यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि 2013-14 में सम्मिश्रण मुश्किल से 1.5% और 2019-20 में 5% था। 
  • अक्षय ऊर्जा लक्ष्य: 
    • भारत सरकार भी अक्षय ऊर्जा पर बहुत अधिक ध्यान दे रही है। 
    • 30 नवंबर, 2021 को देश की स्थापित अक्षय ऊर्जा (RE) क्षमता 150.54 गीगावाट (सौर: 48.55 गीगावाट, पवन: 40.03 गीगावाट, लघु जलविद्युत: 4.83, जैव-शक्ति: 10.62, बड़ी हाइड्रो: 46.51 गीगावाट) है, जबकि इसकी परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6.78 गीगावाट है। 
      • भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता से युक्त देश है। 

अन्य पहलं: 

  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम: यह वनों के आसपास के अवक्रमित वनों के पुनर्वास और वनरोपण पर केंद्रित है। 
  • हरित भारत के लिये राष्ट्रीय मिशन: यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (National Action Plan on Climate Change) के अंतर्गत है और इसका उद्देश्य जलवायु अनुकूलन एवं शमन रणनीति के रूप में वृक्षों के आवरण में सुधार तथा वृद्धि करना है। 
  • राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना: इसे प्राकृतिक आवासों के क्षरण, विखंडन और नुकसान की दरों में कमी के लिये नीतियों को लागू करने हेतु शुरू किया गया है। 
  • ग्रामीण आजीविका योजनाएँ: ग्रामीण आजीविका से आंतरिक रूप से जुड़े प्राकृतिक संसाधनों की मान्यता महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसी प्रमुख योजनाओं में भी परिलक्षित होती है। 

फिशिंग कैट्स

प्रिलिम्स के लिये:

फिशिंग कैट प्रोजेक्ट, चिल्का झील, IUCN, CITES. 

मेन्स के लिये:

संरक्षण, जैव विविधता और पर्यावरण। 

चर्चा में क्यों? 

चिल्का विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक जनगणना के अनुसार, चिल्का झील में 176 फिशिंग कैट्स मौजूदगी है। 

  • यह जनगणना ‘द फिशिंग कैट प्रोजेक्ट (TFCP) के सहयोग से आयोजित की गई थी। यह फिशिंग कैट्स का दुनिया का पहला जनसंख्या अनुमान है, जिसे संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के बाहर आयोजित किया गया है। 
  • डेटा का विश्लेषण करने के लिये ‘स्पेसियल एक्सप्लिसिट कैप्चर रिकैप्चर’ (SECR) पद्धति का उपयोग किया गया था। SECR का उपयोग 'डिटेक्टरों' की एक सारणी का उपयोग करके एकत्र किये गए कैप्चर-रीकैप्चर डेटा से पशु आबादी के घनत्व का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है। 

Fishing-Cats

फिशिंग कैट्स: 

  • वैज्ञानिक नाम: प्रियनैलुरस विवरिनस 
  • विवरण: 
    • यह घरेलू बिल्ली के आकार से दोगुनी है। 
    • फिशिंग कैट्स रात्रिचर (रात में सक्रिय) होती है और मछली के अलावा मेंढक, क्रस्टेशियंस, साँप, पक्षी तथा बड़े जानवरों के शवों पर उपस्थित अपमार्जकों का भी शिकार करती है। 
    • यह प्रजाति वर्ष भर प्रजनन करती है। 
    • वे अपना अधिकांश जीवन जल निकायों के पास घने वनस्पतियों के क्षेत्रों में बिताती हैं और उत्कृष्ट तैराक होती हैं। 
  • आवास: 
    • पूर्वी घाट के साथ फिशिंग कैट का वितरण बहुत कम है। वे मुहाना, बाढ़ के मैदानों, ज्वारीय मैंग्रोव वनों और अंतर्देशीय मीठे जल के आवासों में प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। 
    • पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में सुंदरवन के अलावा फिशिंग कैट ओडिशा में चिल्का लैगून एवं आसपास की आर्द्रभूमि, आंध्र प्रदेश में कोरिंगा तथा कृष्णा मैंग्रोव में निवास करती हैं। 
  • संकट: 
    • आवास विनाश: फिशिंग कैट के लिये एक बड़ा खतरा आर्द्रभूमि का विनाश है, जो उनका पसंदीदा आवास है। 
    • झींगा पालन: झींगा पालन फिशिंग कैट के मैंग्रोव आवासों के लिये एक और बढ़ता खतरा है। 
    • शिकार: इस अनोखी बिल्ली को माँस और त्वचा के लिये शिकार से संबंधित खतरों का भी सामना करना पड़ता है। 
    • आनुष्ठानिक प्रथाएंँ: जनजातीय शिकारी वर्ष भर आनुष्ठानिक शिकार प्रथाओं में लिप्त रहते हैं। 
    • अवैध शिकार: इसकी त्वचा के लिये कभी-कभी इसका अवैध शिकार भी किया जाता है। 
    • विषाक्तता: जाल में लगाना, जाल से पकड़ना और विषाक्तता। 
  • संरक्षण की स्थिति: 
  • संरक्षण के प्रयास: 
    • इससे पहले चिल्का विकास प्राधिकरण ने चिल्का में फिशिंग कैट के संरक्षण के लिये एक पंचवर्षीय कार्ययोजना अपनाने की अपनी मंशा घोषित की है। 
    • वर्ष 2021 में फिशिंग कैट संरक्षण अलायंस ने आंध्र प्रदेश के पूर्वोत्तर घाटों के असुरक्षित और मानव-प्रधान परिदृश्य में फिशिंग कैट के जैव-भौगोलिक वितरण का एक अध्ययन की शुूरुआत की है। 
    • वर्ष 2010 में शुरू की गई फिशिंग कैट परियोजना ने पश्चिम बंगाल में फिशिंग कैट के बारे में जागरूकता बढ़ाने का कार्य शुरू किया। 
    • वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल सरकार ने आधिकारिक तौर पर फिशिंग कैट को राज्य पशु घोषित किया और कलकत्ता चिड़ियाघर में दो बड़े बाड़ों का निर्माण किया गया है। 
    • ओडिशा में कई गैर-सरकारी संगठन और वन्यजीव संरक्षण समितियाँ  फिशिंग कैट  अनुसंधान एवं संरक्षण कार्य में शामिल हैं। 

चिल्का झील:  

  • चिल्का एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है। 

Chilka-Lake

  • वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का पहला भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था। 
  • चिल्का में प्रमुख आकर्षण इरावदी डॉलफिन (Irrawaddy Dolphins) हैं जिन्हें अक्सर सातपाड़ा द्वीप के पास देखा जाता है। 
  • लैगून क्षेत्र में लगभग 16 वर्ग किमी. में फैला नलबाना द्वीप (फारेस्ट ऑफ रीडस) को वर्ष 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था। 
  • कालिजई मंदिर: यह मंदिर चिल्का झील में एक द्वीप पर स्थित है। 
  • चिल्का झील कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर, रूस के सुदूर हिस्सों, मंगोलिया के किर्गिज़ स्टेप्स, मध्य और दक्षिण-पूर्व एशिया, लद्दाख तथा हिमालय से हज़ारों मील दूर से पलायन करने वाले पक्षियों की मेज़बानी करती है। 
  • पक्षी यहांँ विशाल मिट्टी के मैदान और प्रचुर मात्रा में मछली के भंडार को संग्रह करने के लिये उपयुक्त पाते हैं। 

स्रोत : द हिंदू 


प्रधानमंत्री आवास योजना

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी। 

मेन्स के लिये:

कल्याणकारी योजनाएँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। 

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY- G) की पूर्णता दर 67.72% है, जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) जिसकी शुरुआत एक वर्ष पूर्व हुई थी, 50% पूर्णता दर के साथ पिछड़ रही है। 

दोनों योजनाओं में देरी का प्रमुख कारण: 

  • महामारी: 
    • सरकारी अधिकारी PMAY-U में देरी के लिये कोविड-19 महामारी को ज़िम्मेदार ठहराते हैं 
    • कोविड-19 महामारी से पहले स्वीकृत घरों की पूर्णता दर लगभग 80% थी। 
  • राज्यों द्वारा खराब कार्यान्वयन: 
    • लक्षित इकाइयों का 70% हिस्सा छह राज्यों में है- जिसमें पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।  
    • इनमें से केवल दो राज्यों- उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की पूर्णता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 
      • बिहार में सबसे कम पूर्णता दर है। 
  • स्पष्ट शीर्षकों और दस्तावेज़ों का अभाव: 
    • शहरी क्षेत्रों में स्पष्ट शीर्षक और अन्य भूमि दस्तावेज़ों की कमी जैसे मुद्दे सामने आते हैं,  परिणामस्वरूप इसकी गति और धीमी हो गई। 
    • यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों में भी है। 
  • दो राज्यों में केंद्र द्वारा निधि आवंटन को रोकना: 
    • पश्चिम बंगाल में यह आरोप लगाया गया था कि वर्तमान राज्य सरकार इस योजना को बांग्ला आवास योजना के रूप में फिर से तैयार कर रही है। 
    • छत्तीसगढ़ के लिये निधि रोक दी गई क्योंकि राज्य, योजना के लिये योगदान का अपना हिस्सा देने में विफल रहा। 
      • केंद्र 60% राशि का भुगतान करता है और राज्यों को लागत का 40% वहन करना पड़ता है। 

 PMAY-G योजना : 

  • लॉन्च: इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिये आवास’ के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु शुरू किया गया था। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती ‘इंदिरा आवास योजना’ (IAY) को 01 अप्रैल, 2016 को ‘प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण’ के रूप में पुनर्गठित किया गया था। 
  • शामिल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय। 
  • उद्देश्य: मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवार, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना। 
    • जीवन व्यतीत कर रहे ग्रामीण परिवारों को आवासीय इकाइयों के निर्माण और मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना। 
  • लाभार्थी: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोग, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-एससी/एसटी वर्ग, विधवा महिलाएँ, रक्षाकर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिक तथा अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक। 
  • लाभार्थियों का चयन: तीन चरणों के सत्यापन के माध्यम से- सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा, और जियो-टैगिंग 
  • कॉस्ट शेयरिंग: यूनिट सहायता की लागत को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मैदानी क्षेत्रों में 60:40 के अनुपात में और उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों के लिये 90:10 के अनुपात में साझा किया जाता है। 
  • उपलब्धियांँ: 
    • इसे 2.7 करोड़ घरों का निर्माण कार्य पूरा करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था। 
    • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा बनाए गए डेटाबेस के अनुसार, अब तक 1.8 करोड़ घरों का निर्माण किया जा चुका है। 
    • यह लक्ष्य का 67.72 प्रतिशत है। 

प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U): 

  • लॉन्च:  
    • 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी (PMAY-U) का शुभारंभ किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों के लोगों को वर्ष 2022 तक आवास उपलब्ध कराना है।  
  • कार्यान्वयन:  
    • आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय। 
  • विशेषताएँ: 
    • यह शहरी गरीबों (झुग्गीवासी सहित) के बीच शहरी आवास की कमी को संबोधित करते हुए पात्र शहरी गरीबों के लिये पक्के घर सुनिश्चित करता है। 
    • इस मिशन में संपूर्ण नगरीय क्षेत्र शामिल है (जिसमें वैधानिक नगर, अधिसूचित नियोजन क्षेत्र, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास प्राधिकरण या राज्य विधान के अंतर्गत कोई भी प्राधिकरण जिसे नगरीय नियोजन का कार्य सौंपा गया है) 
    • PMAY(U) के अंतर्गत सभी घरों में शौचालय, पानी की आपूर्ति, बिजली और रसोईघर जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। 
    • यह योजना महिला सदस्य के नाम पर या संयुक्त नाम से घरों का स्वामित्व प्रदान कर महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देती है। 
    • विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, एकल महिलाओं, ट्रांसजेंडर और समाज के कमज़ोर वर्गों को इसमें प्राथमिकता दी जाती है। 
  • उपलब्धियाँ: 
    • इसकी शुरुआत 1.2 करोड़ घरों के निर्माण के लक्ष्य के साथ की गई थी। 
    • केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक, अब तक सिर्फ 60 लाख यूनिट का निर्माण ही पूर्ण हो पाया है। 

स्रोत: द हिंदू 


इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक ऑफ एंड लैंडिंग (eVTOL) एयरक्राफ्ट

प्रिलिम्स के लिये:

eVTOL एयरक्राफ्ट, कार्बन-14 

मेन्स के लिये:

वैज्ञानिक नवाचार और खोजें 

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार ईवीटीओएल (eVTOL) एयरक्राफ्ट को भारत लाने और उनके लिये मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित करने की संभावना तलाश रही है। 

Electric-aircraft

eVTOL एयरक्राफ्ट 

  • परिचय: 
    • एक eVTOL एयरक्राफ्ट वह है, जो बिजली की शक्ति का उपयोग उड़ान भरने, टेक ऑफ और लंबवत रूप से लैंड करने के लिये करता है। 
    • अधिकांश eVTOL भी वितरित विद्युत प्रणोदन तकनीक का उपयोग करते हैं जिसका अर्थ है एयरफ्रेम के साथ एक जटिल प्रणोदन प्रणाली को एकीकृत करना। 
  • विशेषताएँ: 
    • इसमें अधिक दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये कई मोटर हैं। 
    • यह वह तकनीक है जो मोटर, बैटरी, सेल ईंधन और इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रक प्रौद्योगिकियों में प्रगति के आधार पर विद्युत प्रणोदन की सफलताओं के कारण विकसित हुई है तथा शहरी वायु गतिशीलता (UAM) सुनिश्चित करने वाली नई वाहन प्रौद्योगिकी की आवश्यकता से भी प्रेरित है। 
      • इस प्रकार eVTOL एयरोस्पेस उद्योग में नई तकनीकों और विकास में से एक है। 
    • UAM की अवधारणा को जीवंत करने के लिये अनुमानित 250 eVTOL अवधारणाओं या उससे अधिक का उपयोग किया जा रहा है। 
      • इनमें से कुछ में सेंसर, कैमरों और यहांँ तक कि रडार द्वारा समर्थित मल्टी-रोटर, फिक्स्ड-विंग एवं टिल्ट-विंग अवधारणाओं का उपयोग शामिल है। यहांँ मुख्य अवधारणा "स्वायत्त कनेक्टिविटी" है। 
      • इनमें से कुछ विभिन्न परीक्षण चरणों में हैं और कुछ अन्य भी परीक्षण उड़ानों से गुज़र रहे हैं ताकि उपयोग के लिये प्रमाणित किया जा सके। 
    • संक्षेप में eVTOLs की तुलना हवाई क्रांति में तीसरी लहर से की गई है। 
      • पहला, व्यावसायिक उड़ान का आगमन और दूसरा, हेलीकॉप्टरों का युग। 

eVTOLs का विकास: 

  • eVTOLs द्वारा अपनाई जाने वाली बैटरी प्रौद्योगिकी और ऑनबोर्ड विद्युत शक्ति की सीमाओं पर निर्भर करती हैं। 
  • उड़ान के प्रमुख चरणों जैसे- टेक ऑफ, लैंडिंग और उड़ान (विशेष रूप से उच्च हवा की स्थिति में) के दौरान शक्ति की आवश्यकता होती है। 
  • वज़न महत्त्वपूर्ण कारक: 
    • उदाहरण के लिये BAE सिस्टम्स विभिन्न प्रकार कलिथियम बैटरी का उपयोग करने वाले प्रारूपों का निरीक्षण कर रहा है। 
      • BAE सिस्टम्स एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय हथियार, सुरक्षा और एयरोस्पेस कंपनी है जो लंदन, इंग्लैंड में स्थित है। 
    • नैनो डायमंड बैटरीज़ के निर्माण में "डायमंड न्यूक्लियर वोल्टाइक (डीएनवी) तकनीक" को अपनाने पर विचार किया जा रहा है, जिसमें ‘सेल्फ-चार्जिंग बैटरी' के निर्माण हेतु ‘लेयर्ड इंडस्ट्रियल डायमंड्स’ में कार्बन-14 ‘ न्यूक्लियर वेस्ट' की न्यूनतम मात्रा का उपयोग किया जाता है। 
  • विशेषज्ञों द्वारा केवल बैटरियों के उपयोग और उड़ान मिशन के आधार पर हाइड्रोजन सेल एवं बैटरी जैसी हाइब्रिड तकनीकों को देखने पर सवाल उठाया गया है। 
  • यह गैस से चलने वाले जनरेटर का उपयोग करता है जो एक छोटे विमान के इंजन को शक्ति प्रदान करता है, बदले में बैटरी सिस्टम को चार्ज करता है। 
    • लेकिन तकनीक जो भी हो इसके लिये बहुत सख्त जाँच और प्रमाणन की आवश्यकतएँ होगी। 

चुनौतियाँ: 

  • दुर्घटना निवारण प्रणाली:  
    • चूँकि अब तक की तकनीक ‘पायलट रहित’ और ‘पायलट सहित’ विमानों का मिश्रण है, इनके फोकस क्षेत्रों में "दुर्घटना निवारण प्रणाली" शामिल है। 
    • इनमें कैमरे, रडार, जीपीएस (ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम) और इंफ्रारेड स्कैनर का प्रयोग होता है। 
  • सुरक्षा सुनिश्चित करना: 
    • पावर प्लांट या रोटर की विफलता के मामले में सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसे मुद्दे भी हैं। साइबर हमले से विमान की सुरक्षा, फोकस का एक अन्य क्षेत्र है। 
  • नेविगेशन और उड़ान सुरक्षा: 
    • यह तकनीक नेविगेशन और उड़ान सुरक्षा तथा कठिन इलाके, असुरक्षित संचालन वातावरण और खराब मौसम में काम करते समय काम आएगी। 

बाज़ार मूल्य: 

  • वर्ष 2021 में eVTOL का वैश्विक बाज़ार 8.5 मिलियन यूएस डॉलर था जिसके वर्ष 2030 तक 30.8 मिलियन यूएस डॉलर तक बढ़ने की संभावना है। 
  •  मांग में यह वृद्धि हरित ऊर्जा और शोर-मुक्त विमान, कार्गो ले जाने की अवधारणा तथा परिवहन के नए साधनों की आवश्यकता के कारण होगी। 
  • UAM बाज़ार का विस्तार वर्ष 2018-25 के बीच 25% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से होने की उम्मीद है। 
    • वर्ष 2025 तक इस बाज़ार के 74 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की संभवना है। इसमें eVTOL बाज़ार भी शामिल है क्योंकि UAM आदर्श रूप से eVTOL के उपयोग पर केंद्रित है। 

स्रोत: द हिंदू 


स्टैगफ्लेशन

प्रिलिम्स के लिये:

स्टैगफ्लेशन, मुद्रास्फीति, मंदी। 

मेन्स के लिये:

स्टैगफ्लेशन से संबंधित चिंताएंँ और आगे की राह।

चर्चा में क्यों?  

विश्व भर के केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करने के लिये नीतियांँ बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि अमेरिका सहित कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति को मंदी को ट्रिगर किये बिना नियंत्रित किया जा सके, क्योंकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में स्टैगफ्लेशन की संभावना है। 

स्टैगफ्लेशन: 

  • परिचय: 
    • स्टैगफ्लेशन का अर्थ है कीमतों में एक साथ वृद्धि और आर्थिक विकास की स्थिरता की विशेषता वाली स्थिति। 
      • स्टैगफ्लेशन शब्द नवंबर 1965 में यूनाइटेड किंगडम में कंज़र्वेटिव पार्टी के सांसद इयान मैकलेओड द्वारा गढ़ा गया था। 
    • इसे अर्थव्यवस्था में एक ऐसी स्थिति के रूप में वर्णित किया जाता है जहांँ विकास दर धीमी हो जाती है, बेरोज़गारी का स्तर लगातार ऊंँचा रहता है, फिर भी मुद्रास्फीति या मूल्य स्तर एक ही समय में उच्च रहता है। 
    • यह स्थिति अर्थव्यवस्था के लिये खतरनाक होती है। 
      • आमतौर पर कम विकास की स्थिति में केंद्रीय बैंक और सरकारें मांग पैदा करने के लिये उच्च सार्वजनिक खर्च एवं कम ब्याज दरों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने का प्रयास करती हैं। 
      • ये उपाय भी कीमतों को बढ़ाते हैं और मुद्रास्फीति का कारण बनते हैं। इसलिये इन उपकरणों को तब नहीं अपनाया जा सकता है जब मुद्रास्फीति पहले से ही उच्च स्तर पर हो, जिससे कम वृद्धि-उच्च मुद्रास्फीति के जाल से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। 

Stagflation

  • स्टैगफ्लेशन का मुद्दा: 
    • वर्ष 1970 के दशक की शुरुआत और मध्य में जब ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन), जो कि एक कार्टेल की तरह काम करता है, ने आपूर्ति में कटौती करने का फैसला किया और दुनिया भर में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की। 
    • एक ओर तेल की कीमतों में वृद्धि ने उन अधिकांश पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की उत्पादक क्षमता को बाधित कर दिया, जो तेल पर बहुत अधिक निर्भर थीं, इस प्रकार आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न हुई। दूसरी ओर तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण भी मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न होने के साथ ही वस्तुएँ अधिक महंगी हो गईं। 
    • उदाहरण के लिये वर्ष 1974 में तेल की कीमतों में लगभग 70% की वृद्धि हुई और इसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति में भी वृद्धि देखी गई। 

स्टैगफ्लेशन के संदर्भ में नवीनतम चिंताएँ: 

  • कोविड-19 और उसके बाद के वित्तीय एवं मौद्रिक उपाय: 
    • कोविड-19 महामारी के प्रकोप और वायरस के प्रसार को रोकने के लिये लगाए गए प्रतिबंध दुनिया भर में पहली बड़ी आर्थिक मंदी का कारण बने, परिणामस्वरूप अधिकांश उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में तरलता में पर्याप्त वृद्धि सहित मंदी को दूर करने के लिये किये गए राजकोषीय और मौद्रिक उपायों ने मुद्रास्फीति में तीव्र उछाल को बढ़ावा दिया है। 
  • रूस-यूक्रेन की स्थिति और मास्को पर प्रतिबंध: 
    • फेड और बैंक ऑफ इंग्लैंड केंद्रीय बैंकों में से हैं जिन्होंने बढ़ती कीमतों को कम करने के लिये ब्याज दरों में वृद्धि करना शुरू कर दिया है, रूस द्वारा अपने दक्षिणी पड़ोसी देश पर आक्रमण और मॉस्को पर परिणामी पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद यूक्रेन में चल रहे युद्ध ने परिस्थितियों को और भी जटिल बना दिया है। 
  • आपूर्ति कारक: 
    • संघर्ष के कारण तेल और गैस से लेकर खाद्यान्न, खाद्य तेल एवं उर्वरक तक सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धिे होने से अधिकारियों को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये एक कठिन स्थिति का सामना करना पड़ रहा है जो अब मांग आधारित नहीं है (इसलिये इसे साख/ ऋण को विनियमित करके नियंत्रित किया जा सकता है) और लगभग पूरी तरह से आपूर्ति कारकों पर निर्भर है जिन्हें प्रबंधित करना कहीं अधिक कठिन है। 

आगे की राह : 

  • क्षतिपूर्ति के लिये एक सतत् और समावेशी नीतिगत समर्थन की लंबे समय तक आवश्यकता हो सकती है। 
  • विवेकपूर्ण नीतियों के सामान्यीकरण और सार्वजनिक तथा निजी ऋण के अत्यधिक होने सहित दिवाला ढाँचे एवं पुनर्गठन तंत्र को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। 

स्रोत : द हिंदू