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कोविड-19: मेक इट द लास्ट पेंडेमिक रिपोर्ट

  • 15 May 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘महामारी के विरुद्ध तैयारी और प्रतिक्रिया के लिये स्वतंत्र पैनल’ (IPPPR) ने अपनी रिपोर्ट "कोविड -19: मेक इट द लास्ट पेंडेमिक" में निष्कर्ष निकाला है कि कोविड-19 महामारी के भयावह दृश्य को रोका जा सकता था।

प्रमुख बिंदु:

बढ़ी हुई कोविड समस्या के कारण:

  • खराब निर्णय:
    • रिपोर्ट के अनुसार, खराब निर्णयों की एक विस्तृत शृंखला के कारण कोविड -19 से अब तक कम-से-कम 3.3 मिलियन व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और वैश्विक अर्थव्यवस्था भी तबाह होने की कगार पर पहुँच गई।
    • खराब रणनीतिक विकल्प, असमानताओं से निपटने की अनिच्छा और एक असंगठित प्रणाली ने एक विषाक्त स्थिति को जन्म दिया, जिसने महामारी को एक भयावह मानव संकट में बदलने का कार्य किया।
  • विभिन्न संस्थानों का अक्रियाशील होना:
    • विभिन्न स्वास्थ्य संस्थान लोगों की रक्षा करने में विफल रहे।
    • इस महामारी की दूसरी लहर के खतरे को नज़रअंदाज़ कर दिया गया था और देश इससे निपटने के लिये पूरी तरह से तैयार नहीं थे।
  • तात्कालिकता की कमी:
    • दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में पाए गए इस प्रकोप की शुरुआती प्रतिक्रियाओं में तात्कालिकता का अभाव था, फरवरी 2020 एक संवेदनशील माह था क्योंकि इस दौरान देश इस स्थिति पर ध्यान देने में विफल रहे।
  • देरी:
    • कोविड -19 की दूसरी लहर के उद्भव के कारणों में शुरुआती और त्वरित कार्रवाई की कमी थी।
    • WHO द्वारा इस स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया जा सकता था।

अनुशंसाएँ:

  • अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिये:
    • अमीर देशों द्वारा टीकाकरण की आवश्यकता वाले देशों को ‘कोवैक्स योजना’ के अंतर्गत 92 सबसे गरीब क्षेत्रों को सितंबर 2021 तक कम-से-कम एक बिलियन वैक्सीन खुराक और वर्ष 2022 के मध्य तक दो बिलियन से अधिक खुराक प्रदान करनी चाहिये।
    • G-7 औद्योगीकृत राष्ट्रों को वर्ष 2021 में WHO के ‘कोविड टूल्स एक्सेलेरेटर’ कार्यक्रम के माध्यम से टीके, निदान और चिकित्सा विज्ञान के लिये आवश्यक 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 60% का भुगतान करना चाहिये।
    • G20 देशों और अन्य को बाकी सहायता प्रदान करनी चाहिये।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करनी चाहिये:
    • WHO और विश्व व्यापार संगठन (WTO) को भी प्रमुख वैक्सीन उत्पादक देशों और निर्माताओं को कोविड -19 टीकों हेतु स्वैच्छिक लाइसेंस और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये सहमत होना चाहिये।
      • यदि तीन महीने के भीतर कार्रवाई नहीं होती है, तो बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत छूट तुरंत लागू होनी चाहिये।
      • भारत और दक्षिण अफ्रीका पहले से ही विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों को महामारी से समान रूप से लड़ने के लिये इस तरह की छूट प्रदान करने हेतु सहमत होने का प्रयास कर रहे हैं।

भविष्य की महामारी को रोकने हेतु सुझाव:

  •  वैश्विक स्वास्थ्य संकट परिषद:
    • भविष्य के प्रकोपों ​​​​और महामारियों से निपटने के लिये इस पैनल ने वैश्विक स्वास्थ्य संकट परिषद का आह्वान किया, जो वैश्विक नेताओं से निर्मित परिषद के साथ-साथ एक महामारी सम्मेलन भी है।
  • अंतर्राष्ट्रीय महामारी वित्तपोषण सुविधा:
    • G-20 को एक अंतर्राष्ट्रीय महामारी वित्तपोषण सुविधा का निर्माण करना चाहिये, जो तैयारियों पर प्रतिवर्ष 5-10 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने में सक्षम हो तथा संकट की स्थिति में 50 से 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने के लिये तैयार हो।
  • WHO का पुनरीक्षण:
    • WHO के स्वयं के वित्त पोषण पर अधिक नियंत्रण और नेतृत्व के लिये तथा इसके पुनरीक्षण का प्रस्ताव रखा गया है।
    • इसकी चेतावनी प्रणाली को तीव्र करने की आवश्यकता है और इसके पास देशों की अनुमति की प्रतीक्षा किये बिना विशेषज्ञ मिशनों को तुरंत भेजने का अधिकार होना चाहिये।

‘महामारी के विरुद्ध तैयारी और प्रतिक्रिया के लिये स्वतंत्र पैनल’ (IPPPR):

  • इसकी स्थापना वर्ष 2020 में WHO के महानिदेशक द्वारा विश्व स्वास्थ्य सभा के प्रस्ताव 73.1 के उत्तर के रूप में की गई थी।
  • संकल्प 73.1 ने स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिये बेहतर तैयारी और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों के अनुपालन की प्रतिबद्धता को नवीनीकृत किया।

सचिवालय:

  • यह स्वतंत्र पैनल जिनेवा में स्थित अपने स्वयं के स्वतंत्र सचिवालय द्वारा समर्थित है।

मिशन:

  • यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि भविष्य के लिये एक साक्ष्य-आधारित मार्ग प्रदान करने हेतु तथा वर्तमान और अतीत की घटनाओं से प्रभावित देशों एवं वैश्विक संस्थानों की सफलता सुनिश्चित करने के लिये, विशेष रूप से WHO सहित अन्य संस्थाएँ स्वास्थ्य संबंधी खतरों को प्रभावी ढंग से संबोधित करती हैं।

स्रोत- द हिंदू

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